Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 15 जुलाई 2019

म.प्र.लेखक संघ की ‘बुंदेली’’एवं पावस पर 250वीं गोष्ठी हुई Date- 14-7-2019

म.प्र.लेखक संघ की ‘बुंदेली’’एवं पावस पर 250वीं गोष्ठी हुई   Date- 14-7-2019
( परमेश्वरीदास तिवारी का हुआ सम्मान)   

टीकमगढ़// साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 250वीं गोष्ठी ‘‘बुंदेली एवं पावस’ पर केन्द्रित कवि गोष्ठी ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी। गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री प्रभुदयाल श्रीवास्तव ‘पीयूष’ ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में छतरपुर से पधारे डाॅ.जगदीश रावत रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में बुंदेली के सुप्रसिद्ध कवि श्री राजेन्द्र विदुआ व श्री परमेश्वरीदास तिवारी रहे।
इस अवसर पर म.प्र.लेखक संघ द्वारा श्री परमेश्वरीदास तिवारी की सेवा निवृति पर उनका शाल श्रीफल एवं सम्मान पत्र से प्रदान कर सम्मान किया गया।
सरस्वती बदंना के पश्चात वरिष्ठ गीतकार सीताराम राय ‘सरल’ tikamgarh kavi smmelanपढा-
नभ में उठी धटा घनघोर, वन में नाचे खूबई मोर। टर्र टर्र टर्राये मिइरवा पंछी करत किलोर।।
बुंदेली कवि राजेन्द्र विदुआ ने पढ़ा- हमाई कविता हमई खौ सुनार रय।बंुदेली की कविता हिन्दी में सुना रय।
म.प्र.लेखक संघ के अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘गर्मी’ पर कविता पढ़ी- 
गर्मी ऐनई पर रई पसीना देय चुचाय,बिन ऐसी बिन कूलरे कछू न देह दिखाये।।
नदनवारा से पधारे गीतकार शोभाराम दांगी‘इन्दु’ ने पढ़ा-  एक दिन मुलिया सें कइती जब वा स्यानी भइती।
पानु की अब बचत जरूरी भरवे जब वा गइती।।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा-भाषा बुन्देली सी नइयाँ, मानत काये नइयाँ।
गीतिका वेदिका ने पढ़ी-भिंजा रहा सब लोगों को बरखा वाला छंद,घर पर फिर से पड़े बहाना,हमको नहीं पंसद।
छतरपुर से पधारे वरिष्ठ कवि डाॅ. जगदीश रावत ने पढ़ा- बुन्देली बोली अनबोली, भात सबई की झोली।
ब्रज की बैन अवध की बिटिया, हिन्दी की हमजोली।।
लखौरा से पधारे कवि गुलाब सिंह यादव‘भाऊ’ ने पढ़ा- पावस रितु जा आ रई, जल की धारा अबै कहा गई।
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने सुनाया-जात हो बलम कमावे दिल्ली, तुम बिन जो जी न माने।
दयाली विश्वकर्मा ने सुनाया- मोरे मन भावे बुन्देली बोली, घर घर जाके डोली।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने सुनाया- बदरा बरसत काये नइयाँ चले जात कुडकइयाँ।
हाजी जफरउल्ला खां जफर ने गजल पढ़ी- औढे है जफर कंबल और दांत किट की,
कश्मीरी हवा ओंसे  शबनम निकल रहा हूँ।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा- एकांत भाव की अंतर पीड़ा कविता में दर्शाते हैं।
चिंतन की चेतना चिड़िया के नये पंख उग आते है।
अनवर खान साहिल’ ने गजल पढ़ी- की की कि बताये तुमे तसवीर भौत हैं।
शकील खान ने पढ़ा- फिजाओं में किसने ये घोला जहर फिर जलने लगा देखो सारा शहर।
डी.पी.शुक्ला ने सुनाया- कहिना कहे कदरा तुम जईयों, जी गैलन जावे भैया वीर।
एस.आर.‘सरल’ ने सुनाया- पर्यावरण से गहरा रिस्ता मानव की समृद्धि से।
समृद्धि की खुश्बू आती मेरे वतन की मिट्टी से।।
प्रभूदयाल श्रीवास्तव ने सुनाया-ब्रज की बडी बैन बुंदेली, जैसे गुर की भेली।।
इनके अलावा परमेश्वरीदास तिवारी,रामगोपाल रैकवार, वीरेन्द्र चंसौरिया ,उमा पाराशर,भारत विजय बगेरिया भी अपनी रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी का संचालन रामगोपाल रैकवार ने किया तथा सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ने माना।

रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष-म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965
E Mail-   ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeev rana lidhori.blogspot.com
















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