राजीव नामदेव 'राना लिधौरी का
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (10)
(सन्दर्भ-डौडिंयाखेड़ा के सोने का खजाने का सच)
(10)-रज़ल-''खजाना
मुफ्त में कोर्इ चीज नहीं मिलती।
नहीं हर जगह पे खजाने होते।।
वो तो हर शै मे मौजूद है।
नहीं उसके ठिकाने होते।।
मूर्ख न होते गर दुनिया मे इतने।
लोग खजाने के पीछे दीवाने न होते।।
इंसा को अगर कोर्इ दु:ख दर्द न होता।
यूं हर जगह पे खुले मयखाने न होते।।
ढूँढ़ सको तो ढूँढ लो तुम यहाँ 'राना।
छिपे इसां के अंदर ही तो खजाने होते।।
888
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं (10)
(सन्दर्भ-डौडिंयाखेड़ा के सोने का खजाने का सच)
(10)-रज़ल-''खजाना
मुफ्त में कोर्इ चीज नहीं मिलती।
नहीं हर जगह पे खजाने होते।।
वो तो हर शै मे मौजूद है।
नहीं उसके ठिकाने होते।।
मूर्ख न होते गर दुनिया मे इतने।
लोग खजाने के पीछे दीवाने न होते।।
इंसा को अगर कोर्इ दु:ख दर्द न होता।
यूं हर जगह पे खुले मयखाने न होते।।
ढूँढ़ सको तो ढूँढ लो तुम यहाँ 'राना।
छिपे इसां के अंदर ही तो खजाने होते।।
888
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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