*बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-107*
बिषय- साजे (अच्छे) दिनांक-1-4-2023
प्राप्त प्रविष्ठियां :-
*1*
साजे खों साजौ लगै , बुरय बुरव सनसार।
जो जैसौ सोचत रतइ , बैसइ बनत बिचार।।
***
-वीरेंद्र चंसौरिया टीकमगढ़
*2*
साजौ लरका श्याम-सौ,तार देत निज वंस।
डुबै देत है वंस खाँ, जा घर उपजै कंस।।
***
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी (बुड़ेरा)
*3*
देख अयोध्या धाम कौ, भव्य राम दरबार।
दुनियाँ खौ साजौ लगौ, हो रइ जै जै कार।।
***
एस आर सरल,टीकमगढ़
*4*
भारतगढ़ साजौ दिखे, मर्दन सिंह की शान।
मानसरोवर बगल में, इतकौ है अभिमान।।
***
राम सेवक पाठक,"हरिकिंकर", ललितपुर
*5*
भूँके खों भोजन करा,प्यासे खों दै नीर।
सबसें साजौ काम है,बाँट दुखी की पीर।।
***
डां देवदत्त द्विवेदी, बडामलेहरा
*6*
"जिनकें मन में रहत है,सबसे मिले दुलार।
साज़ो ज़ब तुम बोलहो,सो मिले ब्योहार।।
***
सुभाष बाळकृष्ण सप्रे ,भोपाल.
*7*
ठुमक राम अंगना फिरें,पाछें पाछें,माइ।
ऐसौ साजौ रूप है,शोभा बरनि न जाइ।।
***
आशा रिछारिया, निवाड़ी
*8*
राम नाम साजौ-भलौ,भलौ राम को जाप ।
जपौ साँस की धार पै,कटें कष्ट , संताप ।।
***
संजय श्रीवास्तव, मवई,दिल्ली
*9*
साजे करमन सें मिलो, मानुष तन अनमोल।
साजौ चाहत और तौ, तज मद हरि ॐ बोल।।
***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
*10*
जग में साजौ चात सब , बुरअ न चायै कौय |
बुरअ अगर दूजन करौ , खुद साजौ ना हौय ||
***
सुभाष सिंघई , जतारा
*11*
मोदी नैं साजौं करौ,चमके तीरथ धाम ।
अवधपुरी साजौ लगै ,मन्दिर में श्री राम ।।
***
शोभाराम दांगी, इंदु नदनवारा
*12*
खाबौ, पीवौ, बोलवौ,करियौ साजौ काम।
साजे की रक्षा करत, दशरथ नंदन राम।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी श्रीकांत निवाड़ी
*13*
ज्यों को त्यों साजौ धरो, बदन-तमूरा देह।
खूब बजाओ रामधइ, अब जाने है गेह।।
***
- श्यामराव धर्मपुरीकर ,गंजबासौदा,विदिशा म.प्र.
*14*
राइ नोन मैंथी धना , जीरें मिर्च महीन ।
साजौ मठा घघौंर कें , पीलव वेला तीन ।।
***
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
*15*
डुकरो साजौ बोलियौ,अबै ब्याव कौ ठौर।
बोलीं बेटा जौ धरो,लुवर लगे बौ मौर।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़ #
*16*
नाथ कामता जू बसै, मंदाकिन के तीर।
चित्रकूट साजौ लगे, हरे जगत की पीर।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
*17*
: राम जनम सुन लोग सब, हर्षित भये अपार।
साजौ-साजौ सब लगो,साजो है घर द्वार।
***
-प्रदीप खरे, मंजुल, टीकमगढ़
*बुंदेली दोहा बिषय- सोज*
निसरी सौ मन हौत है , साजौ हौ बतकाव |
#राना कातइ आप से, नैनू रातइ भाव ||
#राना साजौ हौत है , जग में बौं इंसान |
जीकै घर में रात है , दया धर्म ईमान ||
पंचायत जुरतइ जितै , परमेसुर है आत |
साजौ हौतइ है उतै , #राना नीत दिखात ||
लरका साजौ देख कै , बिटिया ऊखौं देत |
#राना औगुन देख कै , तुरत किनारौ लेत ||
*एक हास्य दोहा*
#राना साजौ गय करन , पर बिद गइ ती गट्ट |
मिलौ उबाड़ौ आदमी , सौ भग आयै झट्ट ||
***दिनांक-1-4-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
शनिवार बुंदेली दोहा दिवस
विषय ,, साजौ,,
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साजौ लगो "प्रमोद"जब , करों काऊ पै अत्त ।
अब रौरय धरती खचुर , घूंसा दैरव सत्त ।।
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साजौ लगरव देखकें , भव परोस में ब्याव ।
अब हुइये बउ सास की , रोज "प्रमोद" नियाव।।
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साजौ मौं साराज को , देखो पैली दार ।
नाक पुंगरिया सज रही , बूँदा सजो लिलार ।।
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मौंदयाँय मौं देख लव , साजौ काड़ें टेंट ।
अब "प्रमोद" सोसन परें, परी उबाँड़ी भेंट ।।
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देखी पैली रात मैं , घरबारी भर नैन ।
साजौ "प्रमोद"लगो जब, बातन कड़ गइ रैन ।।
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साजौ पाजौ ऊजरो , हतो "प्रमोद"शरीर ।
रोउत चलें गय छोड़केँ , कड़ें भौत बेपीर ।।
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साजौ सारी सँग लगत , पैदल मेला जात ।
कुनइ जलेबी की खबत, कुल्फी बड़ी चुखात ।।
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,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
,, स्वरचित मौलिक,,
#अप्रतियोगी दोहे#बिषय -साजौ#
#१#
साजौ साजौ जो लगै,ऐगर सज्जन होय।
संगत नीकी ना मिलै,पूरौ जीवन रोय।।
#२#
साजौ लगै समाज में,रहै जितै मिरजाद।
जैसें फसल दिखात है,डरो होय जो खाद।।
#३#
आवौ साजौ लगत है,जावौ दुख पौचाय।
फल आंयें डारी लदै,फल जायें मुरझाय।।
#४#
गंगा जू की गैल में,करत जाव आराम।
पाप कटत साजौ लगै,साजे हों सब काम।।
#५#
साजौ मिलै दमाद ना,बिटियै सुख ना होय।
करम पीट कें जिन्दगी,अपनें करमन रोय।।
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द #
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो०--६२६०८८६५९६#
अप्रतियोगी दोहे.
साजौ कवियन को लगो, कविता भाव विचार/
पढकें जीवन आचरण, बदल गओ बैहार//
साजौ सबइ समाज के, मिल जुर रैवें देस/
सभी समस्या हल करें, मिलवै न्याव विशेस//
साजौ करवै खों रहे, हरदम हम तैयार/
बुरय काम सें दूर रय, समय न कर बेकार//
साजै सबको राम जू, साजौ उनको नाव/
लेत रये तो पार हों, वे भूखे हैं भाव//
साजौ जीवन आपको, साजौ जो संसार/
करनी कथनी सें बनें, ऊ को फिर आधार//
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.
बडागांव झांसी उप्र.
अप्रतियोगी बुंदेली दोहा
शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)=०१/०४/०२३
बिषय-"साजौ"(बहुत सुंदर)
१=घर आँगन साजौ लगै, साफ सफाई होय ।
मन प्रसन्न "दाँगी"रहे ,कए साजौ सब कोय ।।
२="दाँगी"सबई तरा सैं ,साजौ हतौ मकान ।
खेती बाड़ी खूब थी ,अब चौपट सब जान ।।
३=लगन लगौ साजौ उतै,जितै हैं तीरथ धाम ।
मोदी नें साजौ करौ ,"दाँगी" कए जय राम ।।
४=सजी अजुध्या राम की,मन्दिर भव्य बनाव ।
प्यागराज साजौ सजौ ,"दाँगी" मथुरा जाव ।।
५=महाकाल उज्जैयनी ,सजवादई महान ।
"दाँगी" तीरथ जाँय जां ,साजौ लखत सुजान ।।
६=नई दुलइया ब्याव की ,आवै जीके दोर ।
साजौ ऊ घर में लगै ,"दाँगी" हैं कर जोर ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
🥀 अप्रतियोगी दोहे 🥀
( विषय- साजौ)
साजौ जिनकौ आचरन,
समजें सत कौ मर्म।
करम करें साजे सदा,
पालें अपनों धर्म।।
परहित है संसार में,
सबसें साजौ काम।
तन सों सेबा कीजिये,
मन सों सुमरौ राम।।
सेबा में आँगें रहौ,
करकें साजौ काम।
लिखवा लो इतिहास में,
बडकें अपनों नाम।।
बाबा, बैरागी, व्रती,
पर सेबक गुनबन्त।
जे हरदम साजौ करें,
सतबादी औ सन्त।।
होंय बड़प्पन के बड़े,
बड़ौ न चाहें नाम।
जीबन भर दम सें करें,
केबल साजौ काम।।
डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
अप्रतियोगी दोहे विषय साजौ
साजौ चाने पैरबे ,साजौ साजौ खायँ।
काम करौ साजौ कछू, सुनकें मों गुड़यायँ।।
लरका साजौ देख कें, साजौ हो गव ब्याव।
समदी ने दिल खोलकें, पइसा खूब लुटाव।।
औरन कौ साजौ करै, ऊ कौ साजौ होय।
बुरव बिचारै कोउ कौ, मूंड़ पकर कें रोय।।
साजौ अपने आप जो , सो साजौ संसार।
साजे सें तुम भूल कें , कर नइँ लियौ बिगार।।
जितनों जी पै हो सकै, करियौ साजौ काम।
ऊपर बारे की कृपा , कौ मिल जैय इनाम।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
*बुन्देली दोहा विषय - साजौ*
ढोंगी बाबा भेष में, फिर रय संड मुसंड।
साजौ खा खा लाल हैं, फैला रय पाखंड़।।
औरन कौ साजों करें, अपनों साजों होत।
जीनै जादा अत्त दव, ऊकी बुझ गइ जोत।।
झरौ फुकौ साजौ लगें, होबै कौनउ ठौर।
घर भीतर उर बायरे. हो अटाइ कै पौर।।
उथल पुथल है देश में, को साजौ को नेक।
खींचतान भारी मची, बड़े एक सै एक।।
सुख में सब साजौ लगें,दुख में कछु ना भाय।
जापट हो गय पाँव सै, *सरल* चलों ना जाय।।
*एस आर सरल*
*टीकमगढ़*
बुन्देली दोहे, विषय: साजौ (बहुत अच्छा)
ऊपर साजौ देख कैं, परख सके नइँ कोय।
अगन तपे परखे बिना,कंचन प्रभा न होय।।
रखो सोच हरदम भली,करियो साजौ काम।
खानदान परवार को, नाम न हो बदनाम।।
साजौ बनवें जान कैं, अपनी कमी छिपात।
करैं उजागर गुण सबइ, है जा सच्ची बात।।
देखत को साजौ भलो, रूप रंग को नेक।
बिटिया को लरका सुघर,ढूंँढ़त पिता हरेक।।
चाहत सबइ दहेज में, साजौ सो सामान।
चाहै कितनउँ दै रखो,खुशी न हों महमान।।
साजौ खाना जाय मिल, करने परै न काम।
बिना करे सब चाउतइ, रहें जेब में दाम।।
रूप बड़ो नइँ होत है, गुन मन साजौ होय।
केवल देखे रूप जो, वह जीवन भर रोय।।
मौलिक/
अमर सिंह राय
नौगाँव
अप्रतियोगी दोहे,विषय-साजौ
************************
सब जानत साजौ-बुरव,
कोउ नईं अंजान।
अगन बरत जब पेट में,
बिसर जात सब ज्ञान।।
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साजौ कर कें काउ कौ,
लौट न रखिऔ आस।
कय कै नेकी खों बदी,
बना लेत है दास।।
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निस्वारथ साजौ करें,
जग में पुजत महेश।
अब परमारथ में दिखत,
स्वारथ कौ लवलेश।।
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"आव बिराजो" बोलबौ,
भौतइ साजौ होत।
जला देत मिहमान के,
हियै प्रेम की जोत।।
***********************
जिनके सँग साजौ करो,
बना दऔ धनवान।
भाइ-भतीजे बेइ अब,
कै रय बेईमान।।
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✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
बुन्देली दोहे
विषय:-साजौ
बाजौ साजौ नें लगें, बे औसर श्री मान।
बसकारें छेड़ें फिरत,लमटेरा की तान।।
साजौ कर साजौ मिलै, छोड़ कपट तज मान।
जीवन बूॅंदा ओस कौ,करले हरि गुन गान।।
राम नाम साजौ लगै,लबरौ है संसार।
पक्की करने जीत तौ,काम क्रोध खों मार।।
साजौ साजै सें मिलत,अंतस तुरत जुड़ात।
मन की बातें होत जब,लगी भूक मिट जात।।
करिया तिल साजौ लगत, नजर करै ना जोर।
लाला हस कें कात जब,भीतर उठत मरोर।।
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)
दोहा विषय-साजौ
1-साजौ बुरव तौ सबइ पे,
समय परत इकवार।
बृजभूषण बेकार में,
करवें सोच विचार।
2-भूल भूल के मत करे,
करवें नही गुमान।
बृजभूषण साजौ करें,
सोई चतुर सुजान।
3-साजौ साजौ गहत सब,
बुरव गहन नइ कोय।
बुरव काम अपनाय जो,
सोई मूरख होय।
4-करनी कथनी ठीक नही,
साजौ कांसे होय।
जो साचइ साजौ करे,
दुख व्यापै ने रोय।
5-पाप गठरिया पीठ पै,
लादें फिरवे काय।
दंद फंद नौनौ लगत,
साजौ नही पुसाय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *साजौ*
*१*
ऊपर सें साजौ लगत,
भीतर ऐब खदान।
देखो-भालौ गौर सें,
करौ खुदइ पैचान।।
*२*
अपनो सब साजौ लगै,
औरन कौ ना भाय।
अगर कोउ साजौ करै,
तुरत आग लग जाय।।
*३*
साजौ मन, साजौ बदन,
हो साजौ व्यौहार।
साजौ-साजौ सब लगे,
घर-बाहर, संसार।।
*४*
सजना बौ साजौ लगे,
पइसा जौन कमाय।
काम-काज जो ना करै,
लगत भाड़ में जाय।।
संजय श्रीवास्तव, मवई
१-४-२३😊 दिल्ली
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