Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 7 मई 2022

ठठरी (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी'टीकमगढ़ (मप्र)

      ठठरी (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 
संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)

                 
  
              💐😊 ठठरी💐😊
        (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
                
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 111वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 07-05-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-


अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह 
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)
11-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
12-रामानंद पाठक ,नैगुवा
13-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
14-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़
15--संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली 
16-श्रीराम नामदेव, काका ललितपुरी
17-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
18--सुभाष सिंघई ,जतारा
19-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
20-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा

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  संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 


               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'ठठरी ( 111वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 111 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  111वीं ई-बुक 'ठठरी'   लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-07-5-2022 को बुंदेली दोहा लेखन  प्रतियोगिता-60 में दिये गये बिषय 'ठठरी'  पर दिनांक-07-5-2022 को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-07-05-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**बिषय-ठठरी*

*1*

ठठरी पै बंधे नईं,
जे माया सब छोड़।
चार दिना की ज़िंदगी,
प्रभु से नाता जोड।।
***
*2*
ठठरी अंतिम सत्य है,
साथ न जाये कोय।
भूल जात सबई जने,
चार दिना ही रोय।।
*** 

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
      संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


 ठठरी सें गठरी बना , यम लयें चले प्रान।
 सावितरी ठांड़ी डगर ,नारी शक्ति महान ।।
             ***        
शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
              विषय ठठरी 
       ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
ठठरी सें ठठरी बंधी , ठठरी धरें कहार 
ठांड़े ठट पीपर तरें , ठांटे नेग समार 
,,,,
ठुक गइ ठठरी ठाठ सें ,ठूंस ठसक दइ आग
ठांड़े ठठ्ठ ठटायकें , ठहक रहो अनुराग 
,,,,,,
ठाट बाट ठुमकत चली , छवि सें तीर ठटाव
जिन ताको मुसकाय गव , कत ठठरी बंधवाव 
,,,,,,
 ठठरी पै ठिठुरी चली , ठठरी पाछूं ठठ्ठ
 ठठरी ठुक शमशान गइ ,आगी ठोकी झट्ट
 ,,,,,
 बखरी सें ठठरी चली , ठाठ बाट के साथ
 रोय कहार उठाउतन , कर गय हमें अनाथ 
 ,,,,,,
 ठठरी बांध मताइ ने ,बारा मारे चार
 इसकूले तुम नइ मरें , लोरत  नरवा धार 
 ,,,,,,
 ठठरी ठोक मताइ रइ , कत नर भर कें जाव।
 हुंदरयाव न पढ़ लिखो , अब नइ हमें सताव ।।
 ,,,,

  -प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
        स्वरचित को
                                
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

ठठरी बरने एक दिन, जा है नीचट बात।
श्री बागेश्वर पीठ सें ,बाबा जू भी कात।।
***
ठठरी विषय पर बुन्देली दोहा 
अप्रतियोगी:-दोहा  
हाड़ मांस सब सूक गय, ठठरी बंधत दिखात।
रोज पियत हैं लाल की,गुटका दस ठो खात।।

राम राम तौ‌ एक दिन, हो जानै है सत्य।
गठरी पै धर फूंक दें,काय करत है अत्त।।

ठठरी बारत ‌रोजकौ, तन-तन पै हो बाइ।
कानन स्वापी बांद ले, लपट चलत हत्याइ।।
मौलिक ***
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

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   04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


मुर्दा ठठरी पै बँदौ,धरें कँदा पै चार।
नाम राम कौ सत्य है,बाकी सब बेकार।।
***
अप्रतियोगी दोहे 
विषय ठठरी

सबखों ठठरी मिलइ जै, गारंटी को लेय।
मार परै जब वक़्त की,कोउ कँदा ना देय।।

माता कै रइ पुत्र सें, लिगाँ हमारे आव।
 नर भर लो पैलें नठउ, ठठरी कितउँ बँदाव।

ठठरी जा रइ गैल में,सबने जोरे हाथ।
मदद करी न जियत में, जब वौ हतौ अनाथ।।

ठठरी डोली बराबर,इनमें होत विदाइ।
खुद खों जाने परत है,संग बहन ना भाइ।।

मुर्दा ठठरी सें कहै,काहे बाँदौ मोय।
राम नाम सुन उठ सकत, ईसें बाँदौ तोय।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी

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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर



जी की आदत में अकड़, मरबे पै नहिं जात।
ठठरी  में भी ठाठ सें, मुरदा अकड़त  जात।।
                    ***      
              -अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर                         

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06-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

1-
लगै लुगइया आँग में,ठठरी बाँदें तोइ ।
मोसें जिन बुलिआइयो,लेत परीछा मोइ ।।
***
2-
खाव पियो ठठरी बँदा,चाय जितै फै जाव ।
खोज मिटावै में लगों,आँखें ना तरराव ।।
3--
 करी विदाई रोत जै,संग में कोउ न जांय ।
ठठरी बाँद कैं लै गए,चार जनें पौचांय ।।
4-
काउ सें जो कोउ लरें,गर जो लरी लुगाइ ।
कंडा कडैं लुअर लगे,ठठरी बँदें तुमाइ ।।
***
✍️-शोभाराम दाँगी 'इंदु' ,नंदनवारा

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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 


ठठरी सोऊ सेज है,जा कर लो स्वीकार।
राम बसा लो कंठ में,होवे बेड़ा पार।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी

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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़


ठिठुर ठंड सै सब रये, ठिया न कहूं दिखाय। 
ठठरी निकरत सी लगै, लगत न कउँ मर जाय।।

बाप मतारी सें करै, जा जग में जो हेत। 
ठठरी सोई आपनी,जल्दी बँधवा लेत।।

                       ***

                   ✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़

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09- एस आर सरल, टीकमगढ़


ठट्ट लगों ठठरी  बँदी, जुरों कुटुम परवार।
हंस  पखेरू उड़  गये, छोड़  चलें संसार।।
                  ***
           -एस आर सरल ,टीकमगढ़
        

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10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'.,बडागांव झांसी (उप्र.)


बातन बातन बात में, ठठरी दीनीं बांद।
बैर बडावै खों चले, खूब मचा रय दांद।।
                   ***
अप्रतियोगी चार दोहे..

मौडा से कय डुकरिया,कर रय सत्यानास।
जा की तो ठठरी बदे, दिन भर खेले तास।।

काय बुराई लेत हो, काय बसातइ बैर।
ठठरी पे जाने परै, निर्धन धनी कुबेर।।

खैर खबर सबसें रखो, आपस में ब्योहार।
जा दिन फिर ठठरी उठे, याद करे संसार।।

बिरथा बैठी डुकरिया, काये खों गरियात।
जी घर से ठठरी उठे, ऊ घर शोक समात।।
****
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु',बडागांव, झांसी (उप्र.)

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11-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी


आतन सगी मताइ की,
 गोद  मनाउत  मोद।
जातन ठठरी माइ की,
मिलत सबइ खाँ गोद।।
****
🙏अप्रतियोगी दोहे-ठठरी🙏
***********************
जिन हाँतन ठठरी रची,
           उनके  काम  न  आइ।
जीके  परबे  खाँ  बनी, 
             ऊ  नें  देख  न  पाइ।
************************
सगी माइ की गोद खाँ,
             तरसत  कैउ  नजीब।
ठठरी  की  गोदी  इतै, 
             सबखाँ  होत  नसीब।
************************
आरक्षित रत  वाम खाँ, 
             डोली   माँग   सुहाग।
मगर  अनारक्षित  रहत, 
              ठठरी   अर्थी   आग।
************************
ठाट  रहित  ठठरी  करै,
              अर्थी   अर्थ   विहीन।
चित्त  पार  बारै  चिता,
               काल  सिपाही  तीन।
*************************
ठाट-बाट   ठठरी   बँदो,
              बरबे   जा  रव  अत्त।
खुलकें  सबरे  बोल रय,
              राम   नाम   है   सत्त।
*************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)

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12-रामानंद पाठक ,नैगुवा



ऊके कबहुं काम न आइ,जीनें उयै बनाइ।
जीके कामें आउत है,ऊनें देख न पाइ।।
***
दोहा।
उतनऊं चलै खिलौना,जितनों राम चलाय।
ऐक दिना ठठरी सजै,फिकत मखानें जाय।
**
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुवां
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*13-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा


हर्र, बहेरे, आँवरे,कूट- पीस जो खायँ।
बात,पित्त,कफ सम रहें,ठठरी सें उठ जायँ।।
     ****
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा

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*14-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़

काकी कीकी कब कितै,ठठरी देवें बाँद।
बचकें रैयौ आप सब,कैरय सबसें चाँद।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
               
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15-संजय श्रीवास्तव,  मवई,दिल्ली



ठठरी सबके भाग में,राजा हो या रंक।        
करम, सोच नौनी रखो,जी के मिलने अंक।।
       ***

*अप्रतियोगी दोहे*
*१*
ठठरी डोली एकसीं,
      ठौर अलग हो जात।
एक सासरे जात है,
    एक राम घर जात।।
*२*
ठठरी डोली देखकें, 
      परिजन सब डिड़यात।
रीति जगत की देखकें,
      मनइ मार रै जात।।
*३*
ठठरी की ठठरी बँदे,
      ईकी बुरी लदाइ।
सूकी लकड़ी जानके,
     दई आग परचाइ।
***
अप्रतियोगी दोहों में से भूल वश चौथा दोहा छूट गया था। 

*४*
ठठरी है ठठराँयदी,
       देखत जी घबड़ाय।
जी खों लादें कड़ चली,
      लौट कभऊँ न पाय।।
**-
    संजय श्रीवास्तव, मवई
      8-५-२२ 😊 दिल्ली
      
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16-श्रीराम नामदेव, काका ललितपुरी

 बँधै तुमाइ तौ,तुम चूले में जाव ।            
 टर जाओ तुम मुलक में,घरवाइ लुआ जाव ।।
            ***           
-श्रीराम नामदेव, काका ललितपुरी

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*17*डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
फौजी ठठरी बाँदबे,गव सीमा की ओर। 
दुश्मन धूल चटायकें,मिटा दऔ सब ठोर।।
***
डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़

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18--सुभाष सिंघई ,जतारा
ठठरी बँधवे के पैलऊँ , करियो   नौने काम |
पसरो  राने   ठाठ सब, जप  लो सीताराम ||
***
अप्रतियोगी दोहे विषय - ठठरी 

विषय भलो ठठरी दियो , राना   जू   श्रीमान |
मुरदा  जी पै लेट के , जातइ   है    शमशान ||

ठठरी बँधतइ जौन दिन , धरो रहत सब ठाट |
धरती तक पै  पार के   , छीन.  लेत  है खाट ||

ठाट बाट सब निपुर गय  , ठठरी  बोले अर्थ |
बरबै जाओं  मरगटा , तन है   घर   में व्यर्थ ||

राम   नाम ही   सत्य है , ठठरी  पाछे  बोल  |
पंच सबइ तन झौंकवे , करें न कौनउ झोल ||6

ठठरी पै गठरी बनो  , तन.  जातइ.  शमशान |
लुअर लगा कै सब जनै , बोलत  जातइ  राम ||

ठठरी सुने न काउ की , मुरदा खौ ले लाद |
ले जातइ  वह मरगटा ,तन खौ करवे खाद ||

ठठरी बँधतइ देखकर , बने  पजोखों योग |
तेरई तक डिड़यात है , घर के मिलके लोग ||

बांध  दई  जैसी  बनी , मैंने    ठठरी  आज |
एक दिना सबको परै , ई  ठठरी   से  काज ||

ठठरी कभऊँ न भूलियो , ठठरी अंतिम ठाठ |
जी पै जी ने लेट कै ,  कभी  न पकरी  खाट ||

***
-सुभाष सिंघई ,जतारा

*🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

*19-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
ठठरी तौ सबकी बँधत, राजा हो या चोर! 
कौआ के कोसें कभऊँ, मरत सुनी ना ढोर!! 
          ***
-भजनलाल लोधी फुटेर टीकमगढ़

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*20-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
 #दोहा#

मैया लालन लाड़ दै,होत अगर नाराज।
तोरी ठठरी बँध गई,अमृत जा आवाज।
***                     
ठठरी डोली से कहे,तूँ मैं एक समान।
तू मेरौ घर देखियौ,मैं जा रई मसान।।
***

B
              ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
                 , स्वरचित मौलिक,,
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा


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                            संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)

               

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                       ‌     ठठरी
                  (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 111वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 07-05-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
         


1 टिप्पणी:

pramod mishra ने कहा…

आदरणीय श्री राना जी आपके द्वारा किया गया कवियों की रचनाओं को संकलित करने का कार्य अत्यंत उत्तम एवं सराहनीय है