म.प्र.लेखक संघ की ‘पावस’ पर कवि गोष्ठी हुई Date 1-7-2018
(म.प्र.लेखक संघ की 237वीं गोष्ठी)
टीकमगढ़// डे केयर राजमहल परिसर के सभागार में साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 237वीं मासिक गोष्ठी ‘पावस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर हाजी जफ़र ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर आनंद रहे, विशिष्ट अतिथि के रूप में जतारा से पधारे ओज के कवि महेन्द्र चैधरी रहे।
गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती वंदना कर किया- द्वारे आये शारदे माँ के मिल के चरण पखारो।
विद्या की देवी महरानी, हमने तुम्हे पुकारो।।
जतारा के पधारे महेन्द्र चैधरी ने वीररस की कविता पढ़ी-नफरत की अग्नि में जलता देश दिखाई देता है।
लंका दहन के जैसा ये परिवेश दिखाई देता है।।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा- ताल तलैया सबई सूख गये, कुअँन खां गहरे बोर चूस गये।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’ ने अपनी ‘ग़ज़ल सुनायी-
सभी के काम आना चाहता हूँ, मैं गिरतो को उठाना चाहता हूँ।।
किया ‘राना’ ने जो महसूस अब तक, कलम उस पर चलाना चाहता हूँ।
वरिष्ठ साहित्यकार पं.हरि विष्णु अवस्थी ने दोहे सुनाये- गौरी देखे राह नित साजन आये द्वार।
अपने रूठे पिया से कर लूँगी मनुहार।।
हाजी जफरउल्ला खा जफर ने कलाम पड़ा- रात गुजारी ए.सी. में तो कूलर दिनभर चलता है।
गर्मी कितनी तेज पड़ी हो पता नहीं कुछ चलता है।।
बुन्देली कवि राजेन्द्र विदुआ ने पढ़ा- बाबा रामदेव से भारत की भैंस भई नाराज।
मेरे लिए क्यों भला बुरा तुम कहते हो महाराज।।
कवि रघुवीर आनंद ने पढ़ा- प्रथम असाढ के उमड़े बादल देख उठी आकुलता,
सावन आते आते अब कैसे मिटे व्याकुलता।
आर.एस शर्मा ने पढ़ी-असाढ के बादल वादा बदल रहे,कहीं जयादा बरस रहे तो कहीं बूंदबूंद को तरस रहे
उमाशकंर मिश्रा ‘तन्हा’ ने बुन्देली चैकड़ियाँ पढ़ी-अब लों आव नहीं मानसून,कडगव पूरौ जून।।
गुलाब सिंह यादव भाऊ ने कविता पढ़ी- बर्षा बरसादो मनमानी,सो होये घरन में पानी।।
डी.पी. शुक्ला ने कविता पढ़ी-पावस उतर खंजन है जब आये,तपती धूप मिटे,मिलै जब वर्षा के साये।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-धुँआसे मेघ घने घिर आए,झमाझम जलधर बरसाए।
पूरनचन्द्र गुप्ता ने सुनाया- बदरा बरसत काये नइया फिरत घुमड घुमडकइयाँ।।
शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी- कोशिशे सारी करलो जमाना मगर,
खाक के सबहि पुलके अगर दम नहीं।।
बी.एल.जैन ने सुनाया- पावस घन जल ही है जीवन,पावस का स्वागत सब मिलकरे हम।
रामेश्वर राय ‘परदेशी ने सुनाया- पावस भई बेवस विरछन बिन वरसो नईयां पानी।
एडवोकेट डी.पी. यादव ने सुनाया- आओ पावस आपका स्वागत है,
कर दई देर आने में आई जब हमने लिखे खत है।
एडवोकेट अजीत श्रीवास्तव ने ‘मुर्गे की कथा’ सुनायी।
इनके अलावा एन.डी.सोनी,,धर्मदास साहू, बालमुकुंद प्रजापति, सहित अनेक कवियों ने भी रचना पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ने माना। रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी‘‘
अध्यक्ष-म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
rajeev namdeo rana lidhori tikamgarh
(म.प्र.लेखक संघ की 237वीं गोष्ठी)
टीकमगढ़// डे केयर राजमहल परिसर के सभागार में साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 237वीं मासिक गोष्ठी ‘पावस’ पर केन्द्रित आयोजित की गयी। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर हाजी जफ़र ने की जबकि मुख्य अतिथि के रूप में वरिष्ठ साहित्यकार रघुवीर आनंद रहे, विशिष्ट अतिथि के रूप में जतारा से पधारे ओज के कवि महेन्द्र चैधरी रहे।
गोष्ठी का शुभारंभ प्रमोद गुप्ता ने सरस्वती वंदना कर किया- द्वारे आये शारदे माँ के मिल के चरण पखारो।
विद्या की देवी महरानी, हमने तुम्हे पुकारो।।
जतारा के पधारे महेन्द्र चैधरी ने वीररस की कविता पढ़ी-नफरत की अग्नि में जलता देश दिखाई देता है।
लंका दहन के जैसा ये परिवेश दिखाई देता है।।
पलेरा के रविन्द्र यादव ने पढ़ा- ताल तलैया सबई सूख गये, कुअँन खां गहरे बोर चूस गये।।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘‘राना लिधौरी’ ने अपनी ‘ग़ज़ल सुनायी-
सभी के काम आना चाहता हूँ, मैं गिरतो को उठाना चाहता हूँ।।
किया ‘राना’ ने जो महसूस अब तक, कलम उस पर चलाना चाहता हूँ।
वरिष्ठ साहित्यकार पं.हरि विष्णु अवस्थी ने दोहे सुनाये- गौरी देखे राह नित साजन आये द्वार।
अपने रूठे पिया से कर लूँगी मनुहार।।
हाजी जफरउल्ला खा जफर ने कलाम पड़ा- रात गुजारी ए.सी. में तो कूलर दिनभर चलता है।
गर्मी कितनी तेज पड़ी हो पता नहीं कुछ चलता है।।
बुन्देली कवि राजेन्द्र विदुआ ने पढ़ा- बाबा रामदेव से भारत की भैंस भई नाराज।
मेरे लिए क्यों भला बुरा तुम कहते हो महाराज।।
कवि रघुवीर आनंद ने पढ़ा- प्रथम असाढ के उमड़े बादल देख उठी आकुलता,
सावन आते आते अब कैसे मिटे व्याकुलता।
आर.एस शर्मा ने पढ़ी-असाढ के बादल वादा बदल रहे,कहीं जयादा बरस रहे तो कहीं बूंदबूंद को तरस रहे
उमाशकंर मिश्रा ‘तन्हा’ ने बुन्देली चैकड़ियाँ पढ़ी-अब लों आव नहीं मानसून,कडगव पूरौ जून।।
गुलाब सिंह यादव भाऊ ने कविता पढ़ी- बर्षा बरसादो मनमानी,सो होये घरन में पानी।।
डी.पी. शुक्ला ने कविता पढ़ी-पावस उतर खंजन है जब आये,तपती धूप मिटे,मिलै जब वर्षा के साये।
सियाराम अहिरवार ने पढ़ा-धुँआसे मेघ घने घिर आए,झमाझम जलधर बरसाए।
पूरनचन्द्र गुप्ता ने सुनाया- बदरा बरसत काये नइया फिरत घुमड घुमडकइयाँ।।
शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी- कोशिशे सारी करलो जमाना मगर,
खाक के सबहि पुलके अगर दम नहीं।।
बी.एल.जैन ने सुनाया- पावस घन जल ही है जीवन,पावस का स्वागत सब मिलकरे हम।
रामेश्वर राय ‘परदेशी ने सुनाया- पावस भई बेवस विरछन बिन वरसो नईयां पानी।
एडवोकेट डी.पी. यादव ने सुनाया- आओ पावस आपका स्वागत है,
कर दई देर आने में आई जब हमने लिखे खत है।
एडवोकेट अजीत श्रीवास्तव ने ‘मुर्गे की कथा’ सुनायी।
इनके अलावा एन.डी.सोनी,,धर्मदास साहू, बालमुकुंद प्रजापति, सहित अनेक कवियों ने भी रचना पढ़ी। कार्यक्रम का संचालन रविन्द्र यादव ने किया तथा सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ने माना। रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी‘‘
अध्यक्ष-म.प्र.लेखक संघ टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
rajeev namdeo rana lidhori tikamgarh
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