Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 27 सितंबर 2021

बगदर (मछरा) बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक संपादन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)





                                बगदर
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 67वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-09-2021

        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
         मोबाइल-9893520965

😄😄😄 बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
03-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
04- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
05-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
06- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
07-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा टीकमगढ़
08-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)
09-गोकुल यादव,बुढेरा (म.प्र.)
10- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
11-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)
12- संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़ (म.प्र.)
13-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया
14- एस आर सरल,टीकमगढ़
15-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा
16-कल्लू के दद्दा (अवधेश तिवारी) छिंदवाड़ा
17-एस.आर.तिवारी (टीकमगढ़)

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक का और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयाय से आज यह ई-बुक *बगदर* 67वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 67 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 73 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 67वीं ई-बुक "बगदर" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने बुंदेली दोहा प्रतियोगिता 29 द्वारा  दिये गये बिषय  "बगदर" पर शनिवार दिंनांक-25-9-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  अपना आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में मैं पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-25-09-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**सप्लीमेंट्री दोहा/ अप्रतियोगी-*

बगदर से बत्तर नहीं
         कोउ दूसरों जीव।
खून चूसते ऐन है
        कर देते निर्जीव।।
                ***

*राजीव नामदेव राना लिधौरी,टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मेरी उपरोक्त रचना मौलिक एवं स्वरचित है।)

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2-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)



 करबे आबै कान में,
पैलाँ टेलीफून।
मछरा करकें मसकरी,
फिर पी लेबै खून।।
**

-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

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3-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)

 

ताली ठोकत मान्स है, 
बगदर ठोकत ताल।  
रैन कटै नहिं चैन सें, 
हाल होत बेहाल।।
***

-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
          
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04- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)

*
कूरा कचरा गंदगी, 
बीमारी आधार।
बगदर काटें जो कऊँ,
ऊ खों चढे़ बुखार।।
***

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र.)

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5-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


 डेंगू सें भयभीत हैं,
नेता अफसर संत।
मछरा अपने देश कौ, 
सबसें बढ़ौ महंत।।
      ***
       -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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06-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)


जाँ देखौ ताँ हो गई ,
 मछरा की भरमार ।
बेदर्दी सें चींथ रय ,
 दै रय खूब दमार ।।
***
 -कल्याण दास साहू "पोषक"पृथ्वीपुर,निवाडी़ (मप्र)
  ( मौलिक एवं स्वरचित )
             
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07-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)

बगदर काया काटबै ,
जाड़ों लगबे ताप।
मच्छरदानी खाट पै,
रोग बचालों आप ।।
***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा (टीकमगढ़)

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08-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़ (म.प्र.)


करतइ नींद हराम है,
मछरा रोजउँ रात।
मच्छरदानी छेद सें, 
बौ भीतर घुस जात।।
***
   -वीरेन्द चंसौरिया ,टीकमगढ़

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11-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


 गाँव शहर घर बगर में,
बिन बुलाव मिहमान।
रकत   पियै   रोगी   करै,  
बगदर   बेईमान।
***               
                 -गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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10- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)


बगदर चूँसें खून जौ, 
सूज गये दोउ गाल ।
 सारे तन कौ चूँस कै,
 कर दव मोय बेहाल ।।                             
***
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा 

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11-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा, निवाडी (म.प्र.)


मच्छर में गुन एक नहीं,
अवगुन रहें हजार।
काटे सें बीमार हों,
मानें मानुष हार।।
***
-रामानंद पाठक नंद ,नैगुवा,निवाडी (म.प्र.)

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄

12- संजय श्रीवास्तव, मवई

बेजां बगदर देस में,
पियें खून, भन्नाय।      
कुलथत, कूलत दिन कटे,
जगत रात कड़ जाय।।
***     
     - संजय श्रीवास्तव, मवई
    
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13-डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया

 4
बगदर बेजा काटते,
हर लेते सुख-चैन।
नजर नहीं आते जरा,
भले फाड़ लो नैन।।
****
   
     -डॉ.संध्या श्रीवास्तव, दतिया,मप्र

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14-एस आर सरल,टीकमगढ़

बड़े बड़े डिग जात हैं, 
जाँ मछरा सन्नात।
मछरा डेकाडौन सी,
सुई चुभा उड़ जात।।
***
-एस आर सरल,टीकमगढ़

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄
***
*15*-डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा

बजरंग सोच विचार कें,
हरि कौ ध्यान लगाय।             
बगदर कैसौ रूप धर,
घुसे लंक में जाय।।
               -  डॉ देवदत्त द्विवेदी सरस,  बड़ामलहरा
***

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*16-कल्लू के दद्दा (अवधेश तिवारी) छिंदवाड़ा

*निर्बल खे तू मार खे,
मती बढ़इयो शान।*-
*कौन बड़ाई है,इमे,
बगदर के लओ प्रान।।*-

-कल्लू के दद्दा (अवधेश तिवारी) छिंदवाड़ा

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*17*एस आर तिवारी, दद्दा,टीकमगढ़

नैन नैनीताल बसे,
बढ़ौ ताल भोपाल।।
ताल देत बगदर लगै,
मम जीकौ जंजाल।।
-
-एस आर तिवारी, दद्दा,टीकमगढ़
***
😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄



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     ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-09-2021

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