आकांक्षा कविता
मैंने 'आकांक्षा की थी किमेरी कोर्इ 'आकांक्षा न हो,
लेकिन,र्इश्वर ने ही मुझे दी
एक सुन्दर सी 'आकांक्षा,
मैं जीवन भर,
उस 'आकांक्षा को
पूरा करने के लिए,
अपनी कुछ 'आकांक्षा को,
सीने में दबा गया।
लेकिन, फिर भी,
मेरी 'आकांक्षा बढ़ती गयी,
ठीक उसी मंहगार्इ की तरह
एक दिन मेरी 'आकांक्षा,
पूरी हो गयी,
तब,फिर एक नयी
'आकांक्षा ने जन्म लिया।
यदि नहीं होती,
मेरी यह 'आकांक्षा।
तो,मेरा जीवन कैसे कटना,
नीरस लगता,
मुझको ये संसार।
कैसे पाता, मैं,
जीवन का यह प्यार।।
अर्थ-'आकांक्षा
1-अपनी लड़की नाम।
2-ख्वाहिश, र्इच्छा।।
कवि- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
1 टिप्पणी:
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" शनिवार 09 दिसंबर 2017 को लिंक की जाएगी ....
http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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