Rajeev Namdeo Rana lidhorI

बुधवार, 15 सितंबर 2021

हिंदी हिन्दुस्तान की (हिंदी दोहा संकलन ई-बुक) संपादन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

                     
 हिंदी हिन्दुस्तान की
                 (हिंदी दोहा संकलन) ई_बुक
          
          संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                    हिंदी हिन्दुस्तान की
                 (हिंदी दोहा संकलन) ई_बुक
                                                                                     संपादक - राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक 15-09-2021
पति-नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी, टीकमगढ़ (मप्र)बुंदेलखंड (भारत) पिनकोड-472001

        टीकमगढ़ (मप्र)भारत-472001
         मोबाइल-91+ 9893520965

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              अनुक्रमणिका-

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ (म.प्र.)
03-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा(म.प्र.)
04-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
05- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)
06-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
07- कल्याणदास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाड़ी)(म.प्र.)
08-प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे,मंडला(म.प्र.)
09-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (मप्र)
10-शील चंद्र शास्त्री ललितपुर (उ.प्र.)
11-गोकुल यादव,बुढेरा (म.प्र.)
12- शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)
13-डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
14-अरविन्द श्रीवास्तव, भोपाल
15-जनक कुमारी सिंह बाघेल, भोपाल
16-प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद (हरियाणा)
17-ब्रजभूषण दुबे ब्रज, बकस्वाहा.
18-नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र.
19-हरिराम तिवारी, खरगापुर (टीकमगढ़)
20-अमर सिंह यादव (नौगांव)
21- डॉ. सुशील शर्मा गाडरवाड़ा
22-रामानंद पाठक'नंद' (नौगुवा)
23-परमलाल तिवारी, (खजुराहो)

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)


**हिन्दी के दोहे- बिषय-हिंदी*

*1*
हिन्दी मेरी जान है,
हिन्दी विश्व महान।
जीवन अर्पित कर दिया,
करते हैं सम्मान।।
***

  *2*
हिन्दी के कवि सूर हैं,
केशव, तुलसीदास।
पंत निराला गुप्त जी,
जय कबीर, रैदास।।
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.co
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***

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हिन्दी में बिन्दी लगी, लगा हलन्त , विसर्ग।
सबका अपना अर्थ है, होता नहीं निसर्ग ।।

हर रिस्ते नाते लिए, चलती हिन्दी साथ।
सबको अलग पुकारती, नव्य मान में माथ।।

माननीय भाषा सभी , सबमें नेह विवेक।
हिन्दुस्तान कि होय पर , भाषा हिन्दी एक।।

एक राष्ट्र में  मान्य गर , इक भाषा ही होय। 
होगी कौमी एकता , मैं मेंरे को खोय ।।

राज काज हर प्रांत में , हिन्दी में भी होय । 
प्रान्त सभी अपना लगे, गैर लगे न कोय।।
मीठी मिसरी सी लगे , सरस शील आचार।  
हिन्दी संस्कृत की भगिनि, हिन्दी में संस्कार।।

हिन्दी दिवस मनाइए , करिए खूब प्रचार।
हिन्दी में संवाद कर, होय गर्व संचार।।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां
जनक कुमारी सिंह बाघेल

02-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़ (म.प्र.)


हिंदी अपनी अस्मिता, 
हिंदी अपना मान। 
हिंदी अपनी मातृवत, 
हिंदी भाष महान। 

हिंदी का सम्मान हो, 
है जिस के अनुरूप। 
व्यक्त सरलता से करें,
इसमें भाव अनूप।।
 
हिंदी चिन्दी हो गई, 
अंग्रेजी है थान। 
जाने कब तक पा सके, 
हिंदी अपना मान।।
 
अंग्रेजी है 'नौकरी', 
हिंदी है 'बाजार'।
'जनता' हिंदी हो गई, 
अंग्रेजी 'सरकार'।। 

हिंदी ऐसी पुज रही, 
दिवाली ज्यों गाय। 
हिंदी वाले मिल करें, 
अंग्रेजी में 'हाय'।।
***
रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
मौलिक एवं स्वरचित

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3-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, टीकमगढ़ (मप्र)

     
 #हिन्दी#
                    #1#
हिन्दी बन्देमातरम् ,हिन्दी मंगल
गान।
भारत माँ की बन गयी,हिन्दी ही पहचान।।
                    #2#
हिन्दी की बिन्दी बनी,बुन्देली सरताज।
भोजपुरी कँगना रहे,बनी मैथिली लाज।।
                    #3#
बघेली बेटी सी लगे,हिन्दी अंग समाय।
अन्य बोलियाँ बैठ कें,बातें खूब लगांय।।
                    #4#
भारत माँ के गले में,हिन्दी हीरक हार।
छाती पर जो दमकता,दिल में करे बिहार।।
                    #5#
बैज्ञानिक भाषा बनी,दुनियां की शिरमौर।
हिन्दी जग में महकती,ज्यों बगियन में बौर।।

#मौलिक एवम् स्वरचित#

              ###
-जयहिंद सिंह 'जयहिन्द',पलेरा, (टीकमगढ़)

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4-प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)

 
1-
राधा आठें को हुई,
 तिथि है आज पुनीत।
हिंदी राधा रूप है, 
हिय राखौ सब प्रीत।।
2-
हिंदी में सब मिल करो,
निज दफ्तर का काज।
अंग्रेजी को त्याग दो,
हिंदी पर हो नाज।।
 
3-
अपने घर में ही करो,
हिन्दी का सम्मान।
हिन्दी होगी जगत में,
सबसे आलीशान।।
4-
हिंदी हुइ कमजोर तो,
किसे दे रहे खोर।
खुद हिंदी को भूलकर,
 अंग्रेजी पर जोर।।
5-
 सरल सुगम हिंदी लगी, 
है मुझको अभिमान। 
मोदी मुमकिन कर दियौ,
 हिंदी को सम्मान।।
        ***
-प्रदीप खरे मंजुल,टीकमगढ़ (म.प्र.)💐
           
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05- रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)




हिंदी की है वंदना, अंग्रेजी के बोल।
अपनी भाषा का वही, बढा़ रहे हैं मोल।।

हिंदी की क्यारी उगे, अंग्रेजी के फूल।
उनके ऐसे ढंग पे, उठे हिये में शूल।।

रामेश्वर गुप्त, 'इंदु', बड़ागांव,झांसी (उ.प्र.)

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6-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 

😊💐हिंदी💐😊
      !!!!*!!!!*!!!!
अंग्रेजी सौतन बनीं,
              लाड़ उसे भरपूर।
माँ को माँ ना कह सके,
          हम कितने मजबूर।।

हिंदी गौरव देश का,
             हिंदी मन का गान।
हिंदी जीवन चेतना,
            हिंदी से पहिचान।।

हिंदी मन की भावना,
                देवों का वरदान।
माँ के आंचल सी सुखद,
             मिट्टी की पहचान।।

जनगण के मन में बसा,
                 हिंदी हिंदुस्तान।
दुनियाँ में सबसे सरल,
              कहने में आसान।।

सिंहासन आरूढ़ है,
                अंग्रेजी का मान।
हिंदी की पीड़ा यही,
            कहते मात समान।।
          !!!@!!!@!!!
   
           -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   

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07-कल्याणदास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर, (निवाड़ी)


 मना रहे हिन्दी दिवस , करलें उनको याद ।
जिनके अथक प्रयत्न से , है हिन्दी  आबाद ।।

हिन्दी  भारतवर्ष  की , भाषा  बडी़  महान ।
तुलसी सूर कबीर ने , बहुत  बढा़या मान ।।

हिन्दी हिन्दुस्तान की , आन बान औ शान ।
महिमा गाते जायसी , रहिमन कवि रसखान ।।

भारतेन्दु  महावीर , देते  हिन्दी  ज्ञान ।
प्रेमचन्द दुष्यन्त ने , गाया है यशगान ।।

दिनकर माखनलाल जी , पन्त निराला गुप्त ।
हिन्दी  भाषा  वाटिका , सजा गये उपयुक्त ।।

मीरा  देवी  सुभद्रा , जयशंकर  अज्ञेय ।
हिन्दी के उद्यान को , सींच गये श्रद्धेय ।।
         ***
   ---- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)

         ( मौलिक एवं स्वरचित )
             
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08-  -प्रो(डॉ)शरद नारायण खरे,मंडला


============
हिन्दी का उत्थान हो,हिंदी का गुणगान।
हिन्दी का सम्मान हो,हिन्दी का यशगान ।।

हिन्दी तो परिपूर्ण है,हिन्दी है सम्पन्न ।
हिन्दी माने हीन जो,वह नर सदा विपन्न ।।

हिन्दी में अध्यात्म है,हरसाता है धर्म ।
लेखक,कवि जो कह रहे,समझें उसका मर्म ।।

भाषा हिन्दी राष्ट्र की,लिये राष्ट्रहित-भाव ।
हिन्दीभाषी नित रखें,निज भाषा का ताव ।।

नैतिकता पोषित करे,अनुशासन का जोश ।
हिन्दी हमको दे रही,सच्चाई का होश ।।

हिंदी मन झंकृत करे,बाँटे नित उल्लास।
 हिंदी भाषा विश्व को,दे अधरों पर हास।।

हिंदी बढ़ती जा रही,लेकर के विश्वास।
होगी जग-सिरमौर यह,है मुझको आभास।।

बने राष्ट्रभाषा तभी,मने देश में पर्व।
हिंदी पर करते सभी,हर्षित होकर गर्व।।

            प्रो.(डॉ)शरद नारायण खरे 
                  प्राचार्य             
      शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय,                           मंडला(मप्र)-481661
            
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प्रमाणित किया जाता है कि प्रस्तुत दोहे मौलिक व स्वरचित है – प्रो,शना खरे

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09-प्रभुदयाल श्रीवास्तव, टीकमगढ़ (मप्र)

हिन्दी दोहे  - हिन्दी पर

हिन्दी ने हैं दे दिए, रत्न हमें भरपूर।
मीरा पंत कबीर से, केशव तुलसी सूर।।

भाषाओं के शिखर पर,बैठी हिन्दी आज।
केवल पहनाया नहीं , हमने  उसको ताज।।

हिन्दी जैसी मातु से ,हाय लिया मुख मोड़।
अब अंग्रेजी सास से, किया नया गठ जोड़।।

सेवा करते और की , अपनी हिन्दी छोड़।
निश्चय ही उनके सदा,दर्द करेंगे जोड़।।

आओ हिन्दी दिवस पै,हम सब लें यह ठान।
हिन्दी में संवाद हो  , हिन्दी हो परिधान।।
***
              प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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10-शील चंद्र शास्त्री ललितपुर (उ.प्र.)

कविता-"हिन्दी"
दादी, नानी, माँ की बोली, भाभी की मधुर ठिठोली ।
क्योंकर न बोलूँ मैं हिन्दी , मेरी बालसखी हमजोली ।

'अ' से अक्षर-ब्रह्म प्रकट हो, तत्वज्ञान करवाए।
अज्ञानी से ज्ञानी बनने की , यात्रा पूर्ण कराए ।
वेदज्ञान-गीता-रामायण , जिनवाणी अलबेली ।
क्योंकर न बोलूँ मैं हिन्दी...1

कल-कल करतीं पावन नदियाँ, लहर-लहर लहराएँ। 
चीं-चीं करती चंचल चिड़ियाँ , मन मोहित 
कर जाएँ । 
कुहू-कुहू के गीत सुरीले , कोयल हिन्दी में 
बोली ।
क्योंकर न बोलूँ मैं हिन्दी....2

झिलमिल करते नभ के तारे , सबको राह दिखाते ।
हिलमिल सभी पुष्प बगिया के ,मधुर गंध बिखराते। 
'शील' साँझ को गाय रंभाती, अम्मा$ हिन्दी
में बोली ।
क्यों न बोलूँ मैं हिन्दी ....3
**
शील चंद्र शास्त्री ललितपुर (उ.प्र.)
ललितपुर , उ0 प्र0 (भारत)
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11-गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)


 🙏हिन्दी दोहा-विषय हिन्दी🙏
             (संदर्भ-हिन्दी दिवस)
********************************
शुभ चौदहवाँ दिवस था,परम सितंबर मास।
आज राज भाषा बनी,"हिन्दी"सन उन्चास।।

राष्ट्रीय  हिन्दी  दिवस, आया  परम  पवित्र।
स्वीकारें शुभ कामना,प्रिय कवि लेखक मित्र।।

जय हिन्दी जय भारती,जय हिन्दी कवि पुञ्ज।
आओ मिल सींचें सभी, पुष्पित  हिन्दी कुञ्ज।।

भारत  शतदल  कमल में,  हिन्दी  मृदु  मकरंद।
अनिल सलिल सम बह चली,छंद छोड़ स्वच्छंद।

छंद बद्ध कविता यथा, विमल अलंकृत नार।
कवि गण  छंदों  से करें,  हिन्दी  का  श्रृंगार।।
**********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
    

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12 शोभाराम दांगी 'इंदु', नंदनवारा(म.प्र.)


शोभारामदाँगी नंदनवारा जिला टीकमगढ मध्यप्रदेश14/9/021
बिषय - "हिंदी " हिंदी दोहा लेखन 1- हिंदी दिवस मनाईये, 
             हो राष्ट्र पर्व आधार /
  बोल चाल में सरल सहज, 
               बनें प्रथम त्योहार //
2- हिंदी है मेरे राष्ट्र की, 
               सब भाषन में मूल /
    गुजराती पंजाबी उर्दू, 
             उड़िया करे कबूल //
3- हिंदी हिंद कि जान है, 
            करो इसे स्वीकार /
      इसे राष्ट दर्जा मिले, 
           छलछुद्र न करसरकार //
4- गर देश व्यापी पहल हो, 
          हो हिंदी प्रथम स्थान /
     रामायण गीता ग्रंथ, 
              हैं हिंदी की शान //
5- राष्ट्रीय हिंदी दिवस, 
              ये गौरवान्वित होय /
    हो प्रमाणिक राष्ट्रीय 
             तब ये सार्थक होय //
6- दोहा रोला सोरठा, 
               छंद सवैया गीत /
    चौपाई कइयक विधा, 
               हिंदी संगम गीत //
मौलिक एवं सुरचित रचना
-शोभाराम दाँगी 'इंदु',नंदनवारा 

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13-डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल
1 हिन्दी भाषा हिन्द की, 
   रहे देश की शान। 
   भाषा के सम्मान में, 
   अर्पित  हों ये प्रान।। 

2 भाषा देश महान हैं, 
    कर इनका सम्मान। 
    इनकी उन्नति से मिले, 
    सच्चा मानव ज्ञान ।।

3  हिन्दी बिन्दी देश की, 
    सबकी है सिरमौर। 
    इसका सब आदर करो, 
    हिन्दी का हो शोर।। 

4 हम सब की भाषा बनी, 
   हिन्दी हिन्द महान।। 
   हिन्दी का लेखन करो, 
   बढे देश की शान।। 
✍️✍️✍️✍️✍️✍️
            डॉ रेणु श्रीवास्तव ,भोपाल 
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14-*अरविन्द श्रीवास्तव*, भोपाल
पुरा संस्कृत 'इन्द' से, बना 'हिन्द' का नाम,
'इन्दी' से 'हिन्दी' बना, भाषा का भी नाम ।

हर इक भाषा हिन्द की, हिन्दी है ये मान,
सभी राष्ट्रभाषा यहाँ, दर्जा एक समान ।

भाषा का आग्रह कहीं, बाँट न दे फिर देश,
भाषा की निरपेक्षता, है अपना उद्देश्य ।

*अरविन्द श्रीवास्तव*, भोपाल

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15-जनक कुमारी सिंह बाघेल, भोपाल

हिन्दी में बिन्दी लगी, लगा हलन्त , विसर्ग।
सबका अपना अर्थ है, होता नहीं निसर्ग ।।

हर रिस्ते नाते लिए, चलती हिन्दी साथ।
सबको अलग पुकारती, नव्य मान में माथ।।

माननीय भाषा सभी , सबमें नेह विवेक।
हिन्दुस्तान कि होय पर , भाषा हिन्दी एक।।

एक राष्ट्र में  मान्य गर , इक भाषा ही होय। 
होगी कौमी एकता , मैं मेंरे को खोय ।।

राज काज हर प्रांत में , हिन्दी में भी होय । 
प्रान्त सभी अपना लगे, गैर लगे न कोय।।
मीठी मिसरी सी लगे , सरस शील आचार।  
हिन्दी संस्कृत की भगिनि, हिन्दी में संस्कार।।

हिन्दी दिवस मनाइए , करिए खूब प्रचार।
हिन्दी में संवाद कर, होय गर्व संचार।।
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाइयां
-जनक कुमारी सिंह बाघेल, भोपाल

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16-प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद (हरियाणा)

विश्व पटल पर बढ़ रही हिंद देश की आस
बांटे जग को शिष्टता मधुरिम हिंदी भाष।

चाहत सतत विकास तो हिन्दी ज्यादा बोल
मोहक रसमय भाष का बोल बोल अनमोल।

हिन्दी भारत देश की दे जग को पहचान
विश्व पटल नित हो रहा हिन्दी का उत्थान।

मान विपत्ति मत इसे है संपति ले जान 
हिन्दी में ही तो बसे हिंद देश के प्रान।

बांध एकता सूत्र में बांटे जग से प्यार
भाषाओं के सिंधु में हिन्दी खेवनहार।

           - प्रदीप गर्ग 'पराग', फरीदाबाद (हरियाणा)

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17-ब्रजभूषण दुबे ब्रज, बकस्वाहा.
दोहे- हिंदी दिवस
बड़े हर्ष की बात है, 
हिंदी दिवस है आज।
हिंदी के उत्थान की,
सोचे सकल समाज।
देवनागरी लिपि कौ
हिंदी है उपनाम।
कहें सुने बोले करें,
हिंदी में सब काम।
हिंदी हिन्दुस्तान की,
भाषा है सिरमौर।
ब्रज विचित्र संकल्प लें,
ब्रज सब करवें गौर।
हिंदी है मनमोहनी,
मन हो जात प्रसन्न।
हिंदी के सहयोग में ,
क्षेत्रीय भाषा अन्य।
हिंदी का हर वर्ग में,
योगदान भरपूर।
ब्रजभूषण अपनाइए,
रहें न इससे दूर।
****
ब्रजभूषण दुबे ब्रज, बकस्वाहा
14-09-2021
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18-नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र.

1. हिन्दी है माँ की तरह, मौसी जैसी अन्य।
रिश्ते नेक निभाइये, जीवन कीजे धन्य।।

2.हिन्दी भाषी हम  सभी, हिन्दी पे अभिमान।
बातचीत, लेखन करें,हिन्दी को दें मान।।

3.एक भाषा में दूसरी, कभी न मिलने पाय।
कोशिश ऐसी कीजिये, क्षमता, ज्ञान बढ़ाय।।
          ***
-नरेन्द्र श्रीवास्तव, गाडरवारा, म.प्र.

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19-हरिराम तिवारी, खरगापुर (टीकमगढ़)
-
१.
हिंदी हिंदुस्तान में, हिंदू की पहिचान।
हिंदी भाषा पर हमें,गरिमा मय अभिमान।।
२.
सुर भाषा से जनम है, हिंदी का विस्तार।
देवनागरी लिपी है, स्वर व्यंजन भंडार।।
३.
भारत माता के चरण, सागर रहा पखार।
हिंदी बिंदी भाल पर, हिमगिरि पहरेदार।।
४.
डिजिटल युग में भी करें, लिख बोलें संदेश।
हिंदी का उपयोग हो,भारतीय परिवेश।।
५.
हिंदी में सब काम हों, करें प्रचार प्रसार।
हिंदी में ही सृजन हो, 'हरि'गुरु सुमिरन सार।।

हिंदी दिवस पर कोटिशः बधाई।🙏🌸🙏🌸

जय जय सियाराम
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20-अमर सिंह यादव (नौगांव)
*हिंदी दिवस पर हिंदी दोहे*

विषय समझिए मात्र नहिं, हिन्दी मातृ समान।
सुंदर सरल सुबोध यह, हिन्दी जग की  शान।१

बिना राष्ट्रभाषा समझ, मूक राष्ट्र का ज्ञान।
बन जाए सिरमौर तब, पावे हिन्दी  मान। २

हिन्दी हिन्दुस्तान की, भाषा बड़ी महान।
सद्ग्रन्थों से मिल रहा, हिन्दी में ही ज्ञान। ३

हो-हल्ला हिन्दी दिवस, एक दिना की बात।
जैसे  पूजत  नाग  को,  नागपंचमी  आत।४

करना  सच  में  है अगर, हिन्दी  का  उद्धार।
इसको गले  लगाइए,  करें  सदा  उच्चार। ५


                    ✍️अमर सिंह राय
                           
                   जिला-छतरपुर,मध्यप्रदेश

😄😄😄 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄

21- डॉ. सुशील शर्मा गाडरवाड़ा


वाल्मीकि संग व्यास थे ,संस्कृत के आधान। 
माघ भास अरु घोष थे ,कालीदास समान। 

आदि मध्य अरु आधुनिक ,हिन्दी का इतिहास। 
तीन युगों में है बसा  ,भाषा रत्न विकास। 

भक्ति काव्य में हैं निहित ,मीरा तुलसी सूर। 
अवधी ब्रज भाषा बनी ,भक्ति काव्य कंगूर। 

मीरा कुम्भन जायसी ,सूरदास रसखान । 
ब्रज की गलियों में रचा ,स्वर्ण काव्य प्रतिमान । 

सिद्धों से आरम्भ हैं ,काव्य रूप के छंद। 
दोहा चर्यागीत में ,लिखे गए सानंद। 

संधा भाषा में लिखे ,कवि कबिरा ने गीत। 
कवि रहीम ने कृष्ण की ,अद्भुत रच दी प्रीत। 

पद्माकर केशव बने ,रीतिकाल के दूत। 
सुंदरता में डूबकर ,गाये गीत अकूत। 

भारतेन्दु से सीखिए ,निज भाषा का मान। 
निज भाषा सम्मान  ही ,जीवन का आधान। 

पंत निराला से शुरू ,देवी 'दिन' अज्ञेय। 
जयशंकर बच्चन बने ,हिन्दी ह्रदय प्रमेय।।

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22-रामानंद पाठक'नंद' (नौगुवा)

हिन्दी दिवस पर दोहा
                1
अपनी मातृभाषा है,हिन्दी को अपनाव।
अंग्रेजी सेदूर रहो,ऐसा हो बदलाव।
                    2
हिन्दी कबहुं न छोडिये, यही हिन्दपहचान।
भारतवासी बरतबें,होगा देश महान।

                3
भाव प्रगट हिन्दी करै,सागर से गंभीर।
कवीवरन ऐसौ लिखौ,चमकत अलग अबीर।
                4
हिन्दी हिन्द अनुरूप है,पोषत ज  संस्कार।
अनुगामी जा के बढ़े,जग में मान अपार।
                  5
 हिन्दी भाषिन फर्ज है,पालें पोषें   जाय।
आन देश भाषा तजी, जग में दें फैलाय।।
***
-रामानंद पाठक,नंद,नैगुवा

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23-परमलाल तिवारी, (खजुराहो)

हिन्दी है स्वाभिमान हिन्दी में करो गान
हिन्दी का गौरव भूल नहीं जाइये।
हिन्दी अति महान
जोड़ती है हिन्दुस्तान हिन्दी का वैभव हिय में बसाइये।
हिन्दी है आन वान घटने न देंगे शान हिन्दी की बिन्दी की चमक बढाइये।
हिन्दी को बोलें हम
सुधा रस घोलें हम हिन्दी से देश की एकता बनाइये।।
***
परम लाल तिवारी
खजुराहो

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प्रकाशन-जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

ई बुक प्रकाशन दिनांक 15-09-2021          

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