*बुंदेली क्षणिका-दानव कर रय तांडव*
बुंदेली कविता-"दानव कर रय तांडव"
दानव ने
तांडव करौ,
तांडव देखके,
करो नई तुम
 तांडव।
न चले तुमाऔ
जो तांडव।
वे कौरव, 
हम पांडव।।
कजन की दार
जी दिना 
भोरा भंडारी जू ने
कर दव शुरू 
तांडव,
फिर तो चूल से
मिट जैहै 
ये दानव।।
कर रय है 
विकट भूल 
ये मानव।
संस्कृति कौ 
छिन्न भिन्न कर
बन रय 
काय दानव।।
       ***
*@ राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)*दिनांक-20-1-2021
 
   
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें