Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 19 जून 2020

लघुकथा -बचत

लघुकथा -‘‘बचत’’
                         - राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
               मैं साहित्यिक गोष्ठियों की रपट बड़ी होने के कारण एक पूरे कागज़ पर कप्म्यूटर से टाइप करके विभिन्न समाचार पत्रों में भेजा करता था, किन्तु उन गोष्ठियों के होने की सूचना जो कि मात्र चार-पाँच पंक्तियों में होती थी इसीलिए वे एक पेज में चार बार आ जाती थी। उन्हें दो दिन पूर्व में  छोटी-छोटी पर्चियों के रुप में काट कर समाचार पत्रों में देने जाता था।
              एक दिन एक समाचार पत्र के पत्रकार मुझसे बोले- यार तुम बहुत कंजूस हो? जो इतनी छोटी सी पर्ची में खबर बनाकर लाते हो। मैने कहा- मैं आपकी सोच के अनुसार कंजूस ही सही, लेकिन मेरी सोच कुछ और है। मैं प्रकृति से बेहद प्रेम करता हँू  इसीलिए कागज की बचत करता हँू । जो काम कागज के एक छोटे से टुकडे से हो जाता है उसके लिए पूरा एक पेज क्यों बर्बाद करुँ, फिर एक पेज में यह खबर चार बार आ जाती है, इस प्रकार मैं तीन कागज की बचत हर बार करता हँू और मैं वृक्षों को कटने से बचाता भी हँू। मैंने नारा दिया है- ‘‘कागज़ बचाइये तो पेड़ भी बचेगें’’।
मेरी बात सुनकर वे पत्रकार महोदय शर्मिदा हो गए फिर अपनी शर्मिदगी को दूर करते हुए मुझे शाबासी देने लगे।
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- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
    संपादक ‘आकांक्षा’ पत्रिका
जिलाध्यक्ष-म.प्र लेखक संघ,टीकमगढ़
अध्यक्षः- वनमाली सृजन केन्द्र, टीकमगढ
महामंत्री-अ.भा.बुन्देलखण्ड साहित्य एवं संस्कृति परिषद
शिवनगर कालौनी,टीकमगढ़ (म.प्र.)
पिनः472001 मोबाइल-9893520965
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