फगवारे (काव्य संकलन) ई-बुक
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 133वी प्रस्तुति
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 फगवारे💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 133वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-3-2024
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
05-एस आर सरल,टीकमगढ़
06-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
08- जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा
09-बृजभूषण दुबे बृज, (बक्सवाहा)
10- डॉ. रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
11-कल्याण दास साहू'पोषक'(पृथ्वीपुर)
12- प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष',(टीकमगढ़)
13-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां (निवाड़ी)
14-डां.बी.एस. रिछारिया"हर्षित",(छतरपुर)
15-वी. एस. खरे,सरसेर, (नौगांव)
16-सुरेश तिवारी,बीना, (सागर)
होली पर अन्य विधा में रचना :-
17-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
18- रामकुमार गुप्ता, हरपालपुर
19-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश',कर्वी,चित्रकूट
20- डॉ. सुशील शर्मा, गाडरवारा
21-जनक कुमारी सिंह बघेल,भोपाल
22 -सुरेन्द्र शुक्ला, सागर (म.प्र.)
होली विशेष :-
जोगीरा सा रा रा.. सुभाष सिंघई, जतारा
प्राप्त प्रतिक्रियाएं :-
##############################
*संयोजक- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'*
संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के एडमिन के रुप मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) एवं संरक्षक द्वय शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और छंदों के ज्ञाता छंदाचार्य श्री सुभाष सिंघई जी है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'फगवारे' ( 133वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 133 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 87 देश के लगभग 159000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 133वीं ई-बुक 'फगवारे' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है।
ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-25-3-2024 को बुंदेली दोहा बिषय 'फगवारे' पर दिनांक- 25-3-2024 को पटल पोस्ट किये गये थे।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-27-3-2024 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़ (मप्र)
**बुंदेली दोहा- फगवारी / फगवारे*
फगवारे थे गोकुली,लयँ तै लाल गुलाल।
'राना' सबरै ढूड़ रय, कित राधा-गोपाल।।
फगवारे रसिया लगे,रय हैं सबखौ छेड़।।
फगवारीं जब आ गई, 'राना' निपुरी येड़।।
फगवारी की फाग ने,येसौ करौ धमाल।
'राना' गदबद दै रयै, लठ्ठ रयीं सब घाल।।
फगवारे दयँ दौंदरा,'राना' गोरी दोर।
भर पिचकारी मार रय,सबरै ऊँकी ओर।ऋ
जय बुंदेली साहित्य पै,'राना' खेलो फाग।
सब फगवारे गाव जू ,होरी के सब राग।।
*एक फगवारा दोहा*
धना कात'राना' सुनो,मैं फगवारी आज।
होरी खेलूँ पर तुमै,करने घर के काज।।
***दिनांक-25-3-2024
*✍️ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
बुन्देली दोहा विषय-'फगवारे'
फगवारी राधा बनी , फगवारे भय श्याम ।
खेलें यमुना पार पै , करें "प्रमोद"प्रणाम ।।१।।
लल्लू पंजू जान लय, औसर खड़े"प्रमोद" ।
फगवारन के आउतन , भगें टरेटे कोद ।।२।।
************************************
फगवारे दारू पियें , दैवै बुरइ बसाँद ।
धूरा फैंक "प्रमोद"रय , इने कूत नैं खाँद।।३।।
************************************
धना लुकींती पौर में , फगवारे रय ढूँढ़ ।
जब "प्रमोद"लाये पकर , पोतो चंदन चूँढ़ ।।४।।
************************************
ढोल नगरिया बाज रै, फगवारे रय नाँच ।
फागेँ गाँयँ"प्रमोद"लिख,रामायण खों बाँच।।५।।
************************************
फगवारे होरी करें , डार फूल को रंग ।
चढ़ गव नशा'प्रमोद'खों,खाइ प्रेम की भंग।।६।।
************************************
फगवारी बेजाँ नची , फिरकइया लै चार।
भींजे मोद"प्रमोद"सब,छाइ वसन्त बहार।।७ ।।
************************************
-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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3-सुभाष सिंघई,जतारा, टीकमगढ़
बुंदेली विषय - फगुवारे / फगुवारी
राधा फगवारी बनी , फगवारे हैं श्याम |
दौइ भिड़ाने घूम रय , इक दूजै खौं थाम ||
फगवारी रइ भींज है , फगवारे के संग |
राधा- मोहन खेल रय ,धन्य आज सब रंग ||
फगवारी राधा बनी , जब मोहन के साथ |
न्योरे भोला ब्रम्ह जू , झुका गयै हैं माथ ||
फगवारी थी राधिका , मुस्का गय तब श्याम |
फगवारे बन आ गयै , बरसानें शुभ ग्राम ||
फगवारी सब गोपियाँ , ढूँड़ रयी नदलाल |
नदी कुंज में घूमती , कछू देखती ताल ||
फगवारी ये जिंदगी , जाकै रंग अनेक |
फगवारे सब कर्म है , मिलत एक से एक ||
***
-सुभाष सिंघई , जतारा
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04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
बुंदेली दोहा (01)
फगवारे घन श्याम जू,फगवारी हैं कौन ।
राधा फगवारी बनीं,"दाँगी रै गय मौन ।।
(02)
चली संग बृषभान की,लली डारवे रंग ।
फगवारी जो श्याम की, प्रेम लता के संग ।।
(03)
मलत गुलाबी लाल रंग,फगवारे घन श्याम ।
नगर अजुद्या खेलवैं,सीता जू सँग राम।।
(04)
बरसानै की फाग को,जानत जगत पसार ।
फगवारे की फाग कौ"दाँगी"मजा .समार ।।
(05)
रंग अबीर सै भिड़ा दई,चोली चूनर लाल ।
ढुलक नगरिया में गवै,फगवारे की चाल ।।
(06)
फगवारे जोपैल के, हते नंबरी ऐक। परंपरा अब टूट कैं,नइँयां कितउँ विवेक ।।
*** मौलिक रचना
-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
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05-एस आर सरल,टीकमगढ़
*बुंदेली दोहा विषय फगवारे*
*******************************
फगवारे राना बनें,खेलत फिर रय फाग।
दोहा पिचकारी बनें, बुन्देली है राग।।
फगवारे होकै कवी, लिख रय भरें उमंग।
बरसा रये सुभाष जू, रोज पटल पै रंग।।
फगवारे दयँ दौदरा, मचों गलन में शोर।
टेसू केशरिया खिले,दयँ काजर की कोर।।
फगवारे रँग में रगे, छिड़कत रंग ग़ुलाल।
केउ भजाँ रय दुश्मनी, रोपें फिरें बबाल।।
फगवारे ना छोड़ रय, गैल चलत गैलाय।
जौन जितै पाबै सरल, हुरया देत भिड़ाय।।
***
एस आर 'सरल', टीकमगढ़
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*6*-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
बुन्देली दोहे विषय:-फगवारे
ठर्रत फिर रय खोर में,सबरे गोपी ग्वाल।
राधे फगवारी बनी,फगवारे नॅंद लाल।।
कदुआ राई फाग सें,सज गव फागुन मास।।
फगवारे घर -घर नचें,जीके जो हैं खास।।
वृन्दावन ब्रज सौ लगे, राना जू कौ दोर।
फगवारे उठबें गिरें,भंग रंग में लोर।।
स्वाफा की टैया उड़े, जैसें रंग गुलाल।
फगवारे भोला बनें,जो कालों के काल।।
पानी की करनें बचत, नशा में लूगर देव।
फूलों की होली खिले, फगवारे सुन लेव।।
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",
रजपुरा, हटा जिला-दमोह
***"
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*07*आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
बुंंदेेली दोहा दिवस प्रदत्त शब्द #फगुवारे
फगुवारे गलिअन फिरें,नचनारी के संग।
कोउ बजाबे ढुलकिया,कोउ बजाबे चंग।।
फगुवारन की का कने, भांग चढ़ा लइ ऐन।
चालें चलवें अटपटी,कहूं नेन कहुँ सेन।।
फागुन की मस्ती चड़ी, फगुवारे रय नाच।
फागें गावें तान कें,पत्रा सो रय बांच।।
🌹
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
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08-जयहिन्द सिंह जय हिन्द,पलेरा
#1#
फगवारे की तान है,ढुलक नगरिया झाँझ।
होरी की हुरदंग में,होय सुवह सें साँझ।।
#2#
मस्ती फगवारे करें,दोरन दोरन जाँय।
जा जैसौ मौका मिलै,बैसीं फागें गाँय।।
#3#
फगवारे तौ फाग गा,नचनारी मटकांय।
नचै बेड़नी फाग में,अंग-अंग लटकांय।।
#4#
पिचकारी की धार में,फगवारे हैं मस्त।
रोरी रंग गुलाल सें,पर जाबें बे पस्त।।
#5#
फगवारे ढोलक बजा,नचा बेड़नी संग।
राइ न आबै राइ बिन,ऐसी उठत उमंग ।।
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द',पलेरा जिला टीकमगढ़
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09-बृजभूषण दुबे बृज, बक्सवाहा
1-
फगवारे फरके खड़े,हसवें गावें फाग।
प्रेमी संग लुवाए बृज,भाव प्रेम अनुराग।
2-
गलियन गलियन हैं फिरत,लेकें रंग गुलाल।
बृजभूषण मिलवें गले,भूलें सबइ मलाल।
3-
ढुलक नगरिया है बजत,झींका तार मृदंग।
फगवारे घूमें फिरें,बरसे बृज रसरंग।
4-
मलवें गाल गुलाल सें,माँथे तिलक लगाय।
बृजभूषण प्रेमी मिलें,फगवारे हर्षाय।
5-
अहंकार को है दहन,गहन प्रेम को रंग।
शील सकोची मन मिलन,फगवारे सतरंग।
***
- बृजभूषण दुबे 'बृज', बक्सवाहा
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10- डॉ. रेणु श्रीवास्तव (भोपाल)
1
फगवारे द्वारे खड़े, गा रै नोनी फाग।
नचत वेडनी देख के, लगत दिलन में आग।।
2
फाग ईसुरी की भली, फगवारे जो गात।
रंग रगीरे सब पुते, नसा भंग को आत।।
3
अलबेलो सो रूप है, ढोल नगाड़े संग।
राइ हो रही देख लो, फगवारे के रंग।।
4
राइ न आबे राइ से, जब तक फाग न होय।
फगवारे घर घर फिरैं बे ना छोड़ें कोय।।
***
✍️ डॉ. रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
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11-कल्याण दास साहू'पोषक' पृथ्वीपुर
फगवारी हैं राधिका , फगवारे गोपाल ।
तन-मन रँगवे में चतुर,करवें भौत कमाल ।।
फगवारे श्री राम जू , खेली मनकी फाग ।
जग के नरनारी करत , बेशुमार अनुराग ।।
फगवारे हनुमान जू , फाग खेल कें आय ।
मची खलबली लंक में,खल दल दैसत खाय ।।
फगवारे श्री कृष्ण जू , प्रेम रंग दव डार ।
सराबोर भइँ गोपियाँ , महिमा अपरम्पार ।।
फगवारे राणा शिवा , जमकें खेली फाग ।
देश-भक्ति कौ हिन्द में , खूब समारौ पाग ।।
फगवारे हैं बोस जू , भगत सिंह आजाद ।
फाग खेल होगय अमर,करत जगत्तर याद ।।
पोषक फगवारे बनौ , होवै फाग धमाल ।
प्रेम शान्ति सद्भाव की , लैकें रंग-गुलाल ।।
***
-कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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12- प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय - फगवारे
जे फगवारे गांव के, मस्ती में रय डोल।
बड़ी रसीली फाग के,गायँ गुरीरे बोल।।
आज गांवटी फाग में,फागन की है धूम।
बांकीं नचनारीं नचें, फगवारे रय झूम।।
फगवारे नँद गांव के, झेल रहे हैं वार।
बरसाने कीं गोपियां,रईं लट्ठ फटकार।।
रंग रँगीली राधिका, छोड़ें रंग फुहार।
फगवारे बन आगए ,श्री बृजराज कुमार।।
फगवारे मन की करी,कसर न तनक लगाइ।
गोरी गोरी देह पै , डारें रंग कसाइ।।
***
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव 'पीयूष', टीकमगढ़
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13--रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां (निवाड़ी
दोहा फगवारे
1
फगवारे सब झूम रय, ढुलक नगरिया संग।
नच रय गा रय थाप पै, पुलकित होंवैं अंग।
2
फगवारे श्री श्याम जू, ग्वाल बाल लँय संग।
अपने रंँग में रँग रये,फगवारिन के संग।
3
भाँग चडी सो वे खबर, फगवारे रय झूम।
फागें गा रये रस भरीं,गली गली में धूम।
4
गलयारे में देख कें, फगवारन कौ झुन्ड।
छत पै हो रँग डार रइँ, गोरी भर भर गुन्ड।
5
फगवारे जुर देश के, अवध पोंच रय आज।
जितै विराजे राम जू,सफल करत सब काज।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द',नैगुवां (निवाड़ी)
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14--डां.बी.एस. रिछारिया"हर्षित",छतरपुर
बुंदेली दोहे: विषय : फगवारे/फगवारी-
""""""""""""""""""""""""_"""""""""""""""""""""""
फगवारन की फाग सुन
जियरा लेय हिलोर ।
ढुलक नगड़िया बाजती,
गावैं दोरन दोर ।।
फाग कबीरा मधुर धुन ,
गावैं ऊँची तान ।
फगवारे रसिया बड़े ,
चंचल चित मुस्कान ।।
फगवारी श्री राधिका ,
फगवारे बृजराज ।
होरी खेलें रँग भरी ,
रसकनि के सरताज ।।
फगवारी लै लट्ठ सब,
ठांँडी खोरन खोर ।
फगवारे "हर्षित" कहें,
दैबी रँग में बोर ।।
लट्ठ मार होरी भई ,
परी लट्ठ की मार ।
लाल रंग मुइयाँ रँगी ,
चुँअत रंग की धार ।।
***
-डां.बी.एस. रिछारिया"हर्षित",छतरपुर
_
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15-वी. एस. खरे,सरसेर, नौगांव
विषय-फगवारे शीर्षक-होली विधा-दोहा
=================
1-
फगुआ जुरे अथाई पे,
सब मिल करें विचार।
कां गारी खूबइं मिले,
ऊतइं दें घेला डार।।
2-
तीन दिना को होत है,
होली को त्योहार।
पैले दिन होली जरत,
ऊदम करें हजार।।
3-
आओ दुसरो दिन भलो,
हो गए फिर तैयार।
गोंत गिलारे की फाग है,
ऱये खूबइं है डार।।
4-
दिवस तीसरा फाग का,
भाई दोज त्योहार।
टीका होता भाई का,
बहिन करें इंतजार।।
5-
फगवारे मौका तकेँ,
फाग बनाकेँ कात।
सामे सूदी कात वे,
तनक गम्म नई खात।।
***
-वी. एस. खरे,सुरसेर, नौगांव
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16-सुरेश तिवारी,बीना, जिला सागर,म.प्र.
विधा- दोहा
फगुआ लैबे आ गए, फगवारे गा फाग।
रंग बिरंगे हैं सबइ, हियै लगा गए आग।।
कौन कौन के कौन आ, ढका परत नइं जान।
फगवारे सब एक से , कैसें निज पहचान।।
फगवारे रसिया बड़े, गा रसिया औ स्वांग।
औसर पै चूकें नहीं, रँग डारें सब आंग।।
खुरसें पिचकारी सबइ, हांत लगाएं रंग।
गर्राने सबरे फिरें, रँग डारे सब अंग।।
हात पांव नइं कइ करें, आए पी कें भंग।
गुइंयां नीके नइं लगें, हमें इनन के ढंग।।
***
स्वरचित मौलिक
- सुरेश तिवारी,बीना, जिला सागर,म.प्र.
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17-अभिनन्दन गोइल, इंदौर
दोहा.... प्रेम-रंग
उत्सव है ये मिलन का, होली का त्यौहार।
मिट जाने दो दूरियाँ, छोड़ो रंग फुहार।।
*
चलतीं हैं पिचकारियाँ , मिटे मलाल-गुबार।
विखर रहीं रंगीनियाँ , उमड़ रहा है प्यार ।।
*
चूँनर - चोली भींगती , भींग गई सलवार ।
झाँके कंचुकि पार से , यौवन का मद भार।।
*
चञ्चल नैना झुक गये, विखर गये हैं केश।
प्रेम-रंग गहरा गया , हिय में हुआ प्रवेश ।।
*
साजन ने जब मल दिया, आनन लाल गुलाल।
छिपा लालिमा लाज की , चूम लिया प्रिय भाल।।
-----#------
स्वरचित- अभिनन्दन गोइल, इंदौर
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18- - रामकुमार गुप्ता, हरपालपुररंग भरे नीरस जीवन में,
हर्षोल्लास भरे क्षण क्षण में।
प्रीत की रीत सिखाये होली,
बुराई पे जीत दिखाये होली।।
फागुन मास का पर्व ये आया,
घर घर जाता इसे मनाया।
भांति भांति पकवान बनाएं,
सबको मिलकर रंग लगाएं।।
***
- रामकुमार गुप्ता, हरपालपुर
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
19-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश',कर्वी,चित्रकूट
🌹🌹🌹🌹🌹🌹
विविध रंग उपहार- सा, हों खुशियों के रंग।
कष्ट भस्म हों होलिका ,विजयी जीवन जंग ।
अनय -होलिका जल मरी, सुखित भक्त प्रह्लाद ।
मंगलमय हो होलिका , पायें शुभ आह्लाद।
🌹🌷
-रामलाल द्विवेदी 'प्राणेश',कर्वी, चित्रकूट
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*20*- सुशील शर्मा, गाडरवारा
*होली की बधाई*
*चढ़ा प्रेम का रंग सभी पर*
(होली गीत)
चढ़ा प्रेम का रंग सभी पर
होली आई रे भैया
मन मिश्री तन रंग लगाए
नाचें साथी छम -छम-छम
यौवन का उल्लास समेटे
बजे मृदंगा डम -डम-डम
प्रेम, मौज-मस्ती में डूबे
रंग मलें सब अंगों में।
मस्ती में झूमें सब टोली
सरोबार हो रंगों में।
भर -भर रंग गुलाल उड़ाते
कान्हा माधव रे दैया।
मुँह पर सारे रंग लगाएँ
जोकर जैसे लगते हैं।
इस दिन सारे साथी अपने
दुश्मन जैसे दिखते हैं।
ढूँढ़ -ढूँढ़ कर रँगते साथी
घूम रहे सब इठलाते।
रंग बिरंगा मुँह कर देते
गुझिया पापड़ फिर खाते।
आज नहीं बच सकता कोई
चाहे काकी या मैया।
कृष्ण लली के प्रेम रीत का
यह प्रीतम उपहार है।
रंग बिरंगे प्रिय रंगों का
यह अनुपम त्यौहार है।
यौवन जीवन की लय होली
त्यागो नफरत की हाला।
घृणा द्वेष सब भूलो भाई
सुनो गीत होली वाला।
भूल दुश्मनी गले लगाते
गाते सब हैया -हैया ।
आप को नेह और उल्लास के रंगों से सरोबोर पर्व होली की अनंत शुभकामनाएँ ईश्वर आपको सिद्धि-प्रसिद्धि के नवल पथ पर गतिमान रखे।
***
-सुशील शर्मा, गाडरवारा
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
21-जनक कुमारी सिंह बघेल,भोपाल
होली की शुभकामनाएँ
दिल में जो दुर्भावना हो, कटुता हृदय में आ गई हो।
भष्म होली में सभी, आज होना चाहिए।।
प्रेम का सद्भावना का, रंग उर में घोलिए,
खुशियों की पिचकारियों से, भीग जाना चाहिए।।
आइए सौहार्द से, मिलते गले हैं आज हम,
प्रेम का प्रगाढ़ रंग, पक्का हो जाना चाहिए।।
धूप शीत छाँव में, फीका कभी न रंग हो,
होली का पावन पर्व है, संकल्प होना चाहिए।।
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ
-जनक कुमारी सिंह बघेल,भोपाल
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
22 -सुरेन्द्र शुक्ला, सागर (म.प्र.)
कविता :- आसो की होरी
छलकपट और चाल कुचालें
सब बर जाए होरी में।
आसों की जा होरी में।
रोग राई जे राग बिगारे
सब बर जाए होरी में।
होरी की हुरियारी में,
आसों की जा होरी में।
सांचों सूधो प्यार भरो जे,
रंग रंगीली होरी में।
भरे प्यार जा होरी में
आसो की जा होरी में।
मिलजुर के फागें गाएं,
ऐसी नोनी होरी में।
रंग बिरंगी होरी में,
आसो की जा होरी में।
रंग और गुलाल लगाएं,
रंग बिरंगी होरी में।
मस्तानी सी होरी में
आसो की जा होरी में।
मीठो खाएं गुरीरो बोलें,
हीरा सी जा होरी में।
ऐसी नोनी होरी में
आसो की जा होरी में।
अपनी तो चाह जई है
नाचे कूदे गाएं बजाएं
मतवारी जा होरी में।
आसो की जा होरी में।
***
-सुरेन्द्र शुक्ला, सागर (म.प्र.)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
होली विशेष :-
जोगीरा सा ला रा.. सुभाष सिंघई, जतारा
होली के रंगीन पर्व पर आप सभी की सेवा में उपस्थित होकर
जय बुंदेली साहित्य पटल पर रंग विखेरने जा रहा हूँ
इनमें रंग , आप लेखकों कवियों की साहित्य साधना है ,
व चित्रकारी श्री सुभाष सिंघई जी की है |
जिसे मैं राना लिधौरी जय बुंदेली साहित्य के दोनों पटलों ( व्हाटशाप एवं फेसबुक ) पर प्रस्तुत कर रहा हूँ
इतना एक साथ लेखन में मात्रा सम्बंधी कहीं त्रुटि हो तब परिमार्जित भाव से ग्राह करें |
सभी को होली की मंगल शुभकामनाएँ 🌹🌹🌹
लेखन - सुभाष सिंघई ,
प्रस्तुति - राजीव नामदेव " राना लिधौरी "
प्रवंधक जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ म०प्र०
~~~~🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹~~~
1- श्री राजीव नामदेव " राना लिधौरी " जी
चौकड़िया :-
कत हैं सब अब बारी-बारी ,बात करत है प्यारी।
पटल बनो है जय बुंदेली,महिमा लगतइ न्यारी।।
राना जू ने सबखौ जोरौ, लगत सृजन अवतारी।
मान राखतइ कात सुभाषा, सबखौ दैकें भारी।।
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सिलबट्टा पर घोंट रय , छै तौला लयँ भाँग |
चुअत पसीना पौंछ रय , सबइ भिड़ा गवँ आँग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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2- श्री आशाराम वर्मा नादान जी
चौकड़िया
काव्य सृजन की डोरी थामी , सब कहते कवि नामी |
कलम आपकी लगती सबको , सदा सृजन पथ गामी ||
बुंदेली भी सुंदर लिखते , रखें न कौनउँ खामी |
फिर जब ये नादान बनत हैं , कोउँ भरत न हामी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
ठंडाई में पी गये , भँगिया तोला चार |
हुरयारन खौं छेंक रय, कत गाऔ सब यार |😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~
3- श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
चौकड़िया
गोकुल यादव गुनियाँ जानो , परखइयाँ भी मानो |
नजर रखत है पैनी अपनी , चूकत नहीं निशानो ||
सबखौं पढकै देत सला हैं , करतइ नहीं बहानो |
कात सुभाषा हीरा है ये , सब इनखौं पहचानो ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
गोकुल भैया दूध की , कुल्फी रयै बनाय |
सुर्त भूल गय भंग से , पानी दओ जमाय || 😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
4- श्री कल्यानदास साहू , पोषक जी
चौकड़िया
रखें सृजन से अच्छा नाता , काव्य विधा के ज्ञाता |
बहुत सरल है सीधे सच्चे , पूजत शारद माता ||
मथकर लिखते जब कविता खौं , मख्खन ऊपर आता |
कात सुभाषा शिक्षक पोषक , आज ज्ञान के दाता ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पानी में भजिया तलें , गये तेल खौं भूल |
चढ़ी करइया हँस रयी , हुई भंग से झूल ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
5-श्री संजय श्रीवास्तव जी मबई / दिल्ली
चौकड़िया
संजय जी की बात निराली , कला क्षेत्र में आली |
आज बजाता शब्दों से मैं , अभिनंदन की ताली |
काव्य शिल्प में भाव अनूठे , देते आकर लाली |
कहत सुभाषा आप सदा ही, करते हो उजयाली ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
ऐसी कैसी भंग है , संजय करें विचार |
धना कहे भाजी घुटी , पहले करो निहार || 🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
6- श्री अमर सिंह राय जी नौगाँव
चौकड़िया
अमर राय की अमर कहानी, लगत सबइ खौं ज्ञानी |
सदा सृजन में उतराता है , मनन लगन का पानी ||
गहरे रखते भाव हमेशा , बात सुभाषा जानी |
फूल झरत-सी सासउँ लगतइ , सदा आपकी बानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
भंग नशा जब चढ़ गया , अमर गए तब भूल |
बीवी बच्चे डाँट रय , घर समझा स्कूल ||
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
7- श्री डां देवदत्त द्विवेदी जी "सरस '"
चौकड़िया
देवदत्त जी सबसे न्यारे , कविता पुंज हमारे |
यह बुंदेली के हीरा जानो , सबखौं लगते प्यारे ||
हर शब्दों में गहराई है , रचते छंद सुखारे |
सरस कहें कविवर सब इनखौ , बड़ा मलहरा बारे ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
देवदत्त भँगिया धरैं , सबइ खूब टुनयाँय |
हमखौं गोली पैल दो , ठंडाई से खाँय ||
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~
8- श्री एस आर सरल जी
चौकड़िया
एस आर जी सरल हमारे , लिखें छंद सब न्यारे |
भाव सभी में उमदा रखते , सबखौं लगते प्यारे ||
दोहा कुंडलिया चौकड़ियाँ , सबमें दिखें उजारे |
कात सुभाषा इतना जाने , लेखन में शशि-तारे ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
बटी घुटी फिर है छनी , सब यारो के संग |
जहाँ सरल जी पी गयै ,छै तोला तक भंग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~
9- श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष जी
चौकड़िया
पीयूष सरस है कवि चंदन , मात शारदे नंदन |
विनय भाव से लिखते हरदम, खिले सृजन का उपवन ||
शब्द शिल्प में गंध मिलत है , गूँजें स्वर भी खनखन |
कहे सुभाषा इस अवसर पर , आप पटल के दरपन ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😄
भंग छानकर आ गये , घर पर श्री पीयूष |
फिर भी पा फटकार गय, दो लोटा का जूश ||🙆♂️🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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10- श्री भगवानदास लोधी अनुरागी जी
चौकड़िया
मित्र सभी है सच बड़भागी , मिले इतै अनुरागी |
लोक भजन बुंदेली गाते , लगते सभी सुहागी ||
खोज-खोज कै काव्य रचत हो,जला ज्ञान की आगी |
सबइ छंद की कात सुभाषा , लगन आपमें जागी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
अनुरागी जी भी दिखे , होली के हुड़दंग |
धीरे- धीरे खा रयै , रखी जेब में भंग ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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11- श्री प्रमोद मिश्रा जी
चौकड़िया
बुंदेली की बालूशाही , परसत हैं मनचाही |
खोद- खोज कै शब्द लियाबें , बनें शारदे माही ||
हम प्रमोद की सदा पढ़त हैं , नौनी सब कवितायी |
कात आपकी सोइ सुभाषा , पुजबें कलम सियाही ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग विचारी क्या करै , समझो उसकी पीर |
दस तोला भी कम परै , ऐसौ धरौ शरीर ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~`~~
12- श्री जी पी वर्मा मधुरेश जी
चौकड़िया
जी पी वर्मा लगे पुराने , दोहा लिखें सुहाने |
चौकड़िया भी लिखते जाते , बुनकर ताने बाने ||
आए है यह जय बुंदेली , सबका साथ निभाने |
कात सुभाषा सब चंदन है ,इनके कविता दाने ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग चढ़ाकर कह उठे , वर्मा जी मधुरेश |
रबड़ी लाओ और अब ,मुझको आज विशेष ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~
13 - श्री जयहिंद सिंह जी
चौकड़िया
बुंदेली के हीरा सानी , सबने यह हैै मानी |
लोकगीत के नायक तुम हो ,और भजन के ज्ञानी ||
आप श्रेष्ठ है गायक कहते , कहें गीत रजधानी |
कात सुभाषा सागर हो तुम , गहरा जिसमें पानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
छै तोला भँगिया लई , सिलबट्टा पर घोंट |
देखे है जयहिंद जी , खाते उसको चोंट ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~
14- श्री शोभाराम दाँगी जी
चौकड़िया
शोभाराम सुहाने जानो , मेरी कइ सब मानो।
कलम हमेशा इनकी चलती, गावें गीत लुभानो।।
बुंदेली माटी के मोती , हम भी कैवैं कानो।
जो भी रचतइ आप इतै हो,सबखौं लगे सुहानो।।
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
घूमे होरी के दिना , लैके अपनी भाँग |
खिला दई जब गाँव खौ , रुकी तबइ है टाँग ||🤓🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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15- श्री रामानंद पाठक नंद जी
चौकड़िया
सीधे सच्चे बोलें वानी , छंद विधा में सानी |
भाव भरे यह शब्द लिखत हैं , जिसमें कंचन पानी ||
हम कहते है गुरू इन्हें अब, जानें पूरा ज्ञानी |
क्षेत्र ओरछा केशव नगरी , लगते नंद निशानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रामानंदी भाँग है , कहते सब मिल खाव |
पंडा हमखौ मानकै , दान दक्षिणा लाव ||🙄🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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16- श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
चौकड़िया
कैमस्ट्री में कविता मचती , सबइ जनन खौ जचती |
बनत चासनी बुंदेली की , सबइ जनन खौं पचती ||
कर्म क्षेत्र सब है विज्ञानी , पर कविता भी रुचती |
पढ़े आपके शब्द सुभाषा , हृदय कली तब नचती ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रंग मिलाया भंग में , सर जी करें प्रयोग |
कहते मिलकर आइये , और लगाओ भोग ||🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
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17- श्री श्यामराव धर्मपुरीकर जी गंजबासौदा
चौकड़िया
श्याम राव जी कलम सुहानी , मित्रों ने पहचानी |
सभी छंद यह लिख लेती है , शब्द शिल्प है सानी ||
भाव अर्थ सब गहरे होते , लिखते नई कहानी |
बड़े प्रेम से सुनें सुभाषा , इनकी मीठी वानी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग रंग पर लिख रहे , धर्मपुरीकर छंद |
लिखते है यह छंद में , भंग सदा आनंद || 🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~
18- श्री प्रदीप खरे 'मंजुल',जी
चौकड़िया
है प्रदीप जी कलम सिपाई , ताकत पूरी पाई |
अखबारों में भी लिखते है , दोहा में अगुबाई ||
बुंदेली हीरा है जानो , रखे साफ दिल भाई |
शिष्य हमारे रहे कभी यह , उमदा करी पढाई ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रंग भंग का दिख रहा , कहते मेरी चाँद |
सुनौ चंद्र से कम नहीं , लेवँ गाँठ में बाँद ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~
19-आद० दीदी आशा रिछारिया जी
चौकड़िया
दीदी कहलाती है आशा , बुंदेली परिभाषा |
सृजन मनन चिंतन है आगे , हटती दूर निराशा ||
ध्यान हमेशा रखती दीदी , रखती है अभिलाशा |
सार लिखूँ में पाई- पाई , रत्ती तोला माशा ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
दीदी भजिया तल रहीं , मिली हुई है भंग |
कहती सब मिल आइयै , लिए साथ में रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~`~~~~~~~~~
20 -आद० बहिन विद्या चौहान जी
चौकड़िया
आप पटल पर जब भी दिखतीं , अच्छा ही सब लिखतीं |
भाव शब्द की कलियाँ सुंदर , यहाँ मधुर सब खिलतीं ||
शिल्प आपका कसा रहे सब , आपस में गति मिलतीं |
सृजन आपका लय में रहता ,कड़ियाँ कभी न हिलतीं ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
मिली भंग में रंग की , पुड़िया बस दो चार |
खिला रहीं सबको बुला , गुजियाँ सब रसदार ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रा रे
~~~~~~~~~~~
21- श्री वीरेन्द्र चंसौरिया जी
चौकड़िया
दिखे काव्य में छटा निराली , शब्दों में उजयाली |
सृजन सजग रहता है हरदम , अच्छी देखा भाली ||
आप सफल संचालन करते , सभी बजाते ताली |
आप मनोहर जय बुंदेली , काव्य विधा में आली ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
अजब हाल है भंग का , सबको दिया परोस |
खुद खानेे से बच रहे , रखकर पूरा होस ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~
22 श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.जी बडागांव
दोहा -;
इंदु जी का जब मिले , पढ़ने को साहित्य |
भाव शब्द गहरे दिखें , साथ रहे लालित्य ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग कहाँ पर है घुटी , करें इंदु जी खोज |
मिलती खाने को जहाँ , भरें वहीं से ओज ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~
23- श्री मूरत सिंह यादव जी
दोहा
दोहों से करने लगे , मूरत जी अब बात |
बुंदेली साहित्य के , बने आप सौगात ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पहली-पहली बार जब, चखा भंग का स्वाद |
तब से श्रीमन् कह रहे , भंग रहे आबाद ||🤑🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~~
24 -श्री विद्याशरण खरे जी
दोहा
लिखते दोहा आप जब , सुंदर लाते भाव |
शुभ सरवर साहित्य में , खूब चलाते नाव ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सोच रहे है भंग के , क्या होते गुण दोष |
इसीलिए पीकर चखी , लेकिन खोए होश ||🤔🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~~
25- श्री बी एस रिछारिया जी
दोहा
दोहों में अब देखते , आने लगा निखार |
लगते आज रिछारिया , है दोहा बौछार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
खाते जाते भंग है , होते जाते मस्त |
हाल देखकर भंग भी , आज हुई है लस्त ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~
26- श्री बृजभूषण दुवे जी
दोहा
लिखते अपनी धुन सदा , रखते भाव विचार |
कविता रानी जय कहे , बृजभूषण सरकार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
बृजभूषण दादा यहाँ , जमा रहे है रंग |
देती इनका साथ है, छै तोला की भंग ||😇🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~
27- श्री सरस कुमार जी दोह
दोहा
सरस लिखे कविता सरस , रखते सरस विचार |
बुंदेली का यह पटल , करें सरस मनुहार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
भंग सरस इनको लगे , सरस लगे ठंडाइ |
सरस घोल मुख से चखें , करते सरस बढाइ ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~
28-श्री नरेन्द्र जी गाड़रवारा
दोहा
भाव शिल्प शुभ देवता , धनी कलम हैं आप |
जय बुंदेली इस पटल , सदा छोड़ते छाप ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
सोच रहे यह भंग की , क्या होती तासीर |
पीकर जब इसको चखी , लगते बड़े अधीर ||
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~
29-श्री ---सुरेश तिवारी जी बीना
दोहा
कविता करना जानते , भाव शिल्प सब नूर |
स्वागत करता है पटल , आप लिखें भरपूर ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
पीने को यह खोजते , कहाँ मिलेगी भंग |
होली के त्योहार में , खिल जाएँ सब रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~
3०-आ० डा० रेणु श्रीवास्तव जी
दोहा
लिखती सुंदर आप हो , अच्छे रखतीं तथ्य |
मिलते है साहित्य में , लिखे आपके कथ्य ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
होली पर गुजिया बनी , लगे बहुत रसदार |
भंग जरा-सी दी मिला , होली का उपहार ||😁🙏
जोगीरा सारा रा रा रे
~~~~~~~~~~~~~~
31-आद० कविता नेमा " काव्या " जी
दोहा
काव्य सरस कविता लिखें , यथा नाम गुण काम |
शब्दों का जादू दिखे , काव्या में अभिराम ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
दूध मलाई केशरी , डाली उसमें भंग |
काव्या जी फिर कह उठी , डाल पियो रस रंग ||
जोगीरा सारा रा रा रा रे
~~~~~~~~~
32- श्री सुभाष बालकृष्ण सप्रे जी
दोहा -
कामयाब कोशिश हुई , आने लगा निखार |
दोहे है अब संतुलित , जिसमें मिले विचार ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
रँग लेकर अब उड़ा रहे ,सँग है लाल गुलाल |
रखते भंग तरंग है , होली में हर साल ||
जोगीरा सारा रा रा रा रे
~~~~~~~~
33- आद० जनक कुमारी सिंह बघेल जी
चौकड़िया
अच्छा लिखतीं जनक कुमारी, कलम लगी है न्यारी |
मुक्तक दोहा जब हम पढ़ते , तब यह बात विचारी ||
लिखें ध्यान से आप सदा ही , सृजन बने सुखकारी |
पुजे आपकी कलम सुभाषा , कहता बात प्यारी ||
होली का जोगीरा टेपा दोहा -🌹🙏😁
लस्सी में भँगिया मिला , कहें करो स्वीकार |
पीते जाते मित्र सब , कहते गजब बहार ||😇🙏
~~~
3़4- रचनाकार - सुभाष सिंघई
चौकड़िया
मौसी मेरी विद्यामाता , जिनसे रखता नाता |
यहाँ लक्षमी मैया मेरी , कहती मुझे सुहाता |
आता जाता जो भी सीखे ,सबको कभी बताता |
कात सुभाषा थोरौ जानत ,नहीं बड़े हम ज्ञाता ||
जोगीरा दोहा
खाइ सुभाषा भंग है , आई बहुत उमंग |
सब पर लिखकर डालता , काव्यमयी यह रंग ||🙏🙏🌹
जोगीरा सारा रा रा रा....
~~~~~~~~~~~~~~
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
जोगीरा सा रा रा रा.. सुभाष सिंघई, जतारा
प्राप्त प्रतिक्रियाएं :-
*1*
वाह्ह वाह आदरणीय बेहतरीन छापें ठोकी हैं।
ठोकठाक के दै दईं, नौनी नीकी छाप।
सबरै भैया बैन हौ, पियो चकाचक आप।।
जोगीरा सारारारा
- सुरेश तिवारी, बीना
*2*
बहुत ही सुन्दर भाव समेटे आपने
*टेपा -*
सूरज जैसे भाव समेटे
चंदा जैसे बोल
बहुत सरल, गुण वाले है जी
आप बहुत अनमोल
सूरज ( उज्ज्वल)
चंदा (शीतल)
जोगीरा सा रा रा रा रा
*सरस कुमार (दोह)*
*3*
भइया सिंघइ सुभाष जू, हीरा हैं अनमोल।
सबकी बड़वाई करी, भंग रंग में घोल।।
जोगीरा सा रा रा रा
-प्रभुदयाल श्रीवास्तव'पीयूष', टीकमगढ़
*5*
जोगीरा,,,
प्रेम का रंग चढ़ा श्याम पर,
दीन्हो राधा डार,
ऐसा रंग कभी न निकले,
है रंग की बलिहार,,,,जोगीरा सारा रा रा
-विद्याशरण खरे,सरसेर
*6*
जोगीरा रचि कै दई ,
हँसि हँसि मन की बात ।
होरी लगै सुहावनी ,
जरहै आधी रात ।।
-वी.एस. रिछारिया,छतरपुर
*7*
आदरणीय दादा सादर प्रणाम
रंगों का त्योहार होली की हार्दिक शुभकामनाएं।
( मुक्तक )
"काव्य कला के आप पारखी,छंद शास्त्र के ज्ञानी।
हो जाबै यदि काव्य सृजन में,हम सें कउॅं नादानी।
गढ़-गढ़ खोट निकारत रइयौ ,काॅंचे घट की नाईं।
गुरू होत है पारब्रह्म सम,दूजो नइॅंयाॅं सानी ।।
(जोगीरा दोहा)
जोगीरा पढ़ कैं उठी , मन में हमें उमंग ।
भॅंगिया खाई आपने , चढ़ गव हमपै रंग।।
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुरी
( स्वरचित ) 24/03/2024
*8*
परम आदरणीय श्री सिंघई जी बुन्देली साहित्य समूह टीकमगढ़ के मानो पितामह हैं ।इतने सहज सरल बहुमुखी प्रतिभा के धनी किसी को भी सौभाग्य से प्राप्त होते हैं। परम आदरणीय सिंघई जी के साथ आदरणीय राना जी को विस्मृत नहीं किया जा सकता। आदरणीय सिंघई जी ने काव्य के माध्यम से समस्त कलमकारों की काब्य कला का जो वर्णन किया है वह अनुपम है। हृदय से कवि द्वव का आत्मीय आभार।
उम्दा करके कविता नोनी,
कर दइ रुच कें बोनी।।
जैसी आय बनाकें कै दइ,
नें खारी में रोनी।।
भीष्म पितामह सबके तुम हो,
कवि सुभाष जू ज्ञानी।
लम्बी उमर तुमाई होबै,
शारद के वरदानी।।
"अनुरागी" राना सुभाष की,
नैयां कौनऊॅं सानी।।
-भगवान सिंह लोधी अनुरागी ,हटा
*9*
आदरणीय आप जैसे मनीषियों की छत्रछाया पाकर हम धन्य हैं बहुत सुंदर रचनाएं हैं।
-मूरत सिंह यादव, दतिया
*10*
हम क्या करें समीक्षा , इतना कहां विवेक ।
गुरु सुभाष ने जो लिखा, वह लाखों में ऐक ।।
पटल को नमन
👏👏-आशा राम वर्मा नादान, पृथ्वीपुर
श्री सिंघइ साहित्य की,पिचकारी रय मार।
भूल चूक होती जिते,देते वही सुधार।।
जोगीरा सा रा रा
- एस. आर. सरल, ठीकमगढ़
*12*
हिन्दी बुन्देली के हीरा, चमकें सिंघई सुभाष।
ध्रुव तारा सी होय बुंदेली, राना की अभिलाष।।
जोगीरा सारारारा
नामी कवि वर्मा जू कहिए, तुम कैसे नादान।
गोकुल यादव पक्के गुनिया, चूकें नहीं निशान।।
जोगीरा सारारारा
बुन्देली के हीरा कहियत शोभाराम सुहाने।
रामानंदी भंग नंद जू, पी पी बिकट अघाने।
जोगीरा सारारारा
आशा दीदी तोला माशा, विद्या बैन सुशिल्पी।
मंच सफल संचालन कर्ता, बीरन ने जी भर पी।
जोगीरा सारारारा
सबद भाव गंभीर इंदु की, कविता है ओजस्वी।
दोहन में बातें करते हैं, मूरतसींग मनस्वी।।
जोगीरा सारारारा
सरस द्विवेदी देवदत्त जू, उत्तम कविता पुंज।
हम जैसे सब गानों गुरिया, मनौ सरस जी गुंज।।
जोगीरा सारारारा
-सुरेश तिवारी, बीना
*14*
गुनियाँ बड़े सुभाष जू, गुनत पटल पै रोज।
राना जी ने है करी, भौत अनौखी खोज।।
जोगी जी सारा रारा
- अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निवाड़ी
*15*
रचना सुंदर रच दई ,
कविवर हरषि सुभाष ।
होली की शुभकामना ,
मधुर हास परिहास ।।
-डां.वी.आर.रिछारिया, छतरपुर
*16*
दादा भले सुभाष जी, कविवर बड़े महान।
सबके बारे में लिखा, दिया सभी को मान।।
जोगीरा सा रा रा रा
-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़
*17*
** रंगोत्सव - 2024 ** की समीक्षा करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा दुष्कर कार्य है।
बुंदेली भाषा में जो माटी की चंदन जैसी सौंधी-सौंधी महक बसी हुई है, वैसी सुगंध आज प्रस्तुत * * रंगोत्सव-2024 * * की सभी 32 सम्मानित साहित्यिक मनीषियों के लिए....उनकी शान में सृजित चौकड़िया एवं दोहा छंद में महसूस हुई।
बहुत ही खूबसूरत भावपूर्ण उत्कृष्ट - जोगीरा सारा रा रा रा के रचना सम्राट
श्रद्धेय सुभाष सिंघई जी निश्चित रूप से उनकी प्रशंसा हेतु हार्दिक बधाई जैसे...शब्द कम पड़ते हैं। वे निर्विवाद रूप से जय बुंदेली साहित्य समूह पटल के पितामह हैं (आदरणीय भगवान सिंह लोधी जी ने सुंदर उपाधि से नवाजा है)।
बहुत सुंदर रंगमयी आयोजन की शानदार प्रस्तुति के लिए श्रद्धेय राजीव नामदेव राणा लिधौरी जी न केवल पटल, अपितु बुंदेली भाषा के लिए किए जा रहे उनके अथक परिश्रम और उनके सदप्रयासों के द्वारा लगातार ऐसे आर्कषक अवसर प्रदान करना...हम रचनाकारों के लिए सोने में सुहागे के समान है।
-
राना जी अरु सिंघई, रचते नवल कमाल।
रंगोत्सव चौबीस रच, सुंदर रचा धमाल।।
जोगीरा सारा रा रा रा
आज पटल रंगीन यह, दिखते रंग हजार।
रंगोत्सव की धूम नव, अनुपम यह बौछार।।
जोगीरा सारा रा रा रा
~ श्यामराव धर्मपुरीकर
गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*18*
आदरणीय सिंघई जी आपकी रचनाओं को पढ़ कर हदय गद गद हो गया । आप बहुत ही श्रेष्ठ कलमकार हैं आपकी भावनाओं की कद्र करते हैं।
प्रेम रंग में हम रगे,भिदौ हमारे अंग।
नजर नेह नौनों लगौ,पाव सिंघइ कौ संग।
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
*19*
आदरणीय श्री सुभाष सिंघई जतारा व आदरणीय राजीव नामदेव राना जी को बहुत बहुत होली की शुभकामनाऐं व अनंत बधाईंयाँ।
हैं सुभाष साहित्य
के,हीरा पन्ना खान ।
कालौं उपमा गाँए हम,राना बड़े निधान ।।
फूल खिलाते बाग में,जानें विधा अनेक ।
सिंघइ जतारा शहर की,राखैं कलम विवेक ।।
सीख रहे हम आप सैं,दोहा छंद विधान ।
जय हो श्रेष्ठ सुभाष की,राना का जयगान ।।
जोगीरा सारा रा रा
-शोभारामदाँगी नंदनवारा
*20*
🌹
सृजन कल्पना शब्द का, देखा अजब कमाल।
सिंंघइ बँधु की कलम से,उड़ी सनेह गुलाल।।
🌹
शब्द शिल्प के रंगों की अद्भुत छटा बिखेर रंगोत्सव को विशिष्ट बनाने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद, होली पर्व पर हार्दिक शुभ कामनायें 🌹🙏🏿🌹
-आशा रिछारिया, निबाड़ी
*21*
शब्दों से आदर दिया, सिंघई जी ने साज।
होली के इस रंग में, पटल सजा है आज।।
आदरणीय सिंगई जी के शब्द शिल्प की समीक्षा करने हेतु शब्द ही नहीं हैं इतना उत्कृष्ट लेखन देखकर मैं निःशब्द हूँ।👍👍👍👍
होली की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ.रेणु श्रीवास्तव भोपाल 🙏
*22*
राना जी और सुभाष जी की करती कलम कमाल।
कवि रूप या समीक्षक, दिखलाते धमाल।।
जोगीरा...सारा रा रा
हार्दिक शुभकामनाओं सहित।
नमन कलम।
- नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा
*23*
रंगोत्सव की सभी को शुभकामनाएं....
राना, बुंदेली के हीरा, रचें भाव गम्भीरा।
गोकुल, पोषक,पीयूष,अमर, हैं नादान अधीरा।।
प्रभुदयाल,भगवान,सरल सी, अनुरागी की पीरा।
दांगी, मंजुल, मूरत, नेमा,भूषण, 'इंदु' कबीरा।।
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी (उप्र.)
*24*
आज होलिका दहन के अवसर पर इस मंच के वरिष्ठतम साहित्यकार श्रद्धेय सुभाष सिंघई जी द्वारा चौकड़िया छंद और होली के जोगीरा टेपा दोहे के माध्यम से जो शब्दचित्र उकेरे हैं उनकी विशेषता मुझ जैसा व्यक्ति किन शब्दों से करे, उनके बारे में मेरा कुछ कहना छोटे मुँह बड़ी बात होगी। फिर भी उनके बारे में टूटे- फूटे शब्दों में दोहों के माध्यम से कुछ कहने की हिमाकत कर रहा हूँ। दोनों में पटल के बड़े- बुजुर्गों के नाम, उपनाम आदि लेने की जो धृष्टता की है और जिनके नाम छूट गए हैं उसके लिए मुझे क्षमा करेंगे। जल्दबाजी में दोहों के दोष न देखते हुए मेरे मन के भाव समझेंगे ऐसा मुझे विश्वास है।🙏
अच्छी करी विवेचना, चौकडिया के संग।
आकर्षित सबको किया, भाया लेखन ढंग।।
सबके बारे में लिखा, किया पूर्व में शोध।
सबके मन हर्षित हुए,भाषा लिखी सुबोध।।
समालोचना से अमर, आता बहुत निखार।
लेखन में होता सदा, काव्यमयी श्रृंगार।।
टेपा दोहा हास्य का, पढ़कर हुए निहाल।
सोच रहे सब आपने, कैसा किया कमाल।।
गुरुवर दादा सिंघई, रखें छंद में ज्ञान।
छोटा हो या हो बड़ा, देते सबको मान।।
छंदों की बारिकियाँ, लेखन के गुण- दोष।
अगर देख लेते 'अमर', मिल जाता संतोष।।
लघु- गुरु मात्रा दोष के, बिरले जाननहार।
दोष सृजन में देखते, लिखते तुरत विचार।।
अटका जब-जब भी अमर, पूछी है हर बात।
दूरभाष इनको किया, दिन हो या फिर रात।।
शोभा हैं साहित्य की, हैं समूह की शान।
भरे हुए हैं ज्ञान से, किन्तु नहीं अभिमान।।
बनी रहे मुझ पर कृपा, मिलता रहे दुलार।
ईश्वर से है कामना, जीवें बरस हजार।।
सरिता में साहित्य की,जब अटके जलयान।
पार लगा देना तुरत,करे 'अमर' यदि ध्यान।।
बुन्देली साहित्य ग्रुप, में सब ज्ञानी वाग्य।
मुझको मिले प्रबुद्धजन, यह मेरा सौभाग्य।।
राना जी से सीखते, हम रखना अभिलेख।
हर छोटी सी बात को, करें नहीं अनदेख।।
गोकुल जी जयहिंद जी, देवदत्त नादान।
संजय सरल प्रमोद जी,सभी गुणों की खान।
प्रभुदयाल पीयूष जी, विद्या जी चौहान।
पोषक आशा इंदु जी, जिनसे ग्रुप की शान।।
बृजभूषण मंजुल खरे, दांगी जी श्री नंद।
अंजनि मूरत जी सप्रे, लिखें चौकड़ी छंद।।
अभी नाम हैं और भी, नेमा रेणु सुरेश।
बी एस विद्या जी शरण,जनक नरेंद्र अशेष।।
छोटे मुँह बातें बड़ी, अब करता मैं बन्द।
होली में सबको मिले, जी भर के आनन्द।।
होली की शुभकामना, अच्छा हो त्योहार।
खेलें होली प्रेम से, करें नहीं तकरार।।
कही सुनी सब क्षम्य हो,समझ मुझे मति मंद।
जो मन में आया कहा,लिखा नहीं छल-छंद।।
-अमर सिंह राय
नौगांव, (मध्य प्रदेश)
*25*
आ. श्री राजीव जी और आ. श्री सुभाष भाई जी और पटल के सभी गुणी जनों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। श्री सुभाष भाई जी आप ने आज पटल पर होली का दरबार सजा दिये। सभी की खूबियों को शब्दों में ढालकर परमानंद की अनुभूति प्रदान की। हृदय की गहराई से अनंत आभार।
अभिवादन स्वीकारिये, सबको करूँ प्रणाम।
जय बुंदेली मंच का, जग में रौशन नाम।।
भाई जी करते सदा, सीधी सच्ची बात।
दिये सभी को पर्व पर, होली की सौग़ात।।
जय बुंदेली मंच पै, होरी की जा धूम।
जोगीरा की तान पै, सबइँ जनें गय झूम।।
टेपा
भाँग पिलाए इक दूजे को, बहके चार सियार।
डर के भागे सब जंगल में, आया चौकीदार।।
जोगीरा सा रा रा रा रा…
~विद्या चौहान, फरीदाबाद
*26*
प्रतिक्रिया के दोहे.....
राना कौ पाना लगो,दय सुभाष ने खोल।
सबके पैयन के खुले,बोल्ट सबै अनमोल।।
मन की बन्द किताब के,पन्ना धरे उकेल।
भाँग घोंट करें पिया दई,रय सब बाबा खेल।।
नौनी बानी बोलबै,है सुभाष बौ नाव।
राम नाम राना बनें,बस गाव कवियन गांव।।
सागर कौ मंथन करो,काड़े रतन तमाम।
धन्यवाद शतवार लो,करो अनौखौ काम।।
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा(टीकमगढ़)
*27*
बड़े बड़े कविराज ,
राजहिं सुंदर मंच महुँ ।
काव्यात्मक आगाज ,
सहज सिखावहिं लेखनी ।।
स्वागत अति आदर सहित ,
सादर करहुँ प्रणाम ।
ज्ञान प्रदायक ग्रुप यह ,
आनँदमय अभिराम ।।
प्रतिभाशाली लोग सब ,
रचना रचि बेजोड़ ।
कवियन में लागी रहे ,
शुचि साहित्यक होड़ ।।
मातु शारदे की कृपा ,
बनी रहहि नित भाइ ।
काव्य सृजन मनहर सरस ,
"हर्षित" मनहिं मुहाय ।।
व्यस्तता के कारण समय नहीं दे सका मंचासीन आप सभी सरस्वती पुत्रों को होली के पावन पर्व पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित मंगलमय बधाई स्वीकार हो ।
आप सभी का विद्यार्थी-
-डां.वी आर रिछारिया"हर्षित",छतरपुर
*28*
होली का इतना सुंदर माहौल और शब्दों के माध्यम से प्रत्येक कवि ,साहित्यकार की जो छवि दिखाई है ,वो आपकी कुशाग्र बुद्धि ,प्रखर लेखनी का परिचायक है । ह्रदय से बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं आपका
🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
*शब्दों की बौछार से ,हुआ रंग एहसास ।
प्यार मिला है आपका , मन में है उल्लास ।।
आया होली पर्व है ,लगे आज कुछ खास ।
आयोजन इतना मधुर ,जैसे फूल पलास ।।
होली की अनंत शुभकामनाएं के साथ 🙏🏻🙏🏻
-कविता नेमा, सिवनी
*28*
दादा भले सुभाष जी, कविवर बड़े महान।
सबके बारे में लिखा, दिया सभी को मान।।
जोगीरा सा रा रा रा
राना जी ने पटल पर, सबको दिया मिलाय।
सबने अपने हुनर का, रंग दिया बिखराय।।
जोगीरा सा रा रा रा
-संजय श्रीवास्तव, मवई
दिल्ली
*29*
कुण्डलिया
राना जी राजी रहें,करें सदा विश्वास।
बृजभूषण यह मानते,अनुभव शील सुभाष।
अनुभवशील सुभाष,सभी को नित समझाते।
देते साजी सीख ,उचित जो राह बताते।
होली उत्सव आज,मानए लगे सुहाना।
मिलजुल किया प्रयास,सुभाषा उत्तम राना।।
***
-बृजभूषण दुबे बृजबकस्वाहा
*30*
परम आदरणीय श्री सुभाष जी की काव्य कुशलता को सादर प्रणाम करता हूंँ। आपने अनोखे अंदाज में पटल पर जो होली के रंग बिखेरे हैं,उन रंगों में सराबोर होकर हम सभी रचनाकार भाव-विभोर हैं, निःशब्द हैं। आपके समुचित मार्गदर्शन में हम सभी ने बहुत कुछ सीखा है।आपको हृदय की गहराई से होली की अशेष शुभकामनाएंँ एवं उत्तम स्वास्थ्य सहित सुदीर्घ जीवन की मंगल कामनाएंँ प्रेषित करता हूंँ 🙏🌹
कुछ दोहे:-
अद्भुत क्षमता के धनी,
मनहर कविताकार।
आदरणीय सुभाष जू,
नमन करूँ शत बार।।
******
आप पटल के काव्य गुरु,
आप पटल की शान।
देते रहते हैं सतत,
काव्य कला का ज्ञान।।
******
चौकड़ियाँ:-
बरसे रंग-बिरंगे बादर,
रँगी पटल की चादर।
बुन्देली कौ मंच बिरज भव,
भय सुभाष जू गिरधर।
छंदन के सरताज अपुन हौ,
नमन अपुन खों सादर।
हिन्दी कविता कानन केहरि,
कवि कुल कुमुद कलाधर।।
*******
खेली बड़ी अनौखी होरी,
ऐंन करी बरजोरी।
बाँकी चली कलम-पिचकारी,
सब पै थोरी-थोरी।
रचनाकार सबइ रँग डारे,
संगै भँगिया घोरी।
गोकुल कौ स्वीकारौ सादर,
पद-बंदन रँग-रोरी।।
***********************
आदरणीय राना जी एवं सभी रचनाकार महानुभावों को होली की हार्दिक शुभकामनाएंँ🌹🙏
**********
आँखों में परेशानी के कारण विगत सप्ताह मंच पर उपस्थित नहीं रह सका,इसका अफसोस है। किन्तु अब पूर्ण स्वस्थ हूँ।और आप सब के बीच हूँ।🙏
पुनः सभी साथियों को होली के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएंँ🌹💐🙏
-गोकुल प्रसाद यादव ,नन्हींटेहरी
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
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💐😊 फगवारे (काव्य संकलन)' 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 133वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-3-2024
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड, भारत-472001
मोबाइल-9893520965
4 टिप्पणियां:
आदरणीय राना जी एवं आदरणीय सुभाष सिंघई जी की नौनी जोड़ी ने फगवारे रच कैं , एक कालजयी कृति बना दई। सो जब पढ़वे बैठे सो का कानै , आनंदई आ गओ। ऐसो लगो जोगीरा वारे टेपा दोहा पढ़ कैं तौ, कै बिना भंग खा कै ई, मन भंग खाओ सो हो गओ। और कविताएं , फगवारे तौ का काने , आहाहा भौताई सुंदर सृदन करो है, सबई कवि कवित्रियन नें। भौत भौत धन्यवाद🙏🙏जा ई - बुक भेजवे के लाने । आत्मीय आभार भैय्या राना जू। हाथ जोर कै सबई खौं होरी की हार्दिक शुभकामनाएं हमाई तरफ सैं। -शोभा शर्मा छतरपुर सें -उपन्यासकार , कथाकार , कवियित्री,आकाशवाणी कलाकार।
शानदार सृजन का संग्रह इस ई बुक में किया गया है | प्रारंभ में कवियों के होली के अवसर पर फगवारे विषय से रंग उड़ेले गए है , तत्पश्चात जय बुंदेली साहित्य समूह के नियमित लेखक / कवियों के व्यक्तित्व और सृजन पर एक -एक चौकड़िया व एक- एक रंगीन होली दोहा जोगीरा समाहित किए गये है , व इसके बाद लेखक / कवियो की राय समीक्षा जोड़ी गई है ,
कुछ मिलाकर यह ई बुक शानदार व याददार है
आदरणीय राना जी ने इसके संग्रह और सम्पादन में निखार लाया है
आदरणीय राना जी को बधाई और शुभकामनाएँ सादर भेंट करता हूँ
सादर
सुभाष सिंघई
धन्यवाद मेम
धन्यवाद श्री सिंघई जी
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