म.प्र.लेखक संघ की 318वीं कवि गोष्ठी हुई):-*
*अमर शहीद नारायण दास खरे’ के बलिदान दिवस लेखक संघ की कविगोष्ठी हुई-*
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 318वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘अमर शहीद नारायण दास खरे’ के बलिदान दिवस पर केन्द्रित दिनांक 1-12-2024 को आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार बुजुर्ग शायर जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ (टीकमगढ़़) ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कहानीकार जनाब सकूर मोहम्मद (कुंड़ेश्वर) एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवि दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’(प्रवासी जबलपुर) व गीतकार सत्यप्रकाश खरे ‘सत्य सुधा’ (टीकमगढ़़) रहे।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती पूजन दीप प्रज्जवलन के बाद गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने मातृभूमि बंदना कर यह रचना सुनायी - डरने वाले नहीं डराने से, हमतो डरते हैन डराते है।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया- कोई समाधिग्रस्त वह छोटा आदमी, आत्मचिंतन कर रहा था।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-आज दिवस बलिदान है, मना रहे हम आप।
खरे जू से है बनी, टीकमगढ़ पैचान।।
शायर वफ़ा शैदा ने कलाम पढ़ी- भूले से एक पल भी उसकों न भूल पाये।
हमको हमारी माँ की दिन रात याद आये।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ने रचना पढ़ी -हो गए वीर महान इक, खरे नारायण दास।
जनजन में जागृत करी,आजादी की आस।।
विशाल कड़ा ने रचना पढ़ी- शेर ए बुन्देलखण्ड लो इन्हें जान ,जै है भौतई महान।।
टीकमगढ़ की इनसे आन बान शान,जे है भौतई महान।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -सब कुछ तो लुट गया मेरा दिल के बाज़ार में।
अब जिन्दगी भी जी रहा वो भी उधार में।।
सत्यप्रकाश खरे ‘सत्यसुधा’ ने गीत पढ़ा- सरस सरोवर मन भरमाते कागज कीहम नाम चलाते।
ना समझी की बात न पूछो रेत धरा पर महल बनाते।।
रामगढ़ के रामसहाय राय ने कविता पढी- अहिंसा का आज पालन नहीं हो रहा है।
आज इंसा को ये क्या हो रहा है।।
शकील खान ने ग़ज़ल कही- हमने वतन का क़र्ज़ चुकाया है दोस्तो
सर को कटा के फ़र्ज़ निभाया दोस्तो।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही- अफजल कसाब जैसे मेरे देश को नहीं,
अब्दुल कलाम जैसे मुसलमान चाहिए।
अंचल खरिया ने कविता पढ़ी- बुन्देलखण्ड की धरा पर जो जान लुटा कर चले गए।
नाम दुनिया में नारायण दास अमर कर चले गए।।
सकूर मोहम्मद (कुंड़ेश्वर) ने कहानी ‘वापिसी’ सुनायी।
इनके आलावा हाजी ज़फ़र, दीनदयाल तिवारी ‘बेताल’,स्वप्निल तिवारी,रामससहाय राय,डी.पी.यादव, संदीप यादव, एम.एल पाल, सी.एल नामदेव आदि ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष व संयोजन राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
*रपट-/ राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
317वीं विमोचन समारोह दिनांक -4-11-2024 अपूर्व होटल टीकमगढ़
*प्रैस विज्ञप्ति:-*
*‘मनस्वी’ अभिनंदन ग्रंथ का विमोचन एवं सम्मान समारोह:-*
*डाॅ.एल.प्रभाकर के ‘अभिनंदन ग्रंथ’सहित 3 कृतियों का विमोचन हुआ-*
टीकमगढ़//मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ के बेनर तले बुन्देलखण्ड के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार डाॅ. एम एल. प्रभाकर के अभिनंदन ग्रंथ ‘मनस्वी’ का विमोचन एवं सम्मान समारोह दिनांक -4-11-2024 को अपूर्व होटल टीकमगढ़ में आयोजित किया गया। समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व राज्य मंत्री उ.प्र.शासन माननीय श्री हरगोविन्द्र कुशवाहा जी रहे एवं अध्यक्षता पूर्व अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग जबलपुर संभाग डाॅ.के.एल. जैन साहब ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ. एम. प्रसाद (क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा विभाग भोपाल), डाॅ. बहादुर सिंह परमार (छतरपुर)(परीक्षा संगठक) छत्रसाल विश्वविद्वालय छतरपुर, डाॅ. जवाहर लाल द्विवेदी,पूर्व प्राचार्य (राघौगढ़),डाॅ. राज गोस्वामी (दतिया) रहे।
इस अवसर पर डाॅ.एम.एल प्रभाकर के अभिनंदन ग्रंथ ‘मनस्वी’ एवं उनकी 3 कृतियाँ ‘अपनी राम कहानी’,‘भूलों बिसरो बुन्देली लोक साहित्य’ एवं ‘बुंदेली वैभव’ का विमोचन अतिथियों के द्वारा किया गया।
पूर्व राज्य मंत्री हरगोविन्द्र कुशवाहा ने अपने उद्वोधन में कहा कि-‘कविता वहीं जो जनमानस को प्रभावित करें। उन्होंने तुलसीदास ,कबीर, मीरा आदि अनेक पूर्व कवियों के उदाहरण दिये।’
छत्रसाल विश्वविद्यालय छतरपुर, से आये डाॅ. बहादुर सिंह परमार (छतरपुर) ने कहा कि-अभावों में लिखा गया साहित्य कालजयी होता है। डाॅ. प्रभाकर जी ने लोक साहित्य में अनेक ग्रंथ सृजित किये।
वरिष्ठ कवि रतिभान कंज जी नैगुवां ने अपने उद्वोधन में डाॅ. प्रभाकर ने आधा दर्जन महाकाव्य लिखे है लेकिन उन्होंने कभी स्वयं को ‘महाकवि’ नहीं लिखा यह उनकी विनम्रता है। वे दिखावे से दूर मौन साधक है। डाॅ. प्रभाकर का आज जन्म दिन भी था सभी ने उन्हेें बधाईयाँ एवं शुभकामनाएँ दी।
इस अवसर पर बुन्देलखण्ड आये हुए सभी साहित्यकारों का सम्मान किया गया जिनमें प्रमुख रूप से पं. भगवंत तिवारी (दतिया), पं. रतिभानु तिवारी‘कंज’ (नैगुवां),डॉ. देवदत्त द्विवेदी (बड़ा मलहरा) पं.वीरेन्द्र त्रिपाठी (पृथ्वीपुर), पं. रामानंद ‘नंद’ (नैगुवा), पं.बाबूलाल द्विवेदी (छिल्ला), गोन्विद सिंह ‘गिदवाहा’(मड़ाबरा), शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ (नदनवारा),प्रमोद मिश्रा(बल्देवगढ़), यदुकलनंदन खरे (बल्देवगढ़),भगवत नारायण रामायणी (देवीनगर),जयहिंद सिंह जयहिंद (पलेरा), बालमुन्द कड़ा (पृथ्वीपुर), अनूप गोस्वामी (दतिया), अरुण सिद्ध (दतिया), डाॅ. आर. पी. तिवारी,कौशल किशोर भट्ट ,शीलचन्द्र जैन सहित स्थानीय साहित्यकार उपस्थित रहे। दूसरे सत्र में शानदार ‘कवि सम्मेलन’ हुआ
कार्यक्रम का संयोजक एवं संचालन साहित्यकार राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया एवं सभी का आभार डाॅ. एम.एल. प्रभाकर जी ने व्यक्त किया।
*रपट -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
संपादक ‘आकांक्षा’ (हिन्दी) पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.) 9893520965
316वीं कवि गोष्ठी दिनांक -6-10-2024
*‘नवरात्रि’पर हुई म.प्र.लेखक संघ की 316वीं कवि गोष्ठी हुई-*
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 316वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘नवरात्रि’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ व्यंग्यकार अजीत श्रीवास्तव ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कहानीकार डाॅ. एन.एम. अवस्थी एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में बुजुर्ग शायर जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ व शिक्षाविद् शीलचन्द्र जैन साहब रहे।
गोष्ठी की शुरूआत गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना कर यह रचना सुनायी -
बड़ी दूरी से आये मंदिर मैया पूरी करो आश मेरी।।
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने रचना सुनायी-रोका नहीं था खेला, जब बेटा के आग से।
जलने लगे है घर, सुनो घर के चिराग से।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे-माता की झाँकी सजी,‘राना’ अब चहुँ ओर।
माता की आराधना, करत आज भइ भोर।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा,उ.प्र.)ने रचना पढ़ी-नवरात्रि में नौ दिन,खुशी खुशी गुज़र जाते है।
माँ की भक्ति में भक्तों के दिन भी सँवर जाते है।।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया- मजबूर होकर आदमी धृतराष्ट्र बन जाता है।
एस.आर सरल ने पढ़ा- मैया सेवक ठाँडे द्ववारे,लंबी लगीं कतारें।
हात जोर वितनी कर कै रय, दे वी तुमरें सहारे।।
विक्रम सिंह लोधी ने रचना पढ़ी- मैं आज का युवा हूँ। खोखला,बदरंग, बदसूरत हूँ।।
रविन्द्र यादव ने कविता पढ़ी- तुम्हें चाहिए हो तब तो नहीं मिल सकता।
ऐसी दुनिया है यहाँ सब तो नहीं मिल सकता।।
शकील खान ने ग़ज़ल कही- सबका दुःख हर लिया है माता ने। जो भी माँगा दिया है माता ने।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही- सबसे शीतल माँ का आँचल,बेहद निर्मल काँ का आँचल।।
यमुना चंबल माँ का आँचल, गंगा का जल माँ का आँचल।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - कभी गीतो कभी ग़ज़लों का मैं विस्तार लिख दूँगा।
तू जो मुझको चाहेगी तुझे ये प्यार लिख दूँगा।।
विशाल कड़ा ने रचना पढ़ी- माता सांची बताओ, खोल दओ काय जो कृपा को दुवाओ।।
इनके आलावा हाजी ज़फ़र, एन.एम अवस्थी, शीलचन्द्र जैन,डी.पी.यादव एवं संदीप यादव ने अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन अध्यक्ष व संयोजन-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
*रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’*
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965
‘म.प्र.लेखक संघ और वनमाली की सयंुक्त आनलाइन कविगोष्ठी हुई:-
टीकमगढ़ नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 314वीं कवि गोष्ठी,‘वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ’़ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की गई जिसमें अध्यक्षता डाॅ. आर.बी.पटेल (छतरपुऱ) ने की एवं मुख्य अतिथि श्री भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’(हटा,दमोह) व विशिष्ट अतिथि के रूप में डाॅ.गणेश राय (दमोह) रहे।
कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया।
निवाड़ी की आशा रिछारिया ने सुनायीं-बुआ निकर गई है कब घर से, धींरे धीरें मन से।
पैलें हती इते की बिटिया,रयीं प्यारी प्रानन से।।
बकस्वाहा से बृजभूषण दुवे ने चौकडिया सुनाईं-जय हो महादेव अविनाशी,जय जयज जय कैलाशी।।
छतरपुर से डाॅ आर.बी. पटेल ने कविता सुनाई-हिंदी हमारी हिय है, थाती हिन्दुस्तान की।
अनुपम औ अनौखी है जो, दीदी बनी जहान की।।
टीकमगढ़ के राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने गीत सुनाया-
बंद लिफाफा सा सब रहता,खुलती नहीं किताब।ं
होते रहे इशारें चुपके, मिलते रहें जबाब।।
दमोह के डाॅ. गणेश राय ने बुंदेली हास्य कविता सुनाई-हमरे बब्बा हमसे कतते, पेला ऐसा न रतते,
जित्ती कत्ते सांसी कत्ते,इत्ती लाबरी न बोलतते।
सरसेर नौगाँव से विद्याशरण खरे ने सुनाया-उड़ जा रे कागा,लेजा संदेसवा,संदेसुवा,
अबके सावन में बुलाव।
हटा के भगवान सिंह लोधी ‘अनुरागी’ न वीर छंद रचना पढ़ी-
झाँसी की रानी जब गर्जी, चमचम चमक उठी तलवार।
रण चंडी जब बन गयी भवानी। अगणित जोधा दीने मार।।
वल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने झूला गीत सुनाया-कुँवर गनेशी डारें झूला आज बेतवा तीर।
मधुकर शा कर जोरंे ठाड़े झूल रय रघुवीर।।
नैगुवाँ से रामनंद पाठक ‘नंद’ ने सुनाया - देश और प्रदेश में लोहा इनका सबने माना है।
आन वान बुन्देलखण्ड की सच पूछो तो राना है।।
नदनवारा के शोभाराम दांगी ‘इन्दु’ ने सुनाया-साइँयाँ दरस करा दो मोखां चलो चित्रकूट से धाम।
विराजे कामतानाथ,सबकी पीर हरैं।।
टीकमगढ़ सेे मीनू गुप्ता ने रचना पढ़ी-शब्दांे को ओंठो पर रखकर, मन की गांठे खोलो तुम
भले ही अधरों से कुछ न बोलों पर आँखों की भाषा सुनलो तुम।।
दतिया सेे मूरत सिंह यादव ने रचना पढ़ी-हम खां दारू कभउ न पीने,लंबी उमर है जीने।।
टीकमगढ़ सेे कौशल किशोर चतुवैंदी ने रचना पढ़ी- रातभर तन्हा रहा, दिन भर अकेला मैं था,
शहर की आबादियों में अपने जैसा मैं ही था।
खरगापुर से एम.एस.त्यागी ने रचना पढ़ी-
भैया जो सुख से रन चाउत,
काउ कि कियाउ न कैसउ कओ।
मीरा खरे ने कविता पढ़ी-
है अगर प्रभु प्रेम पाना तो मनुज से प्यार कर। दूर कर दुर्भवाना तुम हृदये से प्यार कर।
पृथ्वीपर से कल्याणदास साहू ‘पोषक’ ने रचना पढ़ी- मन को कूरा झारों।
-
--000---
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल- 9893520965
@@@@@@@@@#@@@@@
राना लिधौरी की 23वीं पुस्तक ‘अवनि’ का विमोचन हुआ-
(पावस पर हुई म.प्र.लेखक संघ की 313वीं कवि गोष्ठी हुई)-
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ की 313वीं कवि गोष्ठी दिनांक-14-7-2024 को ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘पावस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने की तथा
मुख्य अतिथि के रूप में शायर हाजी जफ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’(टीकमगढ़)
एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) व शायर वफ़ा शैदा साहब (टीकमगढ़) रहे।
इस अवसर पर अतिथियों द्वारा लेखक संघ अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ की 23वीं कृति ‘अवनि’ हिंदी दोहा संग्रह का विमोचन किया गया।
गोष्ठी की शुरूआत कवि प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने सरस्वती बंदना कर यह रचना सुनायी -
ओरछा नगरी है पावन पुनीता। विराजै है जगपालक,लखन राम सीता।।
रामपोपाल रैकवार ने रचना सुनायी-
फिर आ गए आषाढ़ के दिन आ गए।
फिर छा गए आषाढ़ के दिन आ गए।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे -वृक्षारोपण की प्रथा, होती है हर वार।
कागज पर ही लग गए,पौधे कई हजार।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा)(उ.प्र.)ने पढ़ा-
हीरा सें पर्यावरण खों सब जनै,दूषित बना रय।
हरां-हरां पेडन खौं, गाँव शहर से मिटा रय।।
रामसहाय राय(रामगढ़)ने सुनाया-
जब तक दौलत रही,तो सगाये हुए,
दौलत गई तो सब पराये हुए।
यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) ने सुनाया-
ईश्वर तो है किन्तु समझ में नहीं आता।
शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही-
दूसरों के एब आते है नज़र तुमको बहुत।
एक दिन आईने को तुम भी उठाकर देख लो।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -
प्रकृत की छटा मनोहर मन को मेरे भाये,
जब भी उसका दर्श निहारू मन निर्मल हो जाये।।
शकील खान ने ग़ज़ल कही-
जब जब भी बात आती है भारत की शान।
परवाह हम ना करते कभी अपनी जान की।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने चैकड़िया पढ़ी-
जाने का हैं राम करइँयां,पानी बरसत नइँयाँ।
ई रित में नीके नइँ लगबें, चंदा और तरइयाँ।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही-
मरने के बाद इसलिए आँखें खुली रखीं।
आँखों को लौटने का तेरे इंतज़ार था।।
डाॅ. रूखसाना सिद्दीकी ने संस्मरण सुनाएँ।
गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन सचिव रामगोपाल रैकवार ने किया।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965
पर्यावरण एवं छत्रसाल पर हुई मप्र लेखक संघ की कवि गोष्ठी:-
टीकमगढ़// दिनांक-2-6-2024 को नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 312 वीं कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में ‘पर्यावरण’ एवं ‘महाराजा छत्रसाल’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) ने की
तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवि गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा,उ.प्र.)
एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि राम सहाय राय (रामगढ़) रहे।
गोष्ठी की शुरुआत कवि आलोक श्रीवास्तव ने सरस्वती बंदना कर रचना सुनायी -
काश मेरे आँगन में होता,
गुलमोहर का एक पेड़ होता।
बाल कवि दर्शनवेद ने रचना पढ़ी -
आँगन में बैठी गौरैया,फुदक-फुदक ताता थैया।
बोली दे दो दाना पानी,फूले-फले खूब गुड़ धानी।।
राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने दोहे कहे -महानगर बनने लगे अब तो सारे गाँव।
ढूँढे़ से मिलती नहीं,वृक्षों की अब छाँव।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-
माँ लालकुँवरि के लाल हुए,
महाप्रतापी छत्रसाल हुए।।
प्रमोद मिश्रा (बल्देवगढ़) के ने सुनाया-
अगर सुद्द हवा चावने, एक पेड़ खुद लागवने। रामगोपाल रैकवार ने रचना सुनायी-
वृक्षारोपण सफल हो बनकर जन अभियान।
एक साथ पौधा लगा, दे अपना प्रतिदान।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-
पर्यावरण संतुलन बिगड़ा तो जीना होगा मुश्किल।
आओ करें पहल हम ऐसी होय सुरक्षित कल।।
उमा शंकर मिश्र ने ग़ज़ल कही-
सुबह देखा खड़े थे, वहीं के वहीं, ख्बाब में यूँ तो चलते रहे रातभर।।
हृदय की धड़कन रामयान खास बना अग ग्रंथ है।।
ब्रज मोहन दुवे (बल्देवगढ़) ने रचना पढ़ी- संजीवनी तलाश रहा है हर मानव इस दौर में।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -
जा बुन्देली माटी है बड़ी मान सम्मानी, ई बुन्देली माटी कौ तेज बहुत है पानी।
शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही -
घर हमारा सजा है पेड़ों से, जग हरा और भरा है पेड़ों से।।
राम सहाय राय(रामगढ़) ने सुनाया-
पृथ्वी की तपन से जीव जन्तु बाहर निकल रहे हैं।
सूर्य की प्रखर किरण से हृदय जल रहे हैं।।
राजेश्वर राज ने कविता पढ़ी-
बड़े कठिन के हाय नौतपा।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-
पर्यावरण बिगाड़ा हमने,काटे हमने पेड़ है,
नदियाँ नाले पोखर पानी सबको रहे हम छेड़ हैं। विशाल कड़ा ने सुनाया-
शुद्ध और स्वच्छ रखो वातारण,जय हो पर्यावरण।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
पर्यावरण नसा नइं जाबै, जां तां बिरछ लगा लइयौ, जेइ बता सबसें कईयौ।।
कौशल किशोर चतुर्वेदी ने पढ़ा-पर्यावरण नष्ट कर डाला प्रकृति संतुलन बिगाड़ दिया।
अंचल खरया ने कविता पढ़ी -
उठो जवान देश की बसुंधरा पुकारती, देश है पुकारता पुकारती माँ भारती।।
इस अवसर पर सुदामा प्रसाद झाँ (मड़ावरा), के.पी.बिलथरिया आदि ने भी अपने विचार रखे।
गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन विशाल कड़ा ने किया।
***
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
311th Date75-5-2024
बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का हुआ विमोचन
‘म.प्र.लेखक संघ की 311वीं कवि कवि गोष्ठी हुई:-
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की ‘कवि गोष्ठी’ 311 एवं बुन्देली दोहा कोश भाग-1 का विमोचन समारोह ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित किया गया है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार रामगोपाल रैकवार ने की
तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवि रामनंद पाठक‘नंद’ (नैगुवां)
एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में साहित्यकार यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़)व शायर हाज़ी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़़्ाफ़र’ रहे।
इस अवसर पर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के संपादन में प्रकाशित ‘बुन्देली दोहा कोश भाग-1’ का विमोचन किया गया।
राना लिधौरी ने बताया कि इस बुंदेली दोहा कोश’ में 315 पेजों में 70 समकालीन बुंदेली दोहाकारों के 1500 से अधिक बुंन्देली दोहे सकंलित हैं।
गोष्ठी की शुरूआत सरस्वती बंदना से की प्रमोद गुप्ता ने की-
शिक्षा वो ज्योति है जो हर वक़्त चमकती है।
शिक्षा से ही मानव की प्रतिभा दमकती है।।
नवोदित कवि शंकर सिंह बुन्देला ने रचना पढ़ी - कोऊ खों ठाकें,कोऊ से ठुकवें,उनकौ कौना ठिकानो।
पी-पा के जब धर खाँ लौटे करबै खूब धिगानौ।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल कही -जिंदगी में मिल सके बेहद मज़ा, तुम यहाँ सबको हँसाकर देखिए।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-
कछु दरूआ दिन उँगे सें, पऊआ ढगौस लेत।।
शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - दीप यादों के जलते रहे रातभर, मेरे अश्क निकलते रहे रातभर।।
रामानदं पाठक ‘नंद’ (नैगुवा) ने रचना पढ़ी- आदि काल से लिखते आए,अपने कवि विचार।
एक पुस्तक भी बन जाती है गर हो नेक विचार।।
रामपोपाल रैकवार ने सुनाया-सत्य को भी सत्यापित होना पड़ता है।
विदित को भी ज्ञापित होना पड़ता है।।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-
विरले ही होते है, इस जग में ऐसे इंसान।
साहित्य जगत में हो, राजीव जैसी पहचान।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी -
चैत काटो आओ बैशाख,
खुशियों की अब फैली शाख।।
भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) ने रचना पढ़ी-
कंकर-कंकर शंकर पग-पग परम पुनीत है।
हृदय की धड़कन रामयान खास बना अग ग्रंथ है।।
यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) के ने सुनाया-उठा यहाँ इस जंग को तू लड़,निर्भीक बनकर तू यहाँ पर रह।।
शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही -
समझ में कुछ नहीं आता ये कैसा नाता है।
हज़ार उसको भुलाऊँ वो याद आता है।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया-
मुसीबत की घड़ी में जो हमारे साथ होते हैं,
वो चाहे कोई भी हो,हम उन्हें परिवार कहते है।
राम सहाय राय(रामगढ़) ने सुनाया-
हम बुन्देली के जहाँ विराजे राजा ओरछा के श्रीराम।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
भौतइ कठिन डगर पनधट की, कैसे भर लय मटकी।
घूँघट पर प्रभु रूप न देगे, कर रय झूमा झपटी।।
एस.आर.सरल ने बुंदेली ग़ज़ल सुनाई-
सन्ना रइ है लाल दुपरिया। तप रय मड़ा अटरिया।।
शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल कही-
लाड़ली बहना मुफलिस राशन ये मेरी गारंटी है।
देश तरक्की कर जाएगा ये मेरी गांरटी है।।
गोष्ठी का संचालन वीरेन्द्र चंसौेरिया ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने किया।
रपट-@राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965
310th Date 7-4-2024
‘म.प्र.लेखक संघ की 310वीं कवि गोष्ठी ‘हास्य-व्यंग्य’ पर केन्द्रित हुई:-
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 310वीं ‘कवि गोष्ठी’ ‘हास्य व्यंग्य’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि डाॅ. एन.एम. अवस्थी जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवयित्री सुश्री गीतिका वेदिका एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवि हरवल सिंह लोधी रहे।
गोष्ठी की शुरूआत कवयित्री ने सरस्वती बंदना से की एवं यह गीत सुनाया-हे बनारस घाट तुमको सब समर्पित कर रही हूँ।
हे लहर तुम गंग सारे,क्षण बिसर्जित कर रही हूँ।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने हास्य रचना पढ़ी - कवि ढूँढ़ ही लेते है बलि का बकरा।
चाय पान नास्ते के चक्कर में वो फंस गया ससुरा।।
गोविन्द्र सिंह गिदवाहा(मडावरा) (उ.प्र.) ने रचना पढ़ी-नई साल नव ब्याव। आसौं हमाऔ भव ब्याव।।
कवयित्री वेदेही ने कविता सुनायी-आसमां को हरा बनादे,धरती नीली पेड़ं बैंगनी।
गाड़ी ऊपर नीचे लाला कफर क्या होगा गड़बड़ झाला।।
भगवत नारायण ‘रामायणी’ (देवीनगर) ने रचना पढ़ी-चल रहा चलाता रहूँ चलने में मेरी शान है।
ठहर जाऊँ न कहीं, उर में यही अरमान है।
यदुकुल नंदन खरे(बल्देवगढ़) के ने सुनाया-बचो इन हवाओं से कहाँ तक बचते हो।
जब लड़ रहे तब शांति की बात क्यों करते हो।।
प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ने सुनाया-पृथ्वी को हम माता कहते, पृथ्वी को हम शीष झुकाये।
पृथ्वी का गुणगान है भारी,पृथ्वी हमको गोद बिठाये।।
शायर वफ़ा शैदा ने ग़ज़ल कही - सब फ़िदा कर देंगे तुम पर आजमा कर देखलो।
इक नज़र मेरी तरफ बस मुस्कुराकर देखलो।।
कमलेश सेन ने रचना पढ़ी - चिड़िया रानी,चिड़िया रानी आओ खेत हमारे।
वृ़क्षों के फल पकने को है,स्वाद चखों मन प्यारे।।
हरबल सिंह राजपूत ने रचना पढ़ी - सबेरे से सबरये राम-राम करते ते।दूध और दही को कलेवा करते ते।।
शायर अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल कही - जब ख़बर मेरे मरने की उसने सुनी।
जाम पर जाम चलते रहे रात भर।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया-तुम बड़ी देर से आए हो मेरी जान यहाँ।
जहाँ के शोर से उक्ता चुके थे कान यहाँ।
शायर शकील खान ने ग़ज़ल कही - तुमसे मिलने आऐंगे घर,सूरज को ढल जाने दो।
कर लेना बातें जी भरकर सूरज को ढल जाने दो।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-बैठी आन दुगइ के द्वारें रुच रुच पटियां पारें।
तकता में तक तककें सूरत मन मन मुस्की मारें।।
इनके अलावा कवि गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन रविन्द्र यादव ने किया।
रपट-/ राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल-9893520965
309th
‘म.प्र.लेखक संघ की 309वीं कवि गोष्ठी ‘नारी शक्तिकरण’ पर केन्द्रित हुई:-
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 309वीं ‘कवि गोष्ठी’ ‘नारी सशक्तिकरण’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में दिनांक- 3-3-2024 को आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवि उमाशंकर मिश्र ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में कवयित्री श्रीमती मीरा खरे’ एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में कवयित्री मीनू गुप्ता व हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ रहे।
गोष्ठी की शुरूआत कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना से की एवं यह गीत सुनाया-
प्यार से पालो कलेजे का है,टुकड़ा बेटियाँ। माँ ही मंदिर,माँ ही मस्जि़्द माँ ही गुरुद्वारा।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सरस्वती जी पर दोहे पढ़े -
महिला रूप अनेक है, करो सभी का मान। माँ,बेटी पत्नी भली,देवी मात समान।।
कवयित्री मीरा खरे ने रचना पढ़ी-कोमल है कमज़ोर नहीं तू, शक्ति का नाम ही नारी है।
जग को जीवन देने वाली,मौत भी तुझसे हारी है।।
कवयित्री मीनू गुप्ता ने कविता सुनायी-शब्द ऐसे होते, जो मरहम लगाते है। पर शब्द कुछ घाव कर जाते हैं।।
खरगापुर के रामबिहारी सक्सेना ने पढ़ा-है गणित सैन्य क्या मधुमास की। प्रस्फुटित हर कली आज पलाश की।
रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-नारी घर की शान है, नारी घर की आन। नारी देवी मानकर, नारी का सम्मान।।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-जब तक है नारी ई जग में, तब तक दुनियादारी है।
कलमेश सेन ने रचना पढ़ी - सुगंध सी है घर के आँगन में चंदन सी बेटिया।
आये कोई द्वार पे तो स्वागत में अभिनंदन सी बेटिया।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-जबसें आए बंसत पाँबने,करबे खो पहुँनाई,
फूले फिरत फूल ,भौरन की बजन लगी शहनाई।।
उमाशंकर मिश्र ने सुनाया-ज़िन्दगी एक नदी, आद्योपांत। कहीं कलकल,कहीं शांत।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया- रास्ते है तुमसे और मंज़िल हे तुसमे माँ।
ये चल रही जो ज़िन्दगी, हर सिससिलें है तुमसे माँ।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत सुनाया- नारी से सुंदर जगत खूब करो सम्मान।
घर की शोभा है बनी है वहघर की शान।।
एस.आर. सरल ने सुनाया- कउँ पेश करें दमदारी, नर सेै कम नई नारी।।
प्रमोद गुप्ता ने पढ़ा- बिटिया हे, अनमोल रतन धन, बिटिया के पग घर पर जावे।बगिया लागे उपवन।।
हाजी ज़फ़र ने कलाम पढ़ा- न नाम दुनियाँ में न चाहूँ धन और दौलत को।
मुझे वर दे यही माता, नमन करूँ अपने भारत को।।
बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने सुनाया-दुनियाँ के कुछ लोग जमीं पर क्या करते हैं।
निर्धनता के बीच यहाँ कैसे रहते है।।
कविगोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन एस.आर.सरल जी ने किया।
‘म.प्र.लेखक संघ की 308वीं कवि गोष्ठी ‘बसंत’ पर केन्द्रित हुई:-date-18-2-2024
--000-- रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
मोबाइल-9893520965
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 308वीं ‘कवि गोष्ठी’ बसंत पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुजुर्ग शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में बुन्देली कवि प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ एवं विषिष्ट अतिथि के रूप में शायर शकील खान रहे।
गोष्ठी की शुरूआत वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना ने यह गीत सुनाया गीत सुनाया-
आया बसंत लेकर खुशबू भरी हवाएँ।
भँवरे भी गुनगुनाएँ चलो हम भी गीत गाएँ।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सरस्वती जी पर दोहे पढ़े -
रयी सरस्वती की कृपा,जुर गए ‘राना’ मित्र।
बुन्देली भाषा बने, सब भाषन में इत्र।।
रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-
तजने को तैयार है वृक्ष जो अपने पात।
तब जाकर मिलती उसे बासंती सौगात।
कलमेश सेन ने रचना पढ़ी -
सबका मन हर्षाया, देखों बसंत फिर आया।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-
चैक पुरे आँगन में, द्वारे बंद गए बंदरवारे।
संगै सबइ समाज कै, जे रितुराज पधारे।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया-
जो झूठ सच को बराबर समझते,
वो क्या जाने आँखों का मतलब।।
शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
जबसे मौसम बसंत का आया।
प्यार सबके दिलो में छाया।।
एस.आर. सरल ने सुनाया-
भौंरा फलन पै मड़राने,रार कलन पैं ठाने।।
डी.पी. शुक्ला ने सुनाया-
बेला अब बसंत की आई।
हाजी ज़फ़र ने कलाम पढ़ा-
न नाम दुनियाँ में न चाहूँ धन और दौलत को।
मुझे वर दे यही माता, नमन करूँ अपने भारत को।।
इनके अलावा डाॅ. मैथिलीशरण श्रीवावास्त (पृथ्वीपुर),गोविन्द्र सिंह गिदवाहा (मड़बरा),सत्येन्द्र जैन एवं सीताराम जी ने कवि गोष्ठी का लाइव रसास्वादन किया।
कवि गोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के सचिव रामगोपाल रैकवार’ ने किया।
अंत में आचार्य श्री 1008 विद्यासागर महाराज के निधन एवं युवा कवि कमलेश सेन के चाचा श्री घनश्याम सेन ‘नेता’ के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर सभी ने अपनी श्रद्धांजलि दी।
---0000---
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत) मोबाइल-9893520965
306th
‘म.प्र.लेखक संघ की ‘बुदेली’ पर केन्द्रित 306वीं आनलाइन कविगोष्ठी हुई:-
307
date7.1.2023
date-3-12-2023 टीकमगढ़ नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्य संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 306वीं कवि गोष्ठी, आनलाइन गोष्ठी ‘वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ’़ के संयुक्त तत्वावधान में ‘बुन्देली’ पर केन्द्रित आयोजित की गई जिसमें अध्यक्षता श्री एएस.आर.सरल (टीकमगढ़) ने की एवं मुख्य अतिथि डाॅ. आर.बी. पटेल(छतरपुर) व विशिष्ट अतिथि के रूप में अंजनी कुमार चतुर्वेदी (निवाड़ी) रहे। कवि गोष्ठी का संचालन म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने दिया।
कवि गोष्ठी का शुभांरभ सरस्वती वंदना से कु.आंकाक्षा नामदेव ने किया-
हे शारदे माँ हे शारदे माँ, अज्ञानता से हमे तार दे माँ।
तू सुर की हे देवी संगीत तुझसे हर शब्द तेरा है हर गीत तुझसे।।
नैगुवाँ से रामनंद पाठक ‘नंद’ ने सुनाया-देश और प्रदेश में लोहा इनका सबने माना है।
आन वान बुन्देलखण्ड की सच पूछो तो राना है।।
छतरपुर से डाॅ आर.बी. पटेल ने इक्कीसवीं सदी की संताने कविता सुनाई-
आपस में बैठे ये कैसे बतयारय। सांसी-सांसी हम सबखां बतारय।।
टीकमगढ़ के राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पढ़ी-
मैं तुमरौ लतरौदा माते, हो माटी को लोंदा।
महल अटार हमें का करने साजौ अपनो घरौंदा।।
जतारा के वरिष्ठ कवि सुभाष सिंघई जी ने बुंदेली दोहा गीतिका सुनाई-
मिलत उयै वरदान है, जी घर गइया रात।
लगतइ जैसे गेह में, देवी मइया रात।
निवाड़ी की आशा रिछारिया ने सुनाया-जिज्जी जाड़े की रुत आई। निकरन लगी रजाई।
हरे धना की खुशबू फैली,मैथी पालक नयी नवेली।।
पृथ्वीपुर के कल्याणदास साहू ‘पोषक’ ने ‘मच्छर’ पर बुन्देली रचना पढ़ी-
जितै-जितै है गंदगी जादां उतइ दिखात।
शहर होय ये गाँव होय। सबइ जगां उतरात।।
टीकमगढ़़ की डाॅ. प्रीति ंिसंह परमार ने गीत सुनाया- भुनसारे सें कड़ गए,अब लो लोटे नइँयाँ,
मोड़ी-मोड़ा भूखे बैठे, गुट्टा में रोटीनइँयाँ
नदनवारा के शोभाराम दांगी‘इन्दु’ने सुनाया-साइँयाँ दरस करा दो मोखां चलो चित्रकूट से धाम।
विराजे कामतानाथ,सबकी पीर हरैं।।
निवाड़ी के अंजनीकुमार चतुर्वेदी ने सुनाया-जाड़ौ परौ भौत, हत्यारौ,नैंया जाबे वारौ।
सूखी लकरें लगा-लगा कें, जम केंकोंडों बारौ।।
टीकमगढ़़ के एस.आर. ‘सरल’ने सुनाया- दरूवन की पंच्यात,उनै हम का कै दयँ।
जिने गड़े ना बात उनै हम का कै दयँ।।
टीकमगढ़़ कमलेश सेन ने सुनाया - करो खूब गर्राट जू फिर नइ राने ठाठ जू।
जब आये घोर बुढ़ापो तक पकरे रानेखाट जू।।
रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
‘गांधी जयंती’ व ‘विश्व शाकाहार दिवस’ पर कवि गोष्ठी हुई:-
‘म.प्र.लेखक संघ का 304वाँ साहित्यिक अनुष्ठान:-
305th date.5.11.2023
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 304वीं ‘कवि गोष्ठी’‘गांधी जयंती व विश्व शाकाहार दिवस पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता बुजुर्ग शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ गीतकार शोभाराम दांगी ‘इंदु’ (नदनवारा) रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि यदुकुल नंदन खरे (बल्देवगढ़) रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ कौशल किशोर चतुर्वेदी ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह रचना सुनायी-
करती है फरियाद ये धरती कई हजारों साल।
तब होता है पैदा कोई गांधी जैसा लाल।।
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने सुनाया -राष्ट्र महात्मा गांधी को,जन-जन करता है नमन।
लहराता तिरंगा देखकर,पुलकित होता है तन मन।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने शाकाहार पर दोहे सुनाएँ -रहे निरोगी वे सदा, जो करते शाकाहार।
रोग पास आये नहीं, खुशी रहे परिवार।।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने पेरोड़ी गीत पढ़ा-जहाँ जाति धर्म पर लोग लड़े,
निज माता-पिता की ध्यान नहीं..।
नदनवारा के शोभाराम दंागी ने पेरोड़ी सुनाई-पल-पल में मुस्कान अगर है सुंदर गौरव जान।
एक तू ही मुस्कान जगत में, मुस्कान बिना हैरान।।
बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने रचना सुनायी- यह चारों ओर पड़े कूड़े-कर्कट के ढे़र,
गलियों और चैराहों तक में दिखाई देते है।
रविन्द्र यादव पलेरा ने कविता सुनाई-हिंदू इसाई सिख,मुस्लामान नहीं हो,
तुम कुछ भी नहीं हो, अगर इंसान नहीं हो।।
रामगढ़ के रामसहाय राय ने कविता पढी- अहिंसा का आज पालन नहीं हो रहा है।
आज इंसा को ये क्या हो रहा है।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां‘जफ़र ने ग़ज़ल सुनायी-माँगे दुआ मालिक से हम, खुशहाल हो मेरा वतन।
सब कुछ हमें देती जमीं, सबकी मदद करता गगन।।
बल्देवगढ़ के ब्रजमोहन दुवे ने रचना पढ़ी-ज्ञानी सुनो लगाकर ध्यान, राजा रानी बने किसान।।
बिना बीज के पैदा कर दी है संतान।।
सियाराम अहिरवार ने कविता सुनाई-बेटी को अभिशाप न समझो, बेटी भाग्य विधाता है।
एस.आर. सरल ने सुनाया- पढ़त अहिंसा रोज है, सुनत अहिंसा रोज।
उपदेशक ही बन रहे,अब समाज पर बोज।।
द्वारिका प्रसाद शुक्ला ने कविता पढ़ी- सत्य अहिंसा से मिला हमको यह जनतंत्र।
गौरों को झुकना पड़ा फूँका ऐसा मंत्र।
अनवर खान साहिल ने ग़ज़ल पढ़ी-उन्हें दो रोटी भारी लग रही थीं,
वो अपनी माँ को बाहर छौड़ आए थे
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-राम नाम का सुमिरन कर, जीवन पर लगा ले रे मन।।
कमलेश सेन ने कविता सुनाई- जीवन के आदर्शो में पिता, मेरे संघर्षो में।
तन से छाप छलकती उनकी संसो के इन तारों में।।
ओमप्रकाश तिवारी कक्का’ ने पढ़ा-कक्का जीवन में सदा बोलो मीठे बोल,
जीभ हौंठ एकाग्र कर पहले लो वो तौल।।
विजय मेहरा ने ‘समझदार आदमी’ व्यंग्य रचना पढ़ी। इनके अलावा प्रभुदयाल श्रीवास्तव,बिशाल कड़ा,स्वप्निल तिवारी, शालिनी सिंह,दयाली विश्वकर्मा ,अजीत सिंह आदि ने भी रचनाएँ सुनाई।
कविगोष्ठी का संचालन कमलेश सेन ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया।
---0000----
रपट
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
संपादक ‘आकांक्षा’ (हिन्दी) पत्रिका
संपादक ‘अनुश्रुति’ (बुन्देली) पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्ष- वनमाली सृजन पीठ, टीकमगढ़
कोषाध्यक्ष-श्री वीरेन्द्र केशव साहित्य परिषद्
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeevranalidhori.blogspot.com
date-3-9-2023
‘म.प्र.लेखक संघ की 303वीं कवि गोष्ठी ‘शिक्षक दिवस व राज भाषा हिन्दी’ पर केन्द्रित हुई:-
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 303वीं ‘कवि गोष्ठी’ शिक्ष दिवस एवं राष्ट्रभाषा पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है।
कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ शायर हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि यदुकुलनंदन खरे (बल्देवगढ़) रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि रामगोपाल रैकवार एवं द्वारिका प्रसाद शुक्ला रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह रचना सुनायी-
पढ़ो नित रामायण, सुनो नित रामयण, रामचरित मानस है, श्री राम का अयन।।
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना सुनायी-ंिहंदी हमारी शान है अक्षर-अक्षर में ज्ञान है।
राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने दोहे सुनाएँ -शिक्षक सदैव बाँटता, निज सुगंध ज्यों फूल।
उनके ही सद्ज्ञान से, मिट जाते जग शूल।।
रामगोपाल रैकवार ने दोहे पढ़े - हिंदी हमारी, अस्मिता,हिंदी से है प्यार।
ंिहंदी हमारी शान है, हिंदी हो व्यवहार।।
बल्देवगढ़ के यदुकुल नंदन खरे ने रचना सनुायी-आदमी अब बोना नहीं प्रयोग कर रहा हैं,
अंतरिक्ष की ओर बढ़ रहा है।
बम्हौरी के आयुष सिंह दांगी ने कविता सुनाई- भारत का अभिमान है ंिहंदी,
भारत माँ की शान है ंिहंदी।।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने गीत पढ़ा- पढ़ लिखकर घर स्वर्ग बनाएँ हम, हरें देश में तम।
आज स्कूल चले हम,आज स्कूल चले हम।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-हिंदंी पे हमको दिए रत्न बहुत भरपूर,
मीरा,पंत कबीर से, तुलसी केशव सूर।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘जफ़र ने ग़ज़ल सुनायी- दुनिया न कर सकी वो करके दिशा दिया है।
दिखलाई ज़फ़र सबको हिंदोस्तान की ताकत।।
मीरा खरे ने कविता पढ़ी- जन-जन की भाषा है ंिहंदी, भारत की आशा है ंिहदी।
जिसने पूरे देश को जोड़ा, वेा मजबूत कड़ी है ंिहदी।।
मीनू गुप्ता ने कविता पढ़ी- हिंदी से मुस्कान है मीनू की, हिंदी से पहचान है मीनू की।।
रश्मि शुक्ला ने कविता पढ़ी- वह कविता, कविता भी क्या। जिसमें प्यार का भाव न हो।।
शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-जितनी प्यारी लगती माँ-बहनों के माथे पे ंिबंदी।
उतनी ही अच्छी लगती है पढ़ने लिखने में हिंदी।।
अंचल खरया ने कविता पढ़ी-हर कदम आपका करेगे हे गुरुवर तेरे लिए।
ज्ञान लिया है गुणगान करेगे हे गुरुवर तेरे लिए।।
स्वप्निल तिवारी ने सुनाया- रात के अँधेरे से क्या डरना। ये वक़्त बीत जाने दो।।
रामगढ़ के राम सहाय राय,डी.पी.शक्ला ‘सरस’,डी.पी.यादव, दयाली विश्वकर्मा आदि ने भी रचनाएँ सुनाई। कविगोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन विजय मेहरा ने किया।
---0000----
रपट / राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड,(भारत)
मोबाइल- 9893520965
000000000000000000000----------xxxxxxxx--------
----------
Date-6-8-2023 Tikamgarh (M.P.)
‘म.प्र.लेखक संघ की 302वीं कवि गोष्ठी‘देश भक्ति व राष्ट्रप्रेम’पर केन्द्रित हुई
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 302वीं ‘कवि गोष्ठी’ राष्ट्रभक्ति व देश प्रेम पर केन्द्रित ‘आकांक्षा पब्लिक स्कूल टीकमगढ़’ में आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में व्यंग्यकार श्री रामगोपाल रैकवार जी रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि श्री सियाराम अहिरवार रहे।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ वीरेन्द्र चंसौरिया ने सरस्वती बंदना के पश्चात् यह गीत सुनाया गीत सुनाया-
मेरे देश की कहानी बहुत है सुहानी। मेरे देश की आजादी वीरों की कुर्बानी।।
उमाकशंकर मिश्र ने रचना सुनायी-कतरा कतरा हमारा वतन के लिए।
अपना जीवन ही सारा वतन के लिए।।
राजीव नामदेव‘राना लिधौरी’ ने शेर पढ़े - देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह।
लहू हम दंगे-फंसादों में बहा देते है।।
रामगोपाल रैकवार ने रचना पढ़ी-न बोलों बोल तुम कड़वे, जो बोलो प्यार से बोलो।
जुबाँ से फल से बरसें ये ही करतार से बोलो।।
मड़ाबरा़ के गोविन्द्र सिंह गिदवाहा ने रचना सनुायी-
तन-मन को अर्पन कर, मर मिटे जो वतन पर।
हम फहराते है तिरंगा, उन शहीदो को नमन कर।।
अंचल खरया ने कविता पढ़ी-सावन आई बहार छाई, हर गलियन में फूल खिले।
नदिया आई नाले लाई, हर गलियन में कीच मिले।।
सियाराम अहिरवार ने कविता सुनाई- जिसने दी कुर्बानी अपनी हिंद धरा की माटी पर।
उसने मरते दम तक खायी गोली अपनी दाती पर।।
देवीनगर के भगवत नारायण ‘रामायणी’ ने सुनाया-साफ-सफाई करने वाली का मन व्याकुल था।
माँ के संबंोधन वह भुला सकें यह मुश्किल था।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने कविता सुनाई-सब देशन सै रे, अरे न्यारों लगै हो भारत है ईकौ नाव।
माथें मुकुट बँदो अरे हिमगिरि कौ, उर सागर पखारत पाँव।।
कलमेश सेन ने रचना पढ़ी - धोती कुर्ता पंचा, पैरों देशी जो परिधान है।
बांध सुआपा मूंड से कसलो जेई अपनी शान है।।
रविन्द्र यादव ने सुनाया- वतन के वास्ते जीना जरूरी है मगर।
वतन के वास्ते मरना इबादत है।।
चाँद मोहम्मद अखिर’ ने ग़ज़ल पढ़ी-जब सदा आती है हक़ पे जाँ लुटाने के लिए।
दिल मलचले है हमारे सर कटाने के लिए।।
कौशल किशोर चतुर्वेदी ने कविता पढ़ी- तूने सब कुछ दिया है हमें ये वतन।
देंगे खुशियाँ सभी को करें ये जनत।।
शकील खान’ ने ग़ज़ल पढ़ी-राह में अपने वतन की सर कटाना चाहिए।
वक्त पड़ने पर हमें सरहद पे जाना चाहिए।
स्वप्निल तिवारी ने सुनाया- हम शिलालेख में दबे हुए नाम, पुकारे माँ भारती।।
कविगोष्ठी का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार प्रदर्शन लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत)
मोबाइल- 9893520965
00000000000000000000xxxx00000000000000000000
div>
‘पर्यावरण पर हुई म.प्र.लेखक संघ की ‘कवि गोष्ठी’ हुई
301
300th 15.6.202233
‘पर्यावरण पर हुई म.प्र.लेखक संघ की ‘कवि गोष्ठी’ हुई
(म.प्र. लेखक संघ का 299वाँ साहित्यिक अनुष्ठान सम्पन्न)
अवध बिहारी श्रीवास्तव की पुस्तक रामराजाय दोहावली’’ का विमोचन हुआ
टीकमगढ़// नगर सर्वाधिक सक्रिय साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 299वीं कवि गोष्ठी एवं साहित्यिक यात्रा ‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी है। कवि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ बुंदेली कवि श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव जी ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश शासन श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव जी रहे, विषिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठि कवि श्री अवधबिहारी श्रीवास्तव जी रहे।
इस अवसर पर अवधबिहारी श्रीवास्तव जी की कृति ‘रामराजाय दोहावली’’ का विमोचन अतिथियों एवं लेखक संघ के पदाधिकारियों द्वारा किया गया।
मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार एवं आबकारी आयुक्त मध्यप्रदेश शासन श्री ओम प्रकाश श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में कहा कि म.प्र. लेखक संघ बधाई का पात्र है कि उन्होंने इस दर्शनीय एवं प्राकृतिक छटा से भरपूर मनमोहन स्थल मडखेरा के सूर्य मंदिर परिसर में ‘पर्यावरण’ पर केन्द्रित कवि गोष्ठी आयोजित की है और कहा कि -‘आज रवि और कवि दोनांे एक साथ है।
कवि गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती वंदना कर यह रचना से किया -
सीमा पै जवान और खेत में किसान है, जै तो हमारे हाँ भारत की शान है।
रामगोपाल रैकवार ने रचना सुनाई- वृक्ष देवता तुल्य हैं, वृक्षारोपण धर्म।
एक वृक्ष सो पुत्र सम, वेद विदित सत्कर्म।।
प्रदीप खरे ‘मंजुल’ ने चैकड़िया सुनायी- चलके बिरछा हरे लगइये, घनी छाँव में रइये।।
बल्देवगढ़ के प्रमोद मिश्रा ने सुनाया-पशुओं से तुलना कर पशु इंसान हो गए।
मानव क्यों आज हैवान हो गए।।
टीकमगढ़ के म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने‘ पर्यावरण पर केन्द्रित दोहे सुनाए- ऐसे ही सुधरा रहे, पर्यावरण जनाब। प्रदूषण को बढ़ा सभी, करो न इसे खराब।।
महानगर बनने लगे, अब तो सारे गाँव। ढूँढ़े से मिलती नहीं, वृक्षों की अब छाँव।।
मड़ावरा के गोविन्द सिंह ‘गिदवाहा’ ने सुनाया-राम राम से राम नाम से, है हमारी शान ओरछा।
आन वान बुन्देलखण्ड की है बड़ा वरदान ओरछा।।
अनवर खान ‘साहिल’ ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों में जो रंगत है ऐसा लोग कहते हैं,
सब तेरी इनायत है ऐसा लोग कहते है।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी- फूलों कैसे चाहत के फिर खिलेंगें दुनिया में।
जब दिलों में नफ़रत है लोग एसेा कहते हैं।।
अवध विहारी श्रीवास्तव ने कविता पढ़ी- श्री राम राजा की शोभा अप्रतिम है अनुपम ।
शोभा सिंधु सर्वस्व हैं, भक्तों के है सर्वोत्तम।।
प्रभुदयाल श्रीवास्तव ने रचना सुनाई- बंशी बाजी कृष्ण की, कालिन्दी के फूल।
खिंची आय है गोपियाँ, तन की सुध बुध भूल।।
रामगढ़ के राम सहाय राय ने रचना पढ़ी-हम बीते समय को सुधार रहे हैं,
हम आने वाले समय की तैयारी में है।
इनके अलावा गुलाब सिंह यादव ‘भाउ’ एवं ओमप्रकाश विदुआ, ने भी अपनी रचनाएँ सुनाई।
कवि गोष्ठी का संचालन प्रमोद गुप्ता ‘मृदुल’ ’ने किया तथा सभी का आभार श्रीकांत श्रीवास्तव एडवोकेट मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने माना।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)बुन्देलखण्ड, (भारत)
मोबाइल- 9893520965
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें