Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 14 मई 2022

लबुदिया (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)

      लबुदिया(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 
संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)

                 
  
   💐😊 लबुदिया💐😊
        (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 112वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-05-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-


अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
11-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
12-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
13-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
14--संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली 
15-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
16--सुभाष सिंघई ,जतारा
17-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
18-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
19-हरबल सिंह लोधी टीकमगढ़ 
20-महेश बीसौरिया 'माही' डबरा(ग्वालियर)
21-डा मोहन सिंह क्षत्रिय अजनौरा,बानपुर,ललितपुर उ प्र
22-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)

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  संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'लबुदिया' ( 112वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 112 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 63000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  112वीं ई-बुक 'लबुदिया'   लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-14-5-2022 को बुंदेली दोहा लेखन  प्रतियोगिता-61 में दिये गये बिषय 'लबुदिया'  पर दिनांक-14-5-2022 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-14-05-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*बुंदेली दोहा बिषय- लबुदिया*
*1*
लंबी सी लय लबुदिया,
लचक लमछरी दार।
लल्ला लरत जितै कऊं,
देती खाल उदार।।
***

*2*

मौड़ा देखो आज कै ,
मानत नइँयाँ बात।
धरौ लबुदिया साथ में
बन जायेगी बात।।
***
*राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
        संपादक -"आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com



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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


मास्साब ने लबुदिया , सें सटकी करयाइ।
छुटवा बड़वा सीख गय,खुश भय नन्ना बाइ ।।
            ***        
     ,,,,,
जगन्नाथ की लबुदिया ,चैत शुक्ल सुमवार।
विधी पूर्वक पूजकेँ , दइ करयाई मार।।
,,,,,,,,,,
कभौ रतन गढ़ जाव तो , देवी दरशन पाव।
कीरा पतिरा सें बचो , टोर लबुदिया ल्याव।।
,,,,,,,,,
ब्याव में देवता पुजे ,नेग लबुदिया आर।
सात पांच पिरमोद वर , कन्या ने दय मार।। 
,,,,,,,,,
मततू मारत लबुदिया , दददू रहें बचाय।
जा बताव स्कूल सें , दुपरे कैसें आय।।
,,,,,, 
घली लबुदिया पीठ पै ,उलछर आई फूल ।
लोर सपर टोरत हते , नरवन फरें गदूल।।
,,,,,,,
लफा लबुदिया बांस की , लइ ज्योरिया बांध ।
तीर धनइयाँ सीखवे , गय प्रमोद लै कांध ।।
,,,,,,
नन्ना ने दइ लबुदिया , ओइ सटकिया घाल।
सेंवरो पर गव जांघलि , उदरी निछली खाल।।
,,,,,,,
         ,,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
            ,, स्वरचित मौलिक,,
  -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित को
                                
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

उठा लबुदिया हांथ में, जसुदा पूंछत बात।
घरै होत माखन ररो,चोरी सें कय खात।।
***

आय नरैया ‌लोरकें, हो ग‌इं आंखें लाल।
घली लबुदिया पीठ में,उदरी संगे खाल।।

घली लबुदिया ऊं दिना,जब ‌गय कैंथा खान।
बिरगूले में उड़ गयो,कत ओरे ‌सें भान।।

चरवा तेंदू खात रय,सन्ना ग‌इ दुपाइ।
घरै आय बोदर घली,ठर्रो दये मताइ।।

उपनय डिमलन में भगे,गगरी ग‌इ जब फूट।
घलीं लबुदियां पोंद पै,फटो धर‌उअल सूट।।

घरै दुपरियन न‌इं रुके,रय झिन्नो में लोर।
घरै आय बुदरा घलो,भयो गांव में शोर।।

 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


आठ बैन भइया हते, पड़ लिख बन गय नेक।
अम्मा लयँ रइँ लबुदिया, गैल न भटकौ एक।।
***

कुत्ता दौरै काटवे, सइ उपाय है एक।
पकर लबुदिया हाथ में, मइँ सें मारौ फेक।।

लगी लगन इसकूल गय,लगन ज्ञान की मूल।
घली ना एकउ लबुदिया,करी न एकउ भूल।।

पड़ लिख कें हुशयार भय,हतौ बाइ कौ राज।
ऊ में मारीं लबुदियाँ,जी सें विगरौ काज।।

घर की शान बनी रही, सब मिल कें भय नेक।
 देख लबुदिया बाइ की, हिल मिल कें रय एक।।

***

-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


लएँ लबुदिया गैल खों, हेरत फूल बिछाय।
कबै राम आहैं  इतै, भीलन  मन  हरषाय।।
                  ***
      अप्रतियोगी दोहे- 'लबुदिया'

अम्मा डरवाबे लएँ, हाथ लबुदिया एक।
झूँठी-मूंठी डाँट रइ, बातें करत अनेक।।

डरा लबुदिया से गओ, जौंन जबै को छात्र।
काम तलासत वो फिरै, पछतावा है मात्र।।

गलती पर जिनने कभौं,अगर लबुदिया खाइ।
सफ़ल  भए  आगे  बढ़े, और  तरक़्क़ी  पाइ।

काम लबुदिया का वही, ज्यों अंकुश गजराज।
डर के मारे  होत हैं, मुश्किल बड़-बड़ काज।।
***
       
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

1-
देवी देवता लौ गए,वर दूला इक साथ ।
दूला मारे लबुदिया,दुल्हिन गुर्र भजाँत ।।
***
2- 
दूला दुल्हन को मारे,पांच सात गिन लेत ।
 देवि देवता पुजत में. कसकैं लठिया देत ।।
3- 
नई दुलइया हांत में, पतरी छड़ लए रात ।
दैय  लबुदियां पींठ  में,अपनी गुर्र भंजात ।।
4-
ऐक लबुदिया हाँकवैं,जा मानव की रीत ।
भलों  बुरव का होत है.भइ न आँत की मीत।।
5-
 देत लबुदिया तानकैं,लरका चाली होय ।
पकर कान गुर्रा करें,उठतन भौरइं तोय ।।
6- 
गदा होत हैं जो सदां,खलैं  लबोदा ऐन ।
गुस्सा में रत मोहनी,घले लबोदा बैन ।।

मौलिक रचना

✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा

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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


लियें लबुदिया हाथ में,मैया ठांड़ीं दोर।
इत उत ढूंड़ें श्याम खों,मिलें न माखनचोर।।
           ***
अप्रतियोगी दोहे
🌹
तान लबुदिया जो घली,खुले अकल के द्वार।
तोता से चहकन लगे,दो दूनी हैं चार।।
,🌹
सवा हाथ की लबुदिया,इमे है शक्ती भोत।
हाथ पकर कें जो घली,जल गयी शिक्षा जोत।।
🌹
दिखा दिखा कें लबुदिया,देत गुरू जी ज्ञान।
डरो डरो लरका पड़े,हो जे ज्ञान निधान।।
🌹

-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


लल्ला में औगुन बढ़े, रोज उरानें आयँ। 
माइ बाँध ओखल दियौ,लला लबुदिया खायँ।।
                       ***

                   ✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़

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09- एस आर सरल, टीकमगढ़


लरका  ऐबी काउ कों ,करत  होय  हैरान।
उठा लबुदिया ताड़ दो, दोइ सेंक दो कान।।

लट्ठ लबोदा लबुदिया , लाठी चढ़ी सियाम।
कौन कितें काँ काम की, ऊकों ऊसों नाम।।

पूत  लठेंगर  होय तो, रखों  लबुदिया पास।
बिन ताड़न मानत नईं , करतइ  सत्यानाश ।।

लट्ठ  लबोदा लबुदिया, जे सब भय के मूल।
कौन कितें अजमाउने, करवा  लेत कबूल।।

'सरल'लबुदिया प्यार की,कभउँ न आँसी जाइ।
डाटत  फिरत  मताइ  है , ठठरी  बदें  तुमाइ।।
***************************-********
                  ***
           -एस आर सरल ,टीकमगढ़
        

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10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


रखवारी दिन भर करें,भई रात सें भोर।
लयें लबुदिया हांक रय,घुसे खेत में ढोर।।
          ***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु',बडागांव, झांसी (उप्र.)

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11-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी


गुरू जनन लौ रात ती,
पैल लबुदिया नेक।
सिकै देतती बेइ सब,
 विद्या-विनय-विवेक।
*****
लयें  लबुदिया  फूल  सी,
              माँ  यसुदा  धमकाँय।
गुस्सा    देख   बनावटी, 
              कान्हा  मन मुसकाँय।
*************************
छुडा़ लबुदिया दायजू,
               सुलझा  रय  पंच्यात।
कयँ ककरी के चोर खाँ, 
               गतके    मारे    जात।
*************************
होय  हरीरी  लफलफी, 
                उयै  लबुदिया  कात।
घलबै  जितै  ढडी़च सी,
                तुरतइं उलछत जात।
*************************
बनौ  होय  कानून  चय, 
                 लगो   होय   प्रतबंद।
इस्कूलन  में  लबुदिया, 
                अब  भी  है  स्वच्छंद।
**************************

✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)

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*12-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा



नेंम प्रेम सें डाँट कें, बच्चों खों समजायँ।
लयें लबुदिया हाँत में,पोथी गुरू पडायँ।।
     ****
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

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*13-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़


घली लबुदिया तीन में, पौचे ककछा चार।
फिर तौ होतइ पास गय , कैलाये हुशियार।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
               
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14-संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली


तेज लबुदिया राम की,  चलै बिना आवाज़।      
मिलै करम फल सबइ खों, उते चले ना राज।।
          ***

    -संजय श्रीवास्तव, मवई 😊 दिल्ली
      
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*15-* डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

गुरू लबुदिया लै धरें,जिया देख घबराय।
बिना पढ़ैं जो जात है,बोइ आठ दस खाय।।
***
डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

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16--सुभाष सिंघई ,जतारा



घलत लबुदिया सब रटे , मिले हते  जो  पाठ  |
असुआ डारत पढ़त रय ,  दो चौका  है आठ ||
***
नमन बंदेली‌ साहित्य समूह , 
अप्रतियोगी दोहे 
सबई की सेवा में हाजिर है ,  कछु लबुदिया 

घलत लबुदिया जोर से  , ओरी आतइ ख्याल  |
मास्साब  जहाँ   मारते , होत   चामरो   लाल ||

बाप     लबुदिया   मारता , जीमें   राती     सीख |
पढ लिख कै बन आदमी , कभउँ न.  मांगे भीख ||

दिखलाती   है  दूर से  , उठा   लबुदिया    रोज |
दादी  को  हथियार यह  , पेड़त  मन  में  ओज ||

कौन आदमी  है   इते   , घली   जिसे ना मार |
एक  लबुदिया बड़न की , रखतइ नोनों  प्यार ||

पर होतइ कुछ ढोर है , असर न जिनखौ होय |
मारत  जाओ लबुदिया , जितनी   चाहे  ओय‌ || 

नोनीं धोनी जो बनी , लिखीं  लबुदियाँ  यार |
सेवा में हाजिर करत , जिसे  करो  स्वीकार ||

***

-सुभाष सिंघई ,जतारा

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*17-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा


लाज लबुदिया राखबै,सबक सीक लें खास।
रोज गुरु जी हाँत में,राखें अपने पास।।
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिंद',पलेरा जिला टीकमगढ़
 

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18-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा

गुरू ज्ञान की लबुदिया,जब जीमें पर जात।
अकलबान बन जात नर,कमी नइ कोंन- उ रात।।
***
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा

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*19-हरबल सिंह लोधी टीकमगढ़ 

ढ़ोर मुसरया आलसी , चोर उचक्का जात ।
 ऐई लबुदिया से डटत , नातर जे उबरात ।। 
***
-हरबल सिंह लोधी टीकमगढ़ 

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*20*-महेश बीसौरिया 'माही' डबरा(ग्वालियर)
एक लबुदिया हाँक रय , जन खों समझें ढोर ।
इतें मार सरकार की ,  वितें साव को जोर ।।
***
-महेश बीसौरिया 'माही' डबरा(ग्वालियर)

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21-डा मोहन सिंह क्षत्रिय अजनौरा,बानपुर,ललितपुर उ प्र

बिना बताएं भग गए, सपरन खों जब ताल।
नन्ना नै फिर करो, दै लबुदिया लाल।।
***
-डा मोहन सिंह क्षत्रिय अजनौरा, बानपुर. ललितपुर उ प्र

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22-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)

लिए लबुदिया हाथ में, हांक दये सब ढोर।
गोरी गोबर सब उठा,कंडे थापे भोर।।
***
-आर.के.प्रजापति "साथी" जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)

🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


                            संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

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               लबुदिया
                  (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 112वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 14-05-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         


2 टिप्‍पणियां:

Anshu ने कहा…

Wah majedar

pramod mishra ने कहा…

समस्त कवि जनों को यथोचित नमन नमस्कार
अत्यंत सुंदर कृति