Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 4 अप्रैल 2023

गैलारे (राहगीर)

[03/04, 10:22 AM] Rajeev Namdeo Rana lidhor: *बिषय :- गैलारे (राहगीर)*

महावीर का जन्म है , दिवस आज सुखकार |
सब गैलारे  बौलतै   , #राना  करौ    जुहार ||

(सभी मित्रों को आज *महावीर जयंती* की शुभकामनाएँ)
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गैलारे बतकाव में , ज्ञान देत  सँग   लेत  |
#राना हूँका जौर से , आपस  में बें  देत  ||

गैलारे सब है   इतै , नइँ मालिक  हम होंय |
बात समझ में आ चुकी , #राना काहै रोंय ||

गैलारे  बन राम जी ,   चले   गयै  वनबास |
#राना  शिक्षा  दे गयै , नईं  राज  है  खास ||

गैलारे  सब   मस्त  है , नगर अजुध्या  धाम |
गाते  है  #राना  भजन , घट- घट में श्रीराम ||

गैलारे   खौ  देख   कैं , गोरी   गइ  मुसकाय |
पिया लुआबें आ गयै , #राना  खौं  समझाय ||
***दिनांक-3-4-2023
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
[03/04, 10:40 AM] Shobha Ram Dandi 2: शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ़ (मप्र)०३/०४/०२३
बिषय--गैलारे (राहगीर)बुंदेली दोहा (159) 
1=गैलारे तो सबइ हैं ,कीकी कैसी राह ।
"दाँगी" नौनी गैल ही ,चलकैं पावैं थाह ।।

2=निगत जात ते गैल में ,गैलारे सब कात ।
"दाँगी" निंगकैं जातते ,अब मोटर सैं जात ।।

3=गैलारे खूबइ मिलें ,गये ओरछा धाम ।
"दाँगी" पुख्खन जात हैं ,जितै विराजे राम ।।

4=पग ड़ंडी सी गैल में ,गैलारे मिल जात ।
"दाँगी" शोभाराम सैं,गैलारे बतियात ।।

5=नौनी गैल निहार कैं ,चलौ चातुरी गैल ।
"दाँगी" गैलारे बनैं ,मन मैं नइँयाँ मैल ।।

6=बनैं मदारी शिव शँकर ,गैलारे बन जात ।
"दाँगी" दरसन पात हैं, मस्कउँ देखत रात ।।
मौलिक रचना
शोभारामदाँगी
[03/04, 11:11 AM] Aasharam Nadan Prathvipur: बुंदेली दोहा विषय -गैलारे 
(१)
घनों  छांयरौ  देख कैं , गैलारे रुक जात ।
हरे भरे बिरछा तरें , बैठ तनक सुसतात।।
(२)
जेठ मास की धूप में , होबैं  उपनय पांव ।
गैलारे आशा  करैं , मिल जाबै कउॅं छांव।।
(३)
आम तरैं मटका भरौ , देखैं मन ललचाय।
गैलारौ  लै  छांयरौ , अपनी प्यास मिटाय ।।
(४)
ऊपर  डारन  में दुके , जई जीउ सुसतांय ।
बिरछा  नेंचैं  बैठ  कैं  ,  गैलारे   बतयांय ।।
(५)
गैलारौ  जो  गैल  में , तनक  छांयरौ पाय ।
बिना बिछौना के उतइॅं ,बेखटकौ सो जाय।।

आशाराम वर्मा  "नादान " पृथ्वीपुर
( स्वरचित ) 03/04/2023
[03/04, 11:13 AM] vidhya sharan khare Sarser Noganw: बुंदेली दोहे,शीर्षक गैलारे।
1-दोहा लिखवे खां मिले, शीर्षक है गैलारे,
महावीर जयंती की शुभकामना,अपुन सबखां पेंलारे।।
2-पेलूँ पेल जुड़े मंच से,मिलो शब्द गैलारे।
दिल से सबइ खां रामराम,दोई हाथ फैलारे।।
3-दोहा लिखवे की अब लत डारी, जो न हती पैलांरे।
हाथ जोड़ के विनती कर रये, हमई बने गैलारे।।
4,परदिसिया बन जात हैं, करत फिरत वेपार।
गैलारे खां तके है धंनिया,लम्बो घूंघट डार।
5-झुक आई लोलईया ,होत अथोली ज्वार।
रोकें गोरी गैलारे खां, उठ जइयो भुनसार।।
                 स्वरचित
          विद्या शरण खरे,शिक्षक
         शिव धाम सरसेड ।mp
             03,04,2023,सोमवार
[03/04, 11:27 AM] Pradeep Khare Patrkar Tikamgarh: *विषय-गैलारे*
03-04-2023
*प्रदीप खरे, मंजुल*
%%%%%%%%%%%
1-
गैलारे ई लोक के, 
जाने है परलोक।
धर्म करैं सीढ़ी मिलै,
झट्ट मिटत है शोक।।
2-
गैलारे ई गैल के, 
करत खूब उत्पात।
गैलन छेड़त गोपियाँ, 
खूब उराने आत।।
3-
गैलारे भारी खड़े, 
निरखत सबरे गैल।
लला नंद कौ आ रयौ,
करूँ दरश मैं पैल।।
4-
गैलारे सैं पूँछते, 
पनै सखा कौ धाम।
श्रीदामा मन सोचते,
कबै मिलेंगे श्याम।।
5-
देखत मैं सूदे लगैं,
भीतर भरो है मैल।
गैलारे लूटन लगे,
चलौ समर कै गैल।।
*प्रदीप खरे, मंजुल*
टीकमगढ़
[03/04, 11:44 AM] Dr. Devdatt Diwedi Bramlehara: 🥀बुंदेली दोहा 🥀
     (विषय- गैलारे) 

सेबा साज- समार कौ,
     नइयाँ कछू बिबेक।
प्रेम गली के हैं सरस,
          हम गैलारे  एक।।

मेला में संसार के,
    चलबौ सबकौ काम।
गैलारे जो जाँ मिलें,
      सबखों सीताराम।।

धन- दौलत के लोभ में,
    कोउ न करियौ घात।
गैलारे सब हैं इतै,
     संगै कछू न जात।।

आये एकइ गाँव सें,
     जानें एकइ गाँव।
गैलारे हम हैं इतै,
    नइयाँ पक्की ठाँव।।

जिननें कोंनऊँ गाँव की,
     देखी नें गडवाँत।
बे गैलारे सें कहें ,
      जइयौ डेरे हाँत।।

डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस
बड़ामलहरा छतरपुर
[03/04, 1:46 PM] Promod Mishra Just Baldevgarh: सोमवार बुंदेली दोहा दिवस
      विषय ,, गैलारे,,
******************************
गैलारे घनश्याम जू , चलें सुदामा संग ।
दयँ "प्रमोद"बातें मुलक, देव देख भय दंग ।।
*******************************
गैलारे मैं ठोक दय , जब भड़यन ने लठ्ठ।
डरें कलारें गैल में , जुर "प्रमोद"गव ठठ्ठ।।
********************************
बगरूड़ें में भुमत गव, गैलारो कत भूत ।
कपें भिड़ानो हाँफतइ, देत "प्रमोद"भभूत ।।
********************************
गैलारे दिन डूब गव, इतइ बिलम लो आज ।
मउआ चना "प्रमोद"के , खाव परों सुख साज ।।
*********************************
गैलारे कइयक मिलत , बागेश्वर खों जात ।
पानी पूंछ "प्रमोद"ने , बात करी मुस्क्यात ।।
**********************************
नेता गैलारे बने , लगी वोट पै टुक्क ।
अड़फड़ात चमचा फिरै, दयँ "प्रमोद"कुछ झुक्क।।
***********************************
          ,, प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़,,
          ,, स्वरचित मौलिक,,
[03/04, 1:47 PM] Sanjay Shrivastava Mabai Pahuna: *सोमबारी बुंदेली दोहे*

 विषय - *गैलारे*

*१*
गैलारे सो मन फिरे,
        लगी भौंरिया पाँव।
सोचत,भागत कट गई,
        धूप मिली ना छाँव।।

*२*
गैलारे भिलसा गए,
        गैलें देख हजार।
बीच गली ठाँड़े तकेँ,
        जो माया बाजार।

*३*
गोरी तक रइँ गैल में,
       गैलारो दिख जाय।
पिया बसे परदेस में,
        दूँ पाती पौंचाय।।

*४*
 गैलारे मदमस्त जो,
       चलबें मन की गैल।
टैम कड़ें पछतात हैं,
      गौर करो ना पैल ।।

*५*
गैलारे खों गैल में,
     डग-डग मुश्किल आय।
जो साहस, धीरज धरे,
      मंजिल वो पा जाय।।

     *संजय श्रीवास्तव* मवई
         ३-४-२३ 😊 दिल्ली
[03/04, 2:57 PM] Jai Hind Singh Palera: #गैलारे पर दोहे#

                     #१#
गैलारे पैलां चले,गड़‌इ डोर लै संग।
हारे ना कितना चलें,कायम रहे उमंग।।

                    #२#
विन्द्रावन की गैल में,गैलारे दंय दौर।
बृज चोरासी कोस की,परकम्मा सिरमौर।।

                    #३#
गैलारे गलियां चलें,आपस में बतयांय।
मंहगाई  की मार सें,कैसें अब बच पांय।।

                    #४#
गैलारे सें कै र‌ई,नारी चतुर सुजान।
दिन डूबें ना जाव जू,बनकें रव मेहमान।।

                     #५#
गैलारे गैलें चलें,बांध कलेवा जांय।
भूंक लगी जां छोर कें,अपनी भूंक मिटांय।।

#जयहिन्द सिंह  जयहिन्द# 
#पलेरा जिला  टीकमगढ़# 
#मो०-६२६०८८६५९६#
[03/04, 3:51 PM] Subhash Bal Krishna Sapre Bhopal: गेलारे(राहगीर )पर बुंदेली दोहे
1.

"गेलारे ज़ब मिलत हें,    मजा सफर में आत,
भूख गैल में ज़ब लगत, खाबे खों मिल जात."

2.

"रस्ता में ज़ब दिखत हैं,  गेलारे दो चार,
फकाईं सुना बे कछू,    मिलत रेत हर बार."

3.

"गैल में चलत चलत ज़ब, गेलारे थक जात,
कोनउ रोटी देत है,          कोनउ जल ले आत"

4.

"घामों निकरत है ज़बइ,     याद छांव की आत,
 पेड ज़ब लगे हों तभी,      गेलारे सुख पात."

5.

गेलारे कुछ होत हैं,          दिल से बडे अमीर,
कोनउ चिंता नइ करत,    भले धन से फकीर."

सुभाष बाळकृष्ण सप्रे 
भोपाल
03.04.2023
[03/04, 4:19 PM] Prabhudayal Shrivastava, Tikamgarh: बुंदेली दोहे  विषय  गैलारे (राहगीर)

भटा गक‌इँयां  सूंट कें ‌ ,मन भर गा लय गीत।
गैलारे।  लौटन   लगे ,   चले  चैतुआ  मीत।।

जे  गोरी  गोरा  गुना  ,   गुजियां   गोंठन जात ।
गैलारे  खों  देख  कें  ,  गैल  गैल ‌ बुलयात।।

दो  गैलारे  गौर   सें  ,  ननदी   र‌ईं  निहार।
बीरन ‌ एक हमाय  हैं ,  दूजे    हैं  भरतार।।

मीठे  कुअला  पै  लगी , पनिहारिन की भीड़।
प्यासे   गैलारे   उनें  , ‌ देख ‌‌देख  रय  हींड़।।

गैलारे   तुम  ठैर  लो ,  आंगें   ‌डांग‌इ   डांग।
तुमें   लुटेरे  लूट   कें ,  सुजा   देंयँ  सब ‌आंग।।

            प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
[03/04, 4:45 PM] Ram Sevak Pathak Hari Kinker Lalitpur: गैलारे दिनभर कड़त, करतइ दुआ सलाम।
पर हम तौ सबसें करत,जय जय सीताराम।।१

कछु गैलारे सिर हिला, चुप्प चाप कड़ जात।
उन्हें न गूॅंगा तुम कहो,वे अपनों रौब बताते ।।२

हात जोर करतइ कछू ,गैलारे जय राम।
बामन ठाकुर लेते हैं, झुककर हरि का नाम।३

गैलारे तौ हम सबइ, कर रय जग की सैर।
झुककें चलबौ ही भलौ,प्रभु राखै तब खैर।।४

गैलारे बन इक दिना, चलैं राम के ठौर।
राम नाम कौ आसरौ, पौचादै वा पौर।।५
मौलिक, स्वरचित
"हरिकिंकर"भारतश्री, छंदाचार्य
[03/04, 5:12 PM] Arvind Shrivastava Bpl: *गैलारे*

राहगीर जै राह पै, पथिक गहै पथ-घाट,
गैलारे जैं गैल में, चलै बटोही बाट ।

सड़क, रास्ता, मार्ग औ, डगर, गुजर कैलात,
गैलारे जी पै चलें, गलियारे बन जात ।

पगडंडी, मग, वीथिका, पंथ, टोर, पद-रेख,
गैलारे की गैल के, हो गय नाव अनेक ।

*अरविन्द श्रीवास्तव*
भोपाल
मौलिक-स्वरचित
[03/04, 6:02 PM] Amar Singh Rai Nowgang: बुन्देली दोहे, विषय: गैलारे (राहगीर)         

गैलारे  पूछें  अगर,  नाम  पतो  उर  गैल।
भटके खों रस्ता सही, दिखला दैयो पैल।।

गैलारे निकरत जितै, तकवै भोर व शाम।
कइती जल्दइँ लौटबी,आ रय हुइएँ श्याम।

गली  किनारें  बैठ कैं,सजनी  तकवे  पंथ।
गैलारे निरखत सबइ,आ तौ नइँ रय कंत।।

लै  कैं  झंडा  हाथ  में, बोलत  हैं  श्रीराम।
गैलारे गा-गा भजन, लेत जात प्रभु नाम।।

गैलारे  जब  तीर्थन,  करबे   पैदल  जात।
ठौर ठौर प्याऊ धरी, भोजन लोग करात।।

कोरोना  के  काल  में, देखी  बात अजीब।
गैलारे कइ गैल में, ठुकत-पिटत रय खीब।।

गैलारे   डेरे    चलैं,   तबइ   सुरक्षित   राँयँ।
नइँ जानत जो भी नियम,उनखों सोइ बताँयँ।

                               अमर सिंह राय
                                     नौगाँव
[03/04, 7:22 PM] Kalyan Das Sahu Prithvipur: आरय-जारय भूम पै , गैलारे  कहलात ।
कछू जनें तर जात हैं , कछू जनें उतरात ।।

गैलारे कछु रोत हैं , कछू  हँसें - मुस्काँय ।
कछू जनें करतब करें , छोड़ नामना जाँय ।।

गैलारे हैं सब जनें , निंगरय अपनीं गैल ।
जानें है सबखों उतै , बाद जाँय या पैल ।।

आन-जान होतइ रनें , है संसारी रीत ।
गैलारे ही सउत हैं , बरसा गरमी शीत ।।

   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
[03/04, 7:49 PM] Asha Richhariya Niwari: बुंदेली दोहे 
प्रदत्त विषय**गैलारै
🌹
गैलारो सगरो जगत,घूम रहो दिन रात।
प्रभू कृपा अमरत मिले,जग सें पाये निजात।।
🌹
बिरछा छतनारे लगें,मारग के दोउ ओर।
गैलारन छाया मिले,ओ रुकवे को ठौर।।
🌹
गैलारे तीरथ चले,संदेशो लै जाव।
प्रभु के चरनन में नमन,मोरो सोइ पोंचाव।।
🌹
गैलारन के चैन को,सबइ राखें ध्यान।
प्यासे खों पानी मिले, भोजन ओ सम्मान।
🌹
आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏🏻
[03/04, 8:15 PM] Gokul Prasad Yadav Budera: बुन्देली दोहे,विषय-गैलारे🌹
**********************
दो  गैलारे  देख  कें, 
          चिन्तित हैं कपिराज।
भैया जब बैरी बनत,
          गिरत शर्तियाँ गाज।।
**********************
गैलारे  की  चाल  खों,
          परख  लेत  है  गैल।
कय कै ऊपै सब निगत,
         साजे  उर  बिगरैल।।
**********************
जो  भी  गैलारे  चलत,
          देख परख कें  गैल।
बेइ  ठिये  पै  पोंचतइ,
         और जनन सें  पैल।।
**********************
जो   गैलारे   ढूँड़तइ,
           रोज-रोज नइ गैल।
बे जीवन की गैल में,
          होत  हमेसाँ  फैल।।
**********************
चिन्टा चिटिंयाँ ब्रामटे,
         दीमक रुजवा स्वान।
जे  सब  गैलारे  हमें,
          देत  अनोंखौ  ज्ञान।।
**********************
✍️ गोकुल प्रसाद यादव नन्हींटेहरी
[03/04, 8:34 PM] Bhagwan Singh Lodhi Anuragi Rajpura Damoh: *बुन्देली दोहे*
विषय:-गैलारे
बरिया पीपर आम के नैचें भौत ‌जुड़ात ।
घामौं जब नीचट कड़त, गैलारे रुक जात।।

पनिहारी पनधट चली,गैलारे लय खाॅंद।
घूॅंघट में मुइॅंया लगत, पूनौ कैसौ चाॅंद।।

राम लखन सीता सहित,धर गय वन की गैल।
बे गैलारे धन्य भय,रूख धरा अरु सैल।।

गैलारे सब हैं इतै, जब लौ तन में प्रान।
राम नाम इक सत्य है,निगौ न सीना तान।।

गैलारे रुक जा इतै, बना गकरियां खाव।
तोरी सूरत कौ हतौ,लरका बड़ो हमाव।।

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
रजपुरा हटा दमोह (मप्र)🙏
[03/04, 8:44 PM] Brijbhushan Duby2 Baksewaha: दोहा
विषय-गैलारे
1-पनहारे पनिया भरन,
कुँआ धार जब जांय।
गैलारे मुस्क्यात मन,
सब के सब बतयाय।
2-गैलारे चर्चा करत सब,
सुनत रहत चुपचाप।
बृजभूषण कांलौ लरत,
टर हो अपने आप।
3-रात दिना चलतइ रवे,
गैलारे अनघेर।
तकत लगाकें टकटकी,
ढूँकत घेरऊँ  घेर।
4-आन गाँव सें आय है ,
आनगाँव बृज जांय।
कइयक गाँव के गाँव में,
गैलारे कहलांय।
बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
🙏🙏

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