Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024

urdu akadami ka silsila program tikamgarh


*"मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा टीकमगढ़ में "सिलसिला" के तहत चतुर्भुज पाठक को समर्पित व्याख्यान एवं रचना पाठ आयोजित"*

टीकमगढ़/ मध्य प्रदेश उर्दू अकादमी, संस्कृति परिषद, संस्कृति विभाग के तत्त्वावधान में ज़िला अदब गोशा, टीकमगढ़ के द्वारा सिलसिला के तहत महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी चतुर्भुज पाठक को समर्पित व्याख्यान एवं रचना पाठ का आयोजन दिनांक -28-10-2024 को नगर भवन पैलेस, टीकमगढ़ में ज़िला समन्वयक चाँद मोहम्मद आख़िर के सहयोग से किया गया।

उल्लेखनीय है कि  मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी द्वारा टीकमगढ़ के साहित्यकारों और शायरों को मंच प्रदान करने के उद्देश्य से सिलसिला का आयोजन किया जा रहा है। यह कार्यक्रम स्व चतुर्भुज पाठक जी को समर्पित है। स्व पाठक जी की गांधीवादी विचारधारा और समाज सुधार की भावना आज भी हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका जीवन यह सिखाता है कि न केवल राजनीतिक स्वतंत्रता, बल्कि सामाजिक समानता और न्याय भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। उनकी रचनात्मकता, संघर्षशीलता, और निस्वार्थ सेवा भावना ने देशभक्ति की गहरी भावना को जनमानस में जाग्रत किया। ऐसे महान व्यक्तित्व को हम सदैव कृतज्ञता और सम्मान के साथ स्मरण करते रहेंगे।

टीकमगढ़ ज़िले के समन्वयक चाँद मोहम्मद आख़िर ने बताया कि सिलसिला के तहत व्याख्यान एवं रचना पाठ का आयोजन हुआ जिसकी अध्यक्षता टीकमगढ़ के वरिष्ठ शायर हाजी ज़फ़र उल्ला खां  'ज़फ़र ' ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथियों के रूप में शायर शबीह हाश्मी,अब्दुल लतीफ़ एवं शफी शाह मंच उपस्थित रहे।
 इस सत्र के प्रारंभ में  महान स्वतंत्रता सेनानी चतुर्भुज पाठक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर टीकमगढ़ की शायरा गीतिका वेदिका ने प्रकाश डाल कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की
उन्होंने कहा कि  वे देशहित में आंदोलन, झण्डा सत्याग्रह, अछूत उद्धार, विधवा विवाह और भूदान यज्ञ में सलग्न रहे! 
1942 में ओरछा सेवा संघ की स्थापना के संस्थापक सदस्य रहे! स्व. पाठक जी अपने जीवन में सर्वाधिक प्रभावित महात्मा गाँधी और आचार्य विनोबा से रहे, 1981 में आप भारत की संविधान निर्मात्री समिति के सदस्य बने और 1982 में ऐसे निर्भय, दृढ़ प्रतिज्ञ, रचनात्मक, जुझारू, निस्पृह एवं गांधीवादी पाठक जी देशभक्ति की भावना को जन समान्य से प्रगाढ़ परिचय करवा कर चले गए! 

रचना पाठ में इन शायरों ने अपना कलाम पेश किया -
अख़लाक़ क़ादरी ने कलाम पढ़ा-
किसी के काम न आया खजूर का साया
किसी की प्यास समंदर कहां बुझाता है

शबीह हाशमी छतरपुर ने पढ़ा -
ज़माना मुझको मुसीबत में डाल देता है।
मिरा ख़ुदा कोई रस्ता निकाल देता है।।

शायर वफ़ा शैदा टीकमगढ़ ने सुनाया-
निकल वो तैर के गहराइयों से आता है
मगर वो आता है साहिल पे डूब जाता है

शायरात साबिरा सिद्दीकी ने ग़ज़ल कही-
ज़हे नसीब मैंने उनके दर को चूम लिया।                    
कि जिसने रब को सरे आसमान देखा है।। 
               
जाबिर गुल ने पढ़ा-
डूबने वालों करो कोशिशें उभरने की
ऊंचा हो जाएगा जब चाहे ये पानी सर से 

उमाशंकर मिश्र ने ग़ज़ल कही- 
क़तरा क़तरा हमारा वतन के लिये ।।
अपना जीवन ही सारा वतन के लिये।।

राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' ने पढ़ा-
सजी जिसके होंटों पे मुस्कान होगी।
कली सबसे पहले वो क़ुरबान होगी।।

चांद आख़िर ने पढ़ा -
हो गया हादसा फिर मेरे साथ में  । 
दे गया दिल मेरा वो मेरे हाथ में  ।। 

अनवर साहिल टीकमगढ़ ने सुनाया- 
हमने भी लहू देकर ये चमन संवारा  हैं
ये वतन हमारा था ये वतन हमारा है

इमरान खान ने सुनाया -
अज़मते परचम तिरंगा है हमारे क़ल्ब में                                      
हर मुसलमां देश का सच्चा अलमबरदार है 
                             
शकील ख़ान शकील ने पढ़ा-
शकील उनकी न होगी दीद जब तक 
न मानेंगी हमारी हार आंखें 

रविन्द्र यादव ने पढ़ा -
हम चाह कर भी लौट कर, आ ना सके 'रवि'
जीवन के ऐसे मोड़ पर, आवाज़ दी गई।

कार्यक्रम का संचालन चाॅंद मोहम्मद आख़िर द्वारा किया गया और कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सभी अतिथियों, रचनाकारों एवं श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
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*रपट- -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र)*

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