Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 29 जुलाई 2018

पाठक मंच की दो पुस्तकों ‘‘आंजनेय’’ एवं ‘‘जंगल में दर्पण’’ पर समीक्षा राजीव नामदेव "राना लिधौरी" के निवास पर हुई पाठक मंच की समीक्षा गोष्ठी टीकमगढ़// पाठक मंच की मासिक संगोष्ठी माह जुलाई 2018 का आयोजन ‘पाठक मंच’ संयोजक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के आवास पर दिनांक 29 जुलाई 2018 ई. शनिवार कोे सायं 5ः00 बजे से वरिष्ठ साहित्यकार पं.श्री हरिविष्णु अवस्थी जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में एन.डी.सोनी जी रहे। गोष्ठी का संचालन राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। श्री रामस्वरूप शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार ने ‘आंजनेय’’ (काव्य संग्रह) लेखक श्री रामप्रकाश तिवारी की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि-’‘लेखक ने इस पुस्तक में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कथाओं को अपनी कल्पनाओं के सहारे काव्यात्मक सौन्दर्य प्रदान किया है। पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है।’’ श्री हरिविष्णु अवस्थी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘आजंनेय’ के लेखक श्री रामप्रकाश तिवारी हनुमान के परम भक्त प्रतीत होते है। कृति में दिए गये चित्रों से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने देश के विभिन्न भागों में श्री हनुमान के विभिन्न रूपों में प्राप्त विग्रहों के दर्शन किये है। छंद बद्ध रचना होने के कारण कृति पाठकों को आकर्षित करती है।’’ श्री अजीत श्रीवास्वत जी वरिष्ठ व्ंयग्यकार ने कहा कि-‘‘पुस्तक कई कृतियों के गहन अध्ययन से विषयगत रची गयी प्रतीत होती है। पुस्तक शब्द सामथ्र्य,लय,राग,छंद काव्यगुणों से संयुक्त होकर चकित करती है, बजरंग की तरह पृष्ठों में बल है,मात्रा है,आवरण भी उन्हीं का रंग देता हैं कविताएँ आत्मसात करने के लिए प्रेरित करती हैं।’’ श्री भारत विजय बगेरिया जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘श्री राम प्रकाश जी ने इस पुस्तक में हनुमान जी के जन्म से लेकर उनके बारे में बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। पद्य रूप मे व छंद रूप में होने से यह पुस्तक रोचक है तथा पाठक एक छंद पढ़ने के बाद स्वतः ही दूसरे छंद को पढ़ता चला जाता है। पुस्तक पठनीय है।’’ श्री एन.डी. सोनी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने ‘जंगल में दर्पण’’ (कहानी संग्रह) लेखक श्री तरुण भटनागर की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की। श्री एन.डी. सोनी जी ने कहा कि-’‘प्रस्तुत पुस्तक में सात कहानियाँ हैं जो लगभग सवासौ पृष्ठों में संग्रहीत है। चंूकि लेखक बस्तर की उपज है ,इसलिए उसे वहाँ के घने जंगलों और वहाँ के निवासियों का अच्छा ज्ञान हैं जो उनकी कहानियों में बोलता है। सात में से तीन कहानियाँ जंगल पर आधारित हैं। कुछ कहानियाँ लेख जैसी प्रतीत होती हैं। विषयों का चुनाव तो अच्छा है मगर कुछ नाम या शीर्षक ,खटकते हैं। श्री परमेश्वरीदास तिवारी साहित्यकार ने कहा कि-‘‘ इस पुस्तक की कहानी ‘टेबिल’ बडे़ अधिकारियों की हठधर्मिता एवं कठोरता को बयां करती है। अधिकांश कहानियाँ जंगल पर केन्द्रित है। जो आादिवासियों की मनोदश का चित्रण करती हैं। श्री आर.एस.शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘लेखक ने उन क्षेत्रों को छुआ है जो अभी तक अछूते रहे है। खासकर आदिवासी क्षेत्र।’’ श्री हरिविष्णु अवस्थी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-दूसरी कहानी ‘‘जहर बुझे तीर’’ में बस्तर के सघन वनों का एवं अर्द्ध नग्न मात्र लगोटी लगाकर रहने वाले आदिवासी स्त्री पुरूष का वणन किया है।आजादी के बादे खुले स्कूलों में जाने वाले शिक्षकों का किस प्रकार आदिवासी डराते एवं परेशान करते है उसका चित्रण किया है। कुछ कहानियों का शीर्षक से कोई तालमेल नहीं है।’’ /2/ श्री जफ़र उल्ला खां ज़फर जी वरिष्ठ शायर ने कि-‘‘ कहानी संग्रह में एक कहानी में आगे जलने पर संगीत सुनायी देना और बांसुरी कि आवाज आना कुछ जँचा नहीं आग से संगीत का क्या संबंध हो सकता है। कहानियों में अनावश्यक विस्तार है। कुछ कहानियाँ ठीक है।’’ पाठक मंच के संयोजन श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि-‘‘जंगल में दर्पण’’ (कहानी संग्रह) की पहली कहानी ‘रोना’ फिल्म ‘रूदाली’ की याद दिलाती है, तो कहानी ‘‘जहर बुझे तीर’’ आदिवासी क्षेत्रों की व्यथा कथा को प्रदर्शित करती है। ‘प्रथम पुरूष’ कहानी में लेखक ने कल्पना का सहारा लिया है। लेखक को जंगल से बहुत प्रेम है इसलिए अधिकांश कहानियाँ जंगलों पर रची गयी है। पाठक मंच के संयोजन श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि-‘‘कृति हनुमान जी पर केन्द्रित है। हनुमान जी की महिमा का वर्णन काव्य मय करते हुए कृति को रोचक एवं पठनीय बना दिया है और कृति के अंत में देश के विभन्न क्षेत्रों के श्री हनुमान जी के आकर्षक रंगीन चित्रों की झांकी ने पुस्तक के सौंदर्य में चार चाँद लगा दिये हैं।’’ समीक्षा संगोष्ठी पश्चात् ‘गुरू’ पर केन्द्रित काव्य पाठ सम्पन्न हुआ। जलपान पश्चात् पाठक मंच संयोजक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सभी उपस्थित विद्वानों का आभार व्यक्त किया। गोष्ठी के अंत में प्रख्यात कवि नीरज जी के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी। -- -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ संयोजक-पाठक मंच, जिला शाखा टीकमगढ़ टीकमगढ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965

पाठक मंच की दो पुस्तकों ‘‘आंजनेय’’ एवं ‘‘जंगल में दर्पण’’ पर समीक्षा संगोष्ठी हुई
राना लिधौरी के निवास पर हुई पाठक मंच की समीक्षा गोष्ठी
Date-29-7-2018
टीकमगढ़// पाठक मंच  की मासिक संगोष्ठी माह जुलाई 2018 का आयोजन ‘पाठक मंच’ संयोजक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ के आवास पर दिनांक 29 जुलाई 2018 ई. शनिवार कोे सायं 5ः00 बजे से वरिष्ठ साहित्यकार पं.श्री हरिविष्णु अवस्थी जी की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई मुख्य अतिथि वरिष्ठ शायर हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में एन.डी.सोनी जी रहे। गोष्ठी का संचालन राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने किया। 
श्री रामस्वरूप शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार ने ‘आंजनेय’’ (काव्य संग्रह) लेखक श्री रामप्रकाश तिवारी की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि-’‘लेखक ने इस पुस्तक में प्राचीन ग्रंथों में वर्णित कथाओं को अपनी कल्पनाओं के सहारे काव्यात्मक सौन्दर्य प्रदान किया है। पुस्तक पठनीय एवं संग्रहणीय है।’’
श्री हरिविष्णु अवस्थी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘आजंनेय’ के लेखक श्री रामप्रकाश तिवारी हनुमान के परम भक्त प्रतीत होते है। कृति में दिए गये चित्रों से ऐसा प्रतीत होता है कि उन्होंने देश के विभिन्न भागों में श्री हनुमान के विभिन्न रूपों में प्राप्त विग्रहों के दर्शन किये है। छंद बद्ध रचना होने के कारण कृति पाठकों को आकर्षित करती है।’’
श्री अजीत श्रीवास्वत जी वरिष्ठ व्ंयग्यकार ने कहा कि-‘‘पुस्तक कई कृतियों के गहन अध्ययन से विषयगत रची गयी प्रतीत होती है। पुस्तक शब्द सामथ्र्य,लय,राग,छंद काव्यगुणों से संयुक्त होकर चकित करती है, बजरंग की तरह पृष्ठों में बल है,मात्रा है,आवरण भी उन्हीं का रंग देता हैं कविताएँ आत्मसात करने के लिए प्रेरित करती हैं।’’
श्री भारत विजय बगेरिया जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘श्री राम प्रकाश जी ने इस पुस्तक में हनुमान जी के जन्म से लेकर उनके बारे में बहुत ही सुंदर वर्णन किया है। पद्य रूप मे व छंद रूप में होने से यह पुस्तक रोचक है तथा पाठक एक छंद पढ़ने के बाद स्वतः ही दूसरे छंद को पढ़ता चला जाता है। पुस्तक पठनीय है।’’
श्री एन.डी. सोनी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने ‘जंगल में दर्पण’’ (कहानी संग्रह) लेखक श्री तरुण भटनागर की विस्तृत समीक्षा प्रस्तुत की।
श्री एन.डी. सोनी जी  ने कहा कि-’‘प्रस्तुत पुस्तक में सात कहानियाँ हैं जो लगभग सवासौ पृष्ठों में संग्रहीत है। चंूकि लेखक बस्तर की उपज है ,इसलिए उसे वहाँ के घने जंगलों और वहाँ के निवासियों का अच्छा ज्ञान हैं जो उनकी कहानियों में बोलता है। सात में से तीन कहानियाँ जंगल पर आधारित हैं। कुछ कहानियाँ लेख जैसी प्रतीत होती हैं। विषयों का चुनाव तो अच्छा है मगर कुछ नाम या शीर्षक ,खटकते हैं।
श्री परमेश्वरीदास तिवारी साहित्यकार ने कहा कि-‘‘ इस पुस्तक की कहानी ‘टेबिल’ बडे़ अधिकारियों की हठधर्मिता एवं कठोरता को बयां करती है। अधिकांश कहानियाँ जंगल पर केन्द्रित है। जो आादिवासियों की मनोदश का चित्रण करती हैं।
श्री आर.एस.शर्मा जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-‘‘लेखक ने उन क्षेत्रों को छुआ है जो अभी तक अछूते रहे है। खासकर आदिवासी क्षेत्र।’’
श्री हरिविष्णु अवस्थी जी वरिष्ठ साहित्यकार ने कहा कि-दूसरी कहानी ‘‘जहर बुझे तीर’’ में बस्तर के सघन वनों
 का एवं अर्द्ध नग्न मात्र लगोटी लगाकर रहने वाले आदिवासी स्त्री पुरूष का वणन किया है।आजादी के बादे खुले स्कूलों में जाने वाले शिक्षकों का किस प्रकार आदिवासी डराते एवं परेशान करते है उसका चित्रण किया है। कुछ कहानियों का शीर्षक से कोई तालमेल नहीं है।’’
श्री जफ़र उल्ला खां ज़फर जी वरिष्ठ शायर ने कि-‘‘ कहानी संग्रह में एक कहानी में आगे जलने पर संगीत सुनायी देना और बांसुरी कि आवाज आना कुछ जँचा नहीं आग से संगीत का क्या संबंध हो सकता है। कहानियों में अनावश्यक विस्तार है। कुछ कहानियाँ ठीक है।’’
पाठक मंच के संयोजन श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि-‘‘जंगल में दर्पण’’ (कहानी संग्रह) की पहली कहानी ‘रोना’ फिल्म ‘रूदाली’ की याद दिलाती है, तो कहानी ‘‘जहर बुझे तीर’’ आदिवासी क्षेत्रों की व्यथा कथा को प्रदर्शित करती है। ‘प्रथम पुरूष’ कहानी में लेखक ने कल्पना का सहारा लिया है। लेखक को जंगल से बहुत प्रेम है इसलिए अधिकांश कहानियाँ जंगलों पर रची गयी है।
पाठक मंच के संयोजन श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने कहा कि-‘‘कृति हनुमान जी पर केन्द्रित है। हनुमान जी की महिमा का वर्णन काव्य मय करते हुए कृति को रोचक एवं पठनीय बना दिया है और कृति के अंत में देश के विभन्न क्षेत्रों के श्री हनुमान जी के आकर्षक रंगीन चित्रों की झांकी ने पुस्तक के सौंदर्य में चार चाँद लगा दिये हैं।’’
समीक्षा संगोष्ठी पश्चात् ‘गुरू’ पर  केन्द्रित काव्य पाठ सम्पन्न हुआ। जलपान पश्चात् पाठक मंच संयोजक श्री राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने सभी उपस्थित विद्वानों का आभार व्यक्त किया। गोष्ठी के अंत में प्रख्यात कवि नीरज जी के निधन पर दो मिनिट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गयी।
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 -राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ 
संयोजक-पाठक मंच, जिला शाखा टीकमगढ़
टीकमगढ (म.प्र.) मोबाइल-9893520965










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