संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ (मप्र)
💐😊 तातौ💐😊
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) 💐
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 113वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-05-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
03-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
05-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
06-डां रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
08-प्रदीप खरे 'मंजुल',टीकमगढ़
09-एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
10-गोकुल प्रसाद यादव,बुढ़ेरा
11-डां देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
12--संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
13-डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
14-सुभाष सिंघई ,जतारा
15-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
16-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाह
17-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
18-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
19 - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
20- एस.आर.सरल, टीकमगढ़ (मप्र)
21- अभिनंदन गोइल,इंदौर (मप्र)
22-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा (टीकमगढ़)
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संपादकीय
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज एक नया इतिहास रचा है यह ई-बुक 'तातौ' ( 113वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 113 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 80 देश के लगभग 64000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 113वीं ई-बुक 'तातौ' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-23-5-2022 को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'तातौ' पर दिनांक-23-5-2022 को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
ई बुक-प्रकाशन- दिनांक-13-05-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बिषय-तातौ
तातौ-तातौ तन लगे,
लगे चढ़ो है ताप।
तब तरबूजा खाइयो,
चादर ताने आप।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक -"आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' बुंदेली त्रैमासिक ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
** बुंदेली दोहा दिवस सोमवार** 114
विषय -'तातो '
,†*****************************
तरवन में तातो लगत , तपो तवा सौ रोड़।
भर दुपाइ उपनय निगत , मूंढ़ सुआपी ओढ़ ।।
††***†**************************
तातो पी गय तानकें , पानु चाय को छान।
तीन बजे लो भूंक नइ , जे विकास युग ज्वान।।
********************************
तातो लगतइ गेंढ़ुवा , कथरी चादर मान ।
सूकत चिपकत टेंटुवा , कहल परत धमकान।।
*********************************
निन्ने जल तातो पियो , ताती रोटी खाव।
ताते पानी सें कभउ , कोऊ नही नहाव ।।
†*******************************
तातो होवै आंग तो ,दिखा डाक्टर लेव।
जरफरात भोजन कभउ ,जल्दी सें मत जेंव।।
********************************
तातो धमका दुपर को , लपट लूगरा ठौक।
प्याज प्रमोद कि जेब में ,पानी पीलो ओक ।।
********************************
तातो गेंरां सें लगत ,ताती चल रइ वैर।
होशियार पिरमोद रव , आसुन नइयां खैर ।।
********************************
-प्रमोद मिश्रा ,बल्देवगढ़
स्वरचित को
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3- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
तातौ (गर्म) पर बुन्देली दोहे
**********************
तातौ- तातौ खात कय, तनक सिरा कें खाव।
जीभ गाल तरुवा बरैं,ओखत खा ना पाव।।
पाॅंव ततूरी में जरत,लगै बदरिया घाम।
तातौ पानी पी कृषक,करैं खेत पै काम।।
तातौ पानी जौन नर,पी भुनसारें लेत।
पेट साफ राबै सदा,बैद गुनी जा केत।।
जिनके जग में नाम हैं,उनने सहे कलेश।
सोनो तपकें आग में,तजत पुरानो भेष।।
तेंदू पत्ता टोरकें, जब हम घर में ल्याय।
तातौ पानी पी उतइं, बड़े कसाले खाय।।
🌹🌹🌹
✍️ भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा दमोह(मप्र)
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
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04-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
बुंदेली दोहा रचना
दिनांक- 23 मई 2022
दिन -सोमवार
विषय- "तातौ"
************
ताते पै सबने लिखौ, भौतइँ करौ कमाल।
सबसें पीछें रै गये, सिर्फ अंजनी लाल।।
**************************
01
ताजौ, साजौ खाय जो,तातौ भौत न खाय।
मटका कौ पानी पियै, वैद घरै ना जाय।।
02
पड़ौ झाँपड़ा तान कें, तातौ हो गव कान।
गटा खून से देख कें,झट्ट सटक गय प्रान।।
03
कान पिरावै काउ कौ, तनकउ करौ न झेल।
हलकौ तातौ ड़ार दो,तुम लासुन कौ तेल।।
04
सरदी और जुखाम में,तातौ काड़ौ देत।
दागौ जात स्वाँस में, खेंच चामरौ लेत।।
05
तातौ ताव सिराय जो,काम अकल सें लेय।
मिलै सफलता सब जगाँ,कोउ दोष ना देय।।
***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी निवाड़ी
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05-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुन्देली दोहे - तातो (गर्म)
तन-तन तातो तन रहै, तपन न तनक पुसाय।
लू-लपट लग जाय झट, ताप में तन गरमाय।।
तातो रातो चन्द्र यदि, जैसो सूरज रात।
फिर का होतो सोच लो, दिन सी तपती रात।
अम्मा चुम्मी ले रही, सुत सिर गोद लिटाय।
तातो माथो जब लगो, तुरत गई घबराय।।
तातो खाना खाव नित,अल्ल-बल्ल मत खाव।
आग बरस रइ आज-कल, घर में दुबके राव।।
तातो पानी भोर सें, पिऔ बैठ भरपेट।
कब्ज अपच होवै नहीं, हल्को रहतइ पेट।
बिना गरम तातो लगत, हर मुँहतोड़ जवाब।
खरी- खरी सुनबे रहत, कछू जने बेताब।।
खून सदा तातो रहै, ठंडो रहै दिमाग।
नईं फरक ज्यादा परै, सुलगावै कोउ आग।
मौलिक/-
***
-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला-छतरपुर
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06-डां रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
दोहे विषय तातो
1 तातो तातो तपत है,
लगे ततूरी पांव।
तनक दुपारी काट लो,
बैठ पेड़ की छांव।।
2 तातो खा लौ सास ने,
बासो बहु को देत।
बहु खों बिटिया सो लखो,
वा तुमसे का लेत।।
3 तातो तपै शरीर जो,
हो जावै बेहाल।
घर के सबइ डरात थे,
कोरोना के काल ।।
***
डॉ रेणु श्रीवास्तव भोपाल
सादर समीक्षार्थ
स्वरचित मौलिक
मौलिक रचना
✍️
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07-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
बुंदेली दोहा दिवस दिनांक23.5.2022
बिषय तातो
🌹
ताती रोटी नुनखरी,घी डरवे अतकाव।
अमिया चटनी संग मिलै, खूब अफर कें खाव।।
🌹
ताते ताते रोष में, घर बैठो चुपचाप।
इतने छोटे जतन सें, झगड़ा सुरजे आप।।
🌹
गरमी में टंकी तपे,शीतलता गइ भाग।
नोइ बजे सें लग रही, है पानी में आग।।
🌹
ताती रोटी खाय सें,हरदम रेहो स्वस्थ।
रोग दोग ब्यापे नहीं, जीवन रेहै मस्त।।
संशोधित
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
🌹
🌹
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08-प्रदीप खरे, 'मंजुल',टीकमगढ़
*दोहा.. तातौ*
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
%%%%%%%%%%%%
1-
तनक तनक पै तुनक बै,
तुरत बायरें जाय।
आँग तपै तातौ लगै,
तलफत भीतर आय।।
2-
छिद तन तीरन सैं गयौ,
छिदतन करै पुकार।
तातौ तन भयौ आग सैं,
भव रावन संहार।
3-
पिया मिलन की आस में,
निकरी नंगे पाँव।
तातौ तन ताती धरा,
तनक मिली नहिं छाँव।
4-
तन- तन पै गोरी धना,
ढोरन सी नर्राय।
तातौ छारौ मार कैं,
मो पै रइ गुर्राय।
5-
मिलबे सइयाँ सें चली,
तज बरसानों गाँव।
तातौ तन भव आग सैं,
काँटौ लग गऔ पाँव।।
***
✍️ प्रदीप खरे'मंजुल', टीकमगढ़
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09- एस आर सरल, टीकमगढ़
बुन्देली दोहा #तातो#
********************************
जादाँ तातों खाय सें, जर जा तइ है जीब।
अक्क बक्क भूली फिरें,होत भौत तकलीब।।
तातों पानी गुनगुनों, रोज पिओं उठ भोर।
गैस न बनबे पेट में, उठें न पेट मरोर।।
तरें ततूरी चैक रइ, ऊपर चेंकत घाम।
तातों तातों आँग है , भुनसारे सें शाम।।
हालत बुरइ गरीब की, कैतन में सकुचात।
तातो हप्पा घोरुआ , दोइ टेम बों ख़ात।।
बहु धन तातों ख़ात है, डुकरें बासों देत।
सास दुखोंना रोत है, बहु उरजट्टों लेत।।
***
-एस आर सरल ,टीकमगढ़
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10-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी
🙏बुन्देली दोहे,विषय-तातौ🙏
*************************
तातौ बासौ जो मिलै,
सब खा लेत गरीब।
दीनबंधु नें दीन कौ,
ऐसइ लिखो नसीब।
*************************
तातौ पानी कर करे,
नित्य गरारे यार।
तबइ आज हम करकरे,
कौरौना गव हार।
*************************
तातौ जल मोखाँ पिया,
खुद जी भर पी लेत।
जानकार मोरे पिया,
सब खाँ सिक्छा देत।
*************************
तातौ मइना जेठ कौ,
कड़ जातो जौ झट्ट।
मिलतो मजा असाड़ कौ,
रती सबइ की सट्ट।
**************************
तातौ-तातौ खात खुद,
बासौ परसत मोय।
एइ बात पै सास बउ,
लर रइं आपौ खोय।
**************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
*11-डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
🥀 बुंदेली दोहा 🥀
( विषय- तातौ)
जीवन में सबसें बड़ी,
है एकइ अलसेट।
तातौ बासौ खाव सब,
भरौ न पापी पेट।।
मोंडा- मोंडी बिगर गय,
अब फिर रय उखतात।
पैल घरइ में दाबते,
अपनों तातौ भात ।।
सूरज उठतइ भोर सें,
आगी सी बरसाय।
तातौ सौ सब घर लगै,
बैठो परो न जाय।।
जो तातौ भोजन करै,
पीबै तातौ नीर।
आयू, बल,बुध्दी बडै,
चंगौ राय सरीर।।
***
डॉ देवदत्त द्विवेदी, बडा मलेहरा
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
12-संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *तातो*
*१*
जौ लौं तन तातो रबै,
तौ लौं तन की तान।
जैसइ तन शीतल भओ,
टूटी तान उड़ान।।
*२*
ताती छाती धधक रइ,
खून खौलबे ऐन।
शिव जू की गत देखकें,
मन में नइयाँ चैन।।
(☝🏻 *ज्ञानवापी मस्जिद में विराजमान बाबा के संदर्भ में* )
*३*
ताती-ताती सूँट लइ,
बासी दइ सरकाय।
अपनी नर भरकेँ कबें,
जगत भाड़ में जाय।।
*४*
आतंकी खों देखकें,
तातो होबै खून।
लगत पकरकेँ राम धइ,
दें भटिया में भून।।
*५*
तातो गर माहौल हो,
तुरत जगाँ दो छोड़।
अच्छी बातें सोचकें,
गुस्सा खों दो मोड़।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई 😊 दिल्ली
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
*13-* डॉ.प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
पटल को नमन
🙏🙏🙏🙏🙏
तातौ पीने नीर सदा,
घूंट घूंट कर आप।
बदन निरोगी रयै सदाँ,
हर औषधि का बाप।
तातौ भोजन पाइयै,
बासौ बैरी होय।
ताते सैं मन नहिं भरै,
लगो कजन घी होय।।
तातौ लगबै घाम में,
चिकबैं मोरे पाँव।
सैया निगतन नहिं बनें,
बढ़ी दूर है गाँव।।
***
मौलिक स्वरचित
***
डॉ प्रीति सिंह परमार, टीकमगढ़
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
14--सुभाष सिंघई ,जतारा
जौहार जय बुंदेली साहित्य समूह खौं 🙏
23 मई ,प्रदत्त विषय - तातो
उनखौं तातो लग गयो , कह दइ साँसी बात |
नोन मिरच खौं डार कै , काहे काम नसात ||
तातो देवै तीन. है , तन खौं लगतइ झार |
खरी बात, साँसी कहिन, चुका शकल की मार ||
लबरा लोभी लालची , ताती रखतइ लार |
लम्पट इनको मित्र बन , बनतइ लम्बरदार ||
तातो भोजन ठंड में , तन खौ सुख भी देत |
ताती- ताती चाय भी , जड़कारो हर लेत ||
विषय दओं तातो भलो , राना जू ने खोज |
तातो तातो लिख चलो , ठंडो करौं न ओज ||
***
-सुभाष सिंघई ,जतारा
*🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
*15-जयहिन्द सिंह जयहिन्द, पलेरा
#तातौ पर दोहे#
#1#
खाबे में रय सादगी,तातौ तातौ ताव।
पैलाँ की कानात ती,सिरा सिरा कें खाव।।
#2#
तातौ तातौ कान में,डारत ते जब तेल।
रोग मिटत ते कान के,जैसें हो गव खेल।।
#3#
चड़ा करैया तेल की,करबें तातौ तेल।
बरा मगौरा काड़बें,पूड़ी डारें बेल।।
#4#
तातौ पानी जो पियै,हर्र भूँज कै खाय।
बगरो पीवें रायतौ,कभऊँ बैद नाआँय।
#5#
इच्छा भेदी लेतते,हर्र पीस कें खाँय।
रस बराइ तातौ पियें,पेट खलबला जाँय।।
#मौलिक एवम् स्वरचित#
***
-जयहिन्द सिंह 'जयहिंद',पलेरा जिला टीकमगढ़
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16-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
बुंदेली दोहा
विषय-तातौ
1-तातौ पानी न इ पिबत,
गर्मी परी विलात।
जूड़े घड़ा को ल्याव जू,
साता सी मिल जात।।
2-तातौ -बासो न इ गिनत,
लगी हूँक कें भूख।
रातें बियारी नइ करी,
कैसे हो गइ चूक।
3-सूरज की गर्मी बड़ी,
बड़ौ तपो है गाँव।
तातौ -तातौ लगत सब,
धर नइ पारय पाँव।
4-बासौ भोजन मत करो,
तातौ -तातौ खाव।
जो बासौ भोजन करो,
स्वस्थ ने तुम ये पाव।
***
-बृजभूषण दुबे 'बृज', बकस्वाहा
नातौ जग कौ जीव सें
जब तन तातौ रात।
होकें सीरी राख फिर
माटी में मिल जात।।
***
-रामगोपाल रैकवार टीकमगढ़
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
18-आर.के.प्रजापति "साथी"जतारा,टीकमगढ़ (म.प्र.)
लिए लबुदिया हाथ में, हांक दये सब ढोर।
गोरी गोबर सब उठा,कंडे थापे भोर।।
***
-आर.के.प्रजापति "साथी" जतारा,टीकमगढ़ (मध्यप्रदेश)
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19 - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय तातौ
तातौ तातौ आंग है , जाड़ौ लगबै ऐंन।
चड़न लगो है इकतरा , जौ दुस्टी दुख दैंन।।
काल गये ते ओरछा , पावन तीरथ धाम ।
चौक कछू तातौ लगो, भीतर मिल गय राम।
तातौ सूंटौ सोंक सें , बासौ दियौ न कौर ।
तन में रै है ताजगी , कर लिइयौ जू गौर।।
उठत भुंसरा सें पियौ , तातौ पानी रोज ।
कभउँ न करकें आ सकें, मिटै रोग कौ खोज।।
बिटिया तातौ भात है , की के पेट समात ।
जाबै देरी टींक कें , सूनों घर कर जात ।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
20- - एस आर सरल,टीकमगढ़
बुन्देली दोहा #तातो#
********************************
जादाँ तातों खाय सें, जर जा तइ है जीब।
अक्क बक्क भूली फिरें,होत भौत तकलीब।।
तातों पानी गुनगुनों, रोज पिओं उठ भोर।
गैस न बनबे पेट में, उठें न पेट मरोर।।
तरें ततूरी चैक रइ, ऊपर चेंकत घाम।
तातों तातों आँग है , भुनसारे सें शाम।।
हालत बुरइ गरीब की, कैतन में सकुचात।
तातो हप्पा घोरुआ , दोइ टेम बों ख़ात।।
बहु धन तातों ख़ात है, डुकरें बासों देत।
सास दुखोंना रोत है, बहु उरजट्टों लेत।।
*********************************
- एस आर सरल,टीकमगढ़
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
21- अभिनंदन गोइल,इंदौर (मप्र)
बुंदली दोहा - तातौ
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तातौ पूरौ वदन तो , जौ तो प्रेम बुखार।
ठंडो जियरा जब भयौ,मिलो सजन कौ प्यार।।
कुढ.-जर कें तातौ भयौ,उयै न कछू सुहाय।
जर-भुँज कें वौ मर गयौ,अपनी कुगत कराय।।
गुस्साँ सें तातौ भयौ, मारत है फुफकार।
जबरा जब सामें परो,करवे वहु सत्कार।।
तातौ हो हेरन लगो , भारी वौ इतराय।
बक-बक मो सें जब करी,थापर दई जमाय।।
ऐन ततूरी में गयौ , न्यौतौ पेलो जाय ।
तातौ-तातौ खा लियौ, मिचली सी अब आय।।
***
मौलिक, स्वरचित -अभिनन्दन गोइल, इंदौर
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22-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा (टीकमगढ़)
1-
तकुवा तातौ कर धरो
दव खथा खो फोर।
पैला को इलाज है
लगी पीप की डोर ।।
2-
तातौ तातौ देह में
सदा रात है साथ ।
जो तातौ कड़ जात है
चला न पाव हात ।।
गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा जिला टीकमगढ़
🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादन-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 113वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-05-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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