कविता-''गंगा नहाये
सरकारी कर्मचारी,
हाय! कैसी ये लाचारी।
चुनाव में लगी डृयूटी,
अब कैसे रहे ब्यूटी।
जिंदा वापिस आये,
तो समझों गंगा नहाये।
डयूटीके नाम से तो,
बुखार ही चढ़ जाये।
ऐसे चुनाव से तो राम बचाये।।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
ब्लाग-www.rajeevranalidhori.blogspot.com
E Mail- ranalidhori@gmail.com
सरकारी कर्मचारी,
हाय! कैसी ये लाचारी।
चुनाव में लगी डृयूटी,
अब कैसे रहे ब्यूटी।
जिंदा वापिस आये,
तो समझों गंगा नहाये।
डयूटीके नाम से तो,
बुखार ही चढ़ जाये।
ऐसे चुनाव से तो राम बचाये।।
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
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