Rajeev Namdeo Rana lidhorI

गुरुवार, 28 नवंबर 2013

मुक्तक-राजीव नामदेव राना लिधौरी

                मुक्तक-
मिले सब तुझे दिल में बसाकर देखिए।
उसके दर पे सर झुकाकर देखिए।।
हर जगह मिल जायेगा वो भी तुम्हें।
जिस तरफ नज़रें  उठाकर देखिए।।
            0000
-राजीव नामदेव ''राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र..लेखक संघ
नर्इ चर्च के पीछे,षिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (म.प्र.) पिन कोड-472001
मोबाइल न.-9893520965

Mail- ranalidhori@gmail.com
 Bloggs- rajeev namdeo rana lidhori. Blogspot.com


रविवार, 24 नवंबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी-चुनाव कविता-''गंगा नहाये

कविता-''गंगा नहाये
सरकारी कर्मचारी,
हाय! कैसी ये लाचारी।
चुनाव में लगी डृयूटी,
अब कैसे रहे ब्यूटी।
जिंदा वापिस आये,
तो समझों गंगा नहाये।
डयूटीके नाम से तो,
बुखार ही चढ़ जाये।
ऐसे चुनाव से तो राम बचाये।।

-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
        संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
       अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
      शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
        भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
      ब्लाग-www.rajeevranalidhori.blogspot.com
        E Mail-   ranalidhori@gmail.com




गुरुवार, 21 नवंबर 2013

नेता और चुनाव-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (11)

(सन्दर्भ-नेता और चुनाव)
(11)- चुनावी 3 क्षणिकाएँ
    (1)               
बेशर्मी कैसी लादी,
धन की करें बरवादी,
फिर भि तन पर है खादी।।
      (2)
नेता कभी न शर्माये,
खूब वोट झटकने को,
वादे ही कर पाये।।
     
     (3)
नेता तो शैतान है,
पैसों की खदान है,
बनता बड़ा महान है।।
     राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
    संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
      अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
    शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
       पिन:472001 मोबाइल-9893520965
    E Mail-   ranalidhori@gmail.com
 Blog - rajeev  rana lidhori.blogspot.com
   

रविवार, 3 नवंबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के इंटरनेट पर उनके ब्लाग

प्रेस विज्ञपित   

      अब 'राना लिधौरी की कविताएँ 'इंटरनेट पर उनके तीन ब्लागों में पढे़-


टीकमगढ़ म.प्र. की सुप्रसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र.लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ जिलाध्यक्ष एवं ख्याति प्राप्त कवि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी की कविताएँ उनके चाहनेवाले अब इंटरनेट पर उनके ब्लाग पर भी पढ़ सकते है। इसके लिए गूगल पर राजीवरानालिधौरी डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.rajeevranalidhori.blogspot.com)  टाइप करे। राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के  हास्य व्ंयग्य पढ़ने के लिए इंटरनेट पर उनके निम्न ब्लाग पढे़।  इसके लिए गूगल पर व्यंग्य संसार डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.vyangsansar.blogspot.com)  टाइप करे।
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी के  बुंदेली बोली में आलेख व रचनाएँ पढ़ने के लिए इंटरनेट पर उनके निम्न ब्लाग पढे़।  इसके लिए गूगल पर बुंदेलखण्डनालेज डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www. bundelkhandknowlege. blogspot.com) टाइप करे।राजीव नामदेव राना लिधौरी 'फेशबुक पर भी उपलब्ध है 'फेशबुक पर उनके 330 से अधिक फालोवर है।
गौरतलब हो कि राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' के ब्लाग को पढ़ने वाले पाठक भारत के साथ-साथ भारत के साथ-साथ अमेरिका,रूस, मलेशिया, जर्मनी, द.कोरिया, नीदरलैंड, बि्रटेन, सिवडजरलैंड, फ्र्रांस,यूक्रेन,साउदी अरव,ब्राजील,आदि देशो के पाठक है। नगर की सुप्रसिद्ध साहितियक संस्था 'म.प्र.लेखक संघ की जिला इकार्इ टीकमगढ़ द्वारा प्रकाशित जिले की एकमात्र साहितियक पत्रिका 'आकांक्षा को अब इंटरनेट पर ब्लाग में भी पढ़ा जा सकता है। इसके लिए गूगल पर  आकांक्षा टीकेजी डाट ब्लागस्पाट डाट काम (www.akankshatkg.blogspot.com)  टाइप करे। 'आकांक्षा के इंटरनेट संस्करण का संपादन राजीव नामदेव 'राना लिधौरी व विजय कुमार मेहरा ने संयुक्त रूप से किया है। गौरतलब हो कि मात्र दो माह से भी कम समय में अब तक 1000 पाठकों ने इंटरनेट पर 'आकांक्षा पत्रिका को पढ़ चुके है पाठकों में भारत के साथ-साथ अमेरिका, दुबर्इ, यूएर्इ, आस्ट्रलिया, पाकिस्तान, रूस़, आदि विदेशों के पाठक भी शामिल है।

राजीव नामदेव राना लिधौरी-दीपावली

    दीपावली पर
राना लिधौरी के 5'हाइकू

    1
शुभ दिवाली,
गरीबों की लाचारी।
अमीरों की चाँदी।।
    2
माटी के दिये,
दीपावली के आते।
खुश हो लिये।।
    3
दीपक बन,
तुम अतं:मन में।
उजाला करो।।
    4
मायूस न हो,
उम्मीदों के दीप तो।
रोशन करो।
    5
तम भगाये,
आओ हम स्नेह का।
दीप जलाये।।

-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965   


शनिवार, 2 नवंबर 2013

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी(10)-रज़ल-''खजाना

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (10)

(सन्दर्भ-डौडिंयाखेड़ा के सोने का खजाने का सच) 
(10)-रज़ल-''खजाना
मुफ्त में कोर्इ चीज नहीं मिलती।
नहीं हर जगह पे खजाने होते।।
वो तो हर शै मे मौजूद है।
नहीं उसके ठिकाने होते।।
        मूर्ख न होते गर दुनिया मे इतने।
        लोग खजाने के पीछे दीवाने न होते।।
        इंसा को अगर कोर्इ दु:ख दर्द न होता।
        यूं हर जगह पे खुले मयखाने न होते।।
ढूँढ़ सको तो ढूँढ लो तुम यहाँ 'राना।
छिपे इसां के अंदर ही तो खजाने होते।।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
 अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
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