होली के रंगीन पर्व पर आप सभी की सेवा में उपस्थित होकर
जय बुंदेली साहित्य पटल पर रंग विखेरने जा रहा हूँ
इनमें रंग , आप लेखकों कवियों की साहित्य साधना है ,
व चित्रकारी श्री सुभाष सिंघई जी की है |
जिसे मैं राना लिधौरी जय बुंदेली साहित्य के दोनों पटलों ( व्हाटशाप एवं फेसबुक ) पर प्रस्तुत कर रहा हूँ
इतना एक साथ लेखन में मात्रा सम्बंधी कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जित भाव से ग्राह करें |
सभी को होली की मंगल शुभकामनाएँ 🌹🌹🌹
लेखन - सुभाष सिंघई ,
प्रस्तुति - राजीव नामदेव " राना लिधौरी "
प्रवंधक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ म०प्र०
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1- श्री राजीव नामदेव " राना लिधौरी " जी
चौकड़िया :-
कत हैं सब अब बारी-बारी ,बात करत है प्यारी।
पटल बनो है जय बुंदेली,महिमा लगतइ न्यारी।।
राना जू ने सबखौ जोरौ, लगत सृजन अवतारी।
मान राखतइ कात सुभाषा, सबखौ दैकें भारी।।
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सिलबट्टा पर घोंट रय , छै तौला लयँ भाँग |
चुअत पसीना पौंछ रय , सबइ भिड़ा गवँ आँग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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2- श्री आशाराम वर्मा नादान जी
चौकड़िया
काव्य सृजन की डोरी थामी , सब कहते कवि नामी |
कलम आपकी लगती सबको , सदा सृजन पथ गामी ||
बुंदेली भी सुंदर लिखते , रखें न कौनउँ खामी |
फिर जब ये नादान बनत हैं , कोउँ भरत न हामी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
ठंडाई में पी गये , भँगिया तोला चार |
हुरयारन खौं छेंक रय, कत गाऔ सब यार |😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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3- श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
चौकड़िया
गोकुल यादव गुनियाँ जानो , परखइयाँ भी मानो |
नजर रखत है पैनी अपनी , चूकत नहीं निशानो ||
सबखौं पढकै देत सला हैं , करतइ नहीं बहानो |
कात सुभाषा हीरा है ये , सब इनखौं पहचानो ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
गोकुल भैया दूध की , कुल्फी रयै बनाय |
सुर्त भूल गय भंग से , पानी दओ जमाय || 😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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4- श्री कल्यानदास साहू , पोषक जी
चौकड़िया
रखें सृजन से अच्छा नाता , काव्य विधा के ज्ञाता |
बहुत सरल है सीधे सच्चे , पूजत शारद माता ||
मथकर लिखते जब कविता खौं , मख्खन ऊपर आता |
कात सुभाषा शिक्षक पोषक , आज ज्ञान के दाता ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पानी में भजिया तलें , गये तेल खौं भूल |
चढ़ी करइया हँस रयी , हुई भंग से झूल ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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5-श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई / दिल्ली
चौकड़िया
संजय जी की बात निराली , कला क्षेत्र में आली |
आज बजाता शब्दों से मैं , अभिनंदन की ताली |
काव्य शिल्प में भाव अनूठे , देते आकर लाली |
कहत सुभाषा आप सदा ही, करते हो उजयाली ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
ऐसी कैसी भंग है , संजय करें विचार |
धना कहे भाजी घुटी , पहले करो निहार || 🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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6- श्री अमर सिंह राय जी नौगाँव
चौकड़िया
अमर राय की अमर कहानी, लगत सबइ खौं ज्ञानी |
सदा सृजन में उतराता है , मनन लगन का पानी ||
गहरे रखते भाव हमेशा , बात सुभाषा जानी |
फूल झरत-सी सासउँ लगतइ , सदा आपकी बानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
भंग नशा जब चढ़ गया , अमर गए तब भूल |
बीवी बच्चे डाँट रय , घर समझा स्कूल ||
जोगीरा सारा रा रा रे
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7- श्री डां देवदत्त द्विवेदी जी "सरस '"
चौकड़िया
देवदत्त जी सबसे न्यारे , कविता पुंज हमारे |
यह बुंदेली के हीरा जानो , सबखौं लगते प्यारे ||
हर शब्दों में गहराई है , रचते छंद सुखारे |
सरस कहें कविवर सब इनखौ , बड़ा मलहरा बारे ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
देवदत्त भँगिया धरैं , सबइ खूब टुनयाँय |
हमखौं गोली पैल दो , ठंडाई से खाँय ||
जोगीरा सारा रा रा रे
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8- श्री एस आर सरल जी
चौकड़िया
एस आर जी सरल हमारे , लिखें छंद सब न्यारे |
भाव सभी में उमदा रखते , सबखौं लगते प्यारे ||
दोहा कुंडलिया चौकड़ियाँ , सबमें दिखें उजारे |
कात सुभाषा इतना जाने , लेखन में शशि-तारे ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
बटी घुटी फिर है छनी , सब यारो के संग |
जहाँ सरल जी पी गयै ,छै तोला तक भंग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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9- श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
चौकड़िया
पीयूष सरस है कवि चंदन , मात शारदे नंदन |
विनय भाव से लिखते हरदम, खिले सृजन का उपवन ||
शब्द शिल्प में गंध मिलत है , गूँजें स्वर भी खनखन |
कहे सुभाषा इस अवसर पर , आप पटल के दरपन ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
भंग छानकर आ गये , घर पर श्री पीयूष |
फिर भी पा फटकार गय, दो लोटा का जूश ||🙆♂️🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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10- श्री भगवानदास लोधी अनुरागी जी
चौकड़िया
मित्र सभी है सच बड़भागी , मिले इतै अनुरागी |
लोक भजन बुंदेली गाते , लगते सभी सुहागी ||
खोज-खोज कै काव्य रचत हो,जला ज्ञान की आगी |
सबइ छंद की कात सुभाषा , लगन आपमें जागी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
अनुरागी जी भी दिखे , होली के हुड़दंग |
धीरे- धीरे खा रयै , रखी जेब में भंग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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11- श्री प्रमोद मिश्रा जी
चौकड़िया
बुंदेली की बालूशाही , परसत हैं मनचाही |
खोद- खोज कै शब्द लियाबें , बनें शारदे माही ||
हम प्रमोद की सदा पढ़त हैं , नौनी सब कवितायी |
कात आपकी सोइ सुभाषा , पुजबें कलम सियाही ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग विचारी क्या करै , समझो उसकी पीर |
दस तोला भी कम परै , ऐसौ धरौ शरीर ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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12- श्री जी पी वर्मा मधुरेश जी
चौकड़िया
जी पी वर्मा लगे पुराने , दोहा लिखें सुहाने |
चौकड़िया भी लिखते जाते , बुनकर ताने बाने ||
आए है यह जय बुंदेली , सबका साथ निभाने |
कात सुभाषा सब चंदन है ,इनके कविता दाने ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग चढ़ाकर कह उठे , वर्मा जी मधुरेश |
रबड़ी लाओ और अब ,मुझको आज विशेष ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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13 - श्री जयहिंद सिंह जी
चौकड़िया
बुंदेली के हीरा सानी , सबने यह हैै मानी |
लोकगीत के नायक तुम हो ,और भजन के ज्ञानी ||
आप श्रेष्ठ है गायक कहते , कहें गीत रजधानी |
कात सुभाषा सागर हो तुम , गहरा जिसमें पानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
छै तोला भँगिया लई , सिलबट्टा पर घोंट |
देखे है जयहिंद जी , खाते उसको चोंट ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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14- श्री शोभाराम दाँगी जी
चौकड़िया
शोभाराम सुहाने जानो , मेरी कइ सब मानो।
कलम हमेशा इनकी चलती, गावें गीत लुभानो।।
बुंदेली माटी के मोती , हम भी कैवैं कानो।
जो भी रचतइ आप इतै हो,सबखौं लगे सुहानो।।
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
घूमे होरी के दिना , लैके अपनी भाँग |
खिला दई जब गाँव खौ , रुकी तबइ है टाँग ||🤓🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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15- श्री रामानंद पाठक नंद जी
चौकड़िया
सीधे सच्चे बोलें वानी , छंद विधा में सानी |
भाव भरे यह शब्द लिखत हैं , जिसमें कंचन पानी ||
हम कहते है गुरू इन्हें अब, जानें पूरा ज्ञानी |
क्षेत्र ओरछा केशव नगरी , लगते नंद निशानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रामानंदी भाँग है , कहते सब मिल खाव |
पंडा हमखौ मानकै , दान दक्षिणा लाव ||🙄🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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16- श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
चौकड़िया
कैमस्ट्री में कविता मचती , सबइ जनन खौ जचती |
बनत चासनी बुंदेली की , सबइ जनन खौं पचती ||
कर्म क्षेत्र सब है विज्ञानी , पर कविता भी रुचती |
पढ़े आपके शब्द सुभाषा , हृदय कली तब नचती ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रंग मिलाया भंग में , सर जी करें प्रयोग |
कहते मिलकर आइये , और लगाओ भोग ||🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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17- श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी गंजबासौदा
चौकड़िया
श्याम राव जी कलम सुहानी , मित्रों ने पहचानी |
सभी छंद यह लिख लेती है , शब्द शिल्प है सानी ||
भाव अर्थ सब गहरे होते , लिखते नई कहानी |
बड़े प्रेम से सुनें सुभाषा , इनकी मीठी वानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग रंग पर लिख रहे , धर्मपुरीकर छंद |
लिखते है यह छंद में , भंग सदा आनंद || 🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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18- श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',जी
चौकड़िया
है प्रदीप जी कलम सिपाई , ताकत पूरी पाई |
अखबारों में भी लिखते है , दोहा में अगुबाई ||
बुंदेली हीरा है जानो , रखे साफ दिल भाई |
शिष्य हमारे रहे कभी यह , उमदा करी पढाई ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रंग भंग का दिख रहा , कहते मेरी चाँद |
सुनौ चंद्र से कम नहीं , लेवँ गाँठ में बाँद ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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19-आद० दीदी आशा रिछारिया जी
चौकड़िया
दीदी कहलाती है आशा , बुंदेली परिभाषा |
सृजन मनन चिंतन है आगे , हटती दूर निराशा ||
ध्यान हमेशा रखती दीदी , रखती है अभिलाशा |
सार लिखूँ में पाई- पाई , रत्ती तोला माशा ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
दीदी भजिया तल रहीं , मिली हुई है भंग |
कहती सब मिल आइयै , लिए साथ में रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रे
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20 -आद० बहिन विद्या चौहान जी
चौकड़िया
आप पटल पर जब भी दिखतीं , अच्छा ही सब लिखतीं |
भाव शब्द की कलियाँ सुंदर , यहाँ मधुर सब खिलतीं ||
शिल्प आपका कसा रहे सब , आपस में गति मिलतीं |
सृजन आपका लय में रहता ,कड़ियाँ कभी न हिलतीं ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
मिली भंग में रंग की , पुड़िया बस दो चार |
खिला रहीं सबको बुला , गुजियाँ सब रसदार ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रा रे
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21- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी
चौकड़िया
दिखे काव्य में छटा निराली , शब्दों में उजयाली |
सृजन सजग रहता है हरदम , अच्छी देखा भाली ||
आप सफल संचालन करते , सभी बजाते ताली |
आप मनोहर जय बुंदेली , काव्य विधा में आली ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
अजब हाल है भंग का , सबको दिया परोस |
खुद खानेे से बच रहे , रखकर पूरा होस ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रा रे
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22 श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.जी बडागांव
दोहा -;
इंदु जी का जब मिले , पढ़ने को साहित्य |
भाव शब्द गहरे दिखें , साथ रहे लालित्य ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग कहाँ पर है घुटी , करें इंदु जी खोज |
मिलती खाने को जहाँ , भरें वहीं से ओज ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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23- श्री मूरत सिंह यादव जी
दोहा
दोहों से करने लगे , मूरत जी अब बात |
बुंदेली साहित्य के , बने आप सौगात ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पहली-पहली बार जब, चखा भंग का स्वाद |
तब से श्रीमन् कह रहे , भंग रहे आबाद ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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24 -श्री विद्याशरण खरे जी
दोहा
लिखते दोहा आप जब , सुंदर लाते भाव |
शुभ सरवर साहित्य में , खूब चलाते नाव ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सोच रहे है भंग के , क्या होते गुण दोष |
इसीलिए पीकर चखी , लेकिन खोए होश ||🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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25- श्री बी एस रिछारिया जी
दोहा
दोहों में अब देखते , आने लगा निखार |
लगते आज रिछारिया , है दोहा बौछार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
खाते जाते भंग है , होते जाते मस्त |
हाल देखकर भंग भी , आज हुई है लस्त ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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26- श्री बृजभूषण दुवे जी
दोहा
लिखते अपनी धुन सदा , रखते भाव विचार |
कविता रानी जय कहे , बृजभूषण सरकार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
बृजभूषण दादा यहाँ , जमा रहे है रंग |
देती इनका साथ है, छै तोला की भंग ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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27- श्री सरस कुमार जी दोह
दोहा
सरस लिखे कविता सरस , रखते सरस विचार |
बुंदेली का यह पटल , करें सरस मनुहार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग सरस इनको लगे , सरस लगे ठंडाइ |
सरस घोल मुख से चखें , करते सरस बढाइ ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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28-श्री नरेन्द्र जी गाड़रवारा
दोहा
भाव शिल्प शुभ देवता , धनी कलम हैं आप |
जय बुंदेली इस पटल , सदा छोड़ते छाप ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सोच रहे यह भंग की , क्या होती तासीर |
पीकर जब इसको चखी , लगते बड़े अधीर ||
जोगीरा सारा रा रा रे
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29-श्री ---सुरेश तिवारी जी बीना
दोहा
कविता करना जानते , भाव शिल्प सब नूर |
स्वागत करता है पटल , आप लिखें भरपूर ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पीने को यह खोजते , कहाँ मिलेगी भंग |
होली के त्योहार में , खिल जाएँ सब रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रे
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3०-आ० डा० रेणु श्रीवास्तव जी
दोहा
लिखती सुंदर आप हो , अच्छे रखतीं तथ्य |
मिलते है साहित्य में , लिखे आपके कथ्य ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
होली पर गुजिया बनी , लगे बहुत रसदार |
भंग जरा-सी दी मिला , होली का उपहार ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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31-आद० कविता नेमा " काव्या " जी
दोहा
काव्य सरस कविता लिखें , यथा नाम गुण काम |
शब्दों का जादू दिखे , काव्या में अभिराम ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
दूध मलाई केशरी , डाली उसमें भंग |
काव्या जी फिर कह उठी , डाल पियो रस रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रा रे
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32- श्री सुभाष बालकृष्ण सप्रे जी
दोहा -
कामयाब कोशिश हुई , आने लगा निखार |
दोहे है अब संतुलित , जिसमें मिले विचार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रँग लेकर अब उड़ा रहे ,सँग है लाल गुलाल |
रखते भंग तरंग है , होली में हर साल ||
जोगीरा सारा रा रा रा रे
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33- आद० जनक कुमारी सिंह बघेल जी
चौकड़िया
अच्छा लिखतीं जनक कुमारी, कलम लगी है न्यारी |
मुक्तक दोहा जब हम पढ़ते , तब यह बात विचारी ||
लिखें ध्यान से आप सदा ही , सृजन बने सुखकारी |
पुजे आपकी कलम सुभाषा , कहता बात प्यारी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
लस्सी में भँगिया मिला , कहें करो स्वीकार |
पीते जाते मित्र सब , कहते गजब बहार ||😇🙏
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3़4- रचनाकार - सुभाष सिंघई
चौकड़िया
मौसी मेरी विद्यामाता , जिनसे रखता नाता |
यहाँ लक्षमी मैया मेरी , कहती मुझे सुहाता |
आता जाता जो भी सीखे ,सबको कभी बताता |
कात सुभाषा थोरौ जानत ,नहीं बड़े हम ज्ञाता ||
जोगीरा दोहा
खाइ सुभाषा भंग है , आई बहुत उमंग |
सब पर लिखकर डालता , काव्यमयी यह रंग ||🙏🙏🌹
जोगीरा सारा रा रा रा....
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