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सोमवार, 4 नवंबर 2019

म.प्र.लेखक संघ की 254वीं गोष्ठी ‘ग़जल’ पर हुई Tikamgarh (M.P.) Date 3-11-2019
















gazal gosthi Tiakamgarh म.प्र.लेखक संघ की 254वीं गोष्ठी ‘ग़जल’ पर हुई  Tikamgarh (M.P.) Date 3-11-2019

टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 254वीं गोष्ठी ‘‘ग़ज़ल’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बिजावर से पधारे शायर जनाब फरीद वेग बिजावरी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में युवा शायर जनाब अनवर खान ‘साहिल’ रहे व विशिष्ट अतिथि बिजावर से पधारे शायर श्री राम किशन ‘नीरव’ रहे।
लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ सरस्वती बंदना के पश्चात पढ़ा-
सब धन धरती भरे अपारन मेदा नन और पारन।।
बिजावर से पधारे शायर फरीद वेग बिजावरी ने कलाम पढ़ा-  जिस्म हिन्दी है मेरी जाँ उर्दू।
मेरी रग-रग में है रवां उर्दू।।
बिजावर से पधारे शायर रामकिशन ‘नीरव’ ने ग़ज़ल पढ़ी- जा रहा हूँ आज मैं वादा निभाने के लिए।
जान ओ दिल दोनो वतन तुझपे लुटाने के लिए।।
म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल सुनायी- 
सजी जिसके होटों पे मुस्कान होगी, कली सबसे पहले वो बलिदान होगी।
उमंगंे जबाँ है मिरे दिल में ‘राना’,कभी तो नज़र वो मिहिरवान होगी।।
अनवर खान सहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-सुनके खबर मेरी आँख डबडबाई है, बेकसूर भाई की जेल से रिहाई है।
चाँद मोहम्मद ‘आखिर’ ने सुनाया-दिल जो माँ-बाप का दुखा देगा, फिर न कुछ भी उसे खुदा देगा।
हाजी ज़फ़र उल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने कलाम पढा- चोरी चोरी चुपके चुपके घर पे आना आपका।
राते में धीरे से ही कुंडी बजाना आपका।।
बशीर फराज ने पढ़ा-उसने मुझे भेजा है फूलों का जो नज़राना,दुनिया ने बन डाला इस बात का अफसाना
शकील खान ने पढ़ा-हमको उड़ना है आसमानों में, बाँधकर न हमारे पर रखिये।।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-वे बाँटते रहे उपहार दिवाली पर, पंछी बैठकर देखते रहे डाली पर।।
बल्देवगढ़ से पधारे यदुकुल नंदन खरे ने पढ़ा- सुनो पाक अब भी सभंलो तुम, अभिनंदन अब जाग जायेगा।
बल्देवगढ़ केे कोमलचन्द्र बजाज ने पढ़ा-आ धरती के शैतान तू सुन ले पाकिस्तान,तेरे दिन लदने वाले है।
दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’ ने पढ़ा-सीना तान सीमा पर जो दिनात पड़े रहते।
हिफाजत देश की करने ले हथियार खडे़  रहते है।।
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने पढ़ा-कौन मिले कब बिछड़े किससे, वक्त की हेरा फेरी है।।
अब दूर रहे या पास हमारे, पर सजनी तो मेरी है।।
दयालीराम विश्वकर्मा ने पढ़ा- आवासों का इस देश में खुला खजाना है,
मिलता उसी को जिसका मकां बना है।
इनके अलावा पं.हरिविष्णु अवस्थी, डाॅ. एन.एम. अवस्थी, विजय मेहरा, अजीत श्रीवास्तव, पूरन चन्द्र गुप्ता, भारत विजय बगेरिया, डी.पी.यादव, आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायीं। ग़ज़ल गोष्ठी का संचालन दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’ ने किया तथा सभी का आभार अजीत श्रीवास्तव ने माना।
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                                                रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
                                                 E-Mail- ranalidhori@gmail.com
                                                Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com

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