Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 3 जनवरी 2016

म.प्र.लेखक संघ कीे 206वीं गोष्ठी ‘देश प्रेम व वीररस पर हुई 3-1-2016





rajeev namdeo rana lidhoriम.प्र.लेखक संघ कीे 206वीं गोष्ठी ‘देश प्रेम व वीररस पर हुई
  टीकमगढ़//‘ गायत्री शक्तिपीठ में म.प्र. लेखक संघ की 206 वींे गोष्ठी देश प्रेम,वीररस व नव वर्ष के शुभ आगमन ’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी जिसके मुख्य अतिथि सियाराम अहिरवार रहे व अध्यक्षता वरिष्ठ शायर  हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने की जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में आर.एस शर्मा जी रहे।
सर्वप्रथम हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने सर्वधर्म प्रार्थना की-सृष्टिकर्ता एक हो तुम,मंदिर में हो,मस्जिद में एक हो तुम।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे युवाकवि नीरज कुमार खरे ने पढ़ा-
कैसे कहे शरीफ हो नवाज, अब तो आ जाओ,
अपनी आदतों से बाजं न माने तो बाद में पछताओगे,
 और धरती पर पाकिस्तान ढँूढ़ते रह जाओगे।।
गनेश पन्नालाल शुक्ला ने सुनाया -शत-शत नमन गगन के तारों,
दहन किया जिस गोली से,राज तिलक करता हँू मैं,
  संपूर्ण राष्ट्र की रोली से हो अमर जवान तुम।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल’सुनायी-
देश रक्षा के लिए खून बहाने की जगह,
हम लहू दंगो फसादों में बहा देते है।       
हम तो सहते है जमान के सितम हँस हँस कर,
हम नहीं वो जिन्हें हालात् रूला देते है।
सचिव रामगोपाल रैकवार ने सुनाया-
जीवन तरु से झर गया और फिर एक पात,
नया वर्ष क्या लाएगा,अच्छे दिन सौगात।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि कोमलचन्द्र जैन ‘बजाज’ ने पढ़ा-
 रे पाक के गद्दारों तुम भारत विजय की सोचो मत।
  तुम सोया सिंह जगाओ न, इस सोये सिंह को लोचो मत।
परमेश्वरीदास तिवारी ने कविता पढ़ी-
देश के वीर जवानो तुमको मेरा सौ सौ सलाम।
ग्राम लखौरा से आये कवि गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने पढ़ा नहीं   
डरेगे हम शत्रु से नहीं प्यारी जान हम बेटा भारत के।
सीताराम राय ने सुनाया -मेरे वतन की सरहद को कोई छू नहीं सकता,
जो आँख उठाये सरहद पे वो जी नहीं सकता।।
सियाराम अहिरवार ने कविता पढ़ी-   
जिस दिन युवा देश के प्रति जागरूक हो जायेगे।
उस दिन मेरे देश के दुश्मन कहीं नज़र नहीं आयेगे।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-उठो युवाओ भारत माँ के डिजीटल देश बनाना है,
स्मार्ट सिटी बने यहाँ की ट्रेने बुलट चलाना है।
योगेन्द्र तिवारी ‘योगी’ ने पढ़ा-कुछ आदमी के मुद्दे कुर्सी के लिए बने हैं,
कुछ मुद्दे आदमी के,कुर्सी के नीचे दबे है
शांति कुमार जैन ने कविता पढ़ी- जन्म है प्रारब्ध लेकिन शेष जीवन कार्म है,
वेद गीता और कुरान सबका ये ही मर्म है।
दीनददयाल तिवारी ने कविता पढ़ी- मूछें तौ में तीन गुन,
मौ की सोभा होय,लोग डरा के भगत है,मुंछमुढ़ा कहे न कोय।।
आर एस.शर्मा ने कविता सुनायी-समझौतो की बात नहीं अब,
बंदुकों और तोपों का मुँह मोड़ो।
शीघ्र ही अब तो दुश्मन का मुंह तोड़ो।।
शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी-माँगता खुद जो हाथ फैलाकर।
 ऐसा इंसां किसी को क्या देगा।।
बी.एल जैन ने कविता पढ़ी- प्यारा भारत वर्ष हमारा,
देश बड़ा ही नामी है। तीनलोक से प्यारा है यहे सब देशों का स्वामी है।
इनके अलावा पीएल.कड़ा, प्रभुदयाल श्रीवास्तव आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी संचालन दीनदयाल तिवारी ने किया एवं
 सभी का आभार प्रदर्शन सचिव रामगोपाल रैकवार ने किया।

रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,
     अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
    मोबाइल-9893520965,   

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