भारतीय संस्कृति में प्राचीन चिकित्सा आयुर्वेद से की जाती थी।
आइए हम कुछ महत्वपूर्ण जड़ी बूटियों के बारे में जानते हैं जो कि हमारे लिए संजीवनी बूटी से कम नहीं है इनके प्रयोग से निश्चित ही लाभ होता है।
किसी कुशल वैध से पमामर्श लेकर ही उनका उपयोग करना चाहिए।
100 जानकारी जिसका ज्ञान सबको होना चाहिए
1.योग,भोग और रोग ये तीन अवस्थाएं है।
2. लकवा - सोडियम की कमी के कारण होता है ।
3. हाई वी पी में - स्नान व सोने से पूर्व एक गिलास जल का सेवन करें तथा स्नान करते समय थोड़ा सा नमक पानी मे डालकर स्नान करे ।
4. लो बी पी - सेंधा नमक डालकर पानी पीयें ।
5. कूबड़ निकलना- फास्फोरस की कमी ।
6. कफ - फास्फोरस की कमी से कफ बिगड़ता है , फास्फोरस की पूर्ति हेतु आर्सेनिक की उपस्थिति जरुरी है । गुड व शहद खाएं
7. दमा, अस्थमा - सल्फर की कमी ।
8. सिजेरियन आपरेशन - आयरन , कैल्शियम की कमी ।
9. सभी क्षारीय वस्तुएं दिन डूबने के बाद खायें ।
10. अम्लीय वस्तुएं व फल दिन डूबने से पहले खायें ।
11. जम्भाई- शरीर में आक्सीजन की कमी ।
12. जुकाम - जो प्रातः काल जूस पीते हैं वो उस में काला नमक व अदरक डालकर पियें ।
13. ताम्बे का पानी - प्रातः खड़े होकर नंगे पाँव पानी ना पियें ।
14. किडनी - भूलकर भी खड़े होकर गिलास का पानी ना पिये ।
15. गिलास एक रेखीय होता है तथा इसका सर्फेसटेन्स अधिक होता है । गिलास अंग्रेजो ( पुर्तगाल) की सभ्यता से आयी है अतः लोटे का पानी पियें, लोटे का कम सर्फेसटेन्स होता है ।
16. अस्थमा , मधुमेह , कैंसर से गहरे रंग की वनस्पतियाँ बचाती हैं ।
17. वास्तु के अनुसार जिस घर में जितना खुला स्थान होगा उस घर के लोगों का दिमाग व हृदय भी उतना ही खुला होगा ।
18. परम्परायें वहीँ विकसित होगीं जहाँ जलवायु के अनुसार व्यवस्थायें विकसित होगीं ।
19. पथरी - अर्जुन की छाल से पथरी की समस्यायें ना के बराबर है ।
20. RO का पानी कभी ना पियें यह गुणवत्ता को स्थिर नहीं रखता । कुएँ का पानी पियें । बारिस का पानी सबसे अच्छा , पानी की सफाई के लिए सहिजन की फली सबसे बेहतर है ।
21. सोकर उठते समय हमेशा दायीं करवट से उठें या जिधर का स्वर चल रहा हो उधर करवट लेकर उठें ।
22. पेट के बल सोने से हर्निया, प्रोस्टेट, एपेंडिक्स की समस्या आती है ।
23. भोजन के लिए पूर्व दिशा , पढाई के लिए उत्तर दिशा बेहतर है ।
24. HDL बढ़ने से मोटापा कम होगा LDL व VLDL कम होगा ।
25. गैस की समस्या होने पर भोजन में अजवाइन मिलाना शुरू कर दें ।
26. चीनी के अन्दर सल्फर होता जो कि पटाखों में प्रयोग होता है , यह शरीर में जाने के बाद बाहर नहीं निकलता है। चीनी खाने से पित्त बढ़ता है ।
27. शुक्रोज हजम नहीं होता है फ्रेक्टोज हजम होता है और भगवान् की हर मीठी चीज में फ्रेक्टोज है ।
28. वात के असर में नींद कम आती है ।
29. कफ के प्रभाव में व्यक्ति प्रेम अधिक करता है ।
30. कफ के असर में पढाई कम होती है ।
31. पित्त के असर में पढाई अधिक होती है ।
33. आँखों के रोग - कैट्रेक्टस, मोतियाविन्द, ग्लूकोमा , आँखों का लाल होना आदि ज्यादातर रोग कफ के कारण होता है ।
34. शाम को वात-नाशक चीजें खानी चाहिए ।
35. प्रातः 4 बजे जाग जाना चाहिए ।
36. सोते समय रक्त दवाव सामान्य या सामान्य से कम होता है ।
37. व्यायाम - वात रोगियों के लिए मालिश के बाद व्यायाम , पित्त वालों को व्यायाम के बाद मालिश करनी चाहिए । कफ के लोगों को स्नान के बाद मालिश करनी चाहिए ।
38. भारत की जलवायु वात प्रकृति की है , दौड़ की बजाय सूर्य नमस्कार करना चाहिए ।
39. जो माताएं घरेलू कार्य करती हैं उनके लिए व्यायाम जरुरी नहीं ।
40. निद्रा से पित्त शांत होता है , मालिश से वायु शांति होती है , उल्टी से कफ शांत होता है तथा उपवास ( लंघन ) से बुखार शांत होता है ।
41. भारी वस्तुयें शरीर का रक्तदाब बढाती है , क्योंकि उनका गुरुत्व अधिक होता है ।
42. दुनियां के महान वैज्ञानिक का स्कूली शिक्षा का सफ़र अच्छा नहीं रहा, चाहे वह 8 वीं फेल न्यूटन हों या 9 वीं फेल आइस्टीन हों ,
43. माँस खाने वालों के शरीर से अम्ल-स्राव करने वाली ग्रंथियाँ प्रभावित होती हैं ।
44. तेल हमेशा गाढ़ा खाना चाहिएं सिर्फ लकडी वाली घाणी का , दूध हमेशा पतला पीना चाहिए ।
45. छिलके वाली दाल-सब्जियों से कोलेस्ट्रोल हमेशा घटता है ।
46. कोलेस्ट्रोल की बढ़ी हुई स्थिति में इन्सुलिन खून में नहीं जा पाता है । ब्लड शुगर का सम्बन्ध ग्लूकोस के साथ नहीं अपितु कोलेस्ट्रोल के साथ है ।
47. मिर्गी दौरे में अमोनिया या चूने की गंध सूँघानी चाहिए ।
48. सिरदर्द में एक चुटकी नौसादर व अदरक का रस रोगी को सुंघायें ।
49. भोजन के पहले मीठा खाने से बाद में खट्टा खाने से शुगर नहीं होता है ।
50. भोजन के आधे घंटे पहले सलाद खाएं उसके बाद भोजन करें ।
51. अवसाद में आयरन , कैल्शियम , फास्फोरस की कमी हो जाती है । फास्फोरस गुड और अमरुद में अधिक है
52. पीले केले में आयरन कम और कैल्शियम अधिक होता है । हरे केले में कैल्शियम थोडा कम लेकिन फास्फोरस ज्यादा होता है तथा लाल केले में कैल्शियम कम आयरन ज्यादा होता है । हर हरी चीज में भरपूर फास्फोरस होती है, वही हरी चीज पकने के बाद पीली हो जाती है जिसमे कैल्शियम अधिक होता है ।
53. छोटे केले में बड़े केले से ज्यादा कैल्शियम होता है ।
54. रसौली की गलाने वाली सारी दवाएँ चूने से बनती हैं ।
55. हेपेटाइट्स A से E तक के लिए चूना बेहतर है ।
56. एंटी टिटनेस के लिए हाईपेरियम 200 की दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दे ।
57. ऐसी चोट जिसमे खून जम गया हो उसके लिए नैट्रमसल्फ दो-दो बूंद 10-10 मिनट पर तीन बार दें । बच्चो को एक बूंद पानी में डालकर दें ।
58. मोटे लोगों में कैल्शियम की कमी होती है अतः त्रिफला दें । त्रिकूट ( सोंठ+कालीमिर्च+ मघा पीपली ) भी दे सकते हैं ।
59. अस्थमा में नारियल दें । नारियल फल होते हुए भी क्षारीय है ।दालचीनी + गुड + नारियल दें ।
60. चूना बालों को मजबूत करता है तथा आँखों की रोशनी बढाता है ।
61. दूध का सर्फेसटेंसेज कम होने से त्वचा का कचरा बाहर निकाल देता है ।
62. गाय की घी सबसे अधिक पित्तनाशक फिर कफ व वायुनाशक है ।
63. जिस भोजन में सूर्य का प्रकाश व हवा का स्पर्श ना हो उसे नहीं खाना चाहिए
64. गौ-मूत्र अर्क आँखों में ना डालें ।
65. गाय के दूध में घी मिलाकर देने से कफ की संभावना कम होती है लेकिन चीनी मिलाकर देने से कफ बढ़ता है ।
66. मासिक के दौरान वायु बढ़ जाता है , 3-4 दिन स्त्रियों को उल्टा सोना चाहिए इससे गर्भाशय फैलने का खतरा नहीं रहता है । दर्द की स्थति में गर्म पानी में देशी घी दो चम्मच डालकर पियें ।
67. रात में आलू खाने से वजन बढ़ता है ।
68. भोजन के बाद बज्रासन में बैठने से वात नियंत्रित होता है ।
69. भोजन के बाद कंघी करें कंघी करते समय आपके बालों में कंघी के दांत चुभने चाहिए । बाल जल्द सफ़ेद नहीं होगा ।
70. अजवाईन अपान वायु को बढ़ा देता है जिससे पेट की समस्यायें कम होती है
71. अगर पेट में मल बंध गया है तो अदरक का रस या सोंठ का प्रयोग करें
72. कब्ज होने की अवस्था में सुबह पानी पीकर कुछ देर एडियों के बल चलना चाहिए ।
73. रास्ता चलने, श्रम कार्य के बाद थकने पर या धातु गर्म होने पर दायीं करवट लेटना चाहिए ।
74. जो दिन मे दायीं करवट लेता है तथा रात्रि में बायीं करवट लेता है उसे थकान व शारीरिक पीड़ा कम होती है ।
75. बिना कैल्शियम की उपस्थिति के कोई भी विटामिन व पोषक तत्व पूर्ण कार्य नहीं करते है ।
76. स्वस्थ्य व्यक्ति सिर्फ 5 मिनट शौच में लगाता है ।
77. भोजन करते समय डकार आपके भोजन को पूर्ण और हाजमे को संतुष्टि का संकेत है ।
78. सुबह के नाश्ते में फल , दोपहर को दही व रात्रि को दूध का सेवन करना चाहिए ।
79. रात्रि को कभी भी अधिक प्रोटीन वाली वस्तुयें नहीं खानी चाहिए । जैसे - दाल , पनीर , राजमा , लोबिया आदि ।
80. शौच और भोजन के समय मुंह बंद रखें , भोजन के समय टी वी ना देखें ।
81. मासिक चक्र के दौरान स्त्री को ठंडे पानी से स्नान , व आग से दूर रहना चाहिए ।
82. जो बीमारी जितनी देर से आती है , वह उतनी देर से जाती भी है ।
83. जो बीमारी अंदर से आती है , उसका समाधान भी अंदर से ही होना चाहिए ।
84. एलोपैथी ने एक ही चीज दी है , दर्द से राहत । आज एलोपैथी की दवाओं के कारण ही लोगों की किडनी , लीवर , आतें , हृदय ख़राब हो रहे हैं । एलोपैथी एक बिमारी खत्म करती है तो दस बिमारी देकर भी जाती है ।
85. खाने की वस्तु में कभी भी ऊपर से नमक नहीं डालना चाहिए , ब्लड-प्रेशर बढ़ता है ।
86 . रंगों द्वारा चिकित्सा करने के लिए इंद्रधनुष को समझ लें , पहले जामुनी , फिर नीला ..... अंत में लाल रंग ।
87 . छोटे बच्चों को सबसे अधिक सोना चाहिए , क्योंकि उनमें वह कफ प्रवृति होती है , स्त्री को भी पुरुष से अधिक विश्राम करना चाहिए
88. जो सूर्य निकलने के बाद उठते हैं , उन्हें पेट की भयंकर बीमारियां होती है , क्योंकि बड़ी आँत मल को चूसने लगती है ।
89. बिना शरीर की गंदगी निकाले स्वास्थ्य शरीर की कल्पना निरर्थक है , मल-मूत्र से 5% , कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने से 22 %, तथा पसीना निकलने लगभग 70 % शरीर से विजातीय तत्व निकलते हैं ।
90. चिंता , क्रोध , ईर्ष्या करने से गलत हार्मोन्स का निर्माण होता है जिससे कब्ज , बबासीर , अजीर्ण , अपच , रक्तचाप , थायरायड की समस्या उतपन्न होती है ।
91. गर्मियों में बेल , गुलकंद , तरबूजा , खरबूजा व सर्दियों में सफ़ेद मूसली , सोंठ का प्रयोग करें ।
92. प्रसव के बाद माँ का पीला दूध बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता को 10 गुना बढ़ा देता है । बच्चो को टीके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है ।
93. रात को सोते समय सर्दियों में देशी मधु लगाकर सोयें त्वचा में निखार आएगा
94. दुनिया में कोई चीज व्यर्थ नहीं , हमें उपयोग करना आना चाहिए।
95. जो अपने दुखों को दूर करके दूसरों के भी दुःखों को दूर करता है , वही मोक्ष का अधिकारी है ।
96. सोने से आधे घंटे पूर्व जल का सेवन करने से वायु नियंत्रित होती है , लकवा , हार्ट-अटैक का खतरा कम होता है ।
97. स्नान से पूर्व और भोजन के बाद पेशाब जाने से रक्तचाप नियंत्रित होता है।
98 . तेज धूप में चलने के बाद , शारीरिक श्रम करने के बाद , शौच से आने के तुरंत बाद जल का सेवन निषिद्ध है
99. त्रिफला अमृत है जिससे वात, पित्त , कफ तीनो शांत होते हैं । इसके अतिरिक्त भोजन के बाद पान व चूना ।
100. इस विश्व की सबसे मँहगी दवा। लार है , जो प्रकृति ने तुम्हें अनमोल दी है ,इसे ना थूके ।
1- गिलोय (अमृता) :-
#गिलोय का एक पत्ता आपको 80 सालों तक बीमार नहीं होने देगा...
गिलोय एक ही ऐसी बेल है, जिसे आप सौ मर्ज की एक दवा कह सकते हैं। इसलिए इसे संस्कृत में अमृता नाम दिया गया है। कहते हैं कि देवताओं और दानवों के बीच समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत निकला और इस अमृत की बूंदें जहां-जहां छलकीं, वहां-वहां गिलोय की उत्पत्ति हुई।
1. गिलोय बढ़ाती है रोग प्रतिरोधक क्षमता :-
गिलोय एक ऐसी बेल है, जो व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा कर उसे बीमारियों से दूर रखती है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर में से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने का काम करते हैं। यह खून को साफ करती है, बैक्टीरिया से लड़ती है। लिवर और किडनी की अच्छी देखभाल भी गिलोय के बहुत सारे कामों में से एक है। ये दोनों ही अंग खून को साफ करने का काम करते हैं।
2. ठीक करती है बुखार :-
अगर किसी को बार-बार बुखार आता है तो उसे गिलोय का सेवन करना चाहिए। गिलोय हर तरह के बुखार से लडऩे में मदद करती है। इसलिए डेंगू के मरीजों को भी गिलोय के सेवन की सलाह दी जाती है। डेंगू के अलावा मलेरिया, स्वाइन फ्लू में आने वाले बुखार से भी गिलोय छुटकारा दिलाती है।
3. गिलोय के फायदे – डायबिटीज के रोगियों के लिए
गिलोय एक हाइपोग्लाइसेमिक एजेंट है यानी यह खून में शर्करा की मात्रा को कम करती है। इसलिए इसके सेवन से खून में शर्करा की मात्रा कम हो जाती है, जिसका फायदा टाइप टू डायबिटीज के मरीजों को होता है।
5. पाचन शक्ति बढ़ाती है -:
यह बेल पाचन तंत्र के सारे कामों को भली-भांति संचालित करती है और भोजन के पचने की प्रक्रिया में मदद कती है। इससे व्यक्ति कब्ज और पेट की दूसरी गड़बडिय़ों से बचा रहता है।
6. कम करती है स्ट्रेस -:
गलाकाट प्रतिस्पर्धा के इस दौर में तनाव या स्ट्रेस एक बड़ी समस्या बन चुका है। गिलोय एडप्टोजन की तरह काम करती है और मानसिक तनाव और चिंता (एंजायटी) के स्तर को कम करती है। इसकी मदद से न केवल याददाश्त बेहतर होती है बल्कि मस्तिष्क की कार्यप्रणाली भी दुरूस्त रहती है और एकाग्रता बढ़ती है।
7. बढ़ाती है आंखों की रोशनी :-
गिलोय को पलकों के ऊपर लगाने पर आंखों की रोशनी बढ़ती है। इसके लिए आपको गिलोय पाउडर को पानी में गर्म करना होगा। जब पानी अच्छी तरह से ठंडा हो जाए तो इसे पलकों के ऊपर लगाएं।
8. अस्थमा में भी फायदेमंद :-
मौसम के परिवर्त न पर खासकर सर्दियों में अस्थमा को मरीजों को काफी परेशानी होती है। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से गिलोय की मोटी डंडी चबानी चाहिए या उसका जूस पीना चाहिए। इससे उन्हें काफी आराम मिलेगा।
9. गठिया में मिलेगा आराम :-
गठिया यानी आर्थराइटिस में न केवल जोड़ों में दर्द होता है, बल्कि चलने-फिरने में भी परेशानी होती है। गिलोय में एंटी आर्थराइटिक गुण होते हैं, जिसकी वजह से यह जोड़ों के दर्द सहित इसके कई लक्षणों में फायदा पहुंचाती है।
10. अगर हो गया हो एनीमिया, तो करिए गिलोय का सेवन :-
भारतीय महिलाएं अक्सर एनीमिया यानी खून की कमी से पीडि़त रहती हैं। इससे उन्हें हर वक्त थकान और कमजोरी महसूस होती है। गिलोय के सेवन से शरीर में लाल रक्त कणिकाओं की संख्या बढ़ जाती है और एनीमिया से छुटकारा मिलता है।
11. बाहर निकलेगा कान का मैल :-
कान का जिद्दी मैल बाहर नहीं आ रहा है तो थोड़ी सी गिलोय को पानी में पीस कर उबाल लें। ठंडा करके छान के कुछ बूंदें कान में डालें। एक-दो दिन में सारा मैल अपने आप बाहर जाएगा।
12. कम होगी पेट की चर्बी :-
गिलोय शरीर के उपापचय (मेटाबॉलिजम) को ठीक करती है, सूजन कम करती है और पाचन शक्ति बढ़ाती है। ऐसा होने से पेट के आस-पास चर्बी जमा नहीं हो पाती और आपका वजन कम होता है।
13. खूबसूरती बढ़ाती है गिलोय :-
गिलोय न केवल सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है, बल्कि यह त्वचा और बालों पर भी चमत्कारी रूप से असर करती है….
14. जवां रखती है गिलोय :-
गिलोय में एंटी एजिंग गुण होते हैं, जिसकी मदद से चेहरे से काले धब्बे, मुंहासे, बारीक लकीरें और झुर्रियां दूर की जा सकती हैं। इसके सेवन से आप ऐसी निखरी और दमकती त्वचा पा सकते हैं, जिसकी कामना हर किसी को होती है। अगर आप इसे त्वचा पर लगाते हैं तो घाव बहुत जल्दी भरते हैं। त्वचा पर लगाने के लिए गिलोय की पत्तियों को पीस कर पेस्ट बनाएं।
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2- सहजन
3-सीताफल
3-
अकवन (मदार) अकउआ :-
अकवन को हिंदी में मदार कहते हैं और इसे एक जहरीले पौधे के रूप में जाना जाता है। मदार का पौधा किसी जगह पर उगाया नहीं जाता है। यह पौधा अपने आप ही कहीं पर भी उग जाता है हालांकि यह पौधा अपने आप में औषधीय गुणों से लबरेज है। मदार का वैज्ञानिक नाम कैलोत्रोपिस गिगंटी है। यह आमतौर पर पूरे भारत में पाया जाता है। भारत में इसकी दो प्रजातियां पाई जाती हैं-श्वेतार्क और रक्तार्क। श्वेतार्क के फूल सफेद होते हैं जबकि रक्तार्क के फूल गुलाबी आभा लिए होते हैं। इसे अंग्रेजी में क्राउन फ्लावर के नाम से जाना जाता है, क्योंकि इसके फूल में मुकुट/ताज के समान आकृति होती है। इसके पौधे लंबी झाड़ियों की श्रेणी में आते हैं और 4 मीटर तक लम्बे होते हैं। इसके पत्ते मांसल और मखमली होते हैं। मदार का फल देखने में आम के जैसे लगता है, लेकिन इसके अंदर रुई होती है, जिसका इस्तेमाल तकिये या गद्दे भरने में किया जाता है। इसमें फूल दिसंबर-जनवरी महीने में आते हैं और अप्रैल-मई तक लगते रहते हैं।मदार मुख्य रूप से भारत में पाया जाता है, लेकिन दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीका में भी यह बहुतायत में पाया जाता है। थाईलैंड में मदार के फूलों का उपयोग विभिन्न अवसरों पर सजावट के लिए किया जाता है। इसे राजसी गौरव का प्रतीक माना जाता है और मान्यता है कि उनकी इष्ट देवी हवाई की रानी लिलीउओकलानी को मदार का पुष्पहार पहनना पसंद है। कंबोडिया में अंतिम संस्कार के आयोजन के दौरान घर की आंतरिक सजावट के साथ ही कलश या ताबूत पर चढ़ाने और अंत्येष्टि में इसका उपयोग किया जाता है।हिंदुओं के धर्म ग्रंथ शिव पुराण के अनुसार मदार के फूल भगवान शिव को बहुत पसंद है इसलिए शांति, समृद्धि और समाज में स्थिरता के लिए भगवान शिव को इसकी माला चढ़ाई जाती है। मदार का फूल नौ ज्योतिषीय पेड़ों में से भी एक है। स्कन्द पुराण के अनुसार भगवान गणेश की पूजा में मदार के पत्ते का इस्तेमाल करना चाहिए। स्मृतिसार ग्रंथ के अनुसार मदार की टहनियों का इस्तेमाल दातुन के रूप में करने से दांतों की कई बीमारियां दूर हो जाती हैं। भारतीय महाकाव्य महाभारत के आदि पर्व के पुष्य अध्याय में भी मदार की चर्चा मिलती है। इसके अनुसार ऋषि अयोद-दौम्य के शिष्य उपमन्यु की आंखों की रोशनी मदार के पत्ते खा लेने के कारण चली गई थी। मदार की छाल का इस्तेमाल प्राचीन काल में धनुष की प्रत्यंचा बनाने में किया जाता था। लचीला होने के कारण इसका उपयोग रस्सी, चटाई, मछली पकड़ने की जाल आदि बनाने के लिए भी किया जाता है।वैसे तो मदार को एक जहरीला पौधा माना जाता है, और कुछ हद तक यह सही भी है, लेकिन यह कई रोगों के उपचार में भी कारगर है। मदार देश का एक प्रसिद्ध औषधीय पौधा है। इसके पौधे के विभिन्न हिस्से कई तरह के रोगों के उपचार में कारगर साबित हुए हैं। इनमें दर्द सहित मधुमेह के रोगियों में रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। मदार के औषधीय गुणों की पुष्टि कई वैज्ञानिक अध्ययन भी करते हैं। वर्ष 2005 में टोक्सिकॉन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के अनुसार मदार का दूध बहते हुए खून को नियंत्रित करने में उपयोगी है। मदार का कच्चा दूध कई प्रकार के प्रोटीन से लबरेज हैं, जो प्रकृति में बुनियादी रूप में मौजूद होते हैं।वर्ष 2012 में एडवांसेस इन नैचरल एंड अप्लाइड साइंसेज नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध दर्शाता है कि मदार के पत्ते जोड़ों के दर्द और मधुमेह के उपचार में कारगर हैं। वहीं वर्ष 1998 में कनेडियन सोसायटी फॉर फार्मास्युटिकल साइंसेज में प्रकाशित शोध ने इस बात की पुष्टि की है कि मदार का रस दस्त रोकने में भी उपयोगी है।
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*4*
सिंघाड़ा खाओ और सिंघम सी दहाड़ लगाओ...
सिंघाड़ा / सिंघाड़े का नाम तो सभी ने सुना होगा। आजकल तो यह फल की तरह कम और आटे की तरह ज्यादा खाया जा रहा है। 🤔😂😂😜 खैर ये तो हुयी मजाक की बात, सिंघाड़ा है ही इतने कमाल की चीज की इसे #फलों की तरह, #ड्राईफ्रूट की तरह, पकवान की तरह और #फलाहार के तरह सभी रूपों में पसंद किया जाता है। नाश्ते में मेरी एक मुहबोली दीदी के घर सिंघाड़े परोसे गये तो थोड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन जब इसे टेस्ट किया तो मजा आ गया।
सिंघाड़े की खेती तालाबों में की जाती है, और इस समय गांव के हाट बाज़ारो में फ़ास्ट फ़ूड की तरह सिंघाड़े बहुत अधिक मात्रा में बेचे जाते है। सिंघाड़े के फलों कांटेदार छिलके (केलिक्स) बहुत आकर्षक दिखाई देते हैं, जिसे हटाने पर स्वादिष्ट फल खाने के लिए मिलता है। इसके फलों को उबालकर खाया जाता है। बाजार में। सामान्यतः उबले और कटे हुए फल ही बेचे जाते हैं। बचपन में मेरे घर पर सभी लोग बाजार के थैले में सिंघाड़े ढूंढा करते थे और गिनती के आधार पर, माफ़ कीजियेगा साइज़ के भी विशेष मायने थे, तो गिनती और साइज के आधार ओर बराबर बराबर बाँट लिया करते थे। 😜 आज भी #सिंघाड़ा खाने से में अपने आप को रोक नहीं पाताहूँ। इसके लप्सी, हलुआ, पूरी, दलिया जैसे कई व्यंजन बनाये जाते हैं। और नाम आप भी जोड़िए देखते हैं कि कितना जुड़े हैं आप जड़ों से, टटोलिये जल्दी, मेरी तो मैं तलाश रहा हूँ।
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सिंघाड़ा फ्राई विधि: फ्राइड सिंघाड़े बनाने के लिए सिंघाड़े के छिलके उतार लें, उंसके बाद इन्हें दो या चार टुकड़ों में काट लें। थोड़े तेल को कढ़ाई में लेकर जीरा, राई, मीठानीम, हरी मिर्च, लहसन,सौंफ, अजवाईन आदि के साथ फ्राई कर दें। अच्छी तरह भुन जाने पर इसमें सेंधानमक, पिसी हुई कालीमिर्च, धनियापावडर व थोड़ा चाट मसाला या जिरावन डाल दें। अब गर्मागर्म नाश्ते के लिए परोसें। अभी जितना मन करें खा लें, मौसमी चीजों को छोड़ना ठीक नही..👍
इसका सेवन शरीर को शक्ति प्रदान करता है और साथ ही शरीर में खून की कमी नहीं होने देता है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी इसका सेवन बहुत लाभदायक है। सिंघाड़ा हमारे सम्पूर्ण सेहत के लिए बहुत अच्छा होता है क्योंकि इसमे मौजूद पोषक तत्व विटामिन ए, सिट्रिक एसिड, फॉस्फोरस, प्रोटीन, निकोटिनिक एसिड, विटामिन सी, मैंगनीज, थायमिन, कार्बोहाइड्रेट, डाइटरी फाइबर, कैल्शियम, जिंक, आयरन, पोटेशियम, सोडियम, आयोडीन, मैग्नीशियम हमारे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। में तो जब मौका मिले खा लेता हूँ। छिंदवाड़ा जिले में यह अच्छी खासी मात्रा में साप्ताहिक बाजारों में बिकने आते हैं। दीवाली और ग्यारस (एकादशी) पूजा में सिंघाड़े का खास महत्त्व है। मड़ई मेलो में भी खूब सिंघाडा बिकने के लिये आता है। उम्मीद है, आपने भी सिंघाड़ा जरूर खाया होगा।
धन्यवाद
साभार -डॉ. विकास शर्मा
वनस्पति शास्त्र विभाग
शासकीय महाविद्यालय चौरई
जिला छिंदवाडा (म.प्र.)
#सिंघाड़ा
#Water_Chestnut
वानस्पतिक नाम- #Trapa_natans
फॅमिली- #Lythraceae
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आओ विस्तार से जानें पपीता खाने फायदे
स्वस्थ्य रहने के लिए पपीता खाने के लाभ और इससे मिलने वाला पोषण
पपीता उन फलों में से है जो साल के 12 महीने मार्केट में मिल जाता है
कच्चे पपीते में विटामिन सी की अधिक मात्रा होती है, जो आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, और पका हुआ पपीता आपकी पाचन क्रिया को सुधारता है और त्वचा में निखार लाता है।
जाने पपीता के फायदे और कौन-कौन सी बीमारियों को पपीता ठीक करने में मदद करता है ।
पपीता खाने के 10 बड़े फायदे 👍
पपीते में फाइबर, विटामिन, और एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं जो हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में काफी मददगार होते हैं। पपीते में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जिनसे त्वचा, बाल, और नाखूनों का स्वास्थ्य और चमक को बढ़ाता है ।
1. पाचन को सुधारता है
2. वजन कम करने में मदद करता है
3. इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है
4. विटामिन सी का अच्छा स्रोत है
5. त्वचा के स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है
6. हार्ट हेल्थ को सुधारता है
7. आंतों को स्वस्थ रखता है
8. साइट्रस एसिड की अधिकता को कम करता है
9. विटामिन ए का अच्छा स्रोत है
10. हड्डियों को मजबूत बनाता है
आइए जाने पपीता खाने से कौन-कौन सी बीमारियां ठीक हो सकती हैं
पाचन शक्ति को करे मजबूत
पपीता में पाया जाने वाला पाचक एंजाइम पाचन क्रिया को सुधारने में मदद करता है, जिससे एसिडिटी, गैस, और कब्ज़ की समस्याएँ नहीं होती हैं।
डायबिटीज
पपीते का सेवन रक्त शर्करा स्तर को बढ़ने से रोकता है, जिससे डायबिटीज के लक्षणों को कम किया जा सकता है।
हृदय रोग
पपीते में पोटैशियम और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो रक्त चाप को सही करने में मदद करते हैं, जिससे हृदय रोग का रिस्क कम होता है।
कैंसर
पपीते में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो कैंसर के खिलाफ लड़ने में सहायक होते हैं, इसमें पाया जाने वाला कोलोरेक्टल कैंसर को रोकने में काफी मददगार है।
वजन नियंत्रण
पपीते में कम कैलोरी और अधिक फाइबर होता है, जो वजन नियंत्रण में मदद करता है।
आंत्रिक संक्रमण
पपीता में विटामिन सी और विटामिन ए की अच्छी मात्रा होती है, जो हमारे शरीर में आंत्रिक संक्रमण से लड़ने में मदद करती है।
आंतों के रोग
पपीता में मिलने वाला फाइबर सेहतमंद आंतों के लिए काफी लाभकारी होता है, जिससे आंतों के रोग जैसे डिवर्टिकुलाइटिस का खतरा कम होता है।
सुबह खाली पेट पपीता खाने के फायदे |
1. पपीता में विटामिन सी होता जो कि कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभों के साथ-साथ मानसिक तनाव को कम करने में भी मदद करता है।
2. पपीता में अच्छी मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स और फाइबर होता जो कैंसर के खतरे को कम कर सकता है।
3. पपीता में मौजूद विटामिन क और मैग्नीशियम हड्डियों की सेहत में सुधार करती है और हड्डियों के लिए मजबूत बनाती है।
4. पपीता खाने से आपकी शरीर के अलर्जीक प्रतिक्रियाएँ कम हो सकती हैं ।
5. पपीता में मौजूद मैग्नीशियम और विटामिन सी का सेवन आपकी नींद को सही करता है |
इन सभी फायदों के साथ, पपीता खाना आपके जीवन को स्वस्थ और खुशहाल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह एक सस्ता, उपलब्ध, और स्वास्थ्यकर विकल्प है जिसे आप सुबह की शुरुआत में शामिल कर सकते हैं 👍👍🌱
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जाड़े को ताड़ें मैथी की गर्मी के साथ। मैथी भारतीय गृहणियों द्वारा जांची परखी वह घरेलू औषधि है, जिसका लोहा विज्ञान भी मानता है।
मैथी के बीज मसाले, सब्जी व टॉनिक की तरह, तथा पत्ते साग और पराठे में प्रयोग किये जाते हैं। हर एक का अपना अलग महत्व है। इसकी शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि छाछ और कढ़ी जैसे शीतल प्रवत्ति वाले भोज्य पदार्थ भी मैथी पड़ते ही शीत ऋतु में सेवन योग्य हो जाते हैं।
ये तो हुयी बड़े बुजुर्गों की सीख, चलिये कुछ अपनी सुनाता हूँ। मैथी के बीज याने मैथी दाना भारतीय मसालों में अग्रिम पंक्ति पर आता है। छाछ, कढ़ी जैसे व्यंजन बने, और इनमे मैथीदाना न पड़े तो जैसे मजा ही नही आता है। कई वैज्ञानिक शोध भी इसके पक्ष में गवाही देते नजर आते हैं कि इसके प्रयोग से कोलेस्ट्रॉल में कमी आकर हृदय रोगमुक्त होता है। मशाले में शामिल होने के कारण यह तो सभी जानते हैं कि ये भोजन को पचाने में अहम भूमिका निभाते हैं। लेकिन ये बहुत कम लोग जानते होंगे कि यह पेनक्रियाज के लेंगरहेंस की बीटा को उत्तेजित कर इन्सुलिन निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यही इन्सुलिन भोजन में मौजूद आवश्यकता से अधिक शर्करा को ग्लाइकोजन नामक संचित ऊर्जा में बदल देता है, जिसका उपयोग आवश्यकता के समय किया जा सके। सरल भाषा में कहें तो मधुमेह को नियंत्रित करने की लाजबाब शक्ति इसके पास है। हाँ लेकिन एक बात बता दूँ, कि उपचार से दृष्टिकोण से पराठे नही चलेंगे, इस तरह तो आप मेरी तरह पेटू बन जायेंगे 😜। उपचार की चर्चा अलग से किसी और मंच पर।
इसकी भाजी को भोजन में शामिल करने पर मैग्नीज, फॉस्फोरस, आयरन, कैल्शियम, पोटेशियम, जिंक, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन सी आदि की उपस्थिति के कारण शरीर की गतिविधियां सुचारू रूप से संचालित होती हैं, और इम्युनिटी में वृद्धि होती है। छाछ/ कढ़ी आदि को मैथी दाने से बघार लगा देने से उसकी शीतल प्रवत्ति दूर होकर यह ठंड में खाने के लिये भी उपयुक्त को जाता है। मैथी दाने में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाये जाते हैं, ये त्वचा के लिए बेहद फ़ायदेमंद मने जाते है। इसीलिये इसके बीजों को भिगोकर इसका पानी पीना और फूले हुये बीजों का पेस्ट चेहरे पर लगाना आपकी त्वचा को निखारकर आपकी उम्र को एक ही स्थान पर ठहरने को मजबूर कर सकता है। जो इसका नियमित उपयोग करते हैं। उनके लिए उम्र महज एक नम्बर होती है।
मैथी की भाजी बनाना बहुत आसान है, साथ ही पराठे भी कई विधियों से बनाये जाते हैं। सामान्यतः पराठे बनाने के लिए मैथी की ताजी पत्तियों को छाँटकर, छोटे-छोटे टुकड़ों में काट लें। इन्हें इच्छानुसार रोटियाँ बनाने वाले आटे में डालकर गूँथ लें। अब इन्हें थोड़ी मात्रा में तेल लगाकर सेक दें। यह सबसे आशान विधि है। मैथी के दाने पानी मे भिगोकर तेल मसालों के साथ तरी वाली सब्जी बनायें और सेवन करें। यह आपको सर्दियों में होने वाले रोगों से बचाने का अचूक नुस्खा है।
मैथी की पत्तियाँ स्वतंत्र रूप से भाजी की तरह, आलू के साथ सब्जी की तरह और सबसे अधिक पराठे के रूप में पसंद की जाती है। बड़े बुजुर्गों की माने तो इसकी तासीर गर्म होती है, जिसके कारण शीत ऋतु ऋतु में इसे खाना उत्तम होता है। वैसे ठंड के मौसम के अलावा अन्य मौसम में इससे वो स्वाद भी नही आता है। गर्मियों में तो बकायदा थोड़ा कसैलापन महसूस होता है। ठंड के मौसम में यह शरीर को अंदरूनी गर्मी पहुँचाकर शीत के प्रभाव से शरीर को दूर रखती है। एक बात कहूँ, छाछ या कढ़ी में जब तक मैथी दाना न डाला जाये तब तक असली स्वाद नही आता है।
7- मूली
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मूली खाने से होने वाले फायदे
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★ मूली खाने का सबसे बडा फायदा
पेट में गैस तो बिल्कुल नहीं रहती है.
★ डायबिटीज से छुटकारा मिलता है.
★ जुखाम रोग भी नही होता है,
इसीलिए मूली को सलाद के रूप में
जरूर खाना चाहिए.
★ मूली पर काला नमक डालकर
खाने से भूख न लगने की समस्या
दूर हो जाती है.
★ मूली से हमें विटामिन ए मिलता है,
जिससे हमारे दाँतो को
मजबूती मिलती है.
★ मूली खाने से बाल झड़ने की समस्या
दूर हो जाती है.
★ बवासीर रोग में कच्ची मूली या
मूली के पत्तो की सब्जी बनाकर खाना
लाभप्रद होता है.
★ अगर पेशाब का बनना बंद हो जाये
तो मूली का रस पीने से
पेशाब दोबारा बनने लगता है.
★ हर-रोज 1 कच्ची मूली
सुबह उठते ही खाने से
पीलिया रोग में आराम मिलता है.
★ मधुमेह का खतरा भी कम रहता है.
★ खट्टी डकारें आती हैं, तो
मूली के 1 कप रस में
मिश्री मिलाकर पीने से
लाभ मिलता है.
★ नियमित रूप से मूली खाने से
मुँह, आँत और किडनी की
कैंसर का खतरा कम रहता है.
★ थकान मिटाने और नींद लाने में भी
मूली सहायक है.
★ मोटापा दूर करने के लिए
मूली के रस में नींबू और नमक
मिलाकर सेवन करें.
★ पायरिया से परेशान लोग
मूली के रस से दिन में 2-3 बार
कुल्ले करें और इसका रस पिएं.
★ सुबह-शाम मूली का रस पीने से
पुराने कब्ज में भी लाभ होता है.
★ मूली के रस में समान मात्रा में
अनार का रस मिलाकर पीने से
हीमोग्लोबिन बढ़ता है.
★ मूली को धीरे-धीरे चबाकर खाने से
दाँत चमकते हैं, और शरीर से
दाग-धब्बे भी दूर हटते हैं.
★ मूली खाने से हमारी
आँखों की रोशनी भी बढ़ती है.
★ ब्लड प्रैशर कंट्रोल में रहता है.
★ हाथ-पैरों के नाख़ूनों का रंग
सफ़ेद हो जाए तो
मूली के पत्तों का रस पीना
लाभदायक है.
★ मूली के नरम पत्तों पर
सेंधा नमक लगाकर खाने से
मुँह की दुर्गंध दूर होती है.
★ मूली के पत्तों में सोडियम होता है,
जो हमारे शरीर में
नमक की कमी को पूरा करते हैं.
★ पेट के कीडे नष्ट हो जाते हैं.
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