(Bundelu doha sangrah)
kavi-Rajeev Namdeo 'Rana lidhori'
Tikamgarh (m.p.)
धना कय राना सुनौ..
गुड़ी मुड़ी पुड़िया खुली , धना बिदै गइ गट्ट।
दो हजार के नोट लय , #राना घुस रय ठट्ट।।
गों में दैकें है धना , फुला रयी है गाल |
#राना जौरे हाथ है , उगलत नईं सवाल ||
***
#राना से कहती धना , सीखौ तनिक जुगाड़ |
अच्छै लै दौ पैजना , थौड़े पइसा काड़ ||
धना कात #राना सुनो , काँलौ अब समझाँय |
टउका सीखौ चार ठौ, जौ हम अब बतलाँय।।
धना कात भड़का परौ , बाहर फिक रइ आग |
#राना घर में राइयौ , छीलत रइयौ साग ||
धना कात #राना सुनौ ,बनै न बातन माँड़ |
बस सोने की लल्लरी ,आज प्यार कौ डाँड़ ||
😉धना कात #राना सुनौ ,बर्रोटी है आइ |
सौने की चुरियाँ गजब, तुमनै मौय लिबाइ || 😉
1 टिप्पणी:
Very nice
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