-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
147 *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता नंबर-147*
बिषय-नईं नँइँ (नहीं)बुंदेली दोहा
संयोजक- राजीव नामदेव राना लिधौरी'टीकमगढ़
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
चले सुदामा माँगवे, नँइँ देने जिय होय ।
बंद करत सब गेट वो ,कृष्ण भजें रत सोय ।।
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा
*2*
बब्बा नै दव झूँड़कें , तनक सुनानो फठ्ठ ।
नँइँ नँइँ कत कुत्ता भगों , घलो पीठ पै लठ्ठ ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*3*
हाँ कैकैं फिर नँइँ कयी , बदली जितै जुबान |
साँसउँ इज्जत जानियौ , ऊकी धूर समान ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*4*
नाँईं नइँ करिऔ पिया,अँखियन झूलत राम।
प्रान प्रतिस्ठा देखबे, चलौ अजुध्या धाम।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*5*
न्याय नीत छोड़ों नईं,करौ नईं अभमान।
कर्मन के आधार पै, फल भोगत इंसान।।
***
-एस आर सरल टीकमगढ़
*6*
नँईं-नँईँ बे कात रय, मान गए जा बात।
सबरे मिलकें हम रयें, करे उजास प्रभात।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*7*
नँइँ मानत जो राम खों,उने कबे आराम।
राम नाम हिय में धरो,बन जें बिगरे काम।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*8*
परदा में नइँ ढक सकत,भैया कौनउँ काम।
पकरें हैं चोटी इतै ,सबकी राजाराम।।
***
-डॉ. देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
*9*
मन भीतर सें नइॅं करत, फिर भी करबै काम।
बज्जुर देह किसान की,सहै सीत अरु घाम।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*10*
बुरय काम खों नंइं करत , साजे खों तैयार।
ऐसौ मोरौ काम है , सुन लो लममरदार।।
***
- वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*11*
पार उतरबे राम नें, माँगी तट पै नाव।
केवट नइँ आनी कहत,पैलाँ चरन धुआव।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवा
*12*
नइँ-नइँ कै कें, सब जनें, देत ओइ खों वोट।
घर में आकें रात में, जो दै जावै नोट।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*13*
जब लों हाॅं में हाॅं रये,बढे़ प्यार व्यौपार।
बिगरी कौनउॅं बात पे,करत नॅंई स्वीकार।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
***#######@@@@
146वीं बुंदेली दोहा
बिषय-गुलगुलौ(मुलायम)
दिनांक-6-1-2024
संयोजक -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह.
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
गुलगुलात पापा हते , जब बचपन में ऐन ।
लगत गुलगुलो आज लौ , छलक जात हैं नैन ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*2*
बिटिया की ससुरार सैं,पई-पावनें आय।
गद्दा पल्ली गुलगुलो, दीनों सास बिछाय।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*3*
हतो गुलगुलौ जोबदन,सियाराम सुकमार ।
भओ वन गमनरामको,झेलत रय सब मार ।।
***
-शोभाराम दाँगी , नदनवारा
*4*
गद्दा भारी गुलगुलो, राखें बिछा पलंग।
ओढ़ रजाई गुलगुली, लडे़ं ठंड सें जंग।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*5*
होत भरोसा गुलगुलो, बगर तनक में जाय।
जोरैं से फिर नइँ जुरत, कित्तउ करौ उपाय।।
***
-विद्या चौहान, फरीदाबाद
*6*
सुनकें लग रव गुलगुलौ,भव मंदर तैयार।
गीद रीछ बंदर उतै,कर रय जै जै कार।।
****
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*7*
बिछो गदेला गुलगुलौ,तौउ नींद नइँ आत।
हारो थको किसान सो,डीमन में सो जात।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
*8*
बिछा बिछौना गुलगुलो,भइया भाभी हेत।
खुद पथरा पै बैठकें,पैरौ लक्ष्मन देत।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां
*9*
खाव गुलगुलौ गुलगुला, भौत मजा आ जाय।
जीखों नइयां है पतौ, देखौ आजइ खाय।।
***
- वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*10*
मन तो हौबे गुलगुलो , नीचट रबै शरीर |
प्रभू भजन में मन लगे , रये न कौनउँ पीर ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
सुरा गुलरियां गुलगुला,कै चीला मिल पाय।
पुआ गुलगुलौ होय तौ,मँगा मँगा कें खाय।।
***
-डां. देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
*12*
राते गव अँधियार में, लगो गुलगुलो मोय।
देवा ने बचाय लये, करिया मा रव सोय।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*13*
चूले येंगर बैठ कैं , राते करी ब्याइ।
हतौ बिछौना गुलगुलौ, सो गय ओड़ रजाइ।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर,
*14*
तन हैं जिनके गुलगुले, मन देखों बेकार।
गोरन ने हमपे करें, खूबई अत्याचार।।
***
-विशाल कड़ा, बडोराघाट
*15*
धरौ गुलगुलौ साँप सौ, बिल्कुल नइँयाँ ह्याव।
यैसे मूसर सें भलाँ, करौ काय खों व्याव।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाडी
*16*
गद्दा जैसी गुलगुली,है माता की गोद।
ममता का भण्डार है,रहे मुदित मन मोद।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*17*
बिछो बिछौना गुलगुलौ,अँखियन नइँयाँ नींद।
जब सें अँखियन में बसी, हरि दर्शन उम्मींद।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*18*
मिलो बिछौना गुलगुलो,लरका खा पी सोयँ।
खात कमाई बाप की, समव सुहानों खोंयँ।।
***
- अमर सिंह राय, नौगांव
*****
145 वीं बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-145
दिनांक 30.12.2023
प्रदत्त शब्द-खटका-(चिंता, आशंका,)
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह.
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
परमारथ जीवन जियें,कंठ विराजें राम।
सद्गुरु कौ सत्संग हो,खटका मिटें तमाम। ।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*2*
राम लखन सीता निगे , बात मातु की मान ।
दशरथ खों खटका लगो , पट्ट छोड़ दय प्रान ।।
****
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*3*
समओ भौत खराब है,जीबौ नइं आसान।
जीवन बीदौ रात दिन,लॅंय खटका में प्रान।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी
*4*
खटका देखौं लग रओ , हमको दिन उर रात।
धरौ सबइ राने इते, कछू नही ले जात।।
***
*विशाल कड़ा, बडोराघाट, टीकमगढ़*
*5*
बुंदेली दोहा
बेदरदी आये नहीं,फिर लग परौ असाड़़।
खटका में घुन से परे,भीतर भीतर हाड़।।
***
डां. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
*6*
खटका तो श्री राम खों,लगो लखन खों वान।
संकटमोचक बन गये, पवन पुत्र हनुमान।।
***
-रामानन्द पाठक,नैगुवां
*7*
बिटिया बैठी ब्याव खौ,कछू न सूझै काम।
रात दिना खटका लगौ, कैसै निपटें राम।।
***
-एस आर 'सरल', टीकमगढ़
*8*
नई साल जा आ रई, खटका मन मा रात।
जैसी गुजरी साल जा, हुइए का बरसात।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*9*
भड़या लबरा पातकी, इनखों खटका रात।
ईश भगत परमारथी, जे ना कहूँ डरात ।।
***
-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
*10*
स्यानी बिटिया जोंन घर, रिन बैरी हों भौत।
इन सबसें खटका बड़ो,जी घर हौबै सौत।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*11*
टपका कौ खटका बुरवँ , रातै नींद न आत |
कौन घरी का गट्ट हो , चिंता में जी रात ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*12*
फक्कड़ घुरवा बैंच कैं,खोल किबारे सोय।
खटका ऊखौं होत है ,जीनों संपत होय।।
****
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*13*
खटका मिट गव राम कौ, मंदिर बनौ महान।
विराज थय बाईस खौं, जनम भूम पै आन।।
शोभाराम दांगी, नदनवारा
####***####@@@@###@@@
144- *बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 144*
विषय -अनमनें (उदास) दिनांक-23-12-2023
*संयोजक -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
जनम- जनम कौ संग है ,सुनलो पिया हमाव।
आज अनमनें काय हौ , मन की हमें बताव।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान" पृथ्वीपुर
*2*
खाद- बीज सब खा गये,नाहीं बिजली रात।
बैठे हैं सब अनमनें, मारे भूखन जात।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*3*
राम लखन अति अनमने,ढूंड़त हैं वन मांह।
जड़ चेतन सें पूंछते ,सीता कहुँ न दिखांय।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*4*
दुख सें जिन हो अनमने, करत रओ तुम काज।
देहें साचउँ राम जी, उमदा सुख को राज।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर,गंज बासौदा
*5*
लछमन खौं शक्ती लगी , भयै अनमनै राम |
लाबै बूटी तब मिलौ , बजरंगी खौं काम ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
कय बैठे हौ अनमने, धरें हात पै हात।
कुआ पियासे के लिगाॅं,सुनौ कभउॅं नइॅं जात।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*7*
धन डेरा दै कें करो, बेटा खों का पाप।
सोसत बैठे अनमने,भूँके माई बाप।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
*8*
राजतिलक तो भुन्सराँ,भऔ राम वनवास।
नर-नारी भय अनमने, भूले भूँख पिआस।।
***
-रामानन्द पाठक, नैगुवां
*9*
फैलो रोग दहेज कौ, चड़ रइ जूड़ी ताप।
फिरत अनमने-अनमने,बिटियन के माँ-बाप।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*10*
भैया कैसे अनमने,होते काय उदास।
भूल चूक सबसें बनत,कीजे मन अहसास।।
***
मूरत सिंह यादव, दतिया
*11*
ग़ुस्सा बैठो नाक पै, मूड़े चढ़ो गुमान।
भाव अनमने छोर कें, मौ पै धर मुस्कान।।
***
-विद्या चौहान, फरीदाबाद
*12*
हुये अनमने आप हैं , जब सें सबइ उदास।
खुश हुइयौ तुम पांवनें , ऐसी सबखों आश।।
***
- वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
*13*
भये अनमने भौत शिव, धर कें देखत ध्यान।
सती गई सिय रूप में, देखन खों भगवान।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
*14*
भय दसरथ जू अनमने,दो वर मेरे पास ।
भरत खौं देव राज उर, राम खों बँदोवास ।।
***
-शोभाराम दाँगी इंदु, नदनवारा
##################
143-
143 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-143
*संयोजक- राजीव नामदेव राना लिधौरी'*
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह.
*विषय -लच्छन* दिनांक-16/12-2023.
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
जी घर में बउ लच्छमी, ऊके सब गुन गात।
बउ बिटिया लच्छन बिना,कंडी सी उतरात।।
***
- एस आर 'सरल',टीकमगढ़
*2*
लच्छन सुन कें सीय के, भरे सुनैना नैन।
सीता ब्याहे राम खों, बोले नारद बैन।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*3*
रंग रूप पुजबैं नहीं , लच्छन पूजे जात।
लच्छन साजे होंय सो,जगत मानबै बात।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*4*
लच्छन वारी लच्छमी,जीकै घर आ जाय ।
दिन दूनी सम्पत बढै,सबकौ मान बढाय ।।
***
- शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*5*
रावन कौरव कंश के, लच्छन हते खराब।
जैसें बदबू सें भरे,लासन प्याज शराब।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*6*
साजे लच्छन पूत के, पलना में दिख जात।
बनकें ध्रुव प्रहलाद बे,जग खाँ गैल बतात।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवा
*7*
लच्छन में है को कहां खुशियन की है रैंक।
भारत एक सौ छब्बीस पे, फिनलैंड पैली रैंक।।
***
- रामकुमार गुप्ता, हरपालपुर
*8*
अच्छन-अच्छन के दिखे, लच्छन भौत खराब।
लुकैं-लुकैं ताकैं जनी, छुप-छुप पियें शराब।।
***
-संजय श्रीवास्तव,मवई(दिल्ली)
*9*
चालाकीं बेमान की, मूरख कौ बतकाव।
लच्छन इनकें देख कें, दूरइ इन सें राव।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*10*
लच्छन सीखौ चार ठौ , भलै बुरय कौ ज्ञान |
जगजगात जीवन जियौ, सुमरत रवँ भगवान ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
नोने लच्छन कै बुरय,बचपन में दिख जात।
होनहार विरवान के,होत चीकने पात।।
***
-आशा रिछारिया,निबाडी
*12*
लच्छन सुदरें तौ बने,सबरे बिगरे काम।
बिन लच्छन बन पांय ना,जग में सीता राम।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा( टीकमगढ़)
*13*
शरम करौ लच्छन बिना , जीवन है बेकार
मानव जनम सुधार लो , जीवन कौ जौ सार
***
- वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*14*
पातर चमड़ी चीकनी, चमकदार हों बार।
लच्छन जी गउ में दिखैं,समझौ उऐ दुधार।।
***
अमर सिंह राय, नौगांव
####₹₹@@@@@######
*142 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-142*
#शनिवार #दिनांक ०९.१२.२०२३#
#बिषय-गुनताड़ौ/गुनतारौ (उधेड़बुन, उपाय)#
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
तर्क करे के गणित में, प्रश्न आज हैं आत।
गुंतारे से ही सहज, सबरे हल हो जात।।
***
- राम कुमार गुप्ता, हरपालपुर
*2*
गुनताड़ौ लगवाउ तौ ,हैं कौनउ औतार ।
वनवासी बन आय जे,तीर न करवै मार ।।
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नदनवारा
*3*
गुनतारो कर रइ धना , तापत आगी बार ।
बहिन लाड़ली के मिलें , रुपया ढाइ हजार ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*4*
गुनताड़ौ जो ताड़ ले,कठिन काम हो खेल।
ऊंचाई खों जा छुयै,जो विरवा की बेल।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा, टीकमगढ़
*5*
जो गुनताडौ हैं करत , हाथ सफलता आय।
नइं मानौ तौ देख लो , बढ़िया जेउ उपाय।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
*6*
गुनताड़ौ है श्याम कौ , कर मनहारिन देह |
पैराबै चुरियाँ चलौ , आज राधिका गेह ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*7*
कक्का गुनतारौ करें ,हैं किसान हैरान।
ओदें बादर टर गये,का करनें भगवान।।
***
- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*8*
गुनताड़ो जेको बने, वोइ जीत है रेस।
अब चुनाय भी खत्म भय,आँख गड़ायें देस।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा.म.प्र.
*9*
ढूंडत ढूंडत पोंच गय, लंका में हनुमान।
मन में गुनतारौ करें,का करिये भगवान।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
*10*
राज तिलक खों राम के,सज गय महल तमाम।
दासी गुनतारौ लगा, वनों विगारौ काम।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
*11*
मरगय गुनताडौ लगा, मिलै कौन खों ताज।
धरौ ओइके मूँड़ पै, जी कौ नोंनों राज।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी,निबाड़ी
*12*
सोच-फिकर में दिन कड़त, गुनताड़े में रात।
मोड़ी हो गइ ब्याव खों, ढेला नइयाँ हात।
***
- संजय श्रीवास्तव,मवई( दिल्ली)
*13*
गुनताड़ौ अब ना करौ , जीवन के दिन चार।
भजलो सीताराम खौं , जेउ जगत में सार।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*14*
देस-देस के भूप जुर, समझ रये खिलवाड़।
टोरें कैसें शिव धनुष,गुनताडौ रय ताड़।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी
*15*
लगा लगा कैं हड़ गऔ,मैं गुनतारो खूब।
गांस गुड़ी कैंसे मिटे,कांस खेत की दूब।।
***
-मूरत सिंह यादव, दतिया
***####@@@@####
*141* बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-141
*प्रदत्त शब्द :- बैठका*
दिनांक -2-12-2023
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्रविष्टियां :-*
*1*-
तखत लगै कुरसीं डरीं, सौफा लगत दबंग |
हुक्का रख्खौ बैठका , लोंग लायची संग ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*2*
फटिक शिला को बैठका , बैठें लछमन राम ।
सब बन्दर करवै दते, जोरेँ हाँत प्रनाम ।।
***
-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
*3*
उठत भोर से आज तो , मुखिया के घर द्वार।
भर गव पूरौ बैठका , कौ जीते कौ हार।।
***
-रंजना शर्मा, भोपाल
*4*
लीप पोत लो बैठका , करलो मन की टाल ।
काम क्रोध छल द्वेष को ,कचरा देव निकाल।।
***
-आशाराम वर्मा " नादान" पृथ्वीपुर
*5*
बनौं बैठका ओरछा,देव कुँवर हरदौल ।
भीम बैठका रायसिन,साँसी कयँ कर कौल ।।
***
-शोभाराम दाँगी इंदु, नदनवारा
*6*
चंदन डारौं बैठका,माई शारद तौय।
पाॅंव पखारों दै दियौ,चरनौं की रज मौय।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*7*
बे पथरन के बैठका, हैं धामों के धाम।
बैठत ते वनबास में,जिनपै सीता-राम।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*8*
हनमत की चौकी लगी,सजौ राम दरबार।
सुर मुनि बैठे बैठका, कर रय जै जै कार।।
***
- एस आर सरल,टीकमगढ़
*9*
सबइ जुरत तै ढोर लै, सबरै जात चरात।
कात बैठका सब जनै, अब तो नईं दिखात।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*10*
बनो राम मंदिर अजब, छाई खुशी अपार।
राम सिया कौ बैठका, करहै जग उद्धार। ।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाडी
*11*
फूल-बाग शुचि बैठका, बैठत ते हरदौल।
रइयत की सुनकें ब्यथा,न्याय करत ते तौल।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवा
*12*
रिस्ते-नातेदार सब,बैठे पैलउँ आँन।
एक बैठका होत है, घर बखरी की साँन।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी ,बड़ामलहरा
*13*
सज गव उनको बैठका,घर भर भव तैयार।
करवै आ रय कछु जनै, मौडा़ को बैहार।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*14*
पैल हते जो बैठका, भये चेटका आज।
राजा मरे घमंड में, भव कुत्तन कौ राज।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*15*
जमीदार के बैठका,में माते की खाट।
मुखिया आबें बैठबे,तौ फिर देखौ ठाट।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा( टीकमगढ़)
*16*
उतै हतो जो बैठका , पैलां मोरौ होय।
रुकौ कछू दिन और तुम , फिर दै दैहें तोय।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया ,टीकमगढ
###@@####@@@####
140+बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 140
दिनांक- 25/11/2023
*प्रदत्त शब्द - इंद्र*
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
गौतम मुनि के भेष में , करौ हतौ घट काम।
छली अहिल्या इंद्र ने, भय जग में बदनाम।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
*2*
चूर करौ मद इंद्र को, गिरिधारी गौ ग्वाल।
गोर्वधन धारण कियौ, छिगुरी पे गोपाल।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी
*3*
राखत परमानंद सें,सबको राखत मान ।
इंदर विनको नाम है,करत रहो सम्मान ।।
***
-डॉ. रंजना शर्मा, भोपाल
*4*
इंद्रासन सौ सज रहो,जनमत कौ दरबार।
ई चुनाव में इंद्र पद,किये मिलत उपहार। ।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*5*
सबइ इंद्र रत मस्त हैं , जब बीदत है गट्ट |
आबैं ब्रम्हा विस्नु सँग , महादेव लौ झट्ट ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
इंद देवता जगत में ,करें अलग पैचान ।
श्री किशन से युद्ध में ,हार गयेे भगवान ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*7*
कर कें राजा इन्द्र नें, नारी कौ अपमान।
राजन की करतूत कौ,दव तो बड़ौ प्रमान।।
***
-रामानंद पाठक 'नंद', नैगुआं
*8*
चेला होवें इन्द्र से, गुरु जो होंय दधीच,
होय धरम की थापना, मरैं असुर वृत् नीच ।
***
-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
*9*
इंद्र रुष्ट हैंगे लगत, बरखा तो गइ रूठ।
बिना पलेवा बो रये, राने खेतन ठूंठ।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*10*
पानी बरसा इंद्र ने,बृज खों कर बेहाल।
गोबरधन उगरी उठा,रक्षा की नदलाल।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़#
*11*
इंदर नई धरा करो, फिर कउ आय बहार।
फिर सबरे खुशहाल हो, सरस नदी की धार।।
***
-सरस कुमार,ग्राम दोह, खरगापुर (टीकमगढ़)
*12*
पैल घाइँ बरसा करो, इंद्र देव महाराज।
धरती प्यासी ना रबै, कुठियन भर हो नाज।।
***
-संजय श्रीवास्तव* मवई
*13*
इंद्र परी हो रइॅं धना,भोंहें मनो कमान।
बूॅंदा दमकैया दिपे,मुख में खायें पान।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*14*
हरि चरनन सिर नाँय कें,देबी देव निहोर।
इंद्रदेव रक्षा करौ,बिनय करों करजोर।।
***
डां. देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
*15*
देवराज सब कत मगर, इंद्र न पूजे जात।
काम वासना ग्रस्त नर, एइ दशा खों पात।।
***
-अमर सिंह राय,नोगांव
*16*
बैदिक युग के देवता , पिथम इंद्र दिवराज।
कश्यप इनके हैं पिता , पतौ चलौ है आज।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
*17*
बज्र लिये जे हाथ में, करें स्वर्ग पै राज।
बिकट लरे, हारत रहे, पाली कैऊ खाज।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*18*
देख इंद्र - सी अप्सरा, सबकौ मन ललचाय।
मन की गति नैंची सदा, चाय जितै चल जाय।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*19*
सतरंगी पट्टी बिछी, धरती सै आकाश।
इंद्रधनुष बरसात में, दे बर्षा की आश।।
***
-एस. आर. सरल,टीकमगढ़
*20*
इदंर दैव महान है,जग में फूंकैं प्रान।
जल की इक इक बूंद खों ,नै तरसे इंसान ।।
***
-हंसा श्रीवास्तव हंसा, भोपाल
139-बुंदेली-दोहा प्रतियोगिता - 139
शनिवार, दिनांक- 18/11/2023
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बिषय- ' दाँद '
*1*
प्रतियोगी दोहा
होबै दाॅंद चुनाव में,जाड़ो ऊॅंग हिरात।
नेता कूलें खाट पै,इक -इक गुरा पिरात।।
***
-भगवान सिंह लोधी,हटा
*2*
दाँद मची भारी इतै, काँसें आव चुनाव।
को जीतै, को हारबै, साँसी मोय बताव।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*3*
जे कोऊ करजा करे, सैबू करत दाँद।
परवै ओखाँ नैं कबउँ, महाजनी जा माँद।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*4*
उछबड़ कुरता धाँद कें , धर लव मनको राँद ।
अब चुनाव के माँद में , नेतन खाँ भइ दाँद ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*5*
दाँद मचा रय कछु जनै , अच्छौ भयौ चुनाव |
वोट न मौरे कयँ दयै , खूब पकर रय ताव ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*6*
वाह कह दाँद दे रहे, जनी उड़ात मखोल ।
ताली जैसे ठुकत है,बजा देत हैं ढोल।।
***
डॉ. रंजना शर्मा, भोपाल
*7*
बंद कुठरिया में लगै,दाँद सई नइँ जात ।
बस में हो च टिरेन में ,गरमी सैं उकतात ।।
***
शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*8*
जाकें जनता के घरै, दाँद नदी है झूँट।
की कौ बैठै तीन खों, कौन करोंटा ऊँट।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*9*
दाँद परी है हूंक कें,पीठ कुरोरू ऐन।
खुजा खुजा कें हार गय,पल भर मिलो न चैन।।
***
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*10*
राज योग की रेख खौं , कोउ बाॅंच नइॅं पात।
दाॅंद करे में का धरौ , है किसमत की बात।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*11*
दाॅंद मचा कें धर दई, ऐसो चढौ चुनाव।
दल- दल अपने पैंतरा,खूब लगाये दांव।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*12*
बुंदेली दोहा
डर गय बोट चुनाव के,बैठे हिम्मत बाँद।
हार जीत की तौ लगै, भीतर सबखों दाँद।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ामलहरा
*13*
सत्ता की जिनखों हती,अबलौ बेजाँ दाँद।
उनें हार कें ढूँड़नें, लुकबे कौनउँ माँद।।
***
रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवा
*14*
तपी दुफैरी गैल में,निगे ततूरी फांद।
जैसइ घर भीतर घुसे,खूबइ मचकी दांद।।
***
-प्रभा विश्वकर्मा 'शील', जबलपुर
*15*
होबै बदरा घाम चय, होबै बेजाँ दाँद।
लयें कुदरिया काड़तइ,कृषक खेत के काँद।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*16*
भौत दिना तक आँसती,जा चुनाव की दाँद।
सालन चलती रंजसै, कैउ कुकाउत चाँद।।
***
-एस आर सरल ,टीकमगढ़
#############
138
138- बुंदेली दोहा प्रतियोगी -138
विषय-लच्छमी
दिनांक-11/11/2023.
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
***********************
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
बड़े विरद कीं लच्छमी,जानत है सब कोय।
जे किरपा जी पै करें, बौ कुबेर सम होय।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द' नेंगुवाँ
*2*
रुकत लच्छमी ओइ कें,माता जौन बनात।
पत्नी जौ समझत उनै,लात मार कें जात।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*3*
हमने कइती लच्छमी , बिन जीवन बीरान।
मेंनत कर लो आज सें , जैसी करत किसान।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*4*
कातिक कारी रात खों, जगमग दिया जलाव।
लच्छमी जून कौ आगमन,धन संसत सब पाव।।
***
-आशा रिछारिया,निबाडी
*5*
बउँ बिटियाँ सब लच्छमी , घर की हैं कैलात ||
इनकौ रखतइ मान जौ , घी चुपरी बौ खात ||
***
- सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
दिया धरे घर दूआंय में,खेतन हार जगांय।
लच्छमी और गणेश कों, पूजें देव मनांय।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी
*7*
जौन घरै हो लच्छमी ,चलादार बन जात ।
ऐंठत सबपै सैंत में, सबइ ऐंड़ कैं रात ।।
***
-शोभारामदाँगी 'इंदु', नदनवारा
*8*
जा गरीब की झोपड़ी, देखे तुमरी बाट।
मातु लच्छमी हो कृपा, बन जाए सब ठाट।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*9*
लक्ष्मी संग गनेश के, रखियौ घर में पाँव।
यश- वैभव माँ दै दियौ,रखियौ अपनी छाँव।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*10*
घर आँगन उजरे डरे,घर घर मनें दिबाइ।
उल्लू खौ वाहन बना,फिरें लच्छमी माइ।।
***
- एस आर सरल, टीकमगढ़
*11*
इतनों दइऔ लच्छमी,रइऔ सदाँ सहाय।
द्वारें आऔ मंगता, खाली हाँत न जाय।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*12*
सुर सनमति होबै जितै , उतइॅं लच्छमी राय ।
कपटी कामी के घरै , कभउॅं न ढूॅंकन जाय।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*13*
धन की देवी लच्छमी,सब पै होव कृपाल।
ई दिवाइ खों सब जनें, होवें मालामाल।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
#######@@@@########
137
*137* बुन्देली दोहा प्रतियोगिता-137
*प्रदत्त शब्द=नब्दा(रौब गाँठना)*
दिनांक-4-11-2023
संयोजक-राजीव नामदेव मराना लिधौरी'
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
निज भैया बैरी भऔ,रखौ न रिश्तौ अंश।
मार-मार भानेज सब, नब्दा कसबै कंश।।
***
- एस आर सरल, टीकमगढ़
*2*
नब्दा गाँठें सैंत कौ, नइँयाँ बसकौ काम ।
मिर्ची लगवैं आँख में,जोर न पाव छिदाम ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*3*
रामदूत समझा रहे,रावन के दरवार।
है बिगार नब्दा कसें,शरन गए में सार।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*4*
नब्दा झाडें दीन पे,करें न कौनउ काम।
नेतन की ई सोच सें,है निराश आवाम।।
***
-आशा रिछारिया,जिला निवाड़ी
*5*
मालिक और मजूर में ,अलगइ फरक दिखात।
नब्दा पेलत है जबर , लचर गंम्म खा जात ।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान",पृथ्वीपुरी
*6*
कोरो वे नब्दा धरें, बनकें फिरें दबंग।
उसईं अपई तान कें, देत चुनावी रंग।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्त इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*7*
नब्दा पेलौ दाउ नें, करौ भौत आतंक।
माटी में वैभव मिलौ, लगौ काल कौ डंक।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*8*
सास बहू के बीच में,है पैरन की जंग।
रोज सास नब्दा कसै,करै बहू खों तंग।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*9*
नब्दा की आदत बुरी , जलदी लेव सुधार।
ननतर हुइयै बेज्जती ,उर बिगरै ब्यौहार।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*10*
नार दलाकें नार सी, नब्दा कसबै रोज।
साजी सुनें न एक बा, धरो मिटाकें खोज।।
***
--प्रदीप खरे, टीकमगढ़
*11*
काम करै नब्दा सहै, भूँकन मरै गरीब।
ऊ समाज कौ मानिऔ,निश्चित पतन करीब।।
****
-गोकुल प्रसाद यादव ,नन्हींटेहरी
*12*
हलकन पै नब्दा कसें, बड़े शरम नइँ खात।
देख सरी विरवाइ-सी,लातन कुचरत जात।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां
*13*
नब्दा कस रव रावना, कात रए हनुमान।
सरनागत हो राम की, बृथाँ काय हैरान।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*14*
जब-जब नब्दा पैलतइ , आकै पाकिस्तान |
हरदम खातइ लात है , बनतइ बेईमान ||
****
-सुभाष सिंघई , जतारा
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
136-
136- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-136
जय बुंदेली साहित्य समूह, टीकमगढ़
दिनांक -28/10/2023.
बिषय- न्यौरे.
*प्राप्त प्रविष्टियां :-*
*1*
न्योरे न्योरे कड गई,उरबतियन की छांय।
बैठो रो में घरी भर,उनकी आश लगांय ।।
***
-मुन्ना सिंह तोमर,भोपाल
*2*
बज्जुर सी छाती रई, ज्वानी में गर्राय।
न्यौरे- न्यौरे अब चलें,जब सें गै बुढियाय।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*3*
न्योरे न्योरे ऊब गय , कैसें हुइये काम।
शेष बचो बौ बाद में , पहले अब आराम।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
*4*
न्योरे-न्योरे होत नइ, दाऊ चोरी ऊँट।
कैंसे काटो रूख जो, बच नें पाओ ठूँट।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*5*
न्योरे चोरी ऊँट की , कभउँ कितउँ ना होत |
जीकौ पेट पिरात है , बौ डिड़या कै रोत ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*6*
न्योरे -न्योरे जो करें, बड़े बड़ों सें बात।
जग में वे हनुमान से,सबके दिल में रात।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
*7*
हनुमान श्री राम खों ,न्योरें करें प्रणाम ।
आन विराजो ह्रिदय में , राघव सीता राम ।।
***
-शोभारामदाँगी, नदनवारा
*8*
न्योरे- न्योरे ढूँढ़ रय,वे जीवन कौ राज।
कैसें कड़ गइ जिंदगी, आव वुढ़ापौ आज।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*9*
विनत लखन खों थामबे, न्योरे जइँ सें राम।
वरमाला सिय डार दइ,हौन लगे शुभ काम।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवां
*10*
पैलां के दोरे हते,न्योरे ही कड़ पांय।
दोरे में जो जो कड़ें,न्योरें मूंड़ नबांय।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*11*
न्यौरे घुसेँ अटाइ में , भुसा भरो गय काँप ।
मूँतयाव जब देख लव , फूँसत करिया साँप ।।
***
-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
*12*
बड़ी बात तौ नइँ छिपत,जांन जात सब कोय।
न्योरें न्योरें ऊँट की,चोरी कैसें होय।।
***
- डां. देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*13*
नेता जू न्योरे फिरें, रय चरनन में लोट।
कत जनता भगवान है,माँगै वोट सपोट।।
***
एस आर सरल,टीकमगढ़
*14*
सीमा पै ठाॅंड़े पिया ,अपनों सीना तान ।
न्योरे-न्योरे खेत में , धना नींद रइॅं धान।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*15*
न्योरें कुबरी फिर रई,लख शत्रुघन इठलात।
गिरतन टूटे दांत सब,हुमक घली जब लात।।
***
-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*16*
घूंटन लों पानी भरो,खेतन तोउ किसान।
न्योरें न्योरें नींद रव, घरवारी सॅंग धान।।
***
-आशा रिछारिया,निवाड़ी
*17*
खुशी रहत ते जे झुके, न्योरे ते ना छोट।
दूब नरम नीची रहै, हरी -भरी बिन खोट।।
****
-रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट
@@@@@@@@@@@@@
135-
135 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 135
प्रदत्त शब्द -दच्च दिनांक-20-10-2023
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
बड़े बाप के पूत हों , होंय अकल के गच्च ।
मान पान धन की उनें, लगत हमेशा दच्च।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*2*
दच्च किसानी में लगी,पर गव सूका काल।
बिटिया बैठी व्याव खों,कठन परी जा साल ।।
***
-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*3*
लगने दच्च चुनाव में , फिरी डारने वोट ।
सरपंची में लय हते ,तीन हरीरे नोट ।।
****
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*4*
जीवन रूपी नाव में,लगत अनेकों दच्च।
राम भजन सें पार कर,सीख बोलबौ सच्च।।
***
-भगवान सिंह लोधी,हटा
*5*
दे रये दच्च दुआंय पे, दावत को लंय दांव।
राजनीति की बात कै, जीतें चात चुनाव।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव, झांसी
*6*
लबरा लम्पट लालची , चमचा आबै दोर |
दच्च इनइँ से है लगत, चिपकै संगै चोर ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*7*
बे मौसम बरसात नें, दै दइ दच्च बिलात।
बिटिया बैठी ब्याव खाँ,टेरें साव चिमात।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवा
*8*
जिनखाँ दै-दै कें मदद,हमनें करो सपच्च।
बे चैंथी में काट कें, दै गय कर्री दच्च।।
****
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*9*
लगै दच्च पै दच्च जो ,हो भौतई नुकसान ।
अपनें मन में जान लो,खुश नइयां भगवान ।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*10*
मेघनाद को सुन मरन, खाकें रै गव गच्च।
कर बिलाप रावन कहत, कैसें सै लउँ दच्च।।
***
-श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*11*
डुकरो बैठीं पौर में ,मूड़ पकर कैं रौयँ ।
लाखन की जा दच्च परी, कैसें सूदे हौयँ ।।
***
-शोभाराम दाँगी,नदनवारा
*12*
दच्च कछू ऐसी लगी,उठ गओ है विश्वास।
अपने अपने ना रहे,गैरन सें का आस।।
***
-आशा रिछारिया (निवाड़ी)
*13*
हीरा सी नोंनी घरी,जब सोंनें की आइ।
एक दच्च यैसी लगी,रनबन भई कमाइ।।
***
- डां देवदत्त द्विवेदी ,बडामलेहरा
*14*
रो रय बे हैं काल सें , दूनौ भव नुकसान।
ऐसी दच्च तौ कोउ खों , न लगबै भगवान।।
****
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*15*
पंगत खा लइ हूँक कें, भई पेट में गच्च।
पइसा लगे इलाज में, कर्री लग गइ दच्च।।
****
अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
########@@@@@######
134-
134 बुन्देली दोहा प्रतियोगी -134
संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
दिनांक-14-10.2023 प्रदत्त शब्द-टूॅंका (टुकड़ा)
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
टूंका सती शरीर के , करें सुदर्शन आन ।
शक्तिपीठ पुजने लगें , नवदुर्गा पैचान ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*2*
जिननें छप्पन भोज खों,धर दव कभउॅं कनांय।
बिपत परी जी दिन गरें, सो अब टूॅंका खांय।।
***
- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*3*
टूॅंका से बांटत फिरत,नेता जी दो काम।
लरका पावे नोकरी,होय तुमारो नाम।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*4*
जी हैं हम कैसें भला, मोखां देव बताय।
दिल को टूॅंका कर चली, गोरी जो मुस्काय।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*5*
सुखिया दुखिया है जगत, चका लगै दिन-रात |
टूँका तिसना लोभ कै ,सबखौं देतइ घात ||
***
-सुभाष सिंघई, टीकमगढ़
*6*
टूँका कइये स्वर्ग कौ, पावन भारत देश।
जीके कण-कण में बसे,ब्रम्मा बिस्नु महेश।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*7*
हूँका में चूका परै,कूका दै दै रोय।
स्वारत चटकै काँच सौ,टूँका टूँका होय।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
*8*
टूंका टूंका टूटकें,माटी रज बन जाय।
गुरु चरनन सें धन्य हों,पद रज पावन पाय।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
*9*
कछु टूँका जे फेंक दय, भरत न इनसें पेट।
जंगल को जो सिंग तो, रोज करत आखेट।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*10*
टूँका हो गय देश के ,मची लराई आज ।
ऐक जनों गल्ती करै ,भोगत सबइ समाज ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*11*
मन मौरे मुइयाँ बसी, मोह लियौ गुलनार।
टूँका कर दिल के दयै, छाती चली कटार।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*12*
जिदना फसल किसान की, ओरे परें नसात।
टूॅंका -टूॅंका ओइ दिन , छाती के हो जात ।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*13*
साँचौ-सूदौ आदमी, फिर रव धूरा खात।
टूँका-टूँका जिंदगी, खुती-खुती हालात।।
***
-संजय श्रीवास्तव* मवई/दिल्ली
*14*
टूँका नइयाँ भूम कौ, सगया मेले द्वार।
उल्टे सूदे चोटिया, ठोकत लम्मरदार।।
***
-एस आर सरल, टीकमगढ़
*15*
बड़े भये ज्यों-ज्यों सभी, घटत गई त्यों प्रीत ।
टूँका-टूँका आँगना, अलग-अलग की रीत ।।
***
-सन्तोष कुमार 'माधव',कबरई, महोबा (उ.प्र.)
*16*
रोटी के टूंका बिना,भरे कौंन के पेट।
जीबौ दुस्तर अन्न बिन,सूखो लेत समेट।।
***
-मूरत सिंह यादव,लमायचा ( दतिया)
*17*
टूँका खा कें राम के, बसें ओरछा धाम।
चरण शरण रें राम की, दुनिया से का काम।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*18*
टूंका टूंका हो गये , दिल के अपने चार।
बिना बिचारे जो करे , एसइ हुईये यार।।
****
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
#######@@@@@######
133-
133 बुंदेली दोहा प्रतियोगिता नंबर =१३३
संयोजक- राजीव नामदेव राना लिधौरी
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
बिषय--ठगिया
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
ठगिया बन्ना होय तौ ,ठगौ राम कौ नाव ।
और ठगे में का धरौ ,जीवन मुक्ती पाव ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*2*
ठगिया बनकें का करौ , हो जैहौ बदनाम।
बात मान लो सेठ जी , कैरय लोग तमाम।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
*3*
ठगिया बातन आयकें, भूल न करियौ कोय।
मन लोभी ठगहीं सुनौ, लुटत सबहिं फिर रोय।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल'टीकमगढ़
*4*
ठगिया सबरो है जगत,भरमाउत रत नित्त।
राम नाम सुमिरन करो,निरमल हो जै चित्त ।।
***
-आशा रिछारिया,निवाड़ी
*5*
माया के भोंजार सैं , कोउ न पाबै पार।
ठगिया भी ठग जात जब, देत मोहनीं डार।।
***
-आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*6*
ठगिया हैं बहुरूपिया, ठगैं बदलकैं रूप।
सूरज बनकैं बैंचदैं, भरी दुपरिया धूप।।
***
-संजय श्रीवास्तव* मवई😊 मुंबई
*7*
खून पसीना डारकें, करी कमाई जोन।
ठगिया करकें लै गओ,एक लाबरौ फोन।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
***
*8*
ठगिया ठेंकर सें ठगें, कर- कर कैउ उपाय।
सोने खों पीतर कयें,पीतर स्वर्ण बताय।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*9*
नींद उड़ी हय रात की, उड़ गौ दिन को चैन।
धक-धक हौत करेजवा, ठगिया थे बे नैन।।
***
-गीता देवी, औरैया
*10*
ठगिया नेता देश में , टाँड़ी से उतरात |
चूहन जैसी हरकतै , बजट कुतर कै खात ||
***
-सुभाष सिंघई ,जतारा
*11*
ठगिया इस संसार में भांति भांति के लोग ।
बिना ठगे ही भोगिये इस पृथ्वी के भोग।।
***
-शीलचंद जैन, टीकमगढ़
*12*
ठगिया की बगिया बड़ी,जी के हम हैं फूल।
ठगिया मन कौ मीत हो,लूं बायन में झूल।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा (टीकमगढ़)
*13*
सूदे सरल किसान सब,मेंनत करकें खायँ।
ठगिया बेपारी तऊ,पेटै छुरी चलायँ।।
***
- डां देवदत्त द्विवेदी, बडामलेहरा
*14*
चुपर-चुपर बातें करें,लव छोड़ों बतकाव।
चौतरफा आँखें चला,ठगिया देखत दाव।।
***
एस आर सरल ,टीकमगढ़
*15*
ठगिया भर दुपरै ठगै,डार मोहनी जाल।
बचा न पाबै वार सें,कौनउँ बख्तर ढाल।।
***
गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*16*
मन बैरी ठगिया बनों,कैंसे बांधूं धीर।
गांव पुरा के लखैं सब,भजो नहीं रघुवीर।।
***
-मूरत सिंह यादव,ग्राम लमायचा( दतिया)
*17*
ठगिया जो संसार सब, ठगत रहत दिन रैन।
माया में मन भूलकैं, मिलत न ओखों चैन।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*18*
माया ठगनी ठग रही,दिखा रही प्रभाव।
कइयक ठगिया ठग गये,कई लगा रय दाव।।
***
- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*19*
मोहन हैं ठगिया बड़े,बंसी सें ठग लेत।
राधा ई कौ उरानों, मोहन खों नइँ देत।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
####
132-
132 #बुन्देली दोहा प्रतियोगिता-१३२#
#शनिवार#दिनांक३०.०९.२०२३#
संयोजक- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"
आयोजक- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्रदत्त बिषय-कागौर*
*1*
पुरखन कौ तरपन करत , भोग बनत कागौर |
श्रद्धा से इस लोक की , श्राद्ध जात उस ठौर ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*2*
गौर करौ कागौर पै,दो पुरखन खों ठौर।
पुरखा भोग लगाय लें,फिर कौवन कौ कौर।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा
*3*
पितरन कौ न्यौतौ करौ, छत पर धर कागौर।
ध्यान धरौ पूजौ उनें, वे अपने सिरमौर।।
***
- संजय श्रीवास्तव* मवई 😊दिल्ली
*4*
कभउॅं मतारी बाप खों,मिलो न घर में ठौर।
मरें सपर रये गॅंग में ,उर डारें कागौर।।
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", हटा
*5*
जियत बाप खौं नहिं दियौ, जीनें एकउ कौर।
करय दिनन में दै रहे, लगा लगा कागौर।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
*6*
पानी दै कागौर से,बता रये आराध ।
जियत जियत पूंछी नई,कर रय मरें सराध।।
***
-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*7*
जियत मताई-बाप की, करौ खुशामद यैंन।
बिन तेरइंँ कागौर के,मिलै सबइ सुख चैंन।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
*8*
कुवांर के पितृपक्ष में पितरों का करते तर्पण।
खीर पूड़ी का कागरो काग को करते अर्पण।।
***
-शील चंद जैन टीकमगढ़
*9*
कौअन खों कागौर सें , पुरखन खुशी अपार।
इनइं दिनन बे आत हैं , अपने ही घर द्वार।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया टीकमगढ़
*10*
करय दिनन में प्रेम सें, काड़त हैं कागौर।
जिंदा में नइँ देत हैं, खावे जूँठौ कौर।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*11*
जी दिन सें पुरखा लगे, रोज कड़त कागौर।
माल छानरय हूंक कें , हतो न कोंनउँ ठौर।।
***
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष ,टीकमगढ़
*12*
पुरखा न्योत बुलाइये, श्रद्धा सें कर जोर।
सोलह दिन इनके नियत,काड़त रव कागोर।।
***
-आशा रिछारिया, निवाड़ी
*13*
पंचायत कउआ करें, देख आज को दौर।
पुरखन को अपमान जां, नइं खानें कागौर।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*14*
पितर-पूजकैं नित अबे, बिनय करौं कर-जौर।
पानी दैंकें पक्ष में, रोज धरौं कागौर।।
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*15*
माइ बाप खों दैय जो,जिन्दा में दो कौर।
पुरखा ऊ के प्रेम सें,सब खेंहैं कागौर।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*16*
मौराई छठ खौं सिरत , नदी ताल में मौर।
कौआ कूकर गाय खौं , करय दिनन कागौर।।
***
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
*17*
श्राद्ध करौ तर्पन करौ, काड़ देव कागौर।
पितरों सें हो लो उरिन,मिलै सुरग में ठौर।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द' नेंगुवाँ
###########@@@@@######
131-
131*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता- 131*
संयोजक राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
प्रदत्त विषय - ठाॅंड़े-बैठे
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
हीरा से क्वारे हते, हतो खूब आराम।
ठाड़े बैठे बिद गये, परै राम सैं काम।।
***
*प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*2*
बनें बिजूके जो फिरें , घर-घर मूसर चंद।
ठाॅंड़े-बैठे की उनें , बीद जात है दंद ।।
***
-आशाराम वर्मा 'नादान',पृथ्वीपुरी
*3*
ठाॅड़े-बेठे का करौ ,समय बड़ौ अनमोल ।
बिना काम के बे बजह,इतै-उतै नइ ड़ोल ।।
***
शोभाराम दाँगी 'इंदु',नदनवारा
*4*
कछू काम दिखतइ नईं,चाउत होय विकास।
ढांडे बैठे गाँव में,दिन-दिन खेलत तास।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*5*
वारे के न्यारे करै,बहू शहर की ऐन।
ठाड़ें बैठें आ गई,अपनें मूड़ें ठेंन।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा( टीकमगढ़)
*6*
चन्दा भादों चौथ कौ,लख कें नंदकिशोर।
ठाँड़े-बैठे बन गये, मणी स्यमन्तक चोर।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
*7*
ठांडे़ बैठें मंथरा,भर आई ती कान।
कैकइ जा जसरथ मिलीं,मांग लये वरदान।।
***
- सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*8*
ठाॅंड़ें -बैठें रीछ के,पकरे दोई पाॅंव।
खाई गैरी नें मिलै,और दूर है गाॅंव।।
***
भगवान सिंह लोधी"अनुरागी",हटा, दमोह
*9*
ठाॅंड़ें बैठें विद गयी,हती पराइ लराइ।
चक्कर काटें कचहरी, प्रानन पे बन आइ।।
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*10*
भिनकत भइ ऐजक बिदत , ठाँड़े़ बैठे आन |
जब लबरा से कै धरौ , साँसी दइयौ ब्यान ||
***
-सुभाष सिंघई, जतारा
*11*
बचपन बीतो गांव में ,उर वरगद की छांव।
ठांडे बैठे का करों, खोज शहर में ठाव।।
***
-शीलचंद जैन, टीकमगढ़
*12*
नीम अथाई गइ कितै, कितै गऔ चौपाल।
गाँवन में पूछत हते, ठाँड़े - बैठे हाल।।
***
-विद्या चौहान, फरीदाबाद
*13*
निंदा चुगली औ नसा,बातन की बकवाद।
ठाँड़ें बैठें तौ बनें,इनसें बड़े बिबाद।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बड़ा मलेहरा
*14*
घरवारी नै मूंढ़ में , लठ्ठ मसक दव काल ।
जितै घलो सो सूज गइ , ठाँड़ें बैठें खाल ।।
**
-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
*15*
ठाँढ़े-बैठें कब भओ, भैया ओरे काम।
तब मिलबै रोटी हमें, घिस जाबै जब चाम।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*16*
ठाड़े-बैठे बीत गे, उम्मर के पन चार ।
उन्नत का सोचो नहीं, सोये पाँव पसार ।।
***
-सन्तोष कुमार 'माधव',कबरई,महोबा (उ.प्र.)
*17*
ठाँड़े- बैठे खुद्दरव, लेबो होत न ठीक।
बात बड़न की मानियो, जो हों शुद्ध सटीक।।
***
-अमर सिंह राय नौगांव
*18*
ठाँड़े-बैठें ना बनें, जग में कौनउ काम।
मैनत की दम पै सदा,मिलत सुखद परिनाम।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई/दिल्ली
*19*
ठlड़े बैठे फस गये , भइया सोहन लाल।
सुधर जाव मौका अबै , हमने कइती काल।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
***#######@@@@@@@####
130-बुंदेली दोहा प्रतियोगिता क्रमांक- 130
विषय - टिया
संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आयोजक -जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
*प्राप्त प्रविष्ठियां :-*
*1*
टिया न टारौ साँवरें , आऔ जमुना तीर |
राधा भुँज रइ बूँट-सी , झिरत नैन से पीर ||
***
-सुभाष सिंघई , टीकमगढ़
*2*
कतकी कौ करकें टिया , खाद बीज लै आय।
किरपा करियौ राम जू , सब करजा चुक जाय।।
***
-आशाराम राम वर्मा " नादान " पृथ्वीपुरी
*3*
टिया करौ सो आ गओ,लिपट तिरंगा गात।
लाल शेरनी के तनक,ओ फौजी कर बात।।
***
- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
*4*
टिया धरौ नवरात्र को, समय जान अनुकूल।
पिया लिवाबै आयगें,रई खुशी सें फूल।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
*5*
गुरु बच्चन खों दै टिया ,सबक करो तुम याद ।
तब लौ कोऊ नै सुने ,का तुम्हरी फरियाद।।
***
-हंसा श्रीवास्तव हंसा, भोपाल
*6*
विदा ब्याव सरकार को , टिया साव को होत ।
कातक चैत किसान खाँ , कभउँ मिली ना ओत ।।
***
-प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
*7*
टिया धरौ हर काम कौ,जीवन में का होय ।
हानि लाभ जीवन मरन, निश्चय तिथिया तोय ।।
***
-शोभाराम दाँगी ,नदनवारा
*8*
टिरका रय बे तौ टिया,लगी हिया में आग।
मन कौ खटका खात है,नसा न जाबै राग।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा(टीकमगढ़)
*9*
टिया दएँ भय दिन मुलक, करवैं नें बो काम ।
कासौं कउँ अब को सुने, पैलँइ लै लय दाम।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा
*10*
पछताए का होत है, गए टिया सें चूक।
मोय न आने लौट कें, कात समय दो टूक।।
***
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*11*
टिया पिया दे गए सखी,आवन की दिल खोल।
कब आहे द्वारे तकत, आह पल अनमोल।।
***
- हीरालाल विश्वकर्मा, बिजावर
*12*
दैकें टिया न टारियो, चाहे जाबे जान।
बिना रीढ़ को आदमी, कऊँ न पाबे मान।।
***
-संजय श्रीवास्तव* मवई,दिल्ली
*13*
चूको करजा कौ टिया, साव करत हैरान।
मौसम कर रव जादती,है बदनाम किसान।।
***
-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
*14*
अर्जुन ने धर दव टिया, जयद्रथ का है अंत।
सूर्यास्त न हो सके,चेतन हैं भगवंत।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
*15*
देख -देख आँखै जरीं,भूक लगत ना प्यास।
टिया न लछमन दै गये, लगी उर्मिलै आस।।
***
-एस आर सरल, टीकमगढ़
*16*
टिया सुरत कर गोपियां, रोवत होत अधीर।
राह तकत नैना थके, प्रान जात बेपीर!।
***
-रामलाल द्विवेदी, चित्रकूट
*17*
लेतन में नौने लगे, देतन में अब रोत।
टिया रोजकें धरत जे, लगत एक दिन होत।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*18*
टिया टिया बहु देत वे,करजा चुका न पात।
सब संपत्ति खोई कुमग,अब रोबत दिन रात।।
***
-परम लाल तिवारी,खजुराहो
*19*
टिया न कौनऊँ मौत की,कबै कौन विध आय।
कोऊ कछु नइँ कै सकै,की की कब आ जाय।।
***
-अमर सिंह राय, नौगांव
#####@@######
129- बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-129
दिनांक-9-9-2023
प्रदत्त विषय- कूका
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
मौत-बड़ी सुंदर जियै, टेरै कूका देत।
जीवन तक तज देत वौ, कुर्रू दै भग लेत।।
***
-बाबूलाल द्विवेदी, छिल्ला, ललितपुर
*2*
आपुस दूरी देख कें, कूका देत बुलाँय।
भनक परै जो कान में,ऐंगर तुरतइँ आंँय।।
***
-रामानंद पाठक, नैगुवां
*3*
लुक छिप कूका दे रये,सुनो नंद के लाल ।
राधा तुमको ढूंढती ,बाग बगीचा ताल।।
***
-हंसा श्रीवास्तव हंसा, भोपाल
*4*
सबरो जीवन कड़ गओ,लीनो ना हरि नाम।
कूका दै रव मरगटा,अबइ सुमर लो राम।।
***
-आशा रिछारिया, निवाड़ी
*5*
कूका सूका दे रऔ, हतौ खेत चउं ओर।
जन्मोत्सव घनश्याम को,बरसौ घन घनघोर।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*6*
कूका दैकें कृष्ण ने, मटकी डारी फोर।
सब सखियन नें घेर कें,पकरे माखन चोर ।।
***
-सियाराम अहिरवार, टीकमगढ़
*7*
दुका-दुकौ हम खेलवै ,कूका देवै ऐन ।
दुके रात्ते कौनियां ,मस्कउँ करवै सैंन ।।
***
-शोभाराम दाँगी, नदनवारा
*8*
भड़या पिड़ गय गाँव में, चकचइया है रात ।
कुकयाटों घेरउँ मचौ, कूका दें कुकयात।।
***
-एस आर सरल, टीकमगढ़
*9*
दै कें कूका कान में, साँमें ठाँड़ी आन।
शकल देख घरबाइ की, गरें अटक गइ जान।।
***
- अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*10*
कौन कितै कैसौ करत , कौन कितै कब जात |
कक्कौ कूका दै रयीं , कक्का काँख कुकात ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
कूका मारा कृष्ण ने l सुदामा को बुलाय ll
माखन लेकर आ गये l दोनो छककर खायll
***
-अंचल खरया, टीकमगढ़
12*
नेता कूका दै रये,जब अटको है काम।
पैंल सुनी नै बाप की,अब कत सीताराम।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा, दमोह
*13*
काम करौ कल्यान के, रहौ खूब खुशहाल।
सबखों जानें एक दिन, कूका दै जब काल।।
***
-संजय श्रीवास्तव,मवई,😊दिल्ली
*14*
लुकाछिपी-कूका-छुबा,कंचा-गुली-गुलेल।
आँखन में झूलत अबै,जे बचपन के खेल।।
***
गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी
*15*
कूका दे- दे जात हैं, मोड़ा-मोड़ी आज।
कुंभकरन की नींद में, सो रव सकल समाज।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*16*
कूका देत उमर कढ़ी, नाहक भटके आज।
करम बुरय तजियौ सभी, नौने करियौ काज।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़
*17*
ज्वार खेतन में खडी,दाऊ खडे मचान।
कूका से बातें करत,चिडियों पे है ध्यान।।
***
-सुभाष बाळकृष्ण सप्रे, भोपाल (प्रवास-पुणे)
*18*
कूका देबें रोज के,धर गदिया पै प्रान।
खेत रखायँ किसान औ,देस रखायँ जबान।।
***
-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
*19*
कूका दै रव मरघटा, तऊ समझ नै आय।
नइँ लिहाज तनकउ उऐ, राह चलत बुलयाय।।
***
- अमर सिंह राय, नौगांव
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