म.प्र.लेखक संघ की ‘स्वामी विवेकानंद पर 243वीं गोष्ठी हुई
(स्वामी विवेकानंद जी पर केन्द्रित प्रदर्शनी लगायी)
टीकमगढ़// साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 243वीं गोष्ठी ‘‘स्वामी विवेकानंद एवं मंकर संक्रांति पर केन्द्रित ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री बी.एल जैन ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में जतारा से
पधारे वीररस के युवा कवि महेन्द्र चैधरी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शायर शिवचरण उटमालिया रहे। बी.एल. जैन द्वारा ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,में स्वामी विवेकानंद पर केन्द्रित एक प्रदर्शनी लगायी जिसे सभी ने सराहा।
सरस्वती बंदना कर गोष्ठी का शुभांरभ करते हुए सीताराम राय ‘सरल’ ने पढ़ा-
मैया मेरी वीणा की झंकार जो सुन पाऊँ, सरगम से सजाकर सुर को माँ गीत तेरे गाऊँ।।
एस.आर.सरल ने गीत पढ़ा-यह भारत भूखण्ड,विवेकानंद आपका आँगन है।
पदचिन्ह् तुम्हारे हमे सिखाते,संर्घषों का जीवन है।
लखौरा के गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने बाबा के गीत सुनाये-
ग्यानी भये रे उन्ने दये है देश में ज्ञान रे, विवेकानंद रे।
जतारा के युवा कवि महेन्द्र चैधरी ने पढ़ा- मैं छोटा सा कलमकार हूँ, द्वंदो को लिख देता हूँ।
पीड़ा की चीखें सुनता हूँ, छंदों को लिख देता हूँ।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘हाइकु’ कविता पढ़ी- ‘तुम्हें बंदन,युवाओं के आदर्श,विवेकानंद।
युवा दिवस,तुम्हें समर्पित मनाते हम। करके योगे, ये सूर्य नमस्कार रहे निरोग।
हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ ने कलाम पढ़ा- आया बुढापा इक जगह पेबंद लगा लिया।
दूसरी जगह से फट रहा बतलाओं क्या करें।।
शायर शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी- पिलाने जाम नजरों का नजर उसने मिलायी है।
खता नजरों ने की थी पर सज़ा दिल को दिलायी है।।
परमेश्वरी तिवारी ने सुनाया- जिंदगी फूलों की सेज नहीं,पर कांटों का बिछौना भी नहीं।।
हरबल सिंह लोधी ने पढ़ा-वेदांत विख्यात विवेकानंद जी महान।
अमेरिका यूरोप तक पहुँचाया भारत का ज्ञान।।
डी.पी.शुक्ला ‘सरस’ने पढ़ा-साम्प्रादाकयिकता में रख पूरा विश्वास,सामंजस्य मिलााया बनके है खास।
गुना के कवि मातादीन यादव ‘अनुपम’ ने पढ़ा-
बुडकी चटु तो आयी है,बारा बन्न के बने व्यंजन सो खाबे सबई मिठाई।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-शारीरिक था गठन गजब का,तभी रूप आदर्श दिया।
सन् अठारह सौ उन्यासी में, तब मैट्रिक पास किया।।
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने पढ़ा-कामयाबी कदम चूमेगी नव हर्ष मिलेगा।
स्वागत में खड़ा आपके नव वर्ष मिलेगा।।
अपरवल से आयेे कवि प्रेम नारायण शर्मा ने सकरात पढ़ी।
इनके आलावा दयाली राम विश्वकर्मा, बी.एल. जैन,डी.पी. यादव एडवोकेट आदि ने भी अपने विचार एवं रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी का संचालन डी.पी. शुक्ला ने किया तथा
सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना।
रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष- म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.)मोबाइल-9893520965
E-Mail- ranalidhori@gmail.com
vivekanand kavi goshthi Tiakamgarh
(स्वामी विवेकानंद जी पर केन्द्रित प्रदर्शनी लगायी)
टीकमगढ़// साहित्यिक संस्था म.प्र. लेखक संघ जिला इकाई टीकमगढ़ की 243वीं गोष्ठी ‘‘स्वामी विवेकानंद एवं मंकर संक्रांति पर केन्द्रित ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,टीकमगढ़ में आयोजित की गयी।
गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार श्री बी.एल जैन ने की तथा मुख्य अतिथि के रूप में जतारा से
पधारे वीररस के युवा कवि महेन्द्र चैधरी रहे एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में शायर शिवचरण उटमालिया रहे। बी.एल. जैन द्वारा ‘आकांक्षा’ पब्लिक स्कूल,में स्वामी विवेकानंद पर केन्द्रित एक प्रदर्शनी लगायी जिसे सभी ने सराहा।
सरस्वती बंदना कर गोष्ठी का शुभांरभ करते हुए सीताराम राय ‘सरल’ ने पढ़ा-
मैया मेरी वीणा की झंकार जो सुन पाऊँ, सरगम से सजाकर सुर को माँ गीत तेरे गाऊँ।।
एस.आर.सरल ने गीत पढ़ा-यह भारत भूखण्ड,विवेकानंद आपका आँगन है।
पदचिन्ह् तुम्हारे हमे सिखाते,संर्घषों का जीवन है।
लखौरा के गुलाब सिंह यादव ‘भाऊ’ ने बाबा के गीत सुनाये-
ग्यानी भये रे उन्ने दये है देश में ज्ञान रे, विवेकानंद रे।
जतारा के युवा कवि महेन्द्र चैधरी ने पढ़ा- मैं छोटा सा कलमकार हूँ, द्वंदो को लिख देता हूँ।
पीड़ा की चीखें सुनता हूँ, छंदों को लिख देता हूँ।।
राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने ‘हाइकु’ कविता पढ़ी- ‘तुम्हें बंदन,युवाओं के आदर्श,विवेकानंद।
युवा दिवस,तुम्हें समर्पित मनाते हम। करके योगे, ये सूर्य नमस्कार रहे निरोग।
हाजी जफरउल्ला खां ‘जफर’ ने कलाम पढ़ा- आया बुढापा इक जगह पेबंद लगा लिया।
दूसरी जगह से फट रहा बतलाओं क्या करें।।
शायर शिवचरण उटमालिया ने ग़ज़ल पढ़ी- पिलाने जाम नजरों का नजर उसने मिलायी है।
खता नजरों ने की थी पर सज़ा दिल को दिलायी है।।
परमेश्वरी तिवारी ने सुनाया- जिंदगी फूलों की सेज नहीं,पर कांटों का बिछौना भी नहीं।।
हरबल सिंह लोधी ने पढ़ा-वेदांत विख्यात विवेकानंद जी महान।
अमेरिका यूरोप तक पहुँचाया भारत का ज्ञान।।
डी.पी.शुक्ला ‘सरस’ने पढ़ा-साम्प्रादाकयिकता में रख पूरा विश्वास,सामंजस्य मिलााया बनके है खास।
गुना के कवि मातादीन यादव ‘अनुपम’ ने पढ़ा-
बुडकी चटु तो आयी है,बारा बन्न के बने व्यंजन सो खाबे सबई मिठाई।।
पूरन चन्द्र गुप्ता ने पढ़ा-शारीरिक था गठन गजब का,तभी रूप आदर्श दिया।
सन् अठारह सौ उन्यासी में, तब मैट्रिक पास किया।।
रामेश्वर राय ‘परदेशी’ ने पढ़ा-कामयाबी कदम चूमेगी नव हर्ष मिलेगा।
स्वागत में खड़ा आपके नव वर्ष मिलेगा।।
अपरवल से आयेे कवि प्रेम नारायण शर्मा ने सकरात पढ़ी।
इनके आलावा दयाली राम विश्वकर्मा, बी.एल. जैन,डी.पी. यादव एडवोकेट आदि ने भी अपने विचार एवं रचनाएँ सुनायी। गोष्ठी का संचालन डी.पी. शुक्ला ने किया तथा
सभी का आभार अध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी ने माना।
रपट-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
जिलाध्यक्ष- म.प्र. लेखक संघ,टीकमगढ़
टीकमगढ़ (म.प्र.)मोबाइल-9893520965
E-Mail- ranalidhori@gmail.com
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