Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 17 जून 2023

आंचलिक सम्मेलन एवं राना लिधौरी गौरव ग्रंथ विमोचन समारोह मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ का 300वां आयोजन

‘म.प्र.लेखक संघ का 42वाँ आंचलिक सम्मेलन हुआ (राना लिधौरी गौरव ग्रंथ’ का हुआ विमोचन) स्व.पन्नालाल नामदेव स्मृति साहित्य सम्मान-2023 डॉ. एम.एल प्रभाकर (पृथ्वीपुर) को मिला टीकमगढ़ नगर के एक निजी होटल में म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ के 300वें साहित्यिक अनुष्ठान, आंचलिक सम्मेलन तथा ‘राना लिधौरी: गौरव ग्रंथ’ के विमोचन अवसर पर भव्य कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह आयोजित किया गया जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में टीकमगढ़ जिला कलेक्टर महोदय श्री सुभाष कुमार द्विवेदी जी उपस्थित रहे अध्यक्षता श्री ऋषि शृंगारी जी (भोपाल) उपाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ प्रादेशिक इकाई ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री संतोष सिंह परिहार (बुरहानपुर),श्री अरविन्द्र शर्मा (भोपाल) एवं डॉ. गण्ेाश राय (दमोह) रहे। स्वागत भाषण लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया व संस्था को प्रतिवेदन सचिव रामगोपाल रैकवार ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र चसाैंरिया ने किया। इस अवसर पर स्व. श्री पन्नालाल जी नामदेव 10वीें स्मृति साहित्य सम्मान-2023 डॉ. एम.एल प्रभाकर जी (पृथ्वीपुर) को उनकी कृति ‘बुन्देली लोक नाट्य एक अनुशीलन’ पर प्रादान किया गया है जिसमें तहत उन्हें सम्मान राशि 1100रूपए,सम्मान पत्र स्मृति चिह्न, शाल श्रीफल भेंट कर सम्मपति किया गया इसी क्रम में स्व.रूपा बाई नामदेव 9ंवीं स्मृति साहित्य सम्मान गीतिका वेदिका (टीकमगढ़) को ‘दोहा महारथी सम्मान’ श्री एस.आर. सरल जी को प्रदान किया गया तथा आंचलिक सम्मान श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’,(टीकमगढ़),श्री यदुकुलनंदन खरे (बल्देवगढ़), डॉ. प्रीति ंिसंह परमार (टीकमगढ़) व श्री प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) को प्रदान किया गया। इस अवसर पर राजीव नामदेव राना लिधौरी’ के ‘राना लिधौरीः गौरव गं्रथ’ एवं रविन्द्र यादव की कृति रास्ते और मंज़िलें को विमोचन कलेक्टर महोदय एवं अतिथियों द्वारा किया गया। दूसरे चरण में एक भव्य अखिल भारतीय कवि सम्मेलन आयोजिक किया गया कवि सम्मेलन का शुभांरभ माँ सरस्वती जी की प्रतिमा पर मल्यार्पण कर सरस्वती वंदना गीतिका वेदिका ने पढ़ी- शारदे की वंदना,मैं कर रही हूँ, माँ वंदना दमोह के डॉ. गणेश राय ने ने व्यंग्य रचना पढ़ी- अपने स्वार्थ को अपनी भलाई को, खुरचन की रस मलाई को मैं प्रणाम करता हूँ।। बुरहानपुर के श्री संतोष सिंह परिहार ने रचना पढ़ी- बोल सके तो जग में, दो बोल तो मीठे बाल ले, पहले मन में तो ले,कुछ माहौल को टटोल ले।। विजावर के शायर फरीद वेग ने कलाम पढ़ा- जुबां से हो नहीं सकती अस्मत बयां भारत की। बहुत बुलंद है दुनिया में शान भारत की।। टीकमगढ़ कलेक्टर महोदय श्री सुभाष द्विवेदी जी ने माँ पर केन्द्रित मार्मिक कविता पढ़ी- एक भारतीय किशोर मन पे भविष्य के सुनहरे सपने सजाते हुए सोचा था, लेकिन सपने सपने ही रह गये। मैंने सोचा था एक अज्ञात बीमारी से पीडित माँ को विदेश इलाज कराने ले जाऊँ लेकिन यह मेरा सपना ही रह गया।। भोपाल के ख्यातिप्राप्त गीतकार ऋषि शृंगारी जी ने गीत सुनाया- मैंने जो भी गीत लिखे, सारे तेरे नाम लिखे। अपनी यादे मेरे तेरे किस्से कुछ बदनाम लिखे।। ललितपुर (उ.प्र.) के रामस्वरूप नामदेव जी ने गीत सुनाया- देखा हमने इंसानों को, ख्वाब देखते रातोें में। मींठी चुप्पी बाते कहकर, दिल बहलाते बातों।। नौगाँव की डॉ. मीनाक्षी पटेरिया ने कविता पढ़ी- मेरे सूने जीवन में हलचल भर देते हो तुम। जैसे हर अंधियारे को जगमग कर देते हो तुम।। ईसानगर के लक्ष्मीप्रसाद गुप्त ‘किंकर’ ने कविता पढ़ी- मातृ पितृ का श्रेष्ठ का, गुरुजन का सम्मान। जीवन सदा सँवारता है अमोघ वरदान।। बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने कविता सुनाई- राना श्री राजीवन जी, शुभ शुभ जन्म बधाइ। जब तक नभ रवि शशि रहें रहो सदा खुश भाइ।। मड़ावरा (उ.प्र.) के गोविन्द सिंह ‘गिदवाहा’ ने सुनाया- राम राम से राम नाम से, है हमारी शान ओरछा। आन वान बुन्देलखण्ड की है बड़ा वरदान ओरछा।। इस अवसर पर डॉ. मनोज तिवारी बड़ामलेहरा,कल्याणदास साहू,पृथ्वीपुर, रविन्द्र यादव पलेरा, डॉ. लखनलाल खरे षिवपुरी,अषोक षार्मा भोपाल, रामसहाय राय छतरपुर, भगवात नारायण रामायणी देवीनगर,रवि पाठक लिधौरा, आदि सहित स्थानीय कवियों ने एक से बढ़कर एक रचनाएँ सुनायी। इस अवसर पर म.प्र.लेखक संघ द्वारा कलेक्टर महोदय के करकमलों द्वारा सभी कवियों ने ‘राजीव राना गौरव सम्मान’ एवं स्मृति चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ का 51वाँ जन्मदिवस केक काटकर मंच पर मनाया गया। सभी ने उन्हें शुभकामनाए एवं बधाईयाँ दी। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र चसाैंरिया ने किया। अंत में सभी का आभार रामगोपाल रैकवार ने प्रकट किया। . राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत) मोबाइल- 9893520965

सोमवार, 5 जून 2023

म.प्र. लेखक संघ के समग्र साहित्यिक अनुष्ठान




*म.प्र.लेखक संघ की 326वीं कवि गोष्ठी ‘पर्यावरण’ पर हुई:-*

टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 326वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में दिनांक -1.6.2025 को‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुंदेली के वरिष्ठ कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष (टीकमगढ़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार श्री युदकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवि श्री रामसहाय राय (लार खुर्द)  रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्ज्वलन के बाद वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना कर यह रचना पढ़ी-
 चलो करे हम वृक्षारोपण हो समस्या का हल।
  पर्यावरण संतुलन बिगड़ा तो जीना होगा मुश्किल।
प्रमोद  मिश्रा (बल्देवगढ़) ने पढ़ा- 
बिरछन से पल रई संसारी रे, कोऊ बिरछा नई काटो।
ये भइया कोऊ बिरछा नई काटो।।
रामसहाय राय (रामगढ़) ने कविता पढी- 
संसार के सभी ऋषि मुनियों की घड़कन,
ईश्वर ने भारत की  मातृ भूमि ही चुनी।।
युदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने पढ़ा- 
रहो इस तरह से रहो, चलो इस तरह से चलो
किन्तु इधर उधर मत  देखो।

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने व्यंग्य रचना पढ़ी-
वृक्षारोपण की प्रथा होती है हर  बार।
कागज पर ही लग गए,पौधे कई  हज़ार।।
महानगर बनने लगे अब  तो सारे गाँव।।
ढ़ूँढे से मिलती नहीं वृक्षों की अब छाँव।।

हरबल सिंह लोधी (अस्तौन) ने पढ़ा -
पालिथिन को  उपयोग दौड़ो भैया,दूषित हो रई गंगा मैया।
एस.आर.‘सरल’ने पढ़ा-
स्वस्थ्य रहे पर्यावरण,ऐसे करिये काम।
ज्यादा पेड़ लगाइये,देते सुख आराम।

विशाल कड़ा’ ने पढ़ा- 
शुद्ध और स्वच्छ रखो वातावरण, 
जौ है पर्यावरण जो है पर्यावरण।।

कमलेश सेन ने पढ़ा -
ब्याव की गारी और जीजा की सारी की बातई अलग है।
अनवर खान ‘साहिल’ने ग़ज़ल कही- 
रह गये आज नाम के जंगल। 
कट गए सब बड़े-बड़े जंगल।

प्रमोद गुप्ता ’मृदुल’ ने रचना- 
जन-जन को समझाउने,
 पर्यावरण खां बचाउने।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी -
 जै तन रै गव इतै, मन विचरत ब्रज बीच।
जितै किशोरी कृष्ण पै, केशर रईं उलीच।।

गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने माना।
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*रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
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म.प्र.लेखक संघ का ‘बन्ना का मड़वा’ पर बुन्देली कवि सम्मेलन -
 
*(म.प्र.लेखक संघ का 325वाँ साहित्यिक भव्य अनुष्ठान हुआ)*

टीकमगढ़//दिनांक -4-5-2025 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की के बेनर तले एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट के निवास में सभागार ‘बन्ना का मड़वा’ थीम  पर  केन्द्रित बुन्देली कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। कवि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि  प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ व्यंग्यकार रामगोपाल रैकवार रहे। जबकि सारस्वत अतिथि के रूप में पूर्व डी.पी.सी. प्रकाश चन्द्र नायक एवं  जिला संघ संचालक शिरीष बिहारी मिश्रा उपस्थित रहे।
कवि सम्मेलन की शुभारंभ माँ सरस्वती की वंदना कर वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-भगवान ने हमको दिया ये जीव मिलकर इसे हँसाना सीखें। हँसकर इसे बिताना सीखें।
साहित्य अकादमी द्वारा छत्रसाल पुरस्कार प्राप्त् कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बुंदेली दोहे पढ़े-
बिटियाँ कौ मड़बा गड़ौ, आओ देव गनेस,मंगल कर दो काज सब, हरियौ सबइ कलेस।।
राम सिया के ब्याव के, गाँय औरतें गीत,नेग  सबइ मड़वा तरै,  हौके राखत प्रीत।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना पढ़ी -फेसबुक लाइक,इस्आ इन साइड,
 मैसेंजर टाइट,व्हाट्सएप राइट। है सबका बाॅस, ये एंड्राइड फोन,फोन, फोन,फोन।।
रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी- मांइ भौजी बैन सब, रूच-रूच अरु हँस-खेल।
चढ़ा रई आनंद सें, बन्ना हरदी-तेल।।
बन्ना खों हरदी ख्ढ़ी, सोने  से भय गात।
मडवा पंगत हो रही,कड़ी बरा  उर भात
मीनू गुप्ता ने कविता पढ़ी- ये जिन्दगी ले चल मुझे ऐसी जगह कहीं, जहाँ खूबसूरती की भाषा अलग हो।
स्वप्निल तिवारी ने कविता सुनायी -हर युग के चहेते हमारे राम, बहुत सरल है,
 क्योंकि शब्दों से परे हैं मेरे राम।।
शायर अनवर खान-सरदार के सपने  की वो तस्वीर चाहिए,थोड़ी नहीं पूरी हमें जागीर चाहिए।
मां भरती के सर पे सजा था जो एक मुकुट, आजादी के पहले का वो कश्मीर चाहिए।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी-एक आँसू भी हरगिज बहाना नहीं। अपने दिल को कभी तुम  दुखाना नहीं।।
कमलेश सेन ने कविता पढ़ी- राम भरोसा राम बल राम है विश्वास।
राम ही अंतर घट रहे राम साँस उचसांस।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी- बांके की बांकी चितवन में, भइँ जारइँ चित वन में।
बातन की सुद भूल चुकीं हैं,छलिया की बातन में।।
इनके आलावा रामसहाय राय (रामगढ़), एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट, महेन्द्र जैन, आशुतोष भट्ट, विजय मेहरा, अजीत श्रीवास्तव,गुलाब सिंह यादव आदि अपनी रचनाएँ एवं विचार रखे। सभी कवियों ने एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट केे पुत्र अनुज भट्ट को विवाह की अंग्रिम शुभकामनाएँ व हार्दिक बधाईयाँ दी। गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन आशुतोष भट्ट ने किया।
*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965



*म.प्र.लेखक संघ की ‘महिला सशक्तिकरण’ पर 323वीं कवि गोष्ठी हुई:-*

टीकमगढ़// दिनांक -2-3-2025 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 323वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘महिला सशक्तिकरण’  पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। 

कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवयित्री व्यंग्यकार डाॅ.प्रीति सिंह परमार (टीकमगढ़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि श्री डाॅ.मैथिलीशरण श्रीवास्तव (पृथ्वीपुर) एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि श्री रामानंद पाठक ‘नंद’ (नैगुवाँ) रहे।

गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्ज्वलन के बाद शोभाराम दांगी ‘इंदु’ ने सरस्वती बंदना कर रचना पढ़ी- नारी लक्ष्मी रूप है, नारी माँ का रूप है। नारी सीता सावित्री,नारी क्षितिज सरूप है।
नैगुवाँ के रामानंद पाठक‘नंद’ने  पढा-नारी सुरसरि नारी सीता,श्री कृष्ण की बानी है।
नारी है रण बाँकुरी,नारी जगत भवानी है।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़ाबरा,उ.प्र.) ने सुनाया-न होती गर नारी तो क्या ये नर होते।
न गूँजती किलकारी न स्वयंवर होते।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने व्यंग्य रचना पढ़ी-आज की नारी शोपिंग करके पति का अर्थशास्त्र बिगाड़ देती है। रोज टी.व्ही. सीरियल देखकर उससे कुशिक्षा लेकर,अपना घर उजाड़ लेती है।।
स्वागत करते सब मिले करती प्रकृति कबूल।।
रामगोपाल रैकवार ने दोहे कहे- नारी से परिवार है, नारी से संसार।
नारी से सद्भावना,नारी सुख आधार।।
पृथ्वीपुर के डाॅ.मैथिलीशरण श्रीवास्तव‘ ने रचना पढ़ी-मोसे रार उपत के रोरी,कय वृषभान किशोरी।।
युदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने पढ़ा- इस धरती पर आकर तुमने क्या समझा था।
दुनियाँ के यह लोग तुम्हारे अपने होगे।।
डाॅ. प्रीति सिंह परमार ने रचना पढ़ी- पन्ना धाय ने निश्चय करके,एक बड़ा निर्णय किया।
उदय सिंह क जान बचा नारी शक्ति को प्रबल किया।।
एस.पी. खरे ने पढ़ा- ललित कला संग चाँद मिला है,बसंत कानन कुंज खिला है।
चंचल चितवन चंद किरण से ओठों को मकरंद मिला है।।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा- नारी तेरे रूप अनेकों सबमें रूप ममत्व का।
तेरे हर किरदार में देवी भाव भरा अपनत्व का।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही - टूटकर तेरी याद आती है। जब महकते हैं फूल गैंदा के।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी - जै तन रै गव इतै, मन विचरत ब्रज बीच।
जितै किशोरी कृष्ण पै, केशर रईं उलीच।।
रामसहाय राय (रामगढ़) ने कविता पढी- ब्रज की गलियों में बसंत,कलियन में फलन में बगरो बसंत है।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया-पायलट वनके उड़ रही है, नारी आसमान।
नहीं कहो कमज़ोर वह बढ़ा रही है शान।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी-जहाँ की हर खुशी जो मेरे घर हे। मेरी माँ की दुआओं का असर है।।
रविन्द्र यादव ने पढ़ा -वो लोग जिन्दगी में और क्या ही जियेंगे,जो लोग हार-जीत से आगे नहीं बढ़े।
हरबल सिंह लोधी ने पढ़ा -आने वाले समय को सुधार रहे है, कुछ प्रेमियों की प्रीत से आगे नहीं बढ़े।
अजीत श्रीवास्तव ने व्यंग्य ‘आगड़ दम बागड़म’  सुनाकर सबको खूब हँसाया।
इनके अलावा डाॅ. एन.एम. अवस्थी,श्रीमती मीरा खरे आदि ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन संयोजक व अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।

*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965

म.प्र.लेखक संघ के सनातनी कवि सम्मेलन में ज्ञान गंगा बही

(म.प्र.लेखक संघ का 322वाँ साहित्यिक भव्य अनुष्ठान हुआ)

टीकमगढ़// दिनांक -20-2-2025 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की के बेनर तले एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट के निवास में सभागार सनातनी कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। 
समारोह की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि  प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप मलवा क्षेत्र इंदौर से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार अभिनंदन गोइल ने की।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती वंदना से कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने की तथा राममय दोहे पढ़े-
रामनाम महिमा बड़ी करदे बेड़ा पार।
राम नाम जपते रहो खुशियाँ मिले अपार।।

बल्देवगढ़ से पधारे कृष्णकांत तिवारी ने रचना पढ़ी -
जीवन की चिंता अभी छोड़ दो,इरादों को अपने नया मोड़ दो। तेरी सब दुविधा हरेंगें प्रभु,सपनों को लेकर के आगे बड़ो,बढ़ते रहो।

इदौर से पधारे अभिनंदन गोइल ने कविता पढ़ी- विश्व प्रेम का जनक है, करवाता सत्कर्म।
उपादेय शाश्वत सदा, धन्य सनातन धर्म।।

पलेरा से पधारे रविन्द्र यादव ने रचना पढ़ी - जहाँ से पार जाने का, जहाँ में एक ही पथ है।
उसी से राम गुजरे है, उसी से श्याम गुजरे हैं।।

वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा - भगवान ने हमको दिया ये जीव मिलकर इसे हँसाना सीखें।
हँसकर इसे बिताना सीखें।

स्वप्निल तिवारी ने कविता सुनायी - हर युग के चहेते हमारे राम, बहुत सरल है,
क्योंकि शब्दों से परे हैं मेरे राम।।

सियाराम अहिरवार ने रचना पढ़ी - राम पधारे अयोध्या दसरथ जू के नंदन।
हम सारे जगत के प्राणी करते उनका वंदन।।

शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी-जिसको अपना बनाया मेरे राम ने। पार उसको लगाया मेरे राम ने।

कमलेश सेन ने कविता पढ़ी- राम भरोसा राम बल राम है विश्वास।
राम ही अंतर घट रहे राम साँस उचसांस।।

प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी - जे आ गय है रितुराज,हरीरे पीरे पट फहरा रहे।।
इनके आलावा  एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट, महेन्द्र जैन, आशुतोष भट्ट आदि अपनी रचनाएँ एवं विचार रखे। 
सभी कवियों ने एडवोकेट कौशल किशोर भट्ट को उनके विवाह की 50वीं वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाईयाँ दी। 
गोष्ठी का संचालन कवि सम्मेलन के सूत्रधार राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन आशुतोष भट्ट ने किया।

*रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965

*डाॅ.रुखसाना सिद्दीकी की पुस्तक ‘एक प्याली चाय’ का हुआ विमोचन*

  *(म.प्र.लेखक संघ का 321वाँ साहित्यिक भव्य अनुष्ठान हुआ)*

दिनांक -19-2-2025 कोटीकमगढ़//नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की के बेनर तले अपूर्व होटल में डाॅ. रुखसाना सिद्दीकी के कहानी संग्रह ‘एक प्याली चाय’ का भव्य विमोचन समारोह आयोजित किया गया। समारोह की अध्यक्षता पूर्व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा जबलपुर संभाग जबलुपर  डाॅ. के.एल जैन साहब (डी.लिट्.) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व वाणिज्य कर अधिकारी एवं वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामसेवक शक्यवार जी (ग्वालियर) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कहानीकार श्रीमती शोभा शर्मा जी (छतरपुर),शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’साहब एवं डाॅ.सुनील श्रीवास्तव जी(प्राचार्य, उत्कृष्ट उ.मा.विद्यालय क्रं.-1 टीकमगढ़) रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्ज्वलन के बाद वीरेन्द्र चंसोरिया ने सरस्वती बंदना पढ़ी एवं शायर कारी अखलाक ने नात पढ़ी। अतिथियों द्वारा डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी की तीसरी कृति ‘एक प्याली चाय’ कहानी संग्रह का विमोचन किया गया। पुस्तक की समीक्षा आर.एस. शाक्यवार,शोभा शर्मा,एवं एन.डी.सोनी द्वारा पढ़़ी गयी। 

इस अवसर पर संचालन करते हुए कार्यक्रम के सूत्रधार कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने बताया कि डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी की चार कहानियों का काव्यरूपान्तरण ग्वालियर के आर.एस. शाक्यवार द्वारा किया गया है जो कि साहित्य के क्षेत्र एक नया प्रयोग है। उन्होंने यह कृति अपनी बहन अखतरी बेगम को समिर्पित की है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे डाॅ. के.एल जैन साहब ने अपने उद्बोधन में कहा कि- ‘मनुष्य को जिन्दगी में ऐसा काम करना चाहिए कि लोग उन्हें पढ़े और सदा उनके कामों को याद करें’। मुख्य अतिथि आर.एस.शाक्यवार ने कहा कि- डाॅ. रुखसाना सिद्दीकी ने अपनी कहानियों के माध्यम से नारी पीड़ा और व्यक्त किया है और उन्हें समाज में आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया है। विशिष्ट अतिथि छतरपुर की श्रीमती शोभा शर्मा ने कहा कि -‘डाॅ.सिद्दीकी की कहानियों मन को छू जाती है उनमें मानवीय संवेदनाअंांे की सुंदर अभिव्यक्ति है। विशिष्ट अतिथि हाजी जफ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र ने ग़जलों के माध्यम से अपने विचार प्रकट किये तो वही विशिष्ट अतिथि डाॅ. सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि मैडम डाॅ.सिद्दीकी बहुत कर्मठ एवं लगनशील है उन्होंने विषम परिस्थितियों में भी अपना लेखक जारी रखा है। सभी अथितियों को शाल एवं स्मृति चिन्ह् देकर सम्मानित किया गया। अंत में सभी का आभार श्रीमती रजनी जैन प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर नज़रबाग ने किया।
इस अवसर पर कवियों एवं शायरों ने अपनी रचनाओं के माध्यम से समारोह को चार चाँद लगा दिये। जिसमें प्रमुख रूप से कारी अखलाक,वफा शैदा, रामगोपाल रैकवार, अभिनंदन गोइल,एन.डी. सोनी,अजीत श्रीवास्तव, विजय मेहरा,रविन्द्र यादव,कमलेश सेन,विशाल कड़ा, सियाराम अहिरवार, एस.आर.‘सरल’,डाॅ.एन.एम.अवस्थी,अनवर खान साहिल,शकील खान, स्वप्निल तिवारी,श्रीमती अखतरी बेगम,नगमा खान,परवीन खान,जावेद खान,जिबरान खान,फराज खान, शबाना खान,डाॅ. दीपक जैन,अतुल रावत,ज.ेडी. सिंह,जितेन्द्र द्विवेदी,आर.के. चिढ़ार,नीता भदौरा,सीमा सैनी,सोहनी जैन,प्रार्थना मिश्रा माया पटेल, कविता लक्ष्यकार आदि उपस्थित रहे। 
समारोह का सफल संचालन कवि राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। अंत में सभी का आभार श्रीमती रजनी जैन प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर नज़रबाग ने किया।

*-रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
टीकमगढ़ (मप्र)
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ 
मोबाइल -9893520965

*प्रैस विज्ञप्ति:-*

*म.प्र.लेखक संघ की ‘बसंत पंचमी’ पर 320वीं कवि गोष्ठी हुई:-*


टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 320वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘बसंत पंचमी’  पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार उमाशंकर मिश्र (टीकमगढ़़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में युवा कवि श्री रामानंद पाठक ‘नंद’ (नैगुवाँ) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) एवं भगवत नारायणी ‘रामायण’(देवीनगर) रहे।

गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्जवलन के बाद प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती बंदना पढ़ी-
कृष्णकांत तिवारी (बल्देवगढ़)ने रचना पढ़ी-छलनी सा क्षीण विर्दीण हृदय,कौन करे इसकी भरपाई।
लिखते-लिखते कलम फेंक दी,पर हृदय वेदना लिख ना पाई।।
नदनवारा के शोरामदांगी‘इंदु’ने पढा-बंसत रितु आई रे,पवन पुरबाई रे,
मंद मंद शीतल पवन मस्तानी।
नैगुवाँ के रामानंद पाठक‘नंद’ने  पढा-उमंग अंग अंग उमरानी,चलतन पवन सुहानी।
भाव विभोर लिलोर उमर में, तन की तपन सिरानी।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़ाबरा,उ.प्र.) ने सुनाया-आया बसंत छाया बसंत।
   पतझड़ में रंग लाया बसंत।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-बंसत ऋतु में खिल उठे,चारों तरफी फूल।
स्वागत करते सब मिले करती प्रकृति कबूल।।
युदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने पढ़ा-जिसके लिए पैदा हुआ है वहीं कर।
  अपना नाम कुछ रोशन कर।।
रश्मि गोइल ने कविता पढ़ी- धर्मरक्ष, धृतराष्ट्र सभा में,नहीं धृष्टता रोक सके।
एक महाबली पर प्रश्नचिन्ह्, जो चीरहरण ना रोक सके।।
मीनू गुंप्ता ने  पढ़ा-यँू तो कहते है जिस घर में बेटी नहीं होती वह घर-घर नहीं होता।।
उमाशंकर मिश्र ने पढ़ा- अब दिनरात बसंत के आवे। कैऊ कैऊ रंग दिखावें।
इनकम बारे गणित लगा रय,कितनों टेक्स चुकावे।।
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने पढ़ा-जहाँ पत्थर पे गेहूँ उगता रस्ता होती पगडंडी,
  वो धरती बुन्देलखण्डी है।
रामसहाय राय (रामगढ़) ने कविता पढी- ब्रज की गलियों में बसंत,
कलियन में फलन में बगरो बसंत है।
एस.आर.‘सरल’ ने रचना पढ़ी - कलियन करें भँवर गुंजार,झारे कब आ हों सावरिया।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव‘पीयूष’ ने रचना पढ़ी - जे आ गय है रितुराज,हरीरे पीरे पट फहरा रहे।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -आया बसंत आया बंसत,जीवन अनंत लाया बसंत।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी-प्यारा मौसम बसंत का आया। गीत कोयल ने प्यार का गाया।।
रविन्द्र यादव ने रचना पढ़ी-हम तो घर से चले थे  यूँ ही बेखबर, पूछते-पूछते आप तक आ गए।
  आप मिल जायेगे हमने सोचा न था,भाग्य तो देखिए आप टकरा गए।। इनके आलावा भगवत नारायण‘रामायणी’(देवीनगर),डीपी. यादव आदि ने अपनी रचनाएँ एवं विचार रखे। गोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
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*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965

*म.प्र.लेखक संघ की ‘विवेकानंद’ पर 319वीं कवि गोष्ठी हुई:-*

टीकमगढ़// दिनांक -12-1-2025 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 319वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में युवा दिवस ‘विवेकानंद जयंती’  पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामगोपाल रैकवार (टीकमगढ़़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में युवा कवि श्री रविन्द्र यादव (पलेरा) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवि गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़ाबरा,उत्तरप्रदेश) रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्जवलन के बाद युवा कवि रविन्द्र यादव ने कविता पढ़ी-
हवा हूँ हवाओं की बाते करूँगा।
 युवा हूँ युवाओं की बातें करूँगा।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़ाबरा) ने सुनाया- पढ़ो उन्हें जब मन में हो द्वन्द।
वो महापुरुष स्वामी विवेकानंद।।

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-
रोज कीजिए खूब ही,दवा मुफ्त की योग।
 जो जितना ज्यादा करे,उतना रहे निरोग।।

रामगोपाल रैकवार ने पढ़ा- भारत के सच्चे रतन संत विवेकानंद।
सत्य सनातन धर्म में रचा आधुनिक छंद।।

कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -
आज कल के लरका खूबई अत्त तो भारी कररय।
बाप मताई इनके मारे हा हा थराई कररय।।

मीरा खरे  ने कविता पढ़ी- 
यह जीवन बहुत सूक्ष्म मिला है,तुम निर्बल मत बन जाना।
जागो मेरे देश के शेरो सब संभव कर चलते जाना।।

रामगढ़ के रामसहाय राय ने सुनाया-
बैंड बाजे कीकई ध्वनियों में, तीनों सैनाये थी रण भूमि में।
कई हाथी संतों की सवारियों में शंकर भोले थे कई रूपों में।।

नदनवारा के शोरामदांगी ‘इंदु’ ने कविता पढी-
 हाल पूछो न कैसा गया साल ये, दो हजार चौबिस ने गजब कर दिया।।
 राम बैठे मंदिर बाइस जनवरी,भव्य मंदिर अजुध्या का बनवा दिया।।

वीरेन्द्र चंसौरिया  ने गीत पढ़ा-
 स्वामी विवेकानंद की जय हो, जन्म दिवस है आज।
आओ शत् शत् नमन करे,हम देश को उन पर नाज।।

युवा कवि विक्रम सिंह ने रचना पढ़ी-युवा होने का अर्थ और सवाल आदमी का है,आदमी ही खड़ा होगा।।
इनके आलावा विजय मेहरा, स्वप्निल तिवारी, अंकेश यादव, सी.एल.नामदेव,संदीप यादव आदि ने अपनी रचनाएँ एवं विचार रखे। गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन विजय मेहरा ने किया।

*रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
मोबाइल-9893520965
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म.प्र.लेखक संघ की 318वीं कवि गोष्ठी हुई):-*

*अमर शहीद नारायण दास खरे’ के बलिदान दिवस लेखक संघ की कविगोष्ठी हुई-*

टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 318वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘अमर शहीद नारायण दास खरे’ के बलिदान दिवस पर केन्द्रित दिनांक 1-12-2024 को आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बुजुर्ग शायर जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ (टीकमगढ़़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कहानीकार  जनाब सकूर मोहम्मद (कुंड़ेश्वर) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में  कवि दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’(प्रवासी जबलपुर) व गीतकार सत्यप्रकाश खरे ‘सत्य सुधा’ (टीकमगढ़़) रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्जवलन के बाद गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने मातृभूमि बंदना कर यह रचना सुनायी - डरने वाले नहीं डराने से, हमतो डरते हैन डराते है।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया- कोई समाधिग्रस्त वह छोटा आदमी, आत्मचिंतन कर रहा था।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-आज दिवस बलिदान है, मना रहे हम आप।
खरे जू से है बनी, टीकमगढ़ पैचान।।
शायर वफ़ा शैदा ने कलाम पढ़ी- भूले से एक पल भी उसकों न भूल पाये।
हमको हमारी माँ की दिन रात याद आये।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ने रचना पढ़ी -हो गए वीर महान इक, खरे नारायण दास।
जनजन में जागृत करी,आजादी की आस।।
विशाल कड़ा ने रचना पढ़ी- शेर ए बुन्देलखण्ड लो इन्हें जान ,जै है भौतई महान।।
टीकमगढ़ की इनसे आन बान शान,जे है भौतई महान।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -सब कुछ तो लुट गया मेरा दिल के बाज़ार में।
   अब जिन्दगी भी जी रहा वो भी उधार में।।
सत्यप्रकाश खरे ‘सत्यसुधा’ ने गीत पढ़ा- सरस सरोवर मन भरमाते कागज कीहम नाम चलाते।
ना समझी की बात न पूछो रेत धरा पर महल बनाते।।
रामगढ़ के रामसहाय राय ने कविता पढी- अहिंसा का आज पालन नहीं हो रहा है।
आज इंसा को ये क्या हो रहा है।।
शकील खान ने ग़ज़ल कही- हमने वतन का क़र्ज़ चुकाया है दोस्तो
सर को कटा के फ़र्ज़ निभाया दोस्तो।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही- अफजल कसाब जैसे मेरे देश को नहीं,
अब्दुल कलाम जैसे मुसलमान चाहिए।
अंचल खरिया ने कविता पढ़ी- बुन्देलखण्ड की धरा पर जो जान लुटा कर चले गए।
नाम दुनिया में नारायण दास अमर कर चले गए।।
सकूर मोहम्मद (कुंड़ेश्वर) ने कहानी ‘वापिसी’ सुनायी।
इनके आलावा हाजी ज़फ़र,  दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’,स्वप्निल तिवारी,रामससहाय राय,डी.पी.यादव, संदीप यादव, एम.एल पाल, सी.एल नामदेव आदि ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष व संयोजन राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।

*रपट-/ राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
317वीं विमोचन समारोह दिनांक -4-11-2024 अपूर्व होटल टीकमगढ़ 

*प्रैस विज्ञप्ति:-*

*‘मनस्वी’ अभिनंदन ग्रंथ का विमोचन एवं सम्मान समारोह:-*

*डाॅ.एल.प्रभाकर के ‘अभिनंदन ग्रंथ’सहित 3 कृतियों का विमोचन हुआ-*



टीकमगढ़//मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ के बेनर तले बुन्देलखण्ड के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डाॅ. एम एल. प्रभाकर के अभिनंदन ग्रंथ ‘मनस्वी’ का विमोचन एवं सम्मान समारोह दिनांक -4-11-2024 को अपूर्व होटल टीकमगढ़ में आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री उ.प्र.शासन माननीय श्री हरगोविन्द्र कुशवाहा जी रहे एवं अध्यक्षता पूर्व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग जबलपुर संभाग डाॅ.के.एल. जैन साहब ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. एम. प्रसाद (क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग भोपाल), डाॅ. बहादुर सिंह परमार (छतरपुर)(परीक्षा संगठक) छत्रसाल विश्वविद्वालय छतरपुर, डाॅ. जवाहर लाल द्विवेदी,पूर्व प्राचार्य (राघौगढ़),डाॅ. राज गोस्वामी (दतिया) रहे।

इस अवसर पर डाॅ.एम.एल प्रभाकर के अभिनंदन ग्रंथ ‘मनस्वी’ एवं उनकी 3 कृतियाँ ‘अपनी राम कहानी’,‘भूलों बिसरो बुन्देली लोक साहित्य’ एवं ‘बुंदेली वैभव’ का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।
पूर्व राज्य मंत्री हरगोविन्द्र कुशवाहा ने अपने उद्वोधन में कहा कि-‘कविता वहीं जो जनमानस को प्रभावित करें। उन्होंने तुलसीदास ,कबीर, मीरा आदि अनेक पूर्व कवियों के उदाहरण दिये।’

छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर, से आये डाॅ. बहादुर सिंह परमार (छतरपुर) ने कहा कि-अभावों में लिखा गया साहित्य कालजयी होता है। डाॅ. प्रभाकर जी ने लोक साहित्य में अनेक ग्रंथ सृजित किये। 

वरिष्ठ कवि रतिभान कंज जी नैगुवां ने अपने उद्वोधन में डाॅ. प्रभाकर ने आधा दर्जन महाकाव्य लिखे है लेकिन उन्होंने कभी स्वयं को ‘महाकवि’ नहीं लिखा यह उनकी विनम्रता है। वे दिखावे से दूर मौन साधक है। डाॅ. प्रभाकर का आज जन्म दिन भी था सभी ने उन्हेें बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ दी।

इस अवसर पर बुन्देलखण्ड आये हुए सभी साहित्यकारों का सम्मान किया गया जिनमें प्रमुख रूप से पं. भगवंत तिवारी (दतिया), पं. रतिभानु तिवारी‘कंज’ (नैगुवां),डॉ. देवदत्त द्विवेदी (बड़ा मलहरा) पं.वीरेन्द्र त्रिपाठी (पृथ्वीपुर), पं. रामानंद ‘नंद’ (नैगुवा), पं.बाबूलाल द्विवेदी (छिल्ला), गोन्विद सिंह ‘गिदवाहा’(मड़ाबरा), शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ (नदनवारा),प्रमोद मिश्रा(बल्देवगढ़), यदुकलनंदन खरे (बल्देवगढ़),भगवत नारायण रामायणी (देवीनगर),जयहिंद सिंह जयहिंद (पलेरा), बालमुन्द कड़ा (पृथ्वीपुर), अनूप गोस्वामी (दतिया), अरुण सिद्ध (दतिया), डाॅ. आर. पी. तिवारी,कौशल किशोर भट्ट ,शीलचन्द्र जैन सहित स्थानीय साहित्यकार उपस्थित रहे। दूसरे सत्र में शानदार ‘कवि सम्मेलन’ हुआ
कार्यक्रम का संयोजक एवं संचालन साहित्यकार राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया एवं सभी का आभार डाॅ. एम.एल. प्रभाकर जी ने व्यक्त किया।

*रपट -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
संपादक ‘आकांक्षा’ (हिन्दी) पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) 9893520965

316वीं कवि गोष्ठी दिनांक -6-10-2024
*‘नवरात्रि’पर हुई म.प्र.लेखक संघ की 316वीं कवि गोष्ठी हुई-*

टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 316वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘नवरात्रि’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार अजीत श्रीवास्तव ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कहानीकार डाॅ. एन.एम. अवस्थी एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में बुजुर्ग शायर जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ व शिक्षाविद् शीलचन्द्र जैन साहब रहे।
गोष्ठी की शुरूआत गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना कर यह रचना सुनायी -
बड़ी दूरी से आये मंदिर मैया पूरी करो आश मेरी।।
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने रचना सुनायी-रोका नहीं था खेला, जब बेटा के आग से।
जलने लगे है घर, सुनो घर के चिराग से।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-माता की झाँकी सजी,‘राना’ अब चहुँ ओर।
माता की आराधना, करत आज भइ भोर।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा,उ.प्र.)ने रचना पढ़ी-नवरात्रि में नौ दिन,खुशी खुशी गुज़र जाते है।
माँ की भक्ति में भक्तों के दिन भी सँवर जाते है।।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया- मजबूर होकर आदमी धृतराष्ट्र बन जाता है।
एस.आर सरल ने पढ़ा- मैया सेवक ठाँडे द्ववारे,लंबी लगीं कतारें।
हात जोर वितनी कर कै रय, दे वी तुमरें सहारे।।
विक्रम सिंह लोधी  ने रचना पढ़ी-  मैं आज का युवा हूँ। खोखला,बदरंग, बदसूरत हूँ।।
रविन्द्र यादव ने कविता पढ़ी- तुम्हें चाहिए हो तब तो नहीं मिल सकता।
ऐसी दुनिया है यहाँ सब तो नहीं मिल सकता।।
शकील खान ने ग़ज़ल कही- सबका दुःख हर लिया है माता ने। जो भी माँगा दिया है माता ने।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही- सबसे शीतल माँ का आँचल,बेहद निर्मल काँ का आँचल।।
यमुना चंबल माँ का आँचल, गंगा का जल माँ का आँचल।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - कभी गीतो कभी ग़ज़लों का  मैं विस्तार लिख दूँगा।
तू जो मुझको चाहेगी तुझे ये प्यार लिख  दूँगा।।
विशाल कड़ा  ने रचना पढ़ी- माता सांची बताओ, खोल दओ काय जो कृपा को दुवाओ।।
इनके आलावा हाजी ज़फ़र, एन.एम अवस्थी, शीलचन्द्र जैन,डी.पी.यादव एवं संदीप यादव ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष व संयोजन-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।

*रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965

314th दिनांक-5-8-2024
 ‘म.प्र.लेखक संघ और वनमाली की सयंुक्त आनलाइन कविगोष्ठी हुई:- 
 टीकमगढ़ नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 314वीं कवि गोष्ठी,‘वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ’़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई जिसमें अध्यक्षता डाॅ. आर.बी.पटेल (छतरपुऱ) ने की एवं मुख्य अतिथि श्री भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’(हटा,दमोह) व विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ.गणेश राय (दमोह) रहे। 

कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया। निवाड़ी की आशा रिछारिया ने सुनायीं-बुआ निकर गई है कब घर से, धींरे धीरें मन से। पैलें हती इते की बिटिया,रयीं प्यारी प्रानन से।। बकस्वाहा से बृजभूषण दुवे ने चौकडिया सुनाईं-जय हो महादेव अविनाशी,जय जयज जय कैलाशी।।
 छतरपुर से डाॅ आर.बी. पटेल ने कविता सुनाई-हिंदी हमारी हिय है, थाती हिन्दुस्तान की। अनुपम औ अनौखी है जो, दीदी बनी जहान की।। 
टीकमगढ़ के राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने गीत सुनाया- बंद लिफाफा सा सब रहता,खुलती नहीं किताब।ं होते रहे इशारें चुपके, मिलते रहें जबाब।। 
दमोह के डाॅ. गणेश राय ने बुंदेली हास्य कविता सुनाई-हमरे बब्बा हमसे कतते, पेला ऐसा न रतते, जित्ती कत्ते सांसी कत्ते,इत्ती लाबरी न बोलतते।
 सरसेर नौगाँव से विद्याशरण खरे ने सुनाया-उड़ जा रे कागा,लेजा संदेसवा,संदेसुवा, अबके सावन में बुलाव। 
हटा के भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’ न वीर छंद रचना पढ़ी- झाँसी की रानी जब गर्जी, चमचम चमक उठी तलवार। रण चंडी जब बन गयी भवानी। अगणित जोधा दीने मार।। वल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने झूला गीत सुनाया-कुँवर गनेशी डारें झूला आज बेतवा तीर। मधुकर शा कर जोरंे ठाड़े झूल रय रघुवीर।। नैगुवाँ से रामनंद पाठक ‘नंद’ ने सुनाया - देश और प्रदेश में लोहा इनका सबने माना है। आन वान बुन्देलखण्ड की सच पूछो तो राना है।। नदनवारा के शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ ने सुनाया-साइँयाँ दरस करा दो मोखां चलो चित्रकूट से धाम। विराजे कामतानाथ,सबकी पीर हरैं।। टीकमगढ़ सेे मीनू गुप्ता ने रचना पढ़ी-शब्दांे को ओंठो पर रखकर, मन की गांठे खोलो तुम भले ही अधरों से कुछ न बोलों पर आँखों की भाषा सुनलो तुम।।
 दतिया सेे मूरत सिंह यादव ने रचना पढ़ी-हम खां दारू कभउ न पीने,लंबी उमर है जीने।। टीकमगढ़ सेे कौशल किशोर चतुवैंदी ने रचना पढ़ी- रातभर तन्हा रहा, दिन भर अकेला मैं था, शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था।
 खरगापुर से एम.एस.त्यागी ने रचना पढ़ी-
भैया जो सुख से रन चाउत, 
काउ कि कियाउ न कैसउ कओ। 
मीरा खरे ने कविता पढ़ी-
 है अगर प्रभु प्रेम पाना तो मनुज से प्यार कर। दूर कर दुर्भवाना तुम हृदये से प्यार कर। 
पृथ्वीपर से कल्याणदास साहू ‘पोषक’ ने रचना पढ़ी- मन को कूरा झारों। -
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  रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल- 9893520965 
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   राना लिधौरी की 23वीं पुस्तक ‘अवनि’ का विमोचन हुआ-

    (पावस पर हुई म.प्र.लेखक संघ की 313वीं कवि गोष्ठी हुई)- 

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी दिनांक-14-7-2024 को ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘पावस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने की तथा 
मुख्य अतिथि के रूप में शायर हाजी जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’(टीकमगढ़) 
एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) व शायर वफ़ा शैदा साहब (टीकमगढ़) रहे। 

इस अवसर पर अतिथियों द्वारा लेखक संघ अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ की 23वीं कृति ‘अवनि’ हिंदी दोहा संग्रह का विमोचन किया गया। 
 गोष्ठी की शुरूआत कवि प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने सरस्वती बंदना कर यह रचना सुनायी -
 ओरछा नगरी है पावन पुनीता। विराजै है जगपालक,लखन राम सीता।। 

रामपोपाल रैकवार ने रचना सुनायी-
फिर आ गए आषाढ़ के दिन आ गए। 
 फिर छा गए आषाढ़ के दिन आ गए।। 

राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे -वृक्षारोपण की प्रथा, होती है हर वार। 
 कागज पर ही लग गए,पौधे कई हजार।।

 गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा)(उ.प्र.)ने पढ़ा-
हीरा सें पर्यावरण खों सब जनै,दूषित बना रय। हरां-हरां पेडन खौं, गाँव शहर से मिटा रय।।

 रामसहाय राय(रामगढ़)ने सुनाया-
जब तक दौलत रही,तो सगाये हुए,
दौलत गई तो सब पराये हुए।

 यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया-
 ईश्वर तो है किन्तु समझ में नहीं आता। 

शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही-
दूसरों के एब आते है नज़र तुमको बहुत। 
 एक दिन आईने को तुम भी उठाकर देख लो।।

 कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - 
प्रकृत की छटा मनोहर मन को मेरे भाये, 
 जब भी उसका दर्श निहारू मन निर्मल हो जाये।। 
शकील खान ने ग़ज़ल कही- 
जब जब भी बात आती है भारत की शान। परवाह हम ना करते कभी अपनी जान की।।

 प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने चैकड़िया पढ़ी- 
जाने का हैं राम करइँयां,पानी बरसत नइँयाँ। 
 ई रित में नीके नइँ लगबें, चंदा और तरइयाँ।।

 अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही- 
मरने के बाद इसलिए आँखें खुली रखीं। 
 आँखों को लौटने का तेरे इंतज़ार था।। 
डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी ने संस्मरण सुनाएँ।

 गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन सचिव रामगोपाल रैकवार ने किया। 
 रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
    अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965
  पर्यावरण एवं छत्रसाल पर हुई मप्र लेखक संघ की कवि गोष्ठी:-
 
टीकमगढ़// दिनांक-2-6-2024 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 312 वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘पर्यावरण’ एवं ‘महाराजा छत्रसाल’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने की 
तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवि गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा,उ.प्र.) 
एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि राम सहाय राय (रामगढ़) रहे।  
 गोष्ठी की शुरुआत कवि आलोक श्रीवास्तव ने सरस्वती बंदना कर रचना सुनायी - 
 काश मेरे आँगन में होता,
गुलमोहर का एक पेड़ होता। 
बाल कवि दर्शनवेद ने रचना पढ़ी - 
आँगन में बैठी गौरैया,फुदक-फुदक ताता थैया।  बोली दे दो दाना पानी,फूले-फले खूब गुड़ धानी।।
 राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे -महानगर बनने लगे अब तो सारे गाँव। 
 ढूँढे़ से मिलती नहीं,वृक्षों की अब छाँव।। गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-
माँ लालकुँवरि के लाल हुए,
महाप्रतापी छत्रसाल हुए।। 
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) के ने सुनाया- 
अगर सुद्द हवा चावने, एक पेड़ खुद लागवने। रामगोपाल रैकवार ने रचना सुनायी- 
वृक्षारोपण सफल हो बनकर जन अभियान। एक साथ पौधा लगा, दे अपना प्रतिदान।।


  वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा- 
पर्यावरण संतुलन बिगड़ा तो जीना होगा मुश्किल। 
  आओ करें पहल हम ऐसी होय सुरक्षित कल।। उमा शंकर मिश्र ने ग़ज़ल कही- 
सुबह देखा खड़े थे, वहीं के वहीं, ख्बाब में यूँ तो चलते रहे रातभर।।
 हृदय की धड़कन रामयान खास बना अग ग्रंथ है।। 
ब्रज मोहन दुवे (बल्देवगढ़) ने रचना पढ़ी- संजीवनी तलाश रहा है हर मानव इस दौर में।

 कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -
 जा बुन्देली माटी है बड़ी मान सम्मानी, ई बुन्देली माटी कौ तेज बहुत है पानी। 

शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - 
घर हमारा सजा है पेड़ों से, जग हरा और भरा है पेड़ों से।। 
राम सहाय राय(रामगढ़) ने सुनाया-
पृथ्वी की तपन से जीव जन्तु बाहर निकल रहे हैं। 
 सूर्य की प्रखर किरण से हृदय जल रहे हैं।। राजेश्वर राज ने कविता पढ़ी-
बड़े कठिन के हाय नौतपा। 

सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-
पर्यावरण बिगाड़ा हमने,काटे हमने पेड़ है,
नदियाँ नाले पोखर पानी सबको रहे हम छेड़ हैं। विशाल कड़ा ने सुनाया-
शुद्ध और स्वच्छ रखो वातारण,जय हो पर्यावरण।। 
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
पर्यावरण नसा नइं जाबै, जां तां बिरछ लगा लइयौ, जेइ बता सबसें कईयौ।। 
कौशल किशोर चतुर्वेदी ने पढ़ा-पर्यावरण नष्ट कर डाला प्रकृति संतुलन बिगाड़ दिया। 

अंचल खरया ने कविता पढ़ी -
उठो जवान देश की बसुंधरा पुकारती, देश है पुकारता पुकारती माँ भारती।। 
 इस अवसर पर सुदामा प्रसाद झाँ (मड़ावरा), के.पी.बिलथरिया आदि ने भी अपने विचार रखे। 
गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन विशाल कड़ा ने किया।
    ***
 रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
 मोबाइल-9893520965
311th Date75-5-2024 
  बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का हुआ विमोचन ‘म.प्र.लेखक संघ की 311वीं कवि कवि गोष्ठी हुई:-

टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की ‘कवि गोष्ठी’ 311 एवं बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का विमोचन समारोह ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित किया गया है।

 कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामगोपाल रैकवार ने की 
तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवि रामनंद पाठक‘नंद’ (नैगुवां) 
एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़)व शायर हाज़ी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़़्ाफ़र’ रहे। 

 इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के संपादन में प्रकाशित ‘बुन्देली दोहा कोश भाग-1’ का विमोचन किया गया। 

राना लिधौरी ने बताया कि इस बुंदेली दोहा कोश’ में 315 पेजों में 70 समकालीन बुंदेली दोहाकारों के 1500 से अधिक बुंन्देली दोहे सकंलित हैं।

 गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती बंदना से की प्रमोद गुप्ता ने की-
शिक्षा वो ज्योति है जो हर वक़्त चमकती है। शिक्षा से ही मानव की प्रतिभा दमकती है।।

 नवोदित कवि शंकर सिंह बुन्देला ने रचना पढ़ी - कोऊ खों ठाकें,कोऊ से ठुकवें,उनकौ कौना ठिकानो। 
 पी-पा के जब धर खाँ लौटे करबै खूब धिगानौ।। 
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल कही -जिंदगी में मिल सके बेहद मज़ा, तुम यहाँ सबको हँसाकर देखिए।।

 गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-
कछु दरूआ दिन उँगे सें, पऊआ ढगौस लेत।।

 शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - दीप यादों के जलते रहे रातभर, मेरे अश्क निकलते रहे रातभर।। 
रामानदं पाठक ‘नंद’ (नैगुवा) ने रचना पढ़ी- आदि काल से लिखते आए,अपने कवि विचार। एक पुस्तक भी बन जाती है गर हो नेक विचार।।

 रामपोपाल रैकवार ने सुनाया-सत्य को भी सत्यापित होना पड़ता है। 
विदित को भी ज्ञापित होना पड़ता है।। 

वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-
 विरले ही होते है, इस जग में ऐसे इंसान। साहित्य जगत में हो, राजीव जैसी पहचान।।

 कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - 
चैत काटो आओ बैशाख,
खुशियों की अब फैली शाख।। 

भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) ने रचना पढ़ी-
कंकर-कंकर शंकर पग-पग परम पुनीत है। हृदय की धड़कन रामयान खास बना अग ग्रंथ है।।

 यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) के ने सुनाया-उठा यहाँ इस जंग को तू लड़,निर्भीक बनकर तू यहाँ पर रह।।

 शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही - 
समझ में कुछ नहीं आता ये कैसा नाता है। हज़ार उसको भुलाऊँ वो याद आता है।। 

रविन्द्र यादव ने सुनाया-
मुसीबत की घड़ी में जो हमारे साथ होते हैं,
 वो चाहे कोई भी हो,हम उन्हें परिवार कहते है।

 राम सहाय राय(रामगढ़) ने सुनाया-
हम बुन्देली के जहाँ विराजे राजा ओरछा के श्रीराम। 
 प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
भौतइ कठिन डगर पनधट की, कैसे भर लय मटकी।
 घूँघट पर प्रभु रूप न देगे, कर रय झूमा झपटी।।
 एस.आर.सरल ने बुंदेली ग़ज़ल सुनाई-
सन्ना रइ है लाल दुपरिया। तप रय मड़ा अटरिया।। 

शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल कही-
लाड़ली बहना मुफलिस राशन ये मेरी गारंटी है। देश तरक्की कर जाएगा ये मेरी गांरटी है।।

 गोष्ठी का संचालन वीरेन्द्र चंसौेरिया ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने किया। 

 रपट-@राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ 
 अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965
310th Date 7-4-2024 ‘म.प्र.लेखक संघ की 310वीं कवि गोष्ठी ‘हास्य-व्यंग्य’ पर केन्द्रित हुई:- टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 310वीं ‘कवि गोष्ठी’ ‘हास्य व्यंग्य’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि डाॅ. एन.एम. अवस्थी जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवयित्री सुश्री गीतिका वेदिका एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवि हरवल सिंह लोधी रहे। गोष्ठी की शुरूआत कवयित्री ने सरस्वती बंदना से की एवं यह गीत सुनाया-हे बनारस घाट तुमको सब समर्पित कर रही हूँ। हे लहर तुम गंग सारे,क्षण बिसर्जित कर रही हूँ।। राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने हास्य रचना पढ़ी - कवि ढूँढ़ ही लेते है बलि का बकरा। चाय पान नास्ते के चक्कर में वो फंस गया ससुरा।। गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-नई साल नव ब्याव। आसौं हमाऔ भव ब्याव।। कवयित्री वेदेही ने कविता सुनायी-आसमां को हरा बनादे,धरती नीली पेड़ं बैंगनी। गाड़ी ऊपर नीचे लाला कफर क्या होगा गड़बड़ झाला।। भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) ने रचना पढ़ी-चल रहा चलाता रहूँ चलने में मेरी शान है। ठहर जाऊँ न कहीं, उर में यही अरमान है। यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) के ने सुनाया-बचो इन हवाओं से कहाँ तक बचते हो। जब लड़ रहे तब शांति की बात क्यों करते हो।। प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने सुनाया-पृथ्वी को हम माता कहते, पृथ्वी को हम शीष झुकाये। पृथ्वी का गुणगान है भारी,पृथ्वी हमको गोद बिठाये।। शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही - सब फ़िदा कर देंगे तुम पर आजमा कर देखलो। इक नज़र मेरी तरफ बस मुस्कुराकर देखलो।। कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - चिड़िया रानी,चिड़िया रानी आओ खेत हमारे। वृ़क्षों के फल पकने को है,स्वाद चखों मन प्यारे।। हरबल सिंह राजपूत ने रचना पढ़ी - सबेरे से सबरये राम-राम करते ते।दूध और दही को कलेवा करते ते।। शायर अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही - जब ख़बर मेरे मरने की उसने सुनी। जाम पर जाम चलते रहे रात भर।। रविन्द्र यादव ने सुनाया-तुम बड़ी देर से आए हो मेरी जान यहाँ। जहाँ के शोर से उक्ता चुके थे कान यहाँ। शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - तुमसे मिलने आऐंगे घर,सूरज को ढल जाने दो। कर लेना बातें जी भरकर सूरज को ढल जाने दो।। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-बैठी आन दुगइ के द्वारें रुच रुच पटियां पारें। तकता में तक तककें सूरत मन मन मुस्की मारें।। इनके अलावा कवि गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन रविन्द्र यादव ने किया। रपट-/ राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965
309th 
 ‘म.प्र.लेखक संघ की 309वीं कवि गोष्ठी ‘नारी शक्तिकरण’ पर केन्द्रित हुई:- 

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 309वीं ‘कवि गोष्ठी’ ‘नारी सशक्तिकरण’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में दिनांक- 3-3-2024 को आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि उमाशंकर मिश्र ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवयित्री श्रीमती मीरा खरे’ एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवयित्री मीनू गुप्ता व हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ रहे।
 गोष्ठी की शुरूआत कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना से की एवं यह गीत सुनाया- प्यार से पालो कलेजे का है,टुकड़ा बेटियाँ। माँ ही मंदिर,माँ ही मस्जि़्द माँ ही गुरुद्वारा।। राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सरस्वती जी पर दोहे पढ़े - महिला रूप अनेक है, करो सभी का मान। माँ,बेटी पत्नी भली,देवी मात समान।। कवयित्री मीरा खरे ने रचना पढ़ी-कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है। जग को जीवन देने वाली,मौत भी तुझसे हारी है।। कवयित्री मीनू गुप्ता ने कविता सुनायी-शब्द ऐसे होते, जो मरहम लगाते है। पर शब्द कुछ घाव कर जाते हैं।। खरगापुर के रामबिहारी सक्सेना ने पढ़ा-है गणित सैन्य क्या मधुमास की। प्रस्फुटित हर कली आज पलाश की। रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-नारी घर की शान है, नारी घर की आन। नारी देवी मानकर, नारी का सम्मान।। बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-जब तक है नारी ई जग में, तब तक दुनियादारी है। कलमेश सेन ने रचना पढ़ी - सुगंध सी है घर के आँगन में चंदन सी बेटिया। आये कोई द्वार पे तो स्वागत में अभिनंदन सी बेटिया।। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-जबसें आए बंसत पाँबने,करबे खो पहुँनाई, फूले फिरत फूल ,भौरन की बजन लगी शहनाई।। उमाशंकर मिश्र ने सुनाया-ज़िन्दगी एक नदी, आद्योपांत। कहीं कलकल,कहीं शांत।। रविन्द्र यादव ने सुनाया- रास्ते है तुमसे और मंज़िल हे तुसमे माँ। ये चल रही जो ज़िन्दगी, हर सिससिलें है तुमसे माँ। वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया- नारी से सुंदर जगत खूब करो सम्मान। घर की शोभा है बनी है वहघर की शान।। एस.आर. सरल ने सुनाया- कउँ पेश करें दमदारी, नर सेै कम नई नारी।। प्रमोद गुप्ता ने पढ़ा- बिटिया हे, अनमोल रतन धन, बिटिया के पग घर पर जावे।बगिया लागे उपवन।। हाजी ज़फ़र ने कलाम पढ़ा- न नाम दुनियाँ में न चाहूँ धन और दौलत को। मुझे वर दे यही माता, नमन करूँ अपने भारत को।। बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने सुनाया-दुनियाँ के कुछ लोग जमीं पर क्या करते हैं। निर्धनता के बीच यहाँ कैसे रहते है।। कविगोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन एस.आर.सरल जी ने किया। 
 --000-- रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ मोबाइल-9893520965

 

‘म.प्र.लेखक संघ की 308वीं कवि गोष्ठी ‘बसंत’ पर केन्द्रित हुई:-date-18-2-2024

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 308वीं ‘कवि गोष्ठी’ बसंत पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है।
 कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुजुर्ग शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बुन्देली कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में शायर शकील खान रहे। 
गोष्ठी की शुरूआत वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना ने यह गीत सुनाया गीत सुनाया- 
आया बसंत लेकर खुशबू भरी हवाएँ। 
भँवरे भी गुनगुनाएँ चलो हम भी गीत गाएँ।।

 राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सरस्वती जी पर दोहे पढ़े - रयी सरस्वती की कृपा,जुर गए ‘राना’ मित्र। 
बुन्देली भाषा बने, सब भाषन में इत्र।।

 रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी- 
तजने को तैयार है वृक्ष जो अपने पात।
 तब जाकर मिलती उसे बासंती सौगात।

 कलमेश सेन ने रचना पढ़ी - 
सबका मन हर्षाया, देखों बसंत फिर आया।

 प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
चैक पुरे आँगन में, द्वारे बंद गए बंदरवारे।
 संगै सबइ समाज कै, जे रितुराज पधारे।। 

रविन्द्र यादव ने सुनाया-
जो झूठ सच को बराबर समझते,
वो क्या जाने आँखों का मतलब।। 

शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
जबसे मौसम बसंत का आया। 
प्यार सबके दिलो में छाया।। 

एस.आर. सरल ने सुनाया- 
भौंरा फलन पै मड़राने,रार कलन पैं ठाने।। 

डी.पी. शुक्ला ने सुनाया-
बेला अब बसंत की आई। 

हाजी ज़फ़र ने कलाम पढ़ा- 
न नाम दुनियाँ में न चाहूँ धन और दौलत को।
 मुझे वर दे यही माता, नमन करूँ अपने भारत को।। 

इनके अलावा डाॅ. मैथिलीशरण श्रीवावास्त (पृथ्वीपुर),गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़बरा),सत्येन्द्र जैन एवं सीताराम जी ने कवि गोष्ठी का लाइव रसास्वादन किया। 

कवि गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के सचिव रामगोपाल रैकवार’ ने किया। 

अंत में आचार्य श्री 1008 विद्यासागर महाराज के निधन एवं युवा कवि कमलेश सेन के चाचा श्री घनश्याम सेन ‘नेता’ के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी। 
---0000--- 
 रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ 
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965
307
date7.1.2023

306th ‘म.प्र.लेखक संघ की ‘बुदेली’ पर केन्द्रित 306वीं आनलाइन कविगोष्ठी हुई:- 
date-3-12-2023 टीकमगढ़ नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्य संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 306वीं कवि गोष्ठी, आनलाइन गोष्ठी ‘वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ’़ के संयुक्त तत्वावधान में ‘बुन्देली’ पर केन्द्रित आयोजित की गई जिसमें अध्यक्षता श्री एएस.आर.सरल (टीकमगढ़) ने की एवं मुख्य अतिथि डाॅ. आर.बी. पटेल(छतरपुर) व विशिष्ट अतिथि के रूप में अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी) रहे। कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया। कवि गोष्ठी का शुभांरभ सरस्वती वंदना से कु.आंकाक्षा नामदेव ने किया- हे शारदे माँ हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमे तार दे माँ। तू सुर की हे देवी संगीत तुझसे हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे।। नैगुवाँ से रामनंद पाठक ‘नंद’ ने सुनाया-देश और प्रदेश में लोहा इनका सबने माना है। आन वान बुन्देलखण्ड की सच पूछो तो राना है।। छतरपुर से डाॅ आर.बी. पटेल ने इक्कीसवीं सदी की संताने कविता सुनाई- आपस में बैठे ये कैसे बतयारय। सांसी-सांसी हम सबखां बतारय।। टीकमगढ़ के राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पढ़ी- मैं तुमरौ लतरौदा माते, हो माटी को लोंदा। महल अटार हमें का करने साजौ अपनो घरौंदा।। जतारा के वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई जी ने बुंदेली दोहा गीतिका सुनाई- मिलत उयै वरदान है, जी घर गइया रात। लगतइ जैसे गेह में, देवी मइया रात। निवाड़ी की आशा रिछारिया ने सुनाया-जिज्जी जाड़े की रुत आई। निकरन लगी रजाई। हरे धना की खुशबू फैली,मैथी पालक नयी नवेली।। पृथ्वीपुर के कल्याणदास साहू ‘पोषक’ ने ‘मच्छर’ पर बुन्देली रचना पढ़ी- जितै-जितै है गंदगी जादां उतइ दिखात। शहर होय ये गाँव होय। सबइ जगां उतरात।। टीकमगढ़़ की डाॅ. प्रीति ंिसंह परमार ने गीत सुनाया- भुनसारे सें कड़ गए,अब लो लोटे नइँयाँ, मोड़ी-मोड़ा भूखे बैठे, गुट्टा में रोटीनइँयाँ नदनवारा के शोभाराम दांगी‘इन्दु’ने सुनाया-साइँयाँ दरस करा दो मोखां चलो चित्रकूट से धाम। विराजे कामतानाथ,सबकी पीर हरैं।। निवाड़ी के अंजनीकुमार चतुर्वेदी ने सुनाया-जाड़ौ परौ भौत, हत्यारौ,नैंया जाबे वारौ। सूखी लकरें लगा-लगा कें, जम केंकोंडों बारौ।। टीकमगढ़़ के एस.आर. ‘सरल’ने सुनाया- दरूवन की पंच्यात,उनै हम का कै दयँ। जिने गड़े ना बात उनै हम का कै दयँ।। टीकमगढ़़ कमलेश सेन ने सुनाया - करो खूब गर्राट जू फिर नइ राने ठाठ जू। जब आये घोर बुढ़ापो तक पकरे रानेखाट जू।। रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
305th date.5.11.2023

‘गांधी जयंती’ व ‘विश्व शाकाहार दिवस’ पर कवि गोष्ठी हुई:- ‘म.प्र.लेखक संघ का 304वाँ साहित्यिक अनुष्ठान:-

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 304वीं ‘कवि गोष्ठी’‘गांधी जयंती व विश्व शाकाहार दिवस पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुजुर्ग शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार शोभाराम दांगी ‘इंदु’ (नदनवारा) रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) रहे। कवि गोष्ठी का शुभारंभ कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह रचना सुनायी- करती है फरियाद ये धरती कई हजारों साल।  तब होता है पैदा कोई गांधी जैसा लाल।।  मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने सुनाया -राष्ट्र महात्मा गांधी को,जन-जन करता है नमन। लहराता तिरंगा देखकर,पुलकित होता है तन मन।। राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने शाकाहार पर दोहे सुनाएँ -रहे निरोगी वे सदा, जो करते शाकाहार। रोग पास आये नहीं, खुशी रहे परिवार।। बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने पेरोड़ी गीत  पढ़ा-जहाँ जाति धर्म पर लोग लड़े, निज माता-पिता की ध्यान नहीं..। नदनवारा के शोभाराम दंागी ने पेरोड़ी सुनाई-पल-पल में मुस्कान अगर है सुंदर गौरव जान। एक तू ही मुस्कान जगत में, मुस्कान बिना हैरान।। बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने रचना सुनायी- यह चारों ओर पड़े कूड़े-कर्कट के ढे़र, गलियों और चैराहों तक में दिखाई देते है। रविन्द्र यादव पलेरा ने कविता सुनाई-हिंदू इसाई सिख,मुस्लामान नहीं हो,           तुम कुछ भी नहीं हो, अगर इंसान नहीं हो।। रामगढ़ के रामसहाय राय ने कविता पढी- अहिंसा का आज पालन नहीं हो रहा है। आज इंसा को ये क्या हो रहा है।। हाजी ज़फ़रउल्ला खां‘जफ़र ने ग़ज़ल सुनायी-माँगे दुआ मालिक से हम, खुशहाल हो मेरा वतन। सब कुछ हमें देती जमीं, सबकी मदद करता गगन।। बल्देवगढ़ के ब्रजमोहन दुवे ने रचना पढ़ी-ज्ञानी सुनो लगाकर ध्यान, राजा रानी बने किसान।। बिना बीज के पैदा कर दी है संतान।। सियाराम अहिरवार ने कविता सुनाई-बेटी को अभिशाप न समझो, बेटी भाग्य विधाता है। एस.आर. सरल ने सुनाया- पढ़त अहिंसा रोज है, सुनत अहिंसा रोज। उपदेशक ही बन रहे,अब समाज पर बोज।। द्वारिका प्रसाद शुक्ला ने कविता पढ़ी- सत्य अहिंसा से मिला हमको यह जनतंत्र।  गौरों को झुकना पड़ा फूँका ऐसा मंत्र। अनवर खान साहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-उन्हें दो रोटी भारी लग रही थीं, वो अपनी माँ को बाहर छौड़ आए थे वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-राम नाम का सुमिरन कर, जीवन पर लगा ले रे मन।। कमलेश सेन ने कविता सुनाई- जीवन के आदर्शो में पिता, मेरे संघर्षो में। तन से छाप छलकती उनकी संसो के इन तारों में।। ओमप्रकाश तिवारी कक्का’ ने पढ़ा-कक्का जीवन में सदा बोलो मीठे बोल,  जीभ हौंठ एकाग्र कर पहले लो वो तौल।। विजय मेहरा ने ‘समझदार आदमी’ व्यंग्य रचना पढ़ी। इनके अलावा प्रभुदयाल श्रीवास्तव,बिशाल कड़ा,स्वप्निल तिवारी, शालिनी सिंह,दयाली विश्वकर्मा ,अजीत सिंह आदि ने भी रचनाएँ सुनाई। कविगोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया। ---0000---- रपट  राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ संपादक ‘आकांक्षा’ (हिन्दी) पत्रिका संपादक ‘अनुश्रुति’ (बुन्देली) पत्रिका अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़ अध्यक्ष- वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़ कोषाध्यक्ष-श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद् शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) पिनः472001 मोबाइल-9893520965 E Mail-   ranalidhori@gmail.com Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
date-3-9-2023

 ‘म.प्र.लेखक संघ की 303वीं कवि गोष्ठी ‘शिक्षक दिवस व राज भाषा हिन्दी’ पर केन्द्रित हुई:-

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 303वीं ‘कवि गोष्ठी’ शिक्ष दिवस एवं राष्ट्रभाषा पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। 
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि यदुकुलनंदन खरे (बल्देवगढ़) रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि रामगोपाल रैकवार एवं द्वारिका प्रसाद शुक्ला रहे।

 कवि गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह रचना सुनायी- पढ़ो नित रामायण, सुनो नित रामयण, रामचरित मानस है, श्री राम का अयन।। 
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना सुनायी-ंिहंदी हमारी शान है अक्षर-अक्षर में ज्ञान है। राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने दोहे सुनाएँ -शिक्षक सदैव बाँटता, निज सुगंध ज्यों फूल। उनके ही सद्ज्ञान से, मिट जाते जग शूल।।

 रामगोपाल रैकवार ने दोहे पढ़े - हिंदी हमारी, अस्मिता,हिंदी से है प्यार। ंिहंदी हमारी शान है, हिंदी हो व्यवहार।। बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने रचना सनुायी-आदमी अब बोना नहीं प्रयोग कर रहा हैं, अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा है। बम्हौरी के आयुष सिंह दांगी ने कविता सुनाई- भारत का अभिमान है ंिहंदी, भारत माँ की शान है ंिहंदी।। 

बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने गीत पढ़ा- पढ़ लिखकर घर स्वर्ग बनाएँ हम, हरें देश में तम। आज स्कूल चले हम,आज स्कूल चले हम।। 

प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-हिंदंी पे हमको दिए रत्न बहुत भरपूर, मीरा,पंत कबीर से, तुलसी केशव सूर।। हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र ने ग़ज़ल सुनायी- दुनिया न कर सकी वो करके दिशा दिया है। दिखलाई ज़फ़र सबको हिंदोस्तान की ताकत।। 
मीरा खरे ने कविता पढ़ी- जन-जन की भाषा है ंिहंदी, भारत की आशा है ंिहदी। जिसने पूरे देश को जोड़ा, वेा मजबूत कड़ी है ंिहदी।। मीनू गुप्ता ने कविता पढ़ी- हिंदी से मुस्कान है मीनू की, हिंदी से पहचान है मीनू की।। रश्मि शुक्ला ने कविता पढ़ी- वह कविता, कविता भी क्या। जिसमें प्यार का भाव न हो।। शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-जितनी प्यारी लगती माँ-बहनों के माथे पे ंिबंदी। उतनी ही अच्छी लगती है पढ़ने लिखने में हिंदी।। अंचल खरया ने कविता पढ़ी-हर कदम आपका करेगे हे गुरुवर तेरे लिए। ज्ञान लिया है गुणगान करेगे हे गुरुवर तेरे लिए।। स्वप्निल तिवारी ने सुनाया- रात के अँधेरे से क्या डरना। ये वक़्त बीत जाने दो।। 

रामगढ़ के राम सहाय राय,डी.पी.शक्ला ‘सरस’,डी.पी.यादव, दयाली विश्वकर्मा आदि ने भी रचनाएँ सुनाई। कविगोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन विजय मेहरा ने किया। 
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 रपट / राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल- 9893520965 000000000000000000000----------xxxxxxxx--------

---------- Date-6-8-2023 Tikamgarh (M.P.)

 ‘म.प्र.लेखक संघ की 302वीं कवि गोष्ठी‘देश भक्ति व राष्ट्रप्रेम’पर केन्द्रित हुई 

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 302वीं ‘कवि गोष्ठी’ राष्ट्रभक्ति व देश प्रेम पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार श्री रामगोपाल रैकवार जी रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि श्री सियाराम अहिरवार रहे। कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह गीत सुनाया गीत सुनाया- मेरे देश की कहानी बहुत है सुहानी। मेरे देश की आजादी वीरों की कुर्बानी।। उमाकशंकर मिश्र ने रचना सुनायी-कतरा कतरा हमारा वतन के लिए। अपना जीवन ही सारा वतन के लिए।। राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने शेर पढ़े - देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह। लहू हम दंगे-फंसादों में बहा देते है।। रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-न बोलों बोल तुम कड़वे, जो बोलो प्यार से बोलो। जुबाँ से फल से बरसें ये ही करतार से बोलो।। मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना सनुायी- तन-मन को अर्पन कर, मर मिटे जो वतन पर। हम फहराते है तिरंगा, उन शहीदो को नमन कर।। अंचल खरया ने कविता पढ़ी-सावन आई बहार छाई, हर गलियन में फूल खिले। नदिया आई नाले लाई, हर गलियन में कीच मिले।। सियाराम अहिरवार ने कविता सुनाई- जिसने दी कुर्बानी अपनी हिंद धरा की माटी पर। उसने मरते दम तक खायी गोली अपनी दाती पर।। देवीनगर के भगवत नारायण ‘रामायणी’ ने सुनाया-साफ-सफाई करने वाली का मन व्याकुल था। माँ के संबंोधन वह भुला सकें यह मुश्किल था। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-सब देशन सै रे, अरे न्यारों लगै हो भारत है ईकौ नाव। माथें मुकुट बँदो अरे हिमगिरि कौ, उर सागर पखारत पाँव।। कलमेश सेन ने रचना पढ़ी - धोती कुर्ता पंचा, पैरों देशी जो परिधान है। बांध सुआपा मूंड से कसलो जेई अपनी शान है।। रविन्द्र यादव ने सुनाया- वतन के वास्ते जीना जरूरी है मगर। वतन के वास्ते मरना इबादत है।। चाँद मोहम्मद अखिर’ ने ग़ज़ल पढ़ी-जब सदा आती है हक़ पे जाँ लुटाने के लिए। दिल मलचले है हमारे सर कटाने के लिए।। कौशल किशोर चतुर्वेदी ने कविता पढ़ी- तूने सब कुछ दिया है हमें ये वतन। देंगे खुशियाँ सभी को करें ये जनत।। शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-राह में अपने वतन की सर कटाना चाहिए। वक्त पड़ने पर हमें सरहद पे जाना चाहिए। स्वप्निल तिवारी ने सुनाया- हम शिलालेख में दबे हुए नाम, पुकारे माँ भारती।। कविगोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। 

  राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत) मोबाइल- 9893520965

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‘पर्यावरण पर हुई म.प्र.लेखक संघ की ‘कवि गोष्ठी’ हुई 

 (म.प्र. लेखक संघ का 299वाँ साहित्यिक अनुष्ठान सम्पन्न)

 अवध बिहारी श्रीवास्तव की पुस्तक रामराजाय दोहावली’’ का विमोचन हुआ 

 टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 299वीं कवि गोष्ठी एवं साहित्यिक यात्रा ‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश शासन श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव जी रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठि कवि श्री अवधबिहारी श्रीवास्तव जी रहे।

 इस अवसर पर अवधबिहारी श्रीवास्तव जी की कृति ‘रामराजाय दोहावली’’ का विमोचन अतिथियों एवं लेखक संघ के पदाधिकारियों द्वारा किया गया। 
 मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश शासन श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि म.प्र. लेखक संघ बधाई का पात्र है कि उन्होंने इस दर्शनीय एवं प्राकृतिक छटा से भरपूर मनमोहन स्थल मडखेरा के सूर्य मंदिर परिसर में ‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित कवि गोष्ठी आयोजित की है और कहा कि -‘आज रवि और कवि दोनांे एक साथ है। कवि गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती वंदना कर यह रचना से किया - सीमा पै जवान और खेत में किसान है, जै तो हमारे हाँ भारत की शान है। रामगोपाल रैकवार ने रचना सुनाई- वृक्ष देवता तुल्य हैं, वृक्षारोपण धर्म। एक वृक्ष सो पुत्र सम, वेद विदित सत्कर्म।। प्रदीप खरे ‘मंजुल’ ने चैकड़िया सुनायी- चलके बिरछा हरे लगइये, घनी छाँव में रइये।। बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-पशुओं से तुलना कर पशु इंसान हो गए। मानव क्यों आज हैवान हो गए।।
 टीकमगढ़ के म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ पर्यावरण पर केन्द्रित दोहे सुनाए- ऐसे ही सुधरा रहे, पर्यावरण जनाब। प्रदूषण को बढ़ा सभी, करो न इसे खराब।। महानगर बनने लगे, अब तो सारे गाँव। ढूँढ़े से मिलती नहीं, वृक्षों की अब छाँव।। मड़ावरा के गोविन्द सिंह ‘गिदवाहा’ ने सुनाया-राम राम से राम नाम से, है हमारी शान ओरछा। आन वान बुन्देलखण्ड की है बड़ा वरदान ओरछा।। अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों में जो रंगत है ऐसा लोग कहते हैं, सब तेरी इनायत है ऐसा लोग कहते है।। शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों कैसे चाहत के फिर खिलेंगें दुनिया में। जब दिलों में नफ़रत है लोग एसेा कहते हैं।। अवध विहारी श्रीवास्तव ने कविता पढ़ी- श्री राम राजा की शोभा अप्रतिम है अनुपम । शोभा सिंधु सर्वस्व हैं, भक्तों के है सर्वोत्तम।। प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने रचना सुनाई- बंशी बाजी कृष्ण की, कालिन्दी के फूल। खिंची आय है गोपियाँ, तन की सुध बुध भूल।। रामगढ़ के राम सहाय राय ने रचना पढ़ी-हम बीते समय को सुधार रहे हैं, हम आने वाले समय की तैयारी में है। इनके अलावा गुलाब सिंह यादव ‘भाउ’ एवं ओमप्रकाश विदुआ, ने भी अपनी रचनाएँ सुनाई। कवि गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ’ने किया तथा सभी का आभार श्रीकांत श्रीवास्तव एडवोकेट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने माना।
  राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत) मोबाइल- 9893520965