Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 15 अक्तूबर 2018

म.प्र.लेखक संघ की गीत गोष्ठी हुई


म.प्र.लेखक संघ की गीत गोष्ठी हुई Date 14-10-2018
(अशोकनगर,गुना,बल्देवगढ़,लखौरा,बम्हौरी कला से आये कवि)

टीकमगढ़// साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 240वीं गोष्ठी ‘‘गीत’’ पर केन्द्रित ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। अध्यक्षता वरिष्ठ गीतकार वीरेन्द्र चंसौरिया ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में लखौरा के बुंदेली गीतकार गुलाब सिंह यादव भाऊ एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में हाजी जफरउल्ला खां जफर रहे।
 सरस्वती बंदना कर गोष्ठी का आगाज गुलाब सिंह यादव ने किया-जय जय जगदम्बें जगत जय भवानी,
अशोकनगर से आयीं कवयित्री  तृप्ति ने गीत पढ़ा- न आँसू हम बहायेगे,अमर हो देश के प्यारे।
बम्हौरी कला से आये कवि मनोहर सिंह खंगार ने सुनाया-
धिक्कार सौ सौ बार अब उसके गिरे इमान पर।
उंगली उठाई मूर्ख ने आजाद हिन्दुस्तान पर।।
बल्देवगढ़ के कवि यदुकुल नंदन खरे ने पढ़ा-जिन्दगी में बहारे आती हैं।
देख के कलियाँ मुस्कुराती है।
गुना से पधारे कवि मातादीन  यादव ‘अनुपम’ ने पढ़ा- मोरी खबर न बिसरियों जगदम्बे अम्बे।
लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ग़ज़ल पढ़ी-
उसी से रिश्ता बनाते है जो माल रखता हैं, जहां में कौन किसी का ख्याल रखता है।
वीरेन्द्र चंसौरिया ने गीत पढ़ा-पाए प्रभु है तुमसे प्यारी जिन्दगी में हम।
  खुशियाँ हजार मिल गईसंग प्यार भी अनुपम।।
राम गोपाल रैकवार ने पढ़ा-तुमने छुआ मन परिमल हुआ,तन गंधिल हुआ।।
शायर अनवर खान साहिल ने पढ़ा- आप माँगों तो हम जिगर देगे,मुल्क पर जा निसार कर देंगे।
परमेश्वरीदास तिवारी ने पढ़ा- मानव बनकर धर्मधरा पर आये थे श्रीराम,
जो उनके आदर्श निभाये पूर्ण होय सक काम।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र ने ग़ज़ल सुनायी- तुम्हें जिन्दगी भर न भूलेगें हम,
मगर राजे दिल भी न खोलेगे हम।।
आर.एस.शर्मा ने पढ़ा-देवी माँ को शत शत नमन नौ रूपों में सुखदायनी है।।।
सियायराम अहिरवार ने पढ़ा-हर बेटी को बेटी समझो,भारत के रहवासी जन।
सोच बदल दो दकियानूसी समझो नहीं पराया धन।।
प्रमोद गुप्ता ने पढ़ा-मतदान करो मिल सब लोकतंत्र का नारा है,
वंचित न रह पाये कोई ये अधिकार हमारा है।।
बाबू लाल जैन‘सलिल’ ने पढ़ा-बापू के गले की हम माला बनेंगे,उनके गले से हम लिपटे रहेंगे।।
दयाली विश्वकर्मा  ने पढ़ा-दुर्ग बदल कर खंडहर हो गये,गुलशन सब बरवाद रे।
डी.पी.शुक्ला ‘सरस’ ने पढ़ा-द्रोपदी अपना वस्त्र बदलो,अब गोविन्द्र नहीं आयेगें।।
पूरन चंद्र गुप्ता ने पढ़ा-हम तुम्हारे बनें तुम हमारे बनों।
   इनके आलावा हरविष्णु अवस्थी,विचित्र सेन, आदि ने भी अपनी रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी का संचालन डी.पी.शुक्ला ने किया तथा सभी का आभार सचिव रामगोपाल रैकवार’ने किया।
अंत में कवि एवं लाइब्रेरियन विजय कुमार मेहरा के साले श्री दीपक मेहरा के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी।
रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष- म.प्र. लेखक संघ
टीकमगढ़ (म.प्र.)मोबाइल-9893520965








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