Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 22 जून 2018

राना लिधौरी की पुस्तक‘लुक लुक की बीमारी’ की समीक्षा गोष्ठी हुई











rajeeev namdeo rana lidhoriराना लिधौरी की पुस्तक‘लुक लुक की बीमारी’ की समीक्षा गोष्ठी हुई                 Date 15-6-2018

टीकमगढ़// ताल दरवाजा स्थित सर्वोदय सदन में नगर के ख्यातिप्राप्त साहित्यकार राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ का बहुचर्चित बुन्देली संग्रह ‘लुक लुक की बीमारी’ पर केन्द्रित समीक्षा गोष्ठी आयोजित की गयी। जिसकी अध्यक्षता पं.श्री हरिविष्णु अवस्थी ने की मुख्य अतिथि के रूप में श्री फूलचंद जैन एवं विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ व्यंग्यकार श्री रामस्वरूप दीक्षित रहे। व्यंग्यकार अजीत श्रीवास्तव एडवोकेट ने
समीक्षा करते हए कहा कि ‘‘तीखी गंध की पोथी है ‘लुक लुक की बीमारी’, दो पै नौ उन्नतीस व्यंग्य की रचनाएं ई में परोसी गई है पढ़वे वारन खों मिर्ची,कवियन खों चिरपरी सी लगने, काय से राना जू नै ऐंन तान कें सबई की टेड़ेपन पै खिंचाई करी। हमाय जान तौ पैली बार बुन्देली मैं व्यंग्य की ऐसी नौनी पोथी कढी है। इनमें व्यंग्य की व्याकरण के सबरे रूप स्वरूप आ गये।’’
श्री आर एस शर्मा ने कहा कि- ‘‘पुस्तक का मुख्य पृष्ठ, साज सज्जा बिषयों का चयन और उनका संक्षिप्तीकरण तथा क्रमबद्धता लेखक राना लिधौरी की परिपक्वता को दर्शाता है व्यंग्य ‘जे.एच.डी.’ में लेखक ने लिखा है कि-‘आजकल हरेक शहरन मे पी.एच डी से दूनी संख्या में जे एच.डी अर्थात झोला झाप है डाॅक्टर मिल जाते है। कछु साहित्यकार सरकारी नौकरी से सेवानिवृत होवे पै अचानक अपने नाव के अगाउ डाॅक्टर लिखन लगे है। भलेइ वे मैट्रिक पास हो।’ भौत नोनो व्यंग्य है।’’
सियाराम अहिरवार ने कई कै-‘‘इन व्यंग्य में चुटीनेपन के संगे-सेंगे सरलता और सुभाविकता सोउ है काये कै इनके बनावटीपन निठुँअई नईयाँ इनकी जा कोसिस एक नोंने व्यंगकार की नाई इनै स्थापत करत है।’’
‘‘लुक लुक की बीमारी’ व्यंग्य में उन कवियन की औकात दिखा दई जा आत्म मंच देख के कविता पढ़वे उर मंच पे चढ़वे के लाने फरफरान लगत है और जुगाड,चमचियाई से मंच पे पौच जाउत है।’’
विजय मेहरा लाइब्ररेरियन ने समीक्षा करते हुए कहा कि-‘‘राना लिधौरी की का यह व्यंग्य संग्रह बुन्देली की अनुपम कृति है जिसमें भौत नौने और तीखे प्रहार करने वाले व्यंग्य है। कलम की धार बहुत तेज है।’’
वरिष्ठ व्यंग्यकार रामगोपाल रैकवार ने कहा कि-‘‘ पुस्तक में व्यंग्य बहुत बढिया जो कि हकीकत को ब्यां करते है। पुस्तक के अनेक व्यंग्य देश की ख्यातिप्राप्त पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके है।
वरिष्ठ व्यंग्यकार राम स्वरूप दीक्षित ने कहा कि-‘‘व्यंग्य वहीे है तो अंदर तक चोट करता है राना लिधौरी  का इस पुस्तक के माध्यम से बुन्देली में व्यंग्य लिखने का प्रयास बधाई के काबिल है।’’
इनके अलावा पं.हरिविष्णु अवस्थी फूलचन्द्र जैन,दीनदयाल तिवारी, रविन्द्र यादव,परमेश्वरीदस तिवारी,मनोरमा शर्मा ने भी अपने विचार रखे, इस अवसर पर आरएस शर्मा एवं रविन्द्र यादव ने शाल श्रीफल एवं स्मृति चिह्न देकर राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी का सम्मान किया। कार्यक्रम का संचालन वीरेन्द्र चंसौरिया ने किया तथा सभी का आभार आर.एस शर्मा ने माना।
रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी‘‘
महामंत्री 
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
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