Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 3 नवंबर 2021

दीप ज्योति (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)


                     💐😊दीप ज्योति😊💐
                   (हिन्दी दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  72वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 3-11-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा,जिला-छतरपुर
06-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़
07-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा,जिला-छतरपुर
08-शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा(टीकमगढ़)
09-सरस कुमार,दोह खरगापुर(म.प्र)
10-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
11-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़(म.प्र)
12-प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद,(हरियाणा)
13-डा. आर. बी.पटेल "अनजान,छतरपुर(म.प्र)
14-अभिनन्दन गोइल, इंदौर,(म.प्र)

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *दीप ज्योति"* 72वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 72 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 72वीं ई-बुक "दीप ज्योति" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बिषय  "दीप"" पर मंगलवार दिंनांक-02-11-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  अपना आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-03-112021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)


बिषय..दीप 
(दोहा.. हिंदी)
2.11.2021

*बिषय- दीप*

*1*

ज्ञान बढ़ाते जो सदा,
       वे आगे बढ़ जात।
                सदा सीखते है नया,
                        दीप से जगमगात।।
                                    ***

*2*

तुलसी पास दिया रखो,
          जो संध्या को आप।
                   पाप कटे दुख दूर हो,
                            मिट जाये संताप।।

                                 ****2-11-2021

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मौलिक एवं स्वरचित)


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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)


*प्रदीप खरे, मंजुल*
****💐*****💐***
1-
दीप दिवाली को जले, 
जगमग चमके देश।
खुद जलकर रोशन करो,
देता यह संदेश।।
2-
रोशन करता है भवन, 
जलता जब है दीप। 
ज्ञान दीप उजयारियौ,
कहता कवि प्रदीप।।
3-
दीप और बाती लियौ,
जामें डारो तेल। 
लक्ष्मी ढिंग उजारियौ, 
धन बरसत है पेल।।
4-
राम अवध को आय हैं, 
नाचौ सब मिल आज।
दीप जले देरी धरो,
राम करेंगे राज ।
5-
नभ से बरसे पुष्प हैं,
भइ चहुँ दिश जयकार।
दीप जलाये द्वार पै,
झूम उठा संसार।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


😊👌🎂दीप🎂👌😊
     *!!*!!*!!*!!*!!*!!*

धनतेरस पर हो गई,
               दीपों की शुरुआत।
दीप मालिका तक सभी,
            घर जगमग हो जात।।

एक दीप चेतन्य है,
              हरदम घट के माँहि।
स्वयं प्रकाशित है मगर,
                तुमने जाना नाँहि।।

एक दीप उस घर रखो,
               जो हो निपट गरीब।
खुश करने की ढूँढिये,
                 कोई भी तरकीब।।

सरहद पर जो डटा है,
                अपना वीर जवान।
उसके घर भी भेजिए,
                दीप धूप पकवान।।

यह चोला है दीप सा,
                 स्वासें इसमें जोत।
चेतन को जाना नहीं,
                पछताये का होत।।

अंधकार से लड़ रहा,
               इक छोटा सा दीप।
तुम भी उसका साथ दो,
               जले अखंड प्रदीप।।
           !!@!!@!!@!!@!!

       -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


🙏🙏🙏हिन्दी दोहे,विषय-दीप🙏🙏🙏
**********************************
 वन  से  लौटे  राम जी, सीता लखन  समेत।
 दीप जले रोशन अबध , स्वर  गूँजा समवेत।

 अवध वासियों को मिले,राम लला सरकार।
 हमें  मिली  दीपावली,  दीपों  का   त्योहार।

 द्वीप द्वीप  दीपावली, दर  दर  दीपित दीप।
 पद्मा  देवी   द्रवित  हो,   दें  दौलत  संदीप।

 दीपदान  कर  अमर  हैं, जग में  पन्ना धाय।
 कुल दीपक दे राज का,दीपक लिया बचाय।

माटी के ही  दीप लें, गढ़ता  जिन्हें  कुम्हार।
जिससे  एक गरीब भी, मना  सके  त्योहार।
**********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी(म.प्र.)

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*05*-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा


 🌹  दीप 🌹

गर्मी सर्दी कुछ नहीं,
       थमी थकी बरसात।
दीप जले नव नेह के,
           दिवाली की रात।

घर आंगन लिप पुत गये,
            चमके दिहरी द्वार।
दीप पर्व पर फिर हुई,
             अंधकार की हार।

महालक्ष्मी दीन की,
      विनय सुनो इस बार।
दीप- मालिका पर्व पर,
        हरो ह्रदय का भार।


***
               -  डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा

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06- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ',लखौरा


🌹हिन्दी दोहा 🌹बिषय-दीप 
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
                 1-
मन मन्दिर अन्दर धरो 
ज्ञान दीप की ज्योत 
सत्य धर्म के दीप से  
तन मन सुद्धी होत 
               2-
अन्दर के अन्धकार से
मानव है  बे चाल 
ज्ञान दीप ज्योति हदय 
सदा रहे खुश हाल 
               3-
दीप दीवली सगुन की 
शुभ लाभ है हाथ 
अधर्म अत्याचार न 
लक्ष्मी देवी साथ ।।
             4-
दसकन्दर को मार के 
आय अवधपुर धाम ।
घर घर दीपक घी जले 
दीपावली भये नाम।।
**
गुलाब सिंह यादव "भाऊ", लखौरा, जिला-टीकमगढ़

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07-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा जिला-छतरपुर


विषय -दीप💥💥💥

1-दीप दीप के महीपत ,
आज जनकपुर आय।
वीर बखानें स्वयं को,
पर धनुष उठा न पाय।

2-
सात दीप नौ खण्ड में,
दयी प्रदक्षिणा धाय।
वृद्ध भओ तन विवश हैं,
करतेअभी सहाय।

3-
दीप जोत प्रज्वलित करो,
नमन करो सिर नाय।
सुख वैभव आरोग्यता ,
दीप दरश से आय।

4-
श्री राम का आगमन,
सुना अवध नर नार।
दीप जलाये सभी ने,
अपने अपने द्वार।

5-
दीपोत्सव यह दिवाली,
तभी से सभी मनाय।
रहे लक्ष्मी की कृपा,
सच्ची लगन लगांय।
***    
-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा

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08-शोभाराम दांगी , इंदु, नदनवारा


1= वन से लौटे राम जी, हर्षित सब नर नार ।
नगर अयोध्या दीप जलें, गांय मंगलाचार ।।

2= दीप जलानें का उत्सव, धनतेरस शुरूआत ।
दुल्हन सी नगरी सजा, घर -घर दीप जलात ।।

3=भरे समुन्दर बीच में, है बड़ा महादीप ।
ऐसे कइयक दीप हैं, भू खणडों के दीप ।।

4= धनतेरस से दीप जला, जो रखते हैं द्वार ।
लछमी जू का आगमन, होय भरें भंडार ।।

5= दीपावली के दिनां, दीप जलाओ द्वार ।
किया उजेला बाहरी , कर ह्रदय उजयार ।।
***
मौलिक एवं स्वचित रचना 

शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़


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*09*-सरस कुमार,दोह खरगापुर


दीप विषय पर दोहा - 
🎇🎇🎇🎇🎇🎇

01
दीप जला आँगन धरो, इक गरीब के द्वार । 
वो खुश होगे ही सदा, खुश होगा परिवार ।। 
02
दीपक से दीपक जले, मिटे जगत अंधकार । 
मन से मन तू जोड़ ले, बढ़े प्यार व्यवहार ।।
03
जगमग कर दीपावली, जगती पूरी रात ।
सरस तकत दीपक जले, मन में होय प्रभात ।।
04
दोष, कपट, लाचल नहीं, ना कोई अंहकार ।
सब दीपक में जल गये, बचा प्रेम व्यवहार ।।
05
बहुत पुरानी यह नहीं, ना ही नया विचार ।
दीप बनो खुद ही जलो, करो दूर अधियार ।।
##
-सरस कुमार,दोह खरगापुर

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10-जयहिंद सिंह जयहिंद,पलेरा जिला टीकमगंढ


#मंगलवार#दिनाँक 02.11.21#
#हिन्दी दोहे 5#बिषय...दीप#
*************************
                    #1#
दीप जले या दिल जले,है यह जलना खास।
दीप देत है रोशनी,आशा दिल के पास।।
                    #2#
प्रकाश का उदगम सरल,होता निर्मल दीप।
जैसै सागर देत है,मूँगा मोती सीप।।
                    #3#
दीप हरण तम का करे,कर देता आलोक।
दीपावलि शोभित करै,पूरा यह भूलोक।।
                    #4#
रवि की छवि होती प्रखर,दीप शाँति का भाव।
दोंनों का अपनी जगह,होता अलग प्रभाव।।
                    #5#
मंगलमय हो दीप जब,होबें मंगल काज।
चाहे कुटिया झोपड़ी,या दुर्ग महाराज।।

#मौलिक एवम् स्वरचित#
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगंढ
**
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11-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
हिन्दी दोहे   विषय  दीप

दीप जलाकर नेह का, उजियारा फैलायं।
आओ हम मिलकर सभी, दीपावली मनायं।।

दीपमालिका के दिये, करें तिमिर का नाश।
जगमग जग होने लगे,ऐसी भरे उजास।।

दीप जलाकर नेह का,फैला दो उजियार।
भीतर बाहर एक सा ,जगमग हो घर द्वार।।

दीपमालिका से सजी, आज अमा की रात।
आएंगी  मां   लक्ष्मी  , करने धन बरसात।।

मोद मगन कतकारियां, चलीं जलाशय पास।
दीप  दान करने  लगीं , मन में भरी हुलास।।

             -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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12--प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद,

दीप.....दोहे

किया पाप का खातमा, दशकंधर को मार
जले अवधपुर दीप सब,हुई राम जयकार

सागर में गहरे छुपे जगमग मोती सीप
भू पर उजियारा करें जलते नन्हे दीप

बच दलदल से पाप के उत्तम बने विचार
दीपक तो जग में सदा दूर करे अधियार

आज अमावस रात है घोर तिमिर हर ओर
दीपक आज जलाइये हो जाने तक भोर

लेने को शुभ लाभ सब  करो सदा शुभ काज
भर उजास संदेश फिर  देते दीप समाज

              -प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद,

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13-डा. आर. बी.पटेल "अनजान",छतरपुर,
दीप 

01
दीप अनोखा स्नेह का,
बाती  हो व्योहार ।
सुखमय जीवन हो तभी,
खुशियों का त्योहार ।
       02
दीप जलाओ सांच का,
करम रूप हो तेल ।
निश्छल बाती बनी हो,
जीवन खेलों खेल ।
***
-डा आर बी पटेल "अनजान,छतरपुर"

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14-अभिनन्दन गोइल, इंदौर(म.प्र)


दीप अनोखा  प्रेम का ,
 बाती हो विश्वास।
जीवन उज्ज्वल हो तभी,
रहे लक्ष्मी पास।।

श्रद्धा रूपी  दीप  हो  ,
नेह रूप  हो तेल।
बाती ममता की बने,
तब हो साँचा मेल।।
***

मौलिक, स्वरचित          
- अभिनन्दन गोइल, इंदौर(म.प्र)

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                               दीप ज्योति
                   (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 72वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 3-11-2021

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