राजीव नामदेव "राना लिधौरी" हास्य, व्यंग्यकार, ग़ज़लकार,हाइकुकार, लेखक संपादक "आकांक्षा" पत्रिका अध्यक्ष -मप्र लेखक संघ टीकमगढ़ अध्यक्ष- वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़ पूर्व मंत्री- अ.भा.बुंदेलखंड़ साहित्य एवं संस्कृति परिषद टीकमगढ़ डायरेक्टर "आकांक्षा" पब्लिक स्कूल टीकमगढ़ तीन राज्यपालों द्वारा सम्मानित, शताधिक सम्मान प्राप्त। 6पुस्तकें प्रकाशित,13का, 300कवि सम्मेलन में भागीदारी पता- नई चर्च के पीछे शिवनगर कालोनी टीकमगढ़ (मप्र )भारत मोबाइल +91- 9893520965 Email ranalidhori@gmail.com
Rajeev Namdeo Rana lidhorI
रविवार, 23 अप्रैल 2023
मंगलवार, 11 अप्रैल 2023
बुधवार, 5 अप्रैल 2023
आओ हिंदी सीखे - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
आओ हिंदी सीखें :-
संकलन राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़
- _*योजक चिन्ह का प्रयोग*_ -
1. विपरीत अर्थ रखने वाले शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- रात-दिन, पाप-पुण्य, माता-पिता, सुख-दुख, आगा-पीछा, नीचे-ऊपर, अच्छा-बुरा, हार-जीत, आना-जाना, हानि-लाभ, उतार-चढ़ाव, यश-अपयश, उतार-चढ़ाव, उल्टा-सीधा इत्यादि।
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण या तुलनवाचक ‘सा’, ‘सी’ या ‘से’ से पहले योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- बहुत-सा धन, कम-से-कम, भरत-सा भाई, यशोदा-सी माता, विभीषण-सा भाई।
3. शब्दों में लिखी जाने वाली संख्याओं एवं उनके अंशों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- एक-तिहाई, एक-चौथाई आदि।
4. जहाँ दोनों पद प्रधान हो वहाँ दोनों शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, अर्थात द्वन्द्व समास के सामासिक पद के दोनों पदों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- घास-फूस, मोटा-ताजा, मार-पीट, कन्द-मूल-फल, आगा-पीछा, लोटा-डोर, दूध-रोटी, खान-पान, दूध-रोटी, कपड़े-लत्ते, दाना-पानी, दो-चार, फल-फूल, मोल-तोल, राग-द्वेष, लीपा-पोती, दाल-चावल इत्यादि।
5. तत्पुरुष समास के सामासिक पद के दोनों पदों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- हवन-सामग्री, देश-भक्ति, दिल-तोड़ आदि।
6. लगभग समान अर्थ रखने वाले शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- सेठ-साहूकार,कूड़ा-कचरा, कपड़े-लत्ते, घास-फूस आदि।
7. समान शब्द की पुनरावृति होने पर दोनों शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- राम-राम, शहर-शहर, गाँव-गाँव, बीच-बीच, आगे-आगे, पीछे-पीछे, नगर-नगर इत्यादि।
8. प्रेरणार्थक क्रिया में प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- उठाना-उठवाना, गिराना-गिरवाना, काटना-कटवाना इत्यादि।
9. किसी पैराग्राफ में जब किसी लाईन में लिखते समय यदि कोई शब्द पूरा नहीं लिखा जा रहा हो तो उस शब्द को आधा लिखकर वहाँ योजक चिन्ह लगा दिया जाता है और शेष बचा हुआ शब्द अगली लाईन में लिख दिया जाता है।
10. आम बोलचाल की भाषा में हम अक्सर सार्थक शब्दों के साथ तुकबंधी वाले निरर्थक शब्दों का प्रयोग भी करते हैं. इस सार्थक एवं निरर्थक शब्दों को लिखते समय इनके मध्य भी योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है. जैसे:- चाय-वाय, पानी-वानी, आलू-फालू इत्यादि।
***
संकलन - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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मंगलवार, 4 अप्रैल 2023
महावीर (जैन भगवान) हिंदी दोहा
[04/04, 8:54 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)०४/०३/०२३
बिषय-"महावीर"(जैनभगवान)हिन्दी दोहा (१३१)
१=महावीर सुन लीजिये ,जैन धर्म भगवान ।
"दाँगी" शरण में लीजिए ,दीजे हमको ग्यान ।।
२=जप तप कीजे ध्यान से, महावीर भगवान ।
"दाँगी" सच्ची आस्था ,रखते सदा सुजान ।।
३=जैन मुनि निर्वस्त्र रहै ,त्याग तपस्या कीन ।
महावीर सिखला रहे ,"दाँगी" कुछ नहि दीन ।।
४=तेरा मेरा क्या यहां ,सीख देय मुनिनाथ ।
महावीर कहते यही , कुछ नहि "दाँगी" साथ ।।
५=महावीर भगवान की ,कठिन साधना मान ।
जैन धर्म अनुयाय के ,"दाँगी" सेवा ठान ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[04/04, 9:10 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: हिंदी दोहे विषय -महावीर
(१)
महावीर स्वामी तुम्हें , वंदन सत -सत बार।
विषयों पर पाई विजय , वेश दिगंबर धार।।
(२)
तीर्थंकर चौबीसबें , महावीर भगवान ।
बारह वर्षों तप किया , पाया पूर्ण ज्ञान।।
(३)
कठिन साधना में रहे , महलों से मुख मोड़ ।
चले सत्य की खोज में, महावीर सुख छोड़।।
(४)
मूल मंत्र बतला गए , महावीर भगवान ।
चलो सत्य की राह पर , करो क्षमा का दान।।
(५)
महावीर स्वामी कहें , जो नर हिंसक होय ।
उसको तीनो लोक में , क्षमा करे नहिं कोय ।।
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प्राणों से प्रिय हो मुझे , गुरुवर आप महान ।
महावीर स्वामी नमन , करता कवि "नादान"।।
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आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 04/04/2023
[04/04, 9:47 AM] Promod Mishra Just Baldevgarh: भगवान महावीर के शुभ जन्मोत्सव की बधाई ,
विषय,, महावीर,, हिंदी दोहा
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वर्धमान महावीर हैं , तीर्थांकर भगवान ।
चैत्र शुक्ल त्रयोदशी , जन्म "प्रमोद" प्रमान ।।
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राजा क्षत्रिय सिद्धार्थ की , त्रिशला नार महान ।
जिनके पूत "प्रमोद" थे , अतिवीर वर्धमान ।।
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जाति भेद हिंसा बली , का जब बड़ा प्रभाव ।
तब "प्रमोद" अतिवीर का , जग में प्रादुर्भाव ।।
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पंचशील सिद्धांत सँग , सत्य अहिंसा पाठ ।
सात तत्व छह द्रव्य में, मिली मोक्ष की बाट ।।
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अचौर्य अहिंसा सत्य व्रत , ब्रह्मचर्य "प्रमोद" ।
अपरिग्रह मुनि आर्यिका , शक्ति संयम मोद ।।
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तीर्थांकर चौबीसबे , महावीर कहलाय ।
दया क्षमा कीजै प्रभू , शीश "प्रमोद" नबाय ।।
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,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़ ,,
,, दोहा रचनाकार ,,
[04/04, 10:13 AM] Jai Hind Singh Palera: #मंगलवार#दिनांक ०४.०४.२०२३#
#हिन्दी दोहे दिवस#बिषय-महावीर#
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#महावीर(जैन भगवान्) पर दोहे#
#१#
सत्य अपरिग्रह जान लो,और अहिन्सा मान।
बृम्हचर्य अस्तेय की,महावीर पहचान ।।
#२#
है माया सत्संग की,जैन धर्म की जान।
महावीर ने दिया जो,मत है वही महान।।
#३#
महावीर जी दे गये,जग को ऐसा मर्म।
जिसे विश्व भर मानते, बना जैन वह धर्म।।
#४#
जो करनी भरनी वही,बहतरणी का काम।
संत कहें बो ही करें,महावीर के नाम।।
#५#
महावीर चौवीसवें,तीर्थांकर हर पीर।
दिशा जगत को दिखा दी,खिला प्रेम की खीर।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़ #
मो०-६२६०८८६५९६
[04/04, 10:37 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *हिंदी दोहा बिषय :- महावीर*
महावीर का था सुनो , #राना यह संदेश |
जियो और जीने रखो , अपना अब परिवेश ||
महावीर तप के धनी , कहलाते भगवान |
सदा अहिंसा पथ चले , #राना का गुणगान ||
दया धर्म को पालकर , कही अहिंसा बात |
#राना तब ही आज हैं , महावीर सौगात ||
विश्व युद्ध दहलीज पर , #राना देखे घात |
महावीर स्वामी यहाँ , करें प्रेम की बात ||
राम कृष्ण गौतम हुए , #राना श्री महावीर |
सभी यहाँ अवतार ले , हरते सबकी पीर ||
*** दिनांक- 4-4-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
[04/04, 2:34 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: हिन्दी दोहे विषय-महावीर🌹
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अंतिम तीर्थंकर हुए,
महावीर भगवान।
सत्य अहिंसा शांति के,
बने प्रथम प्रतिमान।।
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थे अमानुषिक कृत्य में,
जन-समूह अनुरक्त।
महावीर यह लख हुए,
तपश्चरण आसक्त।।
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राज ताज गृह त्यागकर,
पहन सत्य परिधान।
मार्ग चुना कल्याण का,
महावीर भगवान।।
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महावीर ने तप किया,
हुआ तिमिर का नाश।
हिय में केबल ज्ञान का,
फैला दिव्य प्रकाश।।
***********************
भक्तों पर करते कृपा,
महावीर भगवान।
मोक्ष सिद्धि समृद्धि सुख,
पाते भक्त सुजान।।
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✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[04/04, 3:37 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: हिन्दी दोहे विषय महावीर
पूज्य पिता सिद्धार्थ के, घर आंगन की शान।
मां त्रिसला के लाड़ले , महावीर भगवान।।
त्यागा वैभव राजसी , छोड़ दिया परिधान।
चले दिशाएं ओढ़ के, महावीर भगवान।।
सत्य अहिंसा अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य अस्तेय।
महावीर जी के लिए , ये गुण थे श्रद्धेय।।
महावीर जी ने दिए , हैं उत्तम उपदेश।
जितना हम से हो सके,हरते रहें क्लेश।।
तीर्थंकर चौबीसवें , महावीर भगवान।
जैन बन्धु करते रहें , जिनका गौरव गान।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[04/04, 5:51 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *हिंदी दोहा दिवस*
(मंगलवार,- ४-४-२३)
विषय - *महावीर*
*१*
करुणा के सागर कहें,
महावीर भगवान।
गैरों के दुख - दर्द को,
अपने दुख सा जान।।
*२*
जीने दो औ ख़ुद जियो,
सब जन रहें स्वतंत्र।
महावीर जी दे गए,
यह जीवन का मंत्र।।
*३*
तीर्थंकर वह आत्मा,
चले मुक्ति की राह।
सत्य,अहिंसा,अपरिग्रह,
की रख मन में चाह।।
*४*
दूत अहिँसा के बने,
महावीर भगवान।
धरम अहिंसा परम है,
दे गय सबको ज्ञान।।
*५*
सभी आत्मा एक हैं,
सारे धर्म समान।
महावीर जी कह गए,
सबका हो सम्मान।।
*संजय श्रीवास्तव* मवई
दिल्ली
[04/04, 5:57 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: जैन धर्म मत प्रवर्तक , महावीर हैं खास ।
परम सनातन धर्म पर , पूर्ण आस-विश्वास ।।
मन पर पायी है विजय , प्रभु का ध्यान लगाय ।
जय जिनेन्द्र स्वामी प्रभो , महावीर कहलाय ।।
दिया धर्म उपदेश का , दिया दिव्य उजियार ।
महावीर भगवान की,चहुँदिशि जय जयकार ।।
महावीर भगवान जी , करते सबसे प्यार ।
नेह नेम करुणा क्षमा , सरल चित्त व्यवहार ।।
संयम शुचिता प्रेम का , देते शुभ संदेश ।
महावीर धारण किये , महा दिगंबर वेश ।।
सब जीवों के साथ हो , प्रेमपूर्ण व्यवहार ।
महावीर प्रभु ने दिया , सब धर्मों का सार ।।
ज्ञान शील तप ब्रम्हचर्य , अपरिग्रह अस्तेय ।
सत्य अहिंसा पक्षधर , महावीर श्रद्धेय ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
[04/04, 9:01 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: जैन धर्म मत प्रवर्तक , महावीर हैं खास ।
परम सनातन धर्म पर , पूर्ण आस-विश्वास ।।
मन पर पायी है विजय , प्रभु का ध्यान लगाय ।
जय जिनेन्द्र स्वामी प्रभो , महावीर कहलाय ।।
दिया धर्म उपदेश का , दिया दिव्य उजियार ।
महावीर भगवान की,चहुँदिशि जय जयकार ।।
महावीर भगवान जी , करते सबसे प्यार ।
नेह नेम करुणा क्षमा , सरल चित्त व्यवहार ।।
संयम शुचिता प्रेम का , देते शुभ संदेश ।
महावीर धारण किये , महा दिगंबर वेश ।।
सब जीवों के साथ हो , प्रेमपूर्ण व्यवहार ।
महावीर प्रभु ने दिया , सब धर्मों का सार ।।
ज्ञान शील तप ब्रम्हचर्य , अपरिग्रही अस्तेय ।
सत्य अहिंसा पक्षधर , महावीर श्रद्धेय ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
गैलारे (राहगीर)
[03/04, 10:22 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बिषय :- गैलारे (राहगीर)*
महावीर का जन्म है , दिवस आज सुखकार |
सब गैलारे बौलतै , #राना करौ जुहार ||
(सभी मित्रों को आज *महावीर जयंती* की शुभकामनाएँ)
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
गैलारे बतकाव में , ज्ञान देत सँग लेत |
#राना हूँका जौर से , आपस में बें देत ||
गैलारे सब है इतै , नइँ मालिक हम होंय |
बात समझ में आ चुकी , #राना काहै रोंय ||
गैलारे बन राम जी , चले गयै वनबास |
#राना शिक्षा दे गयै , नईं राज है खास ||
गैलारे सब मस्त है , नगर अजुध्या धाम |
गाते है #राना भजन , घट- घट में श्रीराम ||
गैलारे खौ देख कैं , गोरी गइ मुसकाय |
पिया लुआबें आ गयै , #राना खौं समझाय ||
***दिनांक-3-4-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
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[03/04, 10:40 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)०३/०४/०२३
बिषय--गैलारे (राहगीर)बुंदेली दोहा (159)
1=गैलारे तो सबइ हैं ,कीकी कैसी राह ।
"दाँगी" नौनी गैल ही ,चलकैं पावैं थाह ।।
2=निगत जात ते गैल में ,गैलारे सब कात ।
"दाँगी" निंगकैं जातते ,अब मोटर सैं जात ।।
3=गैलारे खूबइ मिलें ,गये ओरछा धाम ।
"दाँगी" पुख्खन जात हैं ,जितै विराजे राम ।।
4=पग ड़ंडी सी गैल में ,गैलारे मिल जात ।
"दाँगी" शोभाराम सैं,गैलारे बतियात ।।
5=नौनी गैल निहार कैं ,चलौ चातुरी गैल ।
"दाँगी" गैलारे बनैं ,मन मैं नइँयाँ मैल ।।
6=बनैं मदारी शिव शँकर ,गैलारे बन जात ।
"दाँगी" दरसन पात हैं, मस्कउँ देखत रात ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[03/04, 11:11 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय -गैलारे
(१)
घनों छांयरौ देख कैं , गैलारे रुक जात ।
हरे भरे बिरछा तरें , बैठ तनक सुसतात।।
(२)
जेठ मास की धूप में , होबैं उपनय पांव ।
गैलारे आशा करैं , मिल जाबै कउॅं छांव।।
(३)
आम तरैं मटका भरौ , देखैं मन ललचाय।
गैलारौ लै छांयरौ , अपनी प्यास मिटाय ।।
(४)
ऊपर डारन में दुके , जई जीउ सुसतांय ।
बिरछा नेंचैं बैठ कैं , गैलारे बतयांय ।।
(५)
गैलारौ जो गैल में , तनक छांयरौ पाय ।
बिना बिछौना के उतइॅं ,बेखटकौ सो जाय।।
आशाराम वर्मा "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 03/04/2023
[03/04, 11:13 AM] vidhya sharan khare Sarser Noganw: बुंदेली दोहे,शीर्षक गैलारे।
1-दोहा लिखवे खां मिले, शीर्षक है गैलारे,
महावीर जयंती की शुभकामना,अपुन सबखां पेंलारे।।
2-पेलूँ पेल जुड़े मंच से,मिलो शब्द गैलारे।
दिल से सबइ खां रामराम,दोई हाथ फैलारे।।
3-दोहा लिखवे की अब लत डारी, जो न हती पैलांरे।
हाथ जोड़ के विनती कर रये, हमई बने गैलारे।।
4,परदिसिया बन जात हैं, करत फिरत वेपार।
गैलारे खां तके है धंनिया,लम्बो घूंघट डार।
5-झुक आई लोलईया ,होत अथोली ज्वार।
रोकें गोरी गैलारे खां, उठ जइयो भुनसार।।
स्वरचित
विद्या शरण खरे,शिक्षक
शिव धाम सरसेड ।mp
03,04,2023,सोमवार
[03/04, 11:27 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *विषय-गैलारे*
03-04-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
%%%%%%%%%%%
1-
गैलारे ई लोक के,
जाने है परलोक।
धर्म करैं सीढ़ी मिलै,
झट्ट मिटत है शोक।।
2-
गैलारे ई गैल के,
करत खूब उत्पात।
गैलन छेड़त गोपियाँ,
खूब उराने आत।।
3-
गैलारे भारी खड़े,
निरखत सबरे गैल।
लला नंद कौ आ रयौ,
करूँ दरश मैं पैल।।
4-
गैलारे सैं पूँछते,
पनै सखा कौ धाम।
श्रीदामा मन सोचते,
कबै मिलेंगे श्याम।।
5-
देखत मैं सूदे लगैं,
भीतर भरो है मैल।
गैलारे लूटन लगे,
चलौ समर कै गैल।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[03/04, 11:44 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀बुंदेली दोहा 🥀
(विषय- गैलारे)
सेबा साज- समार कौ,
नइयाँ कछू बिबेक।
प्रेम गली के हैं सरस,
हम गैलारे एक।।
मेला में संसार के,
चलबौ सबकौ काम।
गैलारे जो जाँ मिलें,
सबखों सीताराम।।
धन- दौलत के लोभ में,
कोउ न करियौ घात।
गैलारे सब हैं इतै,
संगै कछू न जात।।
आये एकइ गाँव सें,
जानें एकइ गाँव।
गैलारे हम हैं इतै,
नइयाँ पक्की ठाँव।।
जिननें कोंनऊँ गाँव की,
देखी नें गडवाँत।
बे गैलारे सें कहें ,
जइयौ डेरे हाँत।।
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[03/04, 1:46 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,, गैलारे,,
******************************
गैलारे घनश्याम जू , चलें सुदामा संग ।
दयँ "प्रमोद"बातें मुलक, देव देख भय दंग ।।
*******************************
गैलारे मैं ठोक दय , जब भड़यन ने लठ्ठ।
डरें कलारें गैल में , जुर "प्रमोद"गव ठठ्ठ।।
********************************
बगरूड़ें में भुमत गव, गैलारो कत भूत ।
कपें भिड़ानो हाँफतइ, देत "प्रमोद"भभूत ।।
********************************
गैलारे दिन डूब गव, इतइ बिलम लो आज ।
मउआ चना "प्रमोद"के , खाव परों सुख साज ।।
*********************************
गैलारे कइयक मिलत , बागेश्वर खों जात ।
पानी पूंछ "प्रमोद"ने , बात करी मुस्क्यात ।।
**********************************
नेता गैलारे बने , लगी वोट पै टुक्क ।
अड़फड़ात चमचा फिरै, दयँ "प्रमोद"कुछ झुक्क।।
***********************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
[03/04, 1:47 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *गैलारे*
*१*
गैलारे सो मन फिरे,
लगी भौंरिया पाँव।
सोचत,भागत कट गई,
धूप मिली ना छाँव।।
*२*
गैलारे भिलसा गए,
गैलें देख हजार।
बीच गली ठाँड़े तकेँ,
जो माया बाजार।
*३*
गोरी तक रइँ गैल में,
गैलारो दिख जाय।
पिया बसे परदेस में,
दूँ पाती पौंचाय।।
*४*
गैलारे मदमस्त जो,
चलबें मन की गैल।
टैम कड़ें पछतात हैं,
गौर करो ना पैल ।।
*५*
गैलारे खों गैल में,
डग-डग मुश्किल आय।
जो साहस, धीरज धरे,
मंजिल वो पा जाय।।
*संजय श्रीवास्तव* मवई
३-४-२३ 😊 दिल्ली
[03/04, 2:57 PM] Jai Hind Singh Palera: #गैलारे पर दोहे#
#१#
गैलारे पैलां चले,गड़इ डोर लै संग।
हारे ना कितना चलें,कायम रहे उमंग।।
#२#
विन्द्रावन की गैल में,गैलारे दंय दौर।
बृज चोरासी कोस की,परकम्मा सिरमौर।।
#३#
गैलारे गलियां चलें,आपस में बतयांय।
मंहगाई की मार सें,कैसें अब बच पांय।।
#४#
गैलारे सें कै रई,नारी चतुर सुजान।
दिन डूबें ना जाव जू,बनकें रव मेहमान।।
#५#
गैलारे गैलें चलें,बांध कलेवा जांय।
भूंक लगी जां छोर कें,अपनी भूंक मिटांय।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०-६२६०८८६५९६#
[03/04, 3:51 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: गेलारे(राहगीर )पर बुंदेली दोहे
1.
"गेलारे ज़ब मिलत हें, मजा सफर में आत,
भूख गैल में ज़ब लगत, खाबे खों मिल जात."
2.
"रस्ता में ज़ब दिखत हैं, गेलारे दो चार,
फकाईं सुना बे कछू, मिलत रेत हर बार."
3.
"गैल में चलत चलत ज़ब, गेलारे थक जात,
कोनउ रोटी देत है, कोनउ जल ले आत"
4.
"घामों निकरत है ज़बइ, याद छांव की आत,
पेड ज़ब लगे हों तभी, गेलारे सुख पात."
5.
गेलारे कुछ होत हैं, दिल से बडे अमीर,
कोनउ चिंता नइ करत, भले धन से फकीर."
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे
भोपाल
03.04.2023
[03/04, 4:19 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे विषय गैलारे (राहगीर)
भटा गकइँयां सूंट कें ,मन भर गा लय गीत।
गैलारे। लौटन लगे , चले चैतुआ मीत।।
जे गोरी गोरा गुना , गुजियां गोंठन जात ।
गैलारे खों देख कें , गैल गैल बुलयात।।
दो गैलारे गौर सें , ननदी रईं निहार।
बीरन एक हमाय हैं , दूजे हैं भरतार।।
मीठे कुअला पै लगी , पनिहारिन की भीड़।
प्यासे गैलारे उनें , देख देख रय हींड़।।
गैलारे तुम ठैर लो , आंगें डांगइ डांग।
तुमें लुटेरे लूट कें , सुजा देंयँ सब आंग।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[03/04, 4:45 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: गैलारे दिनभर कड़त, करतइ दुआ सलाम।
पर हम तौ सबसें करत,जय जय सीताराम।।१
कछु गैलारे सिर हिला, चुप्प चाप कड़ जात।
उन्हें न गूॅंगा तुम कहो,वे अपनों रौब बताते ।।२
हात जोर करतइ कछू ,गैलारे जय राम।
बामन ठाकुर लेते हैं, झुककर हरि का नाम।३
गैलारे तौ हम सबइ, कर रय जग की सैर।
झुककें चलबौ ही भलौ,प्रभु राखै तब खैर।।४
गैलारे बन इक दिना, चलैं राम के ठौर।
राम नाम कौ आसरौ, पौचादै वा पौर।।५
मौलिक, स्वरचित
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[03/04, 5:12 PM] Arvind Shrivastava Bpl: *गैलारे*
राहगीर जै राह पै, पथिक गहै पथ-घाट,
गैलारे जैं गैल में, चलै बटोही बाट ।
सड़क, रास्ता, मार्ग औ, डगर, गुजर कैलात,
गैलारे जी पै चलें, गलियारे बन जात ।
पगडंडी, मग, वीथिका, पंथ, टोर, पद-रेख,
गैलारे की गैल के, हो गय नाव अनेक ।
*अरविन्द श्रीवास्तव*
भोपाल
मौलिक-स्वरचित
[03/04, 6:02 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय: गैलारे (राहगीर)
गैलारे पूछें अगर, नाम पतो उर गैल।
भटके खों रस्ता सही, दिखला दैयो पैल।।
गैलारे निकरत जितै, तकवै भोर व शाम।
कइती जल्दइँ लौटबी,आ रय हुइएँ श्याम।
गली किनारें बैठ कैं,सजनी तकवे पंथ।
गैलारे निरखत सबइ,आ तौ नइँ रय कंत।।
लै कैं झंडा हाथ में, बोलत हैं श्रीराम।
गैलारे गा-गा भजन, लेत जात प्रभु नाम।।
गैलारे जब तीर्थन, करबे पैदल जात।
ठौर ठौर प्याऊ धरी, भोजन लोग करात।।
कोरोना के काल में, देखी बात अजीब।
गैलारे कइ गैल में, ठुकत-पिटत रय खीब।।
गैलारे डेरे चलैं, तबइ सुरक्षित राँयँ।
नइँ जानत जो भी नियम,उनखों सोइ बताँयँ।
अमर सिंह राय
नौगाँव
[03/04, 7:22 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: आरय-जारय भूम पै , गैलारे कहलात ।
कछू जनें तर जात हैं , कछू जनें उतरात ।।
गैलारे कछु रोत हैं , कछू हँसें - मुस्काँय ।
कछू जनें करतब करें , छोड़ नामना जाँय ।।
गैलारे हैं सब जनें , निंगरय अपनीं गैल ।
जानें है सबखों उतै , बाद जाँय या पैल ।।
आन-जान होतइ रनें , है संसारी रीत ।
गैलारे ही सउत हैं , बरसा गरमी शीत ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक"
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
[03/04, 7:49 PM] Asha Richhariya Niwari: बुंदेली दोहे
प्रदत्त विषय**गैलारै
🌹
गैलारो सगरो जगत,घूम रहो दिन रात।
प्रभू कृपा अमरत मिले,जग सें पाये निजात।।
🌹
बिरछा छतनारे लगें,मारग के दोउ ओर।
गैलारन छाया मिले,ओ रुकवे को ठौर।।
🌹
गैलारे तीरथ चले,संदेशो लै जाव।
प्रभु के चरनन में नमन,मोरो सोइ पोंचाव।।
🌹
गैलारन के चैन को,सबइ राखें ध्यान।
प्यासे खों पानी मिले, भोजन ओ सम्मान।
🌹
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻
[03/04, 8:15 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बुन्देली दोहे,विषय-गैलारे🌹
**********************
दो गैलारे देख कें,
चिन्तित हैं कपिराज।
भैया जब बैरी बनत,
गिरत शर्तियाँ गाज।।
**********************
गैलारे की चाल खों,
परख लेत है गैल।
कय कै ऊपै सब निगत,
साजे उर बिगरैल।।
**********************
जो भी गैलारे चलत,
देख परख कें गैल।
बेइ ठिये पै पोंचतइ,
और जनन सें पैल।।
**********************
जो गैलारे ढूँड़तइ,
रोज-रोज नइ गैल।
बे जीवन की गैल में,
होत हमेसाँ फैल।।
**********************
चिन्टा चिटिंयाँ ब्रामटे,
दीमक रुजवा स्वान।
जे सब गैलारे हमें,
देत अनोंखौ ज्ञान।।
**********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[03/04, 8:34 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: *बुन्देली दोहे*
विषय:-गैलारे
बरिया पीपर आम के नैचें भौत जुड़ात ।
घामौं जब नीचट कड़त, गैलारे रुक जात।।
पनिहारी पनधट चली,गैलारे लय खाॅंद।
घूॅंघट में मुइॅंया लगत, पूनौ कैसौ चाॅंद।।
राम लखन सीता सहित,धर गय वन की गैल।
बे गैलारे धन्य भय,रूख धरा अरु सैल।।
गैलारे सब हैं इतै, जब लौ तन में प्रान।
राम नाम इक सत्य है,निगौ न सीना तान।।
गैलारे रुक जा इतै, बना गकरियां खाव।
तोरी सूरत कौ हतौ,लरका बड़ो हमाव।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)🙏
[03/04, 8:44 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-गैलारे
1-पनहारे पनिया भरन,
कुँआ धार जब जांय।
गैलारे मुस्क्यात मन,
सब के सब बतयाय।
2-गैलारे चर्चा करत सब,
सुनत रहत चुपचाप।
बृजभूषण कांलौ लरत,
टर हो अपने आप।
3-रात दिना चलतइ रवे,
गैलारे अनघेर।
तकत लगाकें टकटकी,
ढूँकत घेरऊँ घेर।
4-आन गाँव सें आय है ,
आनगाँव बृज जांय।
कइयक गाँव के गाँव में,
गैलारे कहलांय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
🙏🙏
शनिवार, 1 अप्रैल 2023
साजौ (अच्छा) बुंदेली दोहा संकलन
*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-107*
बिषय- साजे (अच्छे) दिनांक-1-4-2023
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
साजे खों साजौ लगै , बुरय बुरव सनसार।
जो जैसौ सोचत रतइ , बैसइ बनत बिचार।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
*2*
साजौ लरका श्याम-सौ,तार देत निज वंस।
डुबै देत है वंस खाँ, जा घर उपजै कंस।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*3*
देख अयोध्या धाम कौ, भव्य राम दरबार।
दुनियाँ खौ साजौ लगौ, हो रइ जै जै कार।।
***
एस आर सरल,टीकमगढ़
*4*
भारतगढ़ साजौ दिखे, मर्दन सिंह की शान।
मानसरोवर बगल में, इतकौ है अभिमान।।
***
राम सेवक पाठक,"हरिकिंकर", ललितपुर
*5*
भूँके खों भोजन करा,प्यासे खों दै नीर।
सबसें साजौ काम है,बाँट दुखी की पीर।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बडामलेहरा
*6*
"जिनकें मन में रहत है,सबसे मिले दुलार।
साज़ो ज़ब तुम बोलहो,सो मिले ब्योहार।।
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल.
*7*
ठुमक राम अंगना फिरें,पाछें पाछें,माइ।
ऐसौ साजौ रूप है,शोभा बरनि न जाइ।।
***
आशा रिछारिया, निवाड़ी
*8*
राम नाम साजौ-भलौ,भलौ राम को जाप ।
जपौ साँस की धार पै,कटें कष्ट , संताप ।।
***
संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
*9*
साजे करमन सें मिलो, मानुष तन अनमोल।
साजौ चाहत और तौ, तज मद हरि ॐ बोल।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
*10*
जग में साजौ चात सब , बुरअ न चायै कौय |
बुरअ अगर दूजन करौ , खुद साजौ ना हौय ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
मोदी नैं साजौं करौ,चमके तीरथ धाम ।
अवधपुरी साजौ लगै ,मन्दिर में श्री राम ।।
***
शोभाराम दांगी, इंदु नदनवारा
*12*
खाबौ, पीवौ, बोलवौ,करियौ साजौ काम।
साजे की रक्षा करत, दशरथ नंदन राम।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*13*
ज्यों को त्यों साजौ धरो, बदन-तमूरा देह।
खूब बजाओ रामधइ, अब जाने है गेह।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*14*
राइ नोन मैंथी धना , जीरें मिर्च महीन ।
साजौ मठा घघौंर कें , पीलव वेला तीन ।।
***
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
*15*
डुकरो साजौ बोलियौ,अबै ब्याव कौ ठौर।
बोलीं बेटा जौ धरो,लुवर लगे बौ मौर।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़ #
*16*
नाथ कामता जू बसै, मंदाकिन के तीर।
चित्रकूट साजौ लगे, हरे जगत की पीर।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*17*
: राम जनम सुन लोग सब, हर्षित भये अपार।
साजौ-साजौ सब लगो,साजो है घर द्वार।
***
-प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़
*बुंदेली दोहा बिषय- सोज*
निसरी सौ मन हौत है , साजौ हौ बतकाव |
#राना कातइ आप से, नैनू रातइ भाव ||
#राना साजौ हौत है , जग में बौं इंसान |
जीकै घर में रात है , दया धर्म ईमान ||
पंचायत जुरतइ जितै , परमेसुर है आत |
साजौ हौतइ है उतै , #राना नीत दिखात ||
लरका साजौ देख कै , बिटिया ऊखौं देत |
#राना औगुन देख कै , तुरत किनारौ लेत ||
*एक हास्य दोहा*
#राना साजौ गय करन , पर बिद गइ ती गट्ट |
मिलौ उबाड़ौ आदमी , सौ भग आयै झट्ट ||
***दिनांक-1-4-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,, साजौ,,
********************************
साजौ लगो "प्रमोद"जब , करों काऊ पै अत्त ।
अब रौरय धरती खचुर , घूंसा दैरव सत्त ।।
*********************************
साजौ लगरव देखकें , भव परोस में ब्याव ।
अब हुइये बउ सास की , रोज "प्रमोद" नियाव।।
******************************
साजौ मौं साराज को , देखो पैली दार ।
नाक पुंगरिया सज रही , बूँदा सजो लिलार ।।
*********************************
मौंदयाँय मौं देख लव , साजौ काड़ें टेंट ।
अब "प्रमोद" सोसन परें, परी उबाँड़ी भेंट ।।
*********************************
देखी पैली रात मैं , घरबारी भर नैन ।
साजौ "प्रमोद"लगो जब, बातन कड़ गइ रैन ।।
*********************************
साजौ पाजौ ऊजरो , हतो "प्रमोद"शरीर ।
रोउत चलें गय छोड़केँ , कड़ें भौत बेपीर ।।
*********************************
साजौ सारी सँग लगत , पैदल मेला जात ।
कुनइ जलेबी की खबत, कुल्फी बड़ी चुखात ।।
*********************************
,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
#अप्रतियोगी दोहे#बिषय -साजौ#
#१#
साजौ साजौ जो लगै,ऐगर सज्जन होय।
संगत नीकी ना मिलै,पूरौ जीवन रोय।।
#२#
साजौ लगै समाज में,रहै जितै मिरजाद।
जैसें फसल दिखात है,डरो होय जो खाद।।
#३#
आवौ साजौ लगत है,जावौ दुख पौचाय।
फल आंयें डारी लदै,फल जायें मुरझाय।।
#४#
गंगा जू की गैल में,करत जाव आराम।
पाप कटत साजौ लगै,साजे हों सब काम।।
#५#
साजौ मिलै दमाद ना,बिटियै सुख ना होय।
करम पीट कें जिन्दगी,अपनें करमन रोय।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द #
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०--६२६०८८६५९६#
अप्रतियोगी दोहे.
साजौ कवियन को लगो, कविता भाव विचार/
पढकें जीवन आचरण, बदल गओ बैहार//
साजौ सबइ समाज के, मिल जुर रैवें देस/
सभी समस्या हल करें, मिलवै न्याव विशेस//
साजौ करवै खों रहे, हरदम हम तैयार/
बुरय काम सें दूर रय, समय न कर बेकार//
साजै सबको राम जू, साजौ उनको नाव/
लेत रये तो पार हों, वे भूखे हैं भाव//
साजौ जीवन आपको, साजौ जो संसार/
करनी कथनी सें बनें, ऊ को फिर आधार//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
अप्रतियोगी बुंदेली दोहा
शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)=०१/०४/०२३
बिषय-"साजौ"(बहुत सुंदर)
१=घर आँगन साजौ लगै, साफ सफाई होय ।
मन प्रसन्न "दाँगी"रहे ,कए साजौ सब कोय ।।
२="दाँगी"सबई तरा सैं ,साजौ हतौ मकान ।
खेती बाड़ी खूब थी ,अब चौपट सब जान ।।
३=लगन लगौ साजौ उतै,जितै हैं तीरथ धाम ।
मोदी नें साजौ करौ ,"दाँगी" कए जय राम ।।
४=सजी अजुध्या राम की,मन्दिर भव्य बनाव ।
प्यागराज साजौ सजौ ,"दाँगी" मथुरा जाव ।।
५=महाकाल उज्जैयनी ,सजवादई महान ।
"दाँगी" तीरथ जाँय जां ,साजौ लखत सुजान ।।
६=नई दुलइया ब्याव की ,आवै जीके दोर ।
साजौ ऊ घर में लगै ,"दाँगी" हैं कर जोर ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
🥀 अप्रतियोगी दोहे 🥀
( विषय- साजौ)
साजौ जिनकौ आचरन,
समजें सत कौ मर्म।
करम करें साजे सदा,
पालें अपनों धर्म।।
परहित है संसार में,
सबसें साजौ काम।
तन सों सेबा कीजिये,
मन सों सुमरौ राम।।
सेबा में आँगें रहौ,
करकें साजौ काम।
लिखवा लो इतिहास में,
बडकें अपनों नाम।।
बाबा, बैरागी, व्रती,
पर सेबक गुनबन्त।
जे हरदम साजौ करें,
सतबादी औ सन्त।।
होंय बड़प्पन के बड़े,
बड़ौ न चाहें नाम।
जीबन भर दम सें करें,
केबल साजौ काम।।
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
अप्रतियोगी दोहे विषय साजौ
साजौ चाने पैरबे ,साजौ साजौ खायँ।
काम करौ साजौ कछू, सुनकें मों गुड़यायँ।।
लरका साजौ देख कें, साजौ हो गव ब्याव।
समदी ने दिल खोलकें, पइसा खूब लुटाव।।
औरन कौ साजौ करै, ऊ कौ साजौ होय।
बुरव बिचारै कोउ कौ, मूंड़ पकर कें रोय।।
साजौ अपने आप जो , सो साजौ संसार।
साजे सें तुम भूल कें , कर नइँ लियौ बिगार।।
जितनों जी पै हो सकै, करियौ साजौ काम।
ऊपर बारे की कृपा , कौ मिल जैय इनाम।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
*बुन्देली दोहा विषय - साजौ*
ढोंगी बाबा भेष में, फिर रय संड मुसंड।
साजौ खा खा लाल हैं, फैला रय पाखंड़।।
औरन कौ साजों करें, अपनों साजों होत।
जीनै जादा अत्त दव, ऊकी बुझ गइ जोत।।
झरौ फुकौ साजौ लगें, होबै कौनउ ठौर।
घर भीतर उर बायरे. हो अटाइ कै पौर।।
उथल पुथल है देश में, को साजौ को नेक।
खींचतान भारी मची, बड़े एक सै एक।।
सुख में सब साजौ लगें,दुख में कछु ना भाय।
जापट हो गय पाँव सै, *सरल* चलों ना जाय।।
*एस आर सरल*
*टीकमगढ़*
बुन्देली दोहे, विषय: साजौ (बहुत अच्छा)
ऊपर साजौ देख कैं, परख सके नइँ कोय।
अगन तपे परखे बिना,कंचन प्रभा न होय।।
रखो सोच हरदम भली,करियो साजौ काम।
खानदान परवार को, नाम न हो बदनाम।।
साजौ बनवें जान कैं, अपनी कमी छिपात।
करैं उजागर गुण सबइ, है जा सच्ची बात।।
देखत को साजौ भलो, रूप रंग को नेक।
बिटिया को लरका सुघर,ढूंँढ़त पिता हरेक।।
चाहत सबइ दहेज में, साजौ सो सामान।
चाहै कितनउँ दै रखो,खुशी न हों महमान।।
साजौ खाना जाय मिल, करने परै न काम।
बिना करे सब चाउतइ, रहें जेब में दाम।।
रूप बड़ो नइँ होत है, गुन मन साजौ होय।
केवल देखे रूप जो, वह जीवन भर रोय।।
मौलिक/
अमर सिंह राय
नौगाँव
अप्रतियोगी दोहे,विषय-साजौ
************************
सब जानत साजौ-बुरव,
कोउ नईं अंजान।
अगन बरत जब पेट में,
बिसर जात सब ज्ञान।।
************************
साजौ कर कें काउ कौ,
लौट न रखिऔ आस।
कय कै नेकी खों बदी,
बना लेत है दास।।
************************
निस्वारथ साजौ करें,
जग में पुजत महेश।
अब परमारथ में दिखत,
स्वारथ कौ लवलेश।।
***********************
"आव बिराजो" बोलबौ,
भौतइ साजौ होत।
जला देत मिहमान के,
हियै प्रेम की जोत।।
***********************
जिनके सँग साजौ करो,
बना दऔ धनवान।
भाइ-भतीजे बेइ अब,
कै रय बेईमान।।
************************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
बुन्देली दोहे
विषय:-साजौ
बाजौ साजौ नें लगें, बे औसर श्री मान।
बसकारें छेड़ें फिरत,लमटेरा की तान।।
साजौ कर साजौ मिलै, छोड़ कपट तज मान।
जीवन बूॅंदा ओस कौ,करले हरि गुन गान।।
राम नाम साजौ लगै,लबरौ है संसार।
पक्की करने जीत तौ,काम क्रोध खों मार।।
साजौ साजै सें मिलत,अंतस तुरत जुड़ात।
मन की बातें होत जब,लगी भूक मिट जात।।
करिया तिल साजौ लगत, नजर करै ना जोर।
लाला हस कें कात जब,भीतर उठत मरोर।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
दोहा विषय-साजौ
1-साजौ बुरव तौ सबइ पे,
समय परत इकवार।
बृजभूषण बेकार में,
करवें सोच विचार।
2-भूल भूल के मत करे,
करवें नही गुमान।
बृजभूषण साजौ करें,
सोई चतुर सुजान।
3-साजौ साजौ गहत सब,
बुरव गहन नइ कोय।
बुरव काम अपनाय जो,
सोई मूरख होय।
4-करनी कथनी ठीक नही,
साजौ कांसे होय।
जो साचइ साजौ करे,
दुख व्यापै ने रोय।
5-पाप गठरिया पीठ पै,
लादें फिरवे काय।
दंद फंद नौनौ लगत,
साजौ नही पुसाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *साजौ*
*१*
ऊपर सें साजौ लगत,
भीतर ऐब खदान।
देखो-भालौ गौर सें,
करौ खुदइ पैचान।।
*२*
अपनो सब साजौ लगै,
औरन कौ ना भाय।
अगर कोउ साजौ करै,
तुरत आग लग जाय।।
*३*
साजौ मन, साजौ बदन,
हो साजौ व्यौहार।
साजौ-साजौ सब लगे,
घर-बाहर, संसार।।
*४*
सजना बौ साजौ लगे,
पइसा जौन कमाय।
काम-काज जो ना करै,
लगत भाड़ में जाय।।
संजय श्रीवास्तव, मवई
१-४-२३😊 दिल्ली
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