व्यंग्य स्तम्भ-शर्म इनको मगर आती नहीं-13
क्षणिका- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी क्षणिका-वे आम हो गयेवे आम हो गये
वे 'आम से खास हो गये,
खास होते ही कुर्सी के पास हो गये।
कुछ ज्यादा ही बेलगाम हो गये,
चन्द दिनों मे ही वे फिर धड़ाम हो गये।
उनके किस्से तमाम हा गये,
जनता के फिर से 'राम हो गये।।
666666
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
E Mail- ranalidhori@gmail.com
Blog - rajeev rana lidhori.blogspot.com
क्षणिका- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी क्षणिका-वे आम हो गयेवे आम हो गये
वे 'आम से खास हो गये,
खास होते ही कुर्सी के पास हो गये।
कुछ ज्यादा ही बेलगाम हो गये,
चन्द दिनों मे ही वे फिर धड़ाम हो गये।
उनके किस्से तमाम हा गये,
जनता के फिर से 'राम हो गये।।
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-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी
संपादक 'आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़(म.प्र.)
भारत,पिन:472001 मोबाइल-9893520965
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