आओ हिंदी सीखें :-
संकलन राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़
- _*योजक चिन्ह का प्रयोग*_ -
1. विपरीत अर्थ रखने वाले शब्दों को जोड़ने के लिए योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- रात-दिन, पाप-पुण्य, माता-पिता, सुख-दुख, आगा-पीछा, नीचे-ऊपर, अच्छा-बुरा, हार-जीत, आना-जाना, हानि-लाभ, उतार-चढ़ाव, यश-अपयश, उतार-चढ़ाव, उल्टा-सीधा इत्यादि।
2. अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण या तुलनवाचक ‘सा’, ‘सी’ या ‘से’ से पहले योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- बहुत-सा धन, कम-से-कम, भरत-सा भाई, यशोदा-सी माता, विभीषण-सा भाई।
3. शब्दों में लिखी जाने वाली संख्याओं एवं उनके अंशों के बीच योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- एक-तिहाई, एक-चौथाई आदि।
4. जहाँ दोनों पद प्रधान हो वहाँ दोनों शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है, अर्थात द्वन्द्व समास के सामासिक पद के दोनों पदों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- घास-फूस, मोटा-ताजा, मार-पीट, कन्द-मूल-फल, आगा-पीछा, लोटा-डोर, दूध-रोटी, खान-पान, दूध-रोटी, कपड़े-लत्ते, दाना-पानी, दो-चार, फल-फूल, मोल-तोल, राग-द्वेष, लीपा-पोती, दाल-चावल इत्यादि।
5. तत्पुरुष समास के सामासिक पद के दोनों पदों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- हवन-सामग्री, देश-भक्ति, दिल-तोड़ आदि।
6. लगभग समान अर्थ रखने वाले शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- सेठ-साहूकार,कूड़ा-कचरा, कपड़े-लत्ते, घास-फूस आदि।
7. समान शब्द की पुनरावृति होने पर दोनों शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- राम-राम, शहर-शहर, गाँव-गाँव, बीच-बीच, आगे-आगे, पीछे-पीछे, नगर-नगर इत्यादि।
8. प्रेरणार्थक क्रिया में प्रथम प्रेरणार्थक क्रिया और द्वितीय प्रेरणार्थक क्रिया के शब्दों के मध्य योजक चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जैसे:- उठाना-उठवाना, गिराना-गिरवाना, काटना-कटवाना इत्यादि।
9. किसी पैराग्राफ में जब किसी लाईन में लिखते समय यदि कोई शब्द पूरा नहीं लिखा जा रहा हो तो उस शब्द को आधा लिखकर वहाँ योजक चिन्ह लगा दिया जाता है और शेष बचा हुआ शब्द अगली लाईन में लिख दिया जाता है।
10. आम बोलचाल की भाषा में हम अक्सर सार्थक शब्दों के साथ तुकबंधी वाले निरर्थक शब्दों का प्रयोग भी करते हैं. इस सार्थक एवं निरर्थक शब्दों को लिखते समय इनके मध्य भी योजक चिह्न का प्रयोग किया जाता है. जैसे:- चाय-वाय, पानी-वानी, आलू-फालू इत्यादि।
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संकलन - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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