Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 8 नवंबर 2021

उरैन (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़, बुंदेलखंड (मप्र) भारत


                     💐😊उरैन😊💐
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  74वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 8-11-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा,जिला-छतरपुर
06-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा, टीकमगढ़
07-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा,जिला-छतरपुर
08- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
 09- जय हिन्द सिंह जयहिंंद,पलेरा,जिला टीकमगढ़
10-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़(म.प्र)
11-डा. आर. बी.पटेल "अनजान",छतरपुर,
12-रामेश्वर  राय  परदेशी', टीकमगढ़
 13-डा. मैथिली शरण श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
14-संजय श्रीवास्तव, मवई
15-एस आर तिवारी, दद्दा टीकमगढ़
16-भजनलाल लोधी फुटेर
17-द्वारिका प्रसाद गुप्तेश्वर जबलपुर
18-डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल 
19-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
20-अमर सिंह राय,नौगांव
21- राणा भूपेंद्र सिंह, सेवढ़ा, दतिया
22-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर
23-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक *उरैन"* 74वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 74 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 74वीं ई-बुक "उरैन" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बिषय  "उरैन" पर सोमवार दिंनांक-08-11-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-08-112021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*बिषय- उरैंन*

*1*

आंगन में तुलसी लगे,
द्वारे डरत उरैंन।
ऊ घर की विपदा टरे,
मिलत रये सुख चैंन।।
***

*2*

ऊ घर की सोभा बढ़े,
जितै लगतइ उरैंन।
रोग कीट आवे नईं,
खुसी मिले सुख चैंन।।
***

*3*

पक्को फर्श करा लओ,
कैसे लगत उरैन।
रिपटतइ गुरा टूटते,
मिलत नईं अब चैंन।।
****


*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक -'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मौलिक एवं स्वरचित)


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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)


**दोहा..उरैन*
08.11.2021
*प्रदीप खरे,मंजुल*
********************
1
 पूरी हौबै कामना, 
भरे रहें भंडार।
उरैन डार करौ सखी,
स्वामी कौ सत्कार।
2
चंदन चौका पूरियौ, 
बांदौ बंदनवार। 
उरैन डार कलश धरौ,
सुखी रहै संसार।।
3
 आय बराती दोर पै,
सुमरत सबइ गनेश।
उरैन डार उरहिं लगे,
जनकहिं -अवध नरेश।
4
राम नाम सुमरत रही,
फूलन डरत उरैन। 
राम द्वार जब आत हैं, 
लखहिं जुड़ावत नैन।।
5
 राम अवध खौं आत हैं, 
सुन भइ खुशी अपार। 
उरैन डार कलश रखे, 
गीत गा रहीं नार।।
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


😊👌🎂उरैंन🎂👌😊

पंचगव्य ईसें मिलत,
               घर घर डरत उरैंन।
गौ कलजुग की देवता,
               देत हमें सुख चेंन।।

दरवाजें ढिक लगा कें,
              सुंदर लिखत चतोर।
फिर गोबर सें लीप कें,
                डरत उरैंनइ भोर।।

जो उरैंन पै सें गुजर,
                सीधे घर में आत।
बाहर के कीटानु सब,
              गोबर सें मर जात।।

रोज उरैंनन की पृथा,
           कभऊँ जलत है जोत।
गैया कौ गोबर लिपै,
               जो शुभकारी होत।।

दोरें डरत उरैंन जब,
              लछमी घर में आत।
गैया कौ गोबर लिपै,
                कीटानू मर जात।।
          *!!@!!@!!*

       -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)

🙏🙏बुन्देली दोहा, विषय-उरैन🙏🙏
*******************************
जो मानत हैं  गाय खाँ, हिन्दू हों  या जैन।
उनके  दोरे  डरत  है,  गोबर  लिपी उरैन।

भानैजन के काज में, पुन्य कमा रय यैन।
मम्मा फेंकत पत्तलें,  लीपत  माँईं  उरैन।

नयी बहू कौ रूप लख,शीतल हो गय नैन।
कलश सजे  दीपक जले, डारी तुरत उरैन।

मिली कमेली नइ बहू,मिलो सास खाँ चैन।
खुशी-खुशी  बैठीं रतीं, माला जपत उरैन।

पुतराँडी़ धरकें लिंगाँ, ढिक दइ सुगर दुलैन।
गोबर  लैकें  गाय  कौ, लीपन  लगी  उरैन।
********************************

✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी(म.प्र.)

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*05*-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा


 🌹🥀  विषय-उरैन के दोहा 🥀

गिवरी के लिखना लिखे,
              गोबर डरी उरैन।
लिपे पुते द्वारे तकें,
            सरस जुडाबें नैन।

छुइ माटी सें ढिक लगै,
           चंदन चौका पार।
रुच रुच डरै उरैन जब,
            चमकें देरी द्वार।

***
               -  डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा

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06- गुलाब सिंह यादव 'भाऊ',लखौरा

🌲बुन्देली दोहा 🌲
बिषय-उरैंन 
            1-
सईया ने दारु पिइ 
खबर करों उ रैंन 
गड़ बड़ बातें जाकरी 
मार घली ती ऐन 
            2-
श्री कृष्ण ने जन्म लव 
खबर सुनी उ रैंन 
दोड़ लगाई कंस ने 
बात करी जा बैन 
            3-
लगा प्रीत लइ ओर से 
डारन गई उरैन 
मनुवा की धनिया गइ 
लगा और से नैन 

***
गुलाब सिंह यादव "भाऊ", लखौरा, जिला-टीकमगढ़

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07-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा जिला-छतरपुर


उरैन
1-
होत भोर उठ जायें जो,
जैसे- ई-बीते रैन।
बहू लक्ष्मी नार सो,
डारें रोज उरैन।।

2-
घर के द्वारे नियम सें,
डारें जोन उरैन।
बिल्कुल सांची मानियो,
उनै मिले सुख चैन।।

3-
चौखट देरी आसनी,
कीन्हीं नरसिंहदेव।
उनके ही सम्मान में,
डरत उरैन सदैव।।

4-
कौन ठिकानों कौन दिन,
आयें अतिथि भगवान।
बृज उरैन को डारवो।
उनको भी सम्मान।।

5-
रीत पुरातन बनी है,
मानत हैं सब लोग।
घर को दोरो झारकें,
रत उरैन को जोग।
***    
-ब्रजभूषण दुबे 'ब्रज,' बकस्वाहा

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08-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ (म प्र) 8/11/021
बिषय - "उरैन " बुंदेली दोहा 
1=
 जिनके द्वारें उरैन डरे, लगवैं सुंदर दोर ।
नई बहुऐं ये डारतीं, उठकैं पैंलें  भोर ।।
2= 
मंगल, गुरू, शनि छोड़कैं,,डारत हैं दिन चार ।
ई दिन गोबर नइं लिपत, दैं चूना ढिक डार ।।
3= 
गईया गोबर में सदां, है लछमी कौ वास ।
सो द्वारैं नइं डारवैं , गुरू मंगल दिन खास ।।

4= 
नारी लछमी  रूप है, हो संस्कारन दुलैन ।
संस्कार बिन नारियां, वे नइं डारें उरैन ।।
5=
 द्वारन की शोभा बढत, नीके लगतई दोर ।
रोज भुंसरां पैलसैं, दें उरैन चौकोर।।
 ***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़


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09-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
-#सोमवार#दिनाँक 08.11.21#
#बुन्देली दोहे 5#बिषय...उरैन#
*************************
                    #1#
जिस मकान में डरै नित,दौरें रोज उरैन।
महकत रोज निवास ज्यों,फूली होय पुरैन।।
                    #2#
बहू नवेली डारतीं ,जिस घर भोर उरैन।
बंश बेल फूले फले,और जुड़ाबें नैन।।
                    #3#
दोरे में नौनी लगै,चमकत दिन उर रैंन।
भाग पलट दैबै अगर,रोजौं डरै उरैन।।
                    #4#
भाग्यवती कौ भाग्य है,धरम करम की शान।
उरैन रोज डारौ यदि,घर आबैं भगवान।।
                    #5#
जगमग हौबै दोर में,उर उरैन कौ बास।
धरम करम फूलें फलें,पाप लेय हरसाँस।।

#मौलिक#सोमवार#दिनाँक 08.11.21#
#बुन्देली दोहे 5#बिषय...उरैन#
*************************
                    #1#
जिस मकान में डरै नित,दौरें रोज उरैन।
महकत रोज निवास ज्यों,फूली होय पुरैन।।
                    #2#
बहू नवेली डारतीं ,जिस घर भोर उरैन।
बंश बेल फूले फले,और जुड़ाबें नैन।।
                    #3#
दोरे में नौनी लगै,चमकत दिन उर रैंन।
भाग पलट दैबै अगर,रोजौं डरै उरैन।।
                    #4#
भाग्यवती कौ भाग्य है,धरम करम की शान।
उरैन रोज डारौ यदि,घर आबैं भगवान।।
                    #5#
जगमग हौबै दोर में,उर उरैन कौ बास।
धरम करम फूलें फलें,पाप लेय हरसाँस।।

#मौलिक एवम् स्वरचित#
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0  6260886596#
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगंढ
**
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10-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़


बुंदेली दोहे   विषय  उरैंन

घूंघट पट में चिलकरये, बड़े लगनियां नैंन।
मुख की झलक दिखा परी,डारत हतीं उरैंन।।

पोता सें  ढिक  दै  चुकीं ,लीपन लगीं उरैंन।
जाने   हैं    छट   पूजबे,अरघ भांन खों दैंन।।

 देवतन खों  डारो हतो, उनने आज  उरैंन।
प‌ई पांवनन  की  लगी ,लग्गर लम्मी लैंन।।

जा है  अपनी संस्कृती,की सुंदर सुभ दैंन।
ग‌उ  के गोबर  सें  डरै  ,दोरें  रोज  उरैंन।।

रुच रुच रोज उरैंन बे ,डारत मन मुसकात।
गोबर सें खेलत दिखें,गोरे  गोरे  हांत।।

           ***

             -प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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11-डा. आर. बी.पटेल "अनजान",छतरपुर,


दोहा  - उरैन
          01
गो गोबर से लीपबो,
कहते उए उरैन ‌।
उमा भारती औ लक्ष्मी,
आवे खां बेचैन ।
        02
डारे उरैन द्वार पर,
नारी वहीं महान ।
घर में मंगल गावतीं,
जानत सकल जहान ।
         03
जिन द्वारे उरैन परे,
उस घर म मेहमान ।
खान पान उत्तम रहत,
घरवारे धनवान ।
         04
उरैन ये बतला रही,
नारी रहे महान ।
ओइ घर सुख शांति पले,
घर में सबकी जान ।

***
-डा आर बी पटेल "अनजान,छतरपुर"

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12-रामेश्वर  राय  परदेशी', टीकमगढ़
 

     *1*
 चन्दन चौका पार दये       
नीकौ     लगत   उरैन  ।              
  ब ऊ   लच्छमी सी मिली       
 सांसऊं     बड़ी   दुलैन  ।।        

  *2*
सासन को शासन चलत  ,      
बैठीं  रात         उरैन    ।          
करत न कौनउ  चीपटां,
ऐरो  मिलत    न    बैन   । । 

   *3*  
देरी कड़तन  दोर सें,
 नौनो  बनौ     उरैन  ।    
म ईं  नगारथानों   बनों,
  बब्बा  जू की  दैन  ।।      
***
 *-रामेश्वर  राय  परदेशी', टीकमगढ़
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 13-डां. मैथिली शरण श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर

,उठत भोर सें डारतइ,
काकी रोज उरैन।
फिर चौंका चूल्हौ क्ररैं,,
तबइं परत है चैन।।

अपनी खूब बहोर लइ,
सुन लो प्यारी वैन,
बिना डरौ सूनौ लगै,
देरी द्वार उरैन ।।

डिक धर कैं पोती कलइ,
तीपै डरौ उरैन।
गैलारे कैऊ कढैं,
देखत अपरस नैंन।।

पुरखन की जा रीत है,
डारौ रोज उरैन।
विना लिपौ कंउ घर मिलै,
उतइं होत है  ठैन।।
सपरखोर कैं बैन जब,
चलीं बायनौं दैंन,।
खुशहाली मन में भइ,
घर-घर देख उरैन।।

डा. मैथिली शरण श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर

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14-संजय श्रीवास्तव, मवई
*बुंन्देली दोहे*      
               विषय *उरैन*
*१*
बुंदेली भू-भाग में,
      घर-घर डरत उरैन।
रीत पुरानी है बड़ी,
      है पुरखन की देन।।
*२*
अँदयारे सें उठ भगीं,
       गोबर ल्याईं खोज।
डार उरैन दोरे पे,
       धर दइं दो-दो दोज।।
*३*
भुंसारे सें दोरे पे,
       डरबै रोज उरैन।
पैलाँ दादी, फिर अम्मा,
      अब सीख गईं बैन।।

      संजय श्रीवास्तव, मवई,८/११/२१😊दिल्ली

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15-एस .आर .तिवारी "दद्दा", टीकमगढ़

दोहा..उरैन
एस आर तिवारी, दद्दा
।।....।।....।।.....।।.....।।
 ढिक डारौ लीपौ सुनौ, 
द्वारें डार उरैन। 
पइ पाँवने आउत हैं,
मिलत मिलत है चैन।।
2..
तैयारी खूबइ करी,
लगे रहे दिन रैन। 
उरैन डार द्वारें भयै,
 भूत देख बैचैन।
-एस आर तिवारी, दद्दा टीकमगढ़

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16-भजनलाल लोधी फुटेर
(दोहा-उरेंन)

१-
नर की शोभा नारि है,
   जल कि शोभा पुरेंन ।
   मुख की शोभा दांँत हैं,
   घर कि शोभा उरेंन ।।
२-
हँस हँस बडवाई करें,
    माते उर मातेंन ।
    भली मिली बहुलक्ष्मी,
    डारत रोज उरेंन ।।
३-
सबरौ जीबन बीत गव,
    मिलो नहीं सुख चेंन।
    बहुधन सो रयीं पलँग पै,
  ‌  लीपै सास उरेंन।।
४-
लिपो पुतो घर आंगना,
    देरी दोर उरेंन।
    गुँना में हो मुख देख लो,
     न इ न इ आँईं दुलेंन।।

स्वरचित एवं मौलिक
-भजनलाल लोधी फुटेर

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

17-द्वारिका प्रसाद गुप्तेश्वर जबलपुर*
*दो दोहे*
‌झार बटोरी कर सुनो 
‌नोनी डार उरैन।
‌छिटी फैंक के हाथ धो,
‌बोले मीठे बैन।।
‌***
‌भौजी के जी को परत,
‌देखो तबई चैंन।
‌पूस और अमावस को,
‌दोरे डरत उरैन।।
‌****
*‌-द्वारिका प्रसाद गुप्तेश्वर जबलपुर*

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

18-डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल 
दोहे विषय 'उरैन' 
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 उरन दोर में डार कें, 
  बना रंगोली रंग ।
  नोनो दोरो लगत है, 
  लीपौ ढिग दै संग।। 
 
2 दोरो सज गौ उरन से, 
  घना सजीं सिंगार।
  ढिग. तो ऐसी लगत है, 
   उरैन को हो हार।।

3 लीपत तिथ त्योहार खों, 
  दोरे ढिग दै भोर।
  उरैन उए हैं कात हैं, 
   लिपै चोंतरा कोर।। 

4 जनी मांस को काम जो, 
   लीपा पोती आय।
   जी के दोरे उरन हैं, 
    नोनी नार कहाय।। 
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               - डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल 

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19-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
       उरैंन
उठत भोर ग्रह लक्ष्मी, लीपत है उरैंन।
सबरौ घर बुहार कें,जब लेबे वा चैंन।
                          2
सगुन समइया आउत है,दिन होवै या रैंन।
कारज जब सुभ आत हैं,तब तब डरै उरैंन।
                            3
जा घर भोरइ डरत है,बारह मांस उरैंन।
वा घर आवै खों,रहें,लक्ष्मी  जू वैचैंन।
                              4
उरैंन में खेलें मोनियां,जावै बारह गांव।
दरसन करवै वे जात हैं तीरथ जिनके नाव।
उरैंन आबै उरइयां,उठत भोर सें दोर।
सब मिल बैठत घाम लय
फिर कामन की ओर।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
                              ‌         

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20-अमर सिंह राय,नौगांव
बुन्देली दोहे - उरैन
दिनाँक- 08/11/2021

भोर जौंन घरनी  घरै , डारत रोज  उरैन।
ऊके घर समृद्धि सुख,शांति अमन हो चैन।१

बहुअन खों फुर्सत नहीं, डारत कौन उरैन।
आठ  बजे  सोकें जगें, घर की नई  दुलैन।२

चौंतरिया  लीपी-पुती, दिखबे  डरी  उरैन।
समझो बा-घर अमृता, वास करै दिन-रैन।३

शहरन मे अब कम दिखत,घर-घर डरत उरैन।
नहीं  तला  उफना  रहे, कमतइ जात  पुरैन।४

घर मे गोबर होत नहिं, न पशु बँधत की सार।
गोबर बिना उरैन नहिं, को  कर रओ उसार।।५

                  ✍️अमर सिंह राय,नौगांव
                           
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21--      - राणा भूपेंद्र सिंह, सेवढ़ा, दतिया
*विषय - उरैन*
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  08-11-2021
ईशुर
साहित्यन।
स्वागत मे घर मालकिन , डारत भोर उरैन।।
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चूना कौ पोता लगत , गोबर डरत उरैन।
वा घर मे सुख शांति सँग , मिलत सबइ खों चैन।।
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तीज होय त्यौहार हो , होय सु मंगल काम।
चौखट लीप उरैन सो , आवत हैं प्रभु राम।।
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नतमस्तक कर जोर कें , बिछा रखें हैं नैन।
भुसरँय आने पावने , फेरौ बैन उरैन।।
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होत सुहागिल चैत्र मे , सादा बीजासेन।
पालागत है द्वार पै , आतँइ सबइ उरैन।।
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                          - राणा भूपेंद्र सिंह, सेवढ़ा, दतिया

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22-- कल्याण दास साहू "पोषक",,पृथ्वीपुर -
      

उठत भोर गोरी धना , घर की करें बुहार ।
ढिक लगा डारें उरैन , खूँट पार कें द्वार ।।

खण्ड-बुँदेली धाम में , शुभ तिथियाँ त्योहार ।
रोजउँ  डरत  उरैन है , नोंनों  लगत दुआर ।।

गउ कौ गोबर ढूँढ़ कें , हँस - हँस डरत उरैन ।
खुसयाली घर में रुपत , प्रेम शान्ति सुख चैन ।।

महिमा बडी़ उरैन की , गिरा  दूर  हो  जात ।
रोग-दोग बाधा विघन , घर में पिड़ नइं पात ।।

लीपें - पोतें  घर  फबै , पैरें - ओढे़ं  नार ।
रुच-रुच डरै उरैन तौ , जँचतइ देरी-द्वार ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

          ( मौलिक एवं स्वरचित )
                           
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23-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
,
      *उरैन*

सुख समृद्धि न्यौतवे, पावे खौं सुख चैन,
बड़े भुन्सराँ दोर में, डारौ रोज उरैन ।

बनी पुरानी परम्परा, है पुरखन की दैन,
शुभफल की आशा जगै, डारौ रोज उरैन ।

नियति नित्य देवै हमें, धन बल विद्या ऐन,
ऋण सें ऊरन होत हैं, डारौ रोज उरैन ।

*अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
मौलिक-स्वरचित                   
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                               उरैन
                   (बुंदेलीदोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 74वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 8-11-2021



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