Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 1 मई 2016

‘नई कविता’ व ‘मजदूर दिवस’ पर हुई ‘कवि गोष्ठी’ (म.प्र.लेखक संघ कीे 210वीं गोष्ठी) 1-5-2016





rajeev namdeo rana lidhori‘नई कविता’ व ‘मजदूर दिवस’ पर हुई ‘कवि गोष्ठी’ 
        (म.प्र.लेखक संघ कीे 210वीं गोष्ठी)

 टीकमगढ़//‘ गायत्री शक्तिपीठ में नगर की सर्वाधिक सक्रिय साहित्यक संस्था म.प्र. लेखक संघ की 210 वींे गोष्ठी  ‘नई कविता’ व ‘मजदूर दिवस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी
 जिसके मुख्य अतिथि बल्देवगढ़ से पधारे वरिष्ठ कवि यदुकल नंदन खरे रहे व अध्यक्षता कवि सियाराम अहिरवार ने की,जबकि विशिष्ट अतिथि के रूप में कवि  शांतिकुमार जैन रहे।
सर्वप्रथम सीताराम राय ने सरस्वती बंदना पढ़कर कविता पढ़ी-
 श्रम दिवस पर मौन सब श्रम हो गये लाचार।
आज मशीनी युग हुआ श्रृमिक हुए बेकार।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कविता सुनायी-
मैं एक गरीब मजदूर हँू,शहर की चमक दमक से बहुत दूर हूँ
मैं भारत की नींव हूँ, आधार हूँ, भारतीय संस्कृति की धरोहर हूँ।।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि कोमल चन्द्र ‘बजाज’ ने पढ़ा-
निर्णायक तो प्रकृति की अदालत है।
ग्राम बल्देवगढ़ से पधारे कवि यदुकल नंदन खरे ने पढ़ा-
जबसे राजनीति में आ गाओ,लोगन खों पछिया गओ।।
 सियाराम अहिरवार ने कविता पढ़ी-
पथरा गई जिसकी आँखें है,बजती सीटी सी सांसे है,
पड़ गये हाथों में छाले है, फिर भी खाने के लाले है।।
परमेश्वरीदास तिवारी  ने पढ़ा-बेटा वारिस है अगर तो बेटी पारस है।
ग्राम लखौरा से आये कवि गुलाब सिंह ‘भाऊ’ ने बुन्देली रचना पढ़ी-
किस कइये किसे सुनाइये मजदूरी के जाल खो।
  मोड़ा-मोड़ी भूखन रो रये रोटी नइया हाल खो।।
 शांति कुमार जैन ने रचना पढ़ी-
किसी ने कहा कुत्ता और आपने भौंकना शुरू कर दिया,उसने झूठ क्या कहा।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-
मजबूर नहीं मजदूर हैं हम,कीमत पूरी मिले न मिले पर महनत से भरपूर है हम।।
आर एस.शर्मा ने कविता सुनायी-मजदूर हमेशा मजबूर रहा, वो आधा पेट भूखा रहा।
हाजी ज़फ़रउल्ला खा ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल सुनायी-
 मजबूर ही मजदूर बनता है सदा,वैसे किसी को शौ ये होता नहीं।
दीनदयाल तिवारी ने रचना पढ़ी-
मानव भलाई छोड़ लगा हुआ बुराई में, सब कुछ चाहता अलग रस लेता बेबफाई में।।
अभिनंदन गोइल ने हाइकु पढ़े-हमारी हस्ती, लहरों में खेलती, कागजी कश्ती।।
बी.एल. जैन ने पढ़ा-    आज हमने पाया कुछ सुकून जब देखा प्रधानमंत्री मोदी का जुनून।
और अब साफ झलकता है कि सच ही अच्छे दिन आने वाले है।।
डी.पी. शुक्ला ने पढ़ा-
 ‘दो दानों के खाते करने चले मजदूरी, करते करते हार गया, फिर भी ना पड़ी पूरी।।
इनके अलावा विजय मेहरा शिवचरण उटमालिया, डी.पी.यादव, लक्ष्मी नारायण शर्मा, पी.एल.कड़ा,एम.पी.गोस्वामी, रमेश खरे, ने भी अपनी रचनाएँ सुनायी।
 गोष्ठी संचालन विजय मेहरा और राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया ने किया
तथा सभी का आभार प्रदर्शन परमेश्वरीदास तिवारी ने किया।

रपट- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’,
     अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
       मोबाइल-9893520965,