(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मास्साब जी
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मास्साब जी
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की 63वीं ई-बुक प्रस्तुति
ई बुक प्रकाशन दिनांक 7-09-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
04-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
05- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
06-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
07- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
08-डां.रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
09-शीलचन्द शास्त्री ललितपुर (उ.प्र.)
10- परम लाल तिवारी,खजुराहो
11-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
12- संजय श्रीवास्तव (मवई/दिल्ली)
13- रामेश्वरम प्रसाद इंदु बड़ागांव (झांसी)(उ.प्र.)
14-अरविंद श्रीवास्तव भोपाल (उ.प्र.)
15- गोकुल सिंह यादव, बुढेरा (टीकमगढ़)
16-अमर सिंह राय ,नौगांव (छतरपुर)
17--श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे बिषय-'मास्साब'
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक का और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *मास्साब जी* 63वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 63 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 74 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 63वीं ई-बुक "नंद के लाल" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने दिये गये बिषय मास्साब जी (शिक्षक दिवस) पर दिनांक-6-9-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। अपना आशीर्वाद दीजिए।
अतं में मैं पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-7-09-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बुंदेली दोहा बिषय-मास्साब*
*1*
मास्साब की सेवा करो,
मिलतई नंबर ऐन।
उनके फिर आसीस सें,
सुखी रये दिन-रैन।।
***
*2*
पढ़ावो धरम भूल कै,
ओरई करत काम।
इस्कूल जातई नई,
घरै करत आराम।।
***6-9-2021
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मौलिक एवं स्वरचित)
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
#मास्साब पर दोहे#
#1#
भीतर कोमल गरी से,ऊपर कठिन कठोर।
मास्साब मन नारियल,पानी लेत हिलोर।।
#2#
मास्साब निर्मल रहे,जैसैं गंगा नीर।
फटे दूध से बनत है,जैसै सेत पनीर।।
#3#
मास्साब के सदा ही,ऊंचे रये बिचार।
सदगुन सीखे सदा ही,अवगुन रये लाचार।।
#4#
मास्साब ने सबक दव,बटो कभौं ना ध्यान।
तेज धार तरवार ज्यों,धरी जात है म्यान।।
#5#
मन सें हम सब करत ते,मास्साब कौ मान।
पढ़ा लिखा कें जो करें,जंग में ऊँची शान।।
***
#मौलिक एवम् स्वरचित#
जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)
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3-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
बिषय -मास्साब
06-09-2021
*प्रदीप खरे,मंजुल*
++++++++++++++
1-
लरका भर लय ठूंस कें,
नहिं ककछन में जाँय
माससाब मन की करें,
सरकारी धन खाँय।।
2-
माससाब खुद खात हैं,
रोजउ गुटका पान।
हटकत मोढ़ा सें कहें,
होय बहुत नुकसान।।
3-
मास्साब अब नहीं करौ,
कौनउ खोटौ काम।
देख अपन खौं सीकबें,
मोढ़ा हों बदनाम।।
4-
स्कूलै रोजउ पौचवें,
फटफटिया टर्रात।
मास्साब कछु नहीं करें,
लरकन पै गुर्रात।
5-
मास्साब बनें देवता,
शिक्षक दिन जब आत।
पूजत जा दिन लोग हैं,
दूजे दिन पुज जात।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
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4-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
💐😊मास्साब😊💐
###@###
......
गुन गुरु के एकउ नहीं,मास्साब के पास।
गुटका मों में फुल भरौ,कैसें पढ़त किलास।।
पढ़े सँस्कृत बोड सें,हिंदी नइ लिख पात।
मिलै मास्टरसाब की,पूरी एक जमात।।
मास्साब खों मिल गई,आरक्षण में सीट।
खलती में पउआ डरौ,दुक कें पी रय नीट।।
कछू कर रय नेतागिरी,कछू रखा रय खेत।
मास्साब जाबें कितै,पी कें डरे अचेत।।
मास्साब दो हैं जितै,ओतां ओतूँ जांय।
रोजीना शाला खुलै,मौडी मौडा आंय।।
मास्साब जब बन गये,जमीदार के पूत।
करिया अक्षर भैंस कौ,करबें खर्च अकूत।।
मास्साब ने घरइ में,खोली एक दुकान।
बार बार जाबै उतइं,नोंन तेल पै ध्यान।।
मास्साब बे कष्ट में,जो हैं इज्जतदार।
उनपै है इस कूल कौ,पूरौ पूरौ भार।।
***
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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05-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)
मास्साब की वेदना , को सुनरव है आज ।
उत्पीड़ित करवें सबइ , फिरत लगावे खाज ।।
गुजर-बसर कैसें करत , की खों है परवाह ।
मास्साब घुट-घुट जियत,मुख सें निकरत आह।।
देखत में सबखों दिखत, मास्साब सुखयार ।
लेकिन उनकी जिन्दगी , है साँसउँ दुखयार ।।
पूँजी रत है ज्ञान की , मास्साब के पास ।
घर की जिम्मेंदारियाँ , करतीं भौत उदास ।।
मास्साब धीरज धरत , महिमा अपरम्पार ।
करत योग्य काबिल गुणीं,चेलन खों तैयार ।।
****
-कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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06-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)
✒️बुन्देली दोहा ✒️
बिषय-मास्साव
°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°
मास्साव ऐसे बने,
दददा रिस्पत देत।
मोड़ी मोड़न से कबै ,
हम खो गुटका लेत।।
5-
पत्तान में रंग होत है,
चलबै अपनी चाल।
अपनो सो न जानियो,
मास्साव को हाल ।।
**
गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा टीकमगढ़
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07- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
।दोहा
1- कौसल्या के लाल गए,
पढवे आश्रम चार ।
गुरू वशिष्ठ हैं माससाब,
ग्यान कौ दव भंडार ।।
2- मन मनसा मंदिर मढत,
माससाब सब ग्यान ।
दशरथ नंदन राम जू,
सीख आय सब बान।।
3- आज काल के माससाब,
खौंन लगे सम्मान।
मोड़ी -मोंड़न के संगै,
नसा करैं जीजान।।
4- ओरी दद्दा बाई सैं,
बडकैं हैं माससाब।
गुरू दिवस के दिनाँ ,
पुजत रहें माससाब।।
5- बिडी तमांकु ओ गुटका,
खान लगे माससाब।
करन लगे ऐंमाल सब,
कलयुग में माससाब।।
***
मौलिक एवं सुरचित रचना
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा
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8-डां.रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र.)
दोहे विषय- 'मास्साब'
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 गुरुवर हैं सबसे बड़े,
मास्साब बेउ आयं।
ऊपर सें खिच्यांय बे,
भीतर सें पुटिआंय।।
2 पने शिष्य खों देत हैं,
सब जीवन को ज्ञान।
मास्साब वे होत हैं,
सबमें बड़े महान।।
3 दई से नेनूं कड़त है,
ऊसई नोनो ज्ञान।
मास्साब में रहत हैं,
सबरो देखो ज्ञान।।
4 ईसुर जैसे होत हैं,
माससाब सब मान।
एइ से सबसे कात हैं
इनको कर सम्मान ।।
***
✍️डॉ रेणु श्रीवास्तव,भोपाल (म.प्र.)
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09-शील चन्द्र जैन 'शील' ललितपुर , उ0 प्र0(भारत)
"मास्साब"
1.
मास्साब तौ जुगन सैं, रय समाज सिरमौर।
ई जुग की बलहारि है ,मिलत नइं कउं ठौर।
2.
कछु समय कौ खेल है , कछु जुग कौ प्रभाव ।
मास्साब खों घेरें फिरत, अपमान, अभाव ,दुराव ।
3.
जिन्नै उंगली पकरकैं, दव है प्रेम सैं ज्ञान।
जिन करियो मास्साब कौ, सपनन में अपमान ।
4.
मार्ग पतन के तीन हैं, सुनियो धरकें ध्यान।
मात-पिता की उपेक्छा, मास्साब को अपमान।
5.
सागर सैं गहरौ होत है, मास्साब को ज्ञान।
सिर पै सब व्यादैं धरत, सरकारी फरमान।
###
शील चन्द्र जैन 'शील'
ललितपुर , उ0 प्र0(भारत)
मो0 9838896172
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10-परम लाल तिवारी, खजुराहो
#मास्साब#
1मास्साब के रौब से,डरे रहत ते बाल।
देर भई जो स्कूल खां,खेंच देत ते खाल।।
2मास्साब थे ज्ञान के,मूरति एक महान।
जो भी जाकर सीख ले,उनसे अनुपम ज्ञान।।
3एक साइकिल रात ती,मास्साब के पास।
नियमित शिक्षा सदन में,पहुंचाती थी खास।।
4एक छड़ी चस्मा घड़ी,कुरता धोती शाल।
मास्साब सब पहिन कै,चलें सुहानी चाल।।
5मास्साब सिखला दये,जो सबाल औ पाठ।
वे नहि भूले आज तक,उम्मर हो गई साठ।।
***
परम लाल तिवारी,खजुराहो
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11-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय मास्साब या मास्टर साहब
पैल गांव में मिलत ते,पड़े लिखे बस एक।
हते मास्टर साब जू,सबइ गुनन में नेक।।
रुक्का लिखने होय कै, होने होय हिसाब।
सबके काम बनाउत ते,रोज मास्टर साब।।
भव बिटिया कौ ब्याव सो, करें ठीक ठैराव।
बिना मास्टर साब के, लुबत न चीर चड़ाव।।
पूंछ परख खूबइ हती,कदर करत ते लोग।
हते मास्टर साब भी ,पैल पूजबे जोग।।
ज्ञान दान दैबे सदां ,खोलें रए भंडार।
करी मास्टर साब ने,सब की नैया पार।।
###
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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12- संजय श्रीवास्तव (मवई/दिल्ली)
बुंदेली दोहे-
विषय - *मास्साब*
*१*
मास्साब को जगत में,
है ऊँचो इस्थान। (स्थान)
काँलों बड़वाई करें,
काँलों करें बखान।।
*२*
मास्साब तौ वही गुनी,
जो इंसान बनाय।
पद की जो गरिमा रखे,
पद को फरज निभाय।।
*३*
मास्साब की नौकरी,
अब नइं रइ आसान।
छिन-छिन शासन पकरतइ,
छिरिया जैसे कान।।
*४*
मास्साब की वेदना,
काँ सुनतइ सरकार।
एइसें फल फूल रओ,
ट्यूशन को व्यापार।।
*५*
मास्साब बे बने फिरत,
शुद्ध बाँच नईं पायँ।
मधुशाला में हाजिरी,
विद्यालय नईं आयँ।।
संजय श्रीवास्तव, मवई
६-९-२१ 😊 दिल्ली
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13- रामेश्वर प्रसाद इंदु बड़ागांव (झांसी)(उ.प्र.)
जय बुंदेली साहित्य समूह.
6/9/2021.
मास्साब.
मास्साब की बात खों,
मान देते रव ध्यान।
ज्ञानी तुम कों ज्ञान दें,
हरत रय अग्यान।।
2-
मास्साब पेलें हते,
अब टीचर कय जात।
फीचर बनवे शिष्य को,
रस्ता रहे दिखात।।
***
रामेश्वर प्रसाद गुप्ता 'इंदु'
बडागांव झांसी (उ.प्र.)
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14-अरविंद श्रीवास्तव ,भोपाल (उ.प्र.)
*मास्साब*
धोती कुरता तौलिया, थैला चश्मा पैन,
छड़ी लयँ मास्साब की, छबि ती नौनी ऐन ।
पेण्ट शर्ट पैरन लगे, 'सर' भये मास्साब,
फटफटिया पै डोलबें, बारन लगा खिजाब ।
जीन्स टॉप धारन करें, इसकूटी सें आयँ,
मैडम जी टीचर भईं, मोबाइल बतयायँ ।।
***
-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
मौलिक-स्वरचित
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15- गोकुल सिंह यादव, बुढेरा
✍️बुन्देली दोहा,विषय-मास्साब✍️
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
मास्टर साहब सें बनों,
मास्साब लघु शब्द।
बुन्देली में रहत है,
जा सुबधा उपलब्ध।।
मास्साब अब कम कहत,
बच्चा सरजी कात।
के जी वन सें सबइ खाँ,
जौइ सिखाऔ जात।।
मास्साब नें दव जिनें,
अक्षर गिनती ग्यान।
बेही अब तरकें करत,
अपनों देश महान।।
मास्सब गुरुदेव हैं,
मास्साब करतार।
मास्साब के ग्यान दयँ,
मिलत हमें रुजगार।।
जो कक्षा में लेत रय,
मास्साब सें ग्यान।
बे कक्षा में भेज रय,
उपग्रह,मंगलयान।।
मास्साब कौ काम है,
भौत पुन्य कौ काम।
मास्साब लो पढ़न गय,
राम श्याम बलराम।।
गणना होय चुनाव चह,
सर्वे वोटर लिस्ट।
काम मुलक्के थोप दय,
मास्साब हैं पिस्ट।।
पैला भर में हैं घुनें,
अगर चना दो चार।
इतनें सें नहिं बिगरतइ,
मास्साब परिवार।।
***
(मौलिक एवं स्वरचित)
-गोकुल प्रसाद यादव नन्हीं टेहरी(बुडे़रा)
दिनाँक-06/09/2021
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16-अमर सिंह राय नौगांव
"मास्साब" पर समीक्षार्थ दोहे
(१)
गुरु महिमा ती बड़ी, ऊँचो हतो खिताब।
एक नहीं कारन बहुत, कहलाए मास्साब।
(२)
भाव बचे नहिं पैल से, समय बदलतइ जात।
जिन्हैं सिखाओ बेइ अब, मास्साब हाँ बतात।
(३)
मास्साब जी सिखाइयो, ई हाँ सही विचार।
जो नहिं सीखै तो अपुन, अच्छी दैयो मार।
(४)
अगर कभउँ अब मार दौ, तुरत लड़ाई बैर।
होय शिकायत तुरत अब, मास्साब की न खैर।
(५)
बिन कागद अरु पेन के, इंटरनेट सुनात।
किये पतो का कर रये, मास्साब भर दिखात।
✍️अमर सिंह राय, नौगांव (छतरपुर)
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263-श्री जयसिंह जय बुंदेली दोहे-मास्साब,7-9-2021
#सोमवारी समीक्षा#
#दिनाँक 06.09.2021#
#बुन्देली दोहे मास्साब#
*************************
आज सबसे पहले माँ सरस्वती को नत मस्तक करते हुये सभी को प्रणाम।आज का बिषय मास्साब सबसे सुन्दर बिषय पर सबयी जनन ने अपने 2 बिचार रखे जिनमें कुछ मास्साब के अच्छे और बुरे बिचारों को सभी ने रखा।चलो अब हम सभीके मास्साब से मिलकर सबके बिचारन की समीक्षा कर रय।
#1#श्री अशोक पटसारिया जी नादान लिधौरा......
आपने मास्साब के जितने अवगुन हते सब पै रोशनी डारी।मास्साब के ऊपर आपके 8दोहन में अवगुनन कौ सबरौ बखान कर डारो।भाषा भाव शिल्प उत्तम बन परे आपखों सादर नमन।
#2# जीकमगढ़......
आपने अपने 5 दोहों मेंमास्साब के अवगुनन पै गौर करो।मास्साब खों शर्मसार करबे बारे अवगुनन खोंउजागर करकें जमाने में मास्साब की बास्तविक स्थिति सें अवगत करा दव।भाषा शैली सरल सटीक उत्तम रयी।आपकौ बेर बेर बंदन अभिनंदन।
#3#श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
नन्नी टेरी......
आपने अपने 7 दोहन मेंमिली जुली प्रतिक्रिया करी,जीमें कछु अवगुन, और भौत सारे गुनन खों बरनन करो।ईसुर भी मास्साब के द्वारा पढ़ाय गय।छात्रन की प्रगति चंद्रयान तक पौचवे कौ बरनन करो।भाषा भाव शिल्प शैँली अभिनंदनीय रयी।आपकौ बेर बेर आभिनंदन।
#4#श्री अरविन्द श्रीवास्तव जी भोपाल......
आपके 3 दोहन में मास्साब की पुरातन पोषाक कौ बरनन करकेंआज की बेशभूसा कौ बरनन करो गव।जो भौतयी सरल और सटीक रव।भाषा चिकनी शैली मजेदार रयी।आपखों बेर बेऋ नमन।
#5#जयहिन्द सिंह जयहिन्द पलेरा......
मैनै अपने 5 दोहन में मास्साब के साजे गुनन पै बिचार करो।मास्साब के साजे गुनन खों उजागृ करकें गंगा जैसौ पवित्र बताव।बाँकी भाषा शैली कौ मूल्यांकन आप सब जने जानो।सबखों राम राम।
#6#श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ लखौरा......
आपने अपने 5 दोहन में मास्साब की कर्तव्यनिष्ठा पै चर्चा करकें आलोचना करी।मास्साब कौ कुर्सी पै सोबो,कागजी काम करबौ,दरशाव।अंतिम दोहा मेंअपने सें तुलना ना करबे कौ बतकाव करो।भाषा भाव सराहनीय।आपका सादर अभिनंदन।
#7#श्री शील चंद जी जैंन शील ललितपुर.......
आपके 5 दोहन में,पैले में मास्साब समाज कौ शिरमौर,पर आज ठौर का अभाव,दूसरे में मास्साब के अपमान कौ बरनन,तीसरे में मास्साब को अपमान ना करबे कौ निरदेश,चौथे में माता पिताऔर मास्साब कौ अपमान पतन कौ कारन बताव।अंतिम दोहा में मास्साब के ज्ञान खों सागर सें गैरौ बताव।आज के सरकारी फरमानन कौ बरनन करो।भाषा भाव सटीक शैली मजबूत दिखानी।आपको सादर नमन।
#8#श्री शोभाराम दाँगी जी नदनवारा.......
आपके 5 दोहन मेंसें पैले में बशिष्ठजैसे मास्साब कौ बरनन करो।दूसरे में दशरथ नंदन श्री राम की शिक्षा पै प्रकाश डारो।तीसरे में आजकल के मास्साब कौ मान मरदन,चौथे में मास्साब पिता माता सें बढकें मानौ गव।पाँचवे में मास्साब के ऐलानन कौ बरनन करो गव।
#9#श्री पं. परम लाल तिवारी जी खजुराहो.......
आपके 5 दोहन में पैले दोहा में मास्साब कौ बाल बर्ताव, दूसरे मेंज्ञान कौ भंडार, तीसरे में साईकिल सें शाला जाबौ,चौथे में पोषाक कौ बरनन,अंतिम में मास्साब की सीख,साठ साल तक ज्यों की त्योंयाद रैवौ बताई गयी।
भाषा शैली भाव के अनूठे दरशन,
कराय गय।आपके चरण बंदन।
#10#श्री रामेश्वर प्रसाद गुप्त इन्दु जी बड़ागाँव झाँसी.......
आपके 2 दोहन में मास्साब की प्रशंसा गागर में सागंर भरकें करी गयी।आपके दोहन में उनै ज्ञानी बताव गय।पैलाँ के मास्साब अब टीचर कहाउन लगे।जो चेलन कौ भविष्य बनाउन लगे।भाषा भावं उत्तम।सादर नमन।
#11#श्री प्रभु दयाल जी श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़......
आपके5 दोहन में आपने मास्साब केपैलाँ के चरि. खों उजागर करो।
और बताव कै समाज में मास्साब के बिना कौनौ काम ना होत तो।इतै तक कै बिटियन के ब्याव काज मेंठैराबे सें लैकैं सबरी ब्यबस्था मास्साब करत ते।आपकी भाषा भाव सबसें अलग ,सटीक और सुन्दर पाय गय। आपका बेर बेर बन्दन।
#12#डा. रेणु श्रीवास्तव जी ,भोपाल........
आपके 4 दोहन में मास्साब के साजे गुनन की बिबेचना करी।अंतिम दोहा में मास्साब खों ईसुर की संज्ञा दयी। सबयी दोहा शानदार, भाषा भाव सरल और सटीक।बहिन के पद बंदन।
#13#श्री अमर सिंह राय साहब (नौगांव).........
आपके 5 दोहन मेंसें पैलै दोहा मेंउनकी महिमा बताई गयी।दूसरे दोहा मेंपैलाँ जैसै भाव ना रैवै को बरनन करो।तीसरे में मास्साब खों शिक्षा हेतु निर्देश दय।चौथे में छात्रन खों पीटबे की आफत,अंतिम में इन्टरनेट पै मास्साब कौ बरनन करो गव।भाषा भाव सुन्दर,आपको सादर नमन।
#14#श्री राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' टीकमगढ़........
आपके 2 दोहन मेंसें पैलै दोहा में मास्साब की सेवा की सलाह दयी जी सें अच्छे नंबर मिलें।दूसरे में मास्साब की समय की चोरी कौ बरनन करकें भर्त्सना करी गयी।
आपके भाषा भाव अनूठे हैं,शैली मजेदार।श्री राना जी का बंदन अभिनंदन।
#15#श्री कल्याण दास साहू पोषक जी पृथ्वीपुर......
आपके 5 दोहन में पहले चार दोहन में मास्साब की समस्यायें,और उनकौ निदान ना हौबौ दरसाव गंव।अंतिम दोहा में मास्साब की प्रशंसा करकें बताव गव कै बे अच्छे चेलन खों तैयार करत। भाषा भाव उत्तम,शैली अनुपम।आपका बंदन अभिनंदन।
#16#श्री संजय कुमार श्रीवास्तव जी दिल्ली.........
आपके 5 दोहन में सें पहले2 दोहन में मास्साब कौ गुणगान, तीसरे चौथे दोहा मेंउनकी नौकरी और वेदना कौ बरनन करो गव।
अंतिम दोहा में मास्साब के अवगुनन कौ बरनन भव।भाषा भाव मधुर शैली जोरदार जैसैं...छिरिया कैसौ कान।आपखों बेर बेर अभिनंदन।
उपसंहार..... हमनेंआज की समीक्षा में सिर्फ पटल पै 8.00बजे रात्रि तक की समीक्षा की गयी।आठ के बाद रचना डारबौ नियम बिरुद्ध है सो उनपै समीक्षात्मक चर्चा ना करी जैहै।
निष्कर्ष यह है कि मास्साब के चरित्र पर धनात्मक और रिणात्मक दृष्टि सब विद्वानन ने डारी।पुरातन और आधुनिक परिवेश की खूब तुलनात्मक चर्चा
करी।
आज की समीक्षा इतयीं पूरी भयी।अगर धोके सें काउकी रचना की समीक्षा छूट गयी हो तो क्षमा अवश्य करें।
समीक्षक......-जयहिन्द सिंह जयहिन्द
पलेरा जिला टीकमगढ़
मो.6260886596
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*जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़*
©कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी',टीकमगढ़
मोबाइल-9893520965
प्रकाशन- प्रथम संस्करण- दिनांक 19-8-2020
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 7-09-2021
टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
मोबाइल-9893520965
1 टिप्पणी:
Very nice dohe
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