Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 14 जनवरी 2022

मां नर्मदा (हिन्दी दोहा संकलन ई-बुक) संपादन- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)


                      💐😊मां नर्मदा😊💐

                   (हिन्दी दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की
                ८६वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक १४-01-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



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              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
ब - प्राक्कथन- मां नर्मदा का : एक परिचय

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
03-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
06-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
07-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
08-एस आर सरल,  टीकमगढ़
09-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
11-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
12-परम लाल तिवारी,खजुराहो (मप्र)
13- रामानंद पाठक 'नंद' नैगुवां, निबाड़ी
14--कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
15-अमर सिंह राय,नौगांव-छतरपुर
17-प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष टीकमगढ़
18-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
19-डॉक्टर रेणु श्रीवास्तव, भोपाल 
20-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़
21-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
22-अवधेश तिवारी,छिंदवाड़ा
23- पटल समीक्षा-समीक्षक- प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़



😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक गुट्ट 83वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन ८६ ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के ७८ देश के लगभग ६०००० से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह मां नर्मदा ८६वीं ई-बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दोहा  लेखन में दिये गये बिषय- मां नर्मदा  पर मंगलवार दिनांक-११-०१-२०२२ को सुबह ८ बजे से रात्रि ८ बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।
  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-११-०१-२०२२ टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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प्राक्कथन-

मां नर्मदा का : एक परिचय

नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे "मध्य प्रदेश की जीवन रेखा" भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ीअरब सागर में जा मिलती है।


राज्य-मध्यप्रदेशमहाराष्ट्रगुजरात
उपनदियाँ - बाएँबरनारबंजरशेरशक्करदूधी,तवागंजालछोटी तवाकुन्दी,देवगोई - 
दाएँहिरनतिन्दोलीबरना,चन्द्रकेशरकानरमानऊटी,हथनी
शहरअमरकंटकडिण्डौरीमंडला,जबलपुरहोशंगाबादमहेश्वरबड़वानी, अनुपपुर,ओंकारेश्वार खंडवा बड़ोदरा,राजपीपलाधर्मपुरीभरुचस्रोतनर्मदा कुंड अमरकंटक - स्थानअनूपपुर जिला मध्यप्रदेशभारत - ऊँचाई1,048 मी. (3,438 फीट) - निर्देशांक22°40′0″N 81°45′0″E / 22.66667°N 81.75000°Eमुहानाखम्भात की खाड़ी (अरब सागर) - स्थानभरूच जिला गुजरातभारत - ऊँचाई0 मी. (0 फीट) - निर्देशांक21°39′3.77″N 72°48′42.8″E / 21.6510472°N 72.811889°Eलंबाई1,312 कि.मी. (815 मील

माता नर्मदा की उत्पत्ति के पीछे का इतिहास


             नर्मदा नदी की उत्पत्ति के पीछे अनेकों प्रकार की कहानियां बताई जाती है, जिन के विषय में हम सभी लोग नीचे जानेंगे। आइए नर्मदा नदी की उत्पत्ति के पीछे के इतिहास को जानते हैं।

           माता नर्मदा की उत्पत्ति अमरकंटक के शिखर से हुई है। कहां जाता है कि माता नर्मदा का उद्गम उद्गम स्थल अमरकंटक के शिखर का मैकाल है। अतः यही कारण है कि माता नर्मदा को मैकाल कन्या के नाम से भी जानते हैं।

             माता नर्मदा के मैकाल कन्या कहे जाने का विस्तृत वर्णन स्कंद पुराण में रेवा खंड के अंतर्गत किया गया है। माता नर्मदा के उद्गम स्थल से निकलने वाली धारा पहाड़ों के चट्टानों से गुजरते हुए भेड़ाघाट में संगमरमर की चट्टानों के ऊपर से बहती है और समुद्र में जाकर मिलती है।


               ऐसा भी कहा जाता है कि माता नर्मदा अमरकंटक के सुंदर सरोवर में स्थित शिवलिंग से निकलती हैं। शिवलिंग से निकलने वाली नर्मदा नदी की पावन धारा को रूद्र कन्या के नाम से जाना जाता है। एक छोटे से सरोवर से निकलने वाली माता नर्मदा आगे चलकर बड़ा ही विशाल रूप धारण कर लेती हैं। माता नर्मदा उतनी ही ज्यादा पवित्र है, जितनी की माता गंगा और कहीं कहीं अर्थात कई पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि माता गंगा से भी पवित्र नदी माता नर्मदा हैं।


             माता नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक के शिखर से लेकर सागर संगम के मध्य लगभग 10 करोड़ से भी अधिक तीर्थ स्थल बने हुए हैं। इस पवित्र नदी के तट पर स्थित अनेकों ऐसे तीर्थ स्थल हैं जो कि अपने आप में विशेष महत्व रखते हैं। माता नर्मदा के तट पर बने इन तीर्थ स्थलों पर श्रद्धालुओं का हमेशा भीड़ लगा रहता है। माता नर्मदा के तट पर बने तीर्थ स्थलों में कुछ प्रमुख तीर्थ स्थल हैं जैसे कि कपिलधारा, दूध धारा, मांधाता, शूलपाड़ी, शुक्लतीर्थ, भेड़ाघाट, भदौंच इत्यादि।


        माता नर्मदा अपने उद्गम स्थल अमरकंटक से निकलकर छत्तीसगढ़ से होते हुए मध्य प्रदेश महाराष्ट्र गुजरात में पहुंचकर लगभग 1310 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद भरौंच के आगे खंभात की खाड़ी में से होते हुए समुद्र में जाकर मिल जाती है।

          भारतीय परंपराओं एवं प्राचीन मान्यताओं के अनुसार माता नर्मदा की परिक्रमा करने का विशेष प्रावधान है। प्रत्येक वर्ष लाखों करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं और माता नर्मदा की परिक्रमा कर पुण्य की प्राप्ति भी करते हैं। पौराणिक मान्यताओं में माता नर्मदा के लिए ऐसा कहा गया है कि नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही भक्तों के समस्त पाप कट जाते हैं और उन्हें एक नए जीवन की प्राप्ति होती है।

                 माता नर्मदा के उद्गम स्थल से निकलने के बाद जबलपुर के निकट भेड़ाघाट में आने के समय वहां पर एक नर्मदा जलप्रपात बनता है, जो कि बहुत ही ज्यादा प्रसिद्ध है। पद्मा पुराण एवं मत्स्य पुराण के अनुसार गंगा नदी और सरस्वती नदी कनखल में मिलती है, जो कि बहुत ही पवित्र स्थान माना जाता है। कोई भी गांव हो या फिर जंगल नर्मदा नदी सभी स्थानों पर ही पवित्र ही मानी जाती हैं। नर्मदा नदी के दर्शन मात्र से ही व्यक्तियों के कष्ट दूर हो जाते हैं और स्नान करने से व्यक्ति पाप मुक्त हो जाता है।

               भारत के सबसे पौराणिक ग्रंथ विष्णु धर्म सूत्र के अनुसार माता नर्मदा के सभी स्थलों को श्राद्ध के लिए योग्य माना जाता है। माता नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव के शिवलिंग से हुई है, अतः अमरकंटक से उद्गम हुई माता नर्मदा की पवित्र स्थल को महेश्वर और उनकी पत्नी का निवास स्थान भी कहा जाता है। माता नर्मदा को पितरों की पुत्री कहां जाता है क्योंकि नदी के तीर्थ स्थान पर शोध करने वाले लोगों के पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

               मां नर्मदा राजा मेखल की पुत्री थी। एक बार राजा मैखल ने देवी नर्मदा का विवाह सोनभद्र से तय किया। माता नर्मदा की काफी इच्छा थी कि वह एक बार राजकुमार को देख ले इसके लिए उन्होंने अपनी सहेलियों को जुटाया और अपने सखी जुहिया के माध्यम से राजकुमार के पास अपने संदेश को पहुंचाया। बहुत समय व्यतीत हो गया परंतु राजकुमारी की सखी जुहिया वापस नहीं लौटी। अतः राजकुमारी को अपनी सखी जुहिया की काफी चिंता होने लगी और वह जोहिया की खोज में निकल पड़ी।

माता नर्मदा ने क्यों खायी कुंवारी रहने का कसम-


      राजकुमारी अपनी सखी की खोज में सोनभद्र तक पहुंची और वहां उन्होंने जुहिआ को सोनभद्र के साथ देखा। राजकुमारी ऐसा देखकर काफी ज्यादा क्रोधित हो गई और इसके बाद इन्होंने आजीवन कुंवारे रहने का प्रण ले लिया और वही से उलटी दिशा में वापस लौट आई। आज के बाद माता नर्मदा अरब सागर में जाकर मिल गई, जबकि भारत में अन्य नदियां बंगाल की खाड़ी में मिलती हैं। इसी कारण की वजह से माता नर्मदा ने लिया था, कुंवारी रहने का कसम।

माता नर्मदा भारत की पहली ऐसी नदी है, जिन की परिक्रमा की जाती है। अनेकों ग्रंथों के मुताबिक माता नर्मदा की उत्पत्ति और उनकी महत्वता का विस्तार से वर्णन मिलता है। अनेक कथाओं के अनुसार माता नर्मदा के दर्शन मात्र से ही मनुष्यों के पाप मिट जाते हैं और इतना ही नहीं माता नर्मदा भारत पहली ऐसी नदी है, जिन की परिक्रमा की जाती है।

माता नर्मदा की परिक्रमा का महत्व-

         लोग कहते हैं कि यदि अच्छे से नर्मदाजी की परिक्रमा की जाए तो नर्मदाजी की परिक्रमा 3 वर्ष 3 माह और 13 दिनों में पूर्ण होती है, परंतु कुछ लोग इसे 108 दिनों में भी पूरी करते हैं। परिक्रमावासी लगभग 1,312 किलोमीटर के दोनों तटों पर निरंतर पैदल चलते हुए परिक्रमा करते हैं। श्रीनर्मदा प्रदक्षिणा की जानकारी हेतु तीर्थस्थलों पर कई पुस्तिकाएं मिलती हैं।

          ऐसा कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति माता नर्मदा की परिक्रमा कर लेता है, उस व्यक्ति के सभी दुख दर्द मिट जाते हैं और मृत्यु के बाद उस व्यक्ति को सीधा स्वर्ग मिलता है अर्थात मोक्ष की प्राप्ति होती है।


माता नर्मदा को अविनाशी कहते है :-


         कई ग्रंथों में हमें ऐसा देखने को मिला है कि माता नर्मदा की उत्पत्ति भगवान शिव के पसीने से हुई थी और माता नर्मदा को नाम भी भगवान शिव नहीं दिया था। इसके बाद ऐसा भी कहा जाता है कि माता नर्मदा ने कई हजारों वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की और भगवान शिव माता नर्मदा से प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन भी दिए।

           भगवान शिव के द्वारा माता नर्मदा को बहुत से वरदान दिए गए हैं। माता नर्मदा को अविनाशी होने का भी वरदान प्राप्त है अर्थात किसी भी प्रलय में माता नर्मदा अविनाशी हैं।

          संपूर्ण विश्व में एकमात्र ऐसी नदी है, जो कि अविनाशी हैं। नर्मदा में पाए जाने वाले पाषाणों के शिवलिंग होने का भी वरदान मिला है। यही कारण है कि माता नर्मदा में पाए जाने वाले शिवलिंग को बिना प्राण प्रतिष्ठा के ही पूजा जा सकता है इसके अलावा माता नर्मदा ने अपने तट पर भगवान शिव और पार्वती के साथ ही सभी देवताओं के वास करने का भी वरदान प्राप्त किया है।

 सहायक नदियां -


नर्मदा की कुल 41 सहायक नदियां हैं। उत्तरी तट से 19 और दक्षिणी तट से 22
नर्मदा बेसिन का जलग्रहण क्षेत्र एक लाख वर्ग किलोमीटर है। यह देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का तीन और मध्य प्रदेश के क्षेत्रफल का 28 प्रतिशत है। नर्मदा की आठ सहायक नदियां 125 किलोमीटर से लंबी हैं। मसलन- हिरन 188, बंजर 183 और बुढ़नेर 177 किलोमीटर। मगर लंबी सहित डेब, गोई, कारम, चोरल, बेदा जैसी कई मध्यम नदियों का हाल भी गंभीर है। सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में जंगलों की बेतहाशा कटाई से ये नर्मदा में मिलने के पहले ही धार खो रही हैं।

नर्मदा के तट के किनारे बसे नगर-

नर्मदा के तट के किनारे कई प्रचीन नगर तीर्थ और आश्रम बसे हुए हैं। जैसे अमरकंटक, माई की बगिया से नर्मदा कुंड, मंडला, जबलपुर, भेड़ाघाट, बरमानघाट, पतईघाट, मगरोल, जोशीपुर, छपानेर, नेमावर, नर्मदासागर, पामाखेड़ा, धावड़ीकुंड, ओंकारेश्‍वर, बालकेश्‍वर, इंदौर, मंडलेश्‍वर, महेश्‍वर, खलघाट, चिखलरा, धर्मराय, कातरखेड़ा, शूलपाड़ी की झाड़ी, हस्तीसंगम, छापेश्वर, सरदार सरोवर, गरुड़ेश्वर, चंदोद, भरूच। 

इसके बाद लौटने पर पोंडी होते हुए बिमलेश्वर, कोटेश्वर, गोल्डन ब्रिज, बुलबुलकंड, रामकुंड, बड़वानी, ओंकारेश्वर, खंडवा, होशंगाबाद, साडिया, बरमान, बरगी, त्रिवेणी संगम, महाराजपुर, मंडला, डिंडोरी और फिर अमरकंटक। 

नर्मदा के तट पर कई ऋषि मुनियों के आश्रम और तिर्थंकरों की तपोभूमि विद्यमान है। 


 प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष-

             पुरातत्व विभाग मानता है कि नर्मदा के तट के कई इलाकों में प्राचीन सभ्यताओं के अवशेष पाएं गए है। विश्व की प्राचीनतम नदी सभ्यताओं में से एक नर्मदा घाटी की सभ्यता का का जिक्र कम ही किया जाता है, जबकि पुरात्ववेत्ताओं अनुसार यहां भारत की सबसे प्राचीन सभ्यता के अवशेष पाए गए हैं। 

          नर्मदा घाटी के प्राचीन नगरों की बात करें तो महिष्मती (महेश्वर), नेमावर, हतोदक, त्रिपुरी, नंदीनगर, भीमबैठका आदि ऐसे कई प्राचीन नगर है जहां किए गए उत्खनन से उनके 2200 वर्ष पुराने होने के प्रमाण मिले हैं। जबलपुर से लेकर सीहोर, होशंगाबाद, बड़वानी, धार, खंडवा, खरगोन, हरसूद आदि तक किए गए और लगातार जारी उत्खनन कार्यों ने ऐसे अनेक पुराकालीन रहस्यों को उजागर किया है। संपादक एवं प्रकाशक डॉ. शशिकांत भट्ट की पुस्तक 'नर्मदा वैली : कल्चर एंड सिविलाइजेशन' नर्मदा घाटी की सभ्यता के बारे में विस्तार से उल्लेख मिलता है। 


नर्मदा एक पहाड़ी नदी होने के कारण कई स्थानों पर इसकी धारा बहुत ऊंचाई से गिरती है। अनेक स्थानों पर यह प्राचीन और बड़ी-बड़ी चट्टानों के बीच से सिंहनाद करती हुई गुजरती हैं। यही कारण है कि इस नदी की यात्रा में कई जलप्रपात देखने को मिलते हैं जिसमें अमरकंटक के बाद भेड़ाघाट का जल प्रपात बहुत ही प्रसिद्ध है। मंडला और महेश्वर में नर्मदा की 'सहस्रधारा' देखने को मिलती है। नेमावर और ॐकारेश्वर के बीच धायड़ी कुंड नर्मदा का सबसे बड़ा जल-प्रपात है।

 

पुराणों के अनुसार नर्मदा नदी को पाताल की नदी माना जाता है। यह भी जनश्रुति प्रचलित है कि नर्मदा के जल को बांधने के प्रयास किया गया तो भविष्य में प्रलय होगी। इसका जल पाताल में समाकर धरती को भूकंपों से पाट देगा। 


01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*हिन्दी दोहा-बिषय- नर्मदा*
*1*
बहती है मां नर्मदा,
उल्टी इसकी धार।
बने अनेकों बांध भी,
जबलपुर धुँआधार।।
***
*2*
परिक्रमा मां नर्मदा,
जो करते है लोग।
उनके मिटते है यहां,
सभी कष्ट दुख रोग।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐

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2-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


😊*नमामि*माँतु*नर्मदे*😊
   #*#*#*#*#*#*#*#
 
माघ शुक्ल की सप्तमी,में तेरा प्राकट्य।
चिर क्वांरी का रूप है,जो अकाट्य है सत्य।।

सतत वाहिनी नर्मदे,विंध्य स्वामिनि मात।
 जो तेरे दर्शन करे,भुक्ति मुक्ति पा जात।।
        
पापहरण मंगल करण,माँ तेरा जलपान।
शिवतनया माँ नर्मदे,महिमा तिरी महान।।
          

मैकल पुत्री नर्मदा,तुमको ये वरदान।             
कंकर कंकर है तेरा,शंकर शालिग्राम।।
             

माँ रेवा को मिला है,संतो का वरदान।
पाप मिटा देता सभी,दर्शन और स्नान।।
            

सब नदियों के पान से,कटते पाप अपार।
 लेकिन माँ के दर्श से,पापों का संघार।।
              

सब नदियाँ गतिमान हैं,एक दिशा की ओर।           
किंतु नर्मदे माँ बहें,उल्टे उल्टे छोर।।
               
          *!@!@!@!*

-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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03-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


🙏🙏हिन्दी दोहे🌹विषय-नर्मदा🙏🙏
********************************
पावन  सरिता  नर्मदा,  पश्चिमोन्मुख  धार।
उद्गम  मैकल  तुंग  से,  है  खंभात  निसार।

उछल कूद करती कहीं,कहीं प्रशांत प्रवाह।
शिक्षा  देती   नर्मदा,  चलकर  दुर्गम   राह।

अबिरल  बहते  नीर  का, बाँधों  में  अंबार।
जलापूर्ति कर  नर्मदा, बनी  प्रगति आधार।

नरबदिया  लघु बालिका, बनी  नर्मदा नीर।
आदिवासियों  की कथा, देती  हमें  नजीर।

करें  धार्मिक ग्रंथ  सब, रेवा  का  गुणगान।
मोक्ष  प्रदायक  सीढि़याँ, माँ  नर्मदा पुरान।

सजे  नर्मदा तीर पर, कइ पवित्र शिवधाम।
ओंकारेश्वर  महेश्वर,  फल  देते   निष्काम। 
********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



शोभाराम दांगी नंदनवारा ज़िला टीकमगढ़ एम पी
11/01/2022
विषय - नर्मदा हिंदी दोहा
9770113360, 7610264326

1. नदी नर्मदा शिव रूप है ,
    दर्शन ही पा आय ।
    हर कंकण शिव रूप है ,
    मैकल सुता कहाय ।।
2. संतों का वरदान है ,
    जो दरस करें असनान।
    है जीवन फल दायनी ,
    कर ले जो जलपान ।।
3. नदी नर्मदा की आरती ,
    नित नियम जो आय।
    पाप कटै युग चार के,
    कोई न जनम सताय ।।
4. शिव शंकर भगवान के,
    तनसे पसीना आय ।।
    जिसके इक क्या हुई ,
    बारह साल कि आय।
5. जीवन नेँ इक मोड़ लिया ,
    जिससे धोखा खाय।
    प्यार में धोखा पायके,
    सो उलटी बहजाय ।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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5-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


मंगलवार 11 जनवरी 2022
हिंदी दोहा विषय नर्मदा 
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माघ शुक्ल तिथि सप्तमी, शिव तन से उत्पन्न
माई नर्मदा हो गई , कन्या गुण संपन्न 
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ब्यास प्यास हित नर्मदा, पीछे चली प्रसंन
व्यास दंड पूजित भयो, ऋषी गण पायें अन्न
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प्रगटी कंटक अमर से, खाड़ी खमबत लोप
तीसरि नदिया देश में , माई नर्मदा गोप 
,,
सोनभद्र पर क्रोध कर किया स्वयं पर घात
उलटी बहती नर्मदा चिर क्वांरी कहलात
,,
कीन्ह तपस्या नर्मदा , राम नाम शिव भृंग
शिव बोले जल भीतरें , हर पाहन शिव लिंग
,,
अंधे पति को नर्मदा तीरथ रही कराय
ऋषि मतंग ने राह में, दीन्हा श्राप सुनाय 
,,
प्रात काल जो निकीसें नर्मदा पति के प्रान
तब हे रिषिवर धरनि पर नहीं उगेंगे भान 
,,
तीन वर्ष तेरह दिनों , तीन माह चल जाव
विनय नरमदा से करो सत परिक्रमा लगाव
,,             
                      ***               
,,,,     -प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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06-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर


विषय -नर्मदा
जय मां नर्मदे
1-
धन्य मध्यप्रदेश बना है,
सुंदर सुखद महान।
माइ नर्मदा बहें हमेशा,
रखतीं सबका ध्यान।
2-
माइ नर्मदा सर्वदा,
सबकी करें सहाय ।
वह नर नारी धन्य है,
जो नित जाय नहाय।
3-
शिखर अमरकण्टक यहाँ,
जो उदगम स्थान।
प्रकट नर्मदा माँ भईं,
मिलता शास्त्र बखान।
4-
जीवन रेखा नाम पड़ा,
करते सभी बखान।
है पुनीत माइ नर्मदा,
जानत सकल जहान।।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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7-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
 


पुण्य दायिनी नर्मदा, मैखल सुता सुनाम।
रेवा शांकरी इन्दुभा,लीला ललित ललाम।।

कृपा विपाशा अमृता, मा‌ई  नर्मदा अंब।
माघ शुक्ल शुभ सप्तमी,प्रकट भ‌इ जगदंब।।

मा‌ई नर्मदा ‌में बहत,अमिय सलिल सम धार।
भारत मध्यप्रदेश की,है जीवन आधार।।

मगरमच्छ पर नर्मदा,रहतीं सदा सवार।
चिर स्थाई जगत में,प्रलय जाता हार।।

क‌ई नामो से नर्मदा,का मिलता ‌प्रमाण।
पूर्व दिशा से निकल कर,पश्चिम में ‌प्रयाण।।

मा‌ई नर्मदा की कथा, बाल्मिकी रामाण।
मेघदूत स्कंध में,और नर्मदा पुराण।।

धुआंधार से लौट कर,आऔ भेड़ा घाट।
संगमर्मरी धवलता,जोह रही है बाट।।

मा‌ई नर्मदा से विनय,हम बालक नादान।
भूल क्षमा करना मेरि,नहीं जरा सा ज्ञान।।
🙏🙏🌹🌹🙏🙏🌹🌹

स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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*08-एस आर सरल,  टीकमगढ़


🌹हिन्दी दोहा नर्मदा 🌹

परम  पुनीता  नर्मदा , बहती  उल्टी  धार।
सिंचन करती मध्य का,करके बहु उपकार।।

नदी  नर्मदा  का ऋणी, देश औऱ परदेश।
जीवन  रेखा  नर्मदे,  उपकृत  मध्यप्रदेश ।।

मैखल  पुत्री  नर्मदा,  वरदायिनी  नदीस ।
कर करके इस्नान जन ,मांगत हैं आशीष।।

भाँति भाँति किवदन्तियां, नर्मदाइ इतिहास।
निकली है शिव जटा से,यह लगता उपहास।।

बहु उपयोगी नर्मदा,कल कल करत निनाद।
पूरब  से पश्चिम दिशा , बहती है  आजाद।।

   ***
    एस आर सरल,  टीकमगढ़

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09-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा

$मंगलवार$दिनाँक 11.01.22$
$हिन्दी दोहे लेखन$बिषय/नर्मदा
*************************
$नर्मदा पर दोहे$
                    $1$
बिंध्याचल अरु सतपुड़ा,माँ तेरा दरवार।
तोड़ संगमरमर चली,मैया तेरी धार।।
                    $2$
धुवाँधार अरु कपिल की,धारा बड़ी अनूप।
गुप्त,दूध,धारा बनी,सभी नर्मदा रूप।।
                    $3$
मैया पश्चिम गामिनी,जग में तेरा नाम।
मध्य देश गुजरात हैं,मैया तेरे धाम।।
                    $4$
धन्य धन्य मैकल सुता,हे नर्मदा महान।
तेरी गाथा गाइ है,पावन बेद पुरान।।
                    $5$
हे रेवा हे नंर्मदा,पाप नासिनी नाम।
ओंकारेश्वर महेश्वर करते सदा प्रणाम।।
***
#मौलिक एवम् स्वरचित#
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़

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   10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


"नर्मदा"
******
नदी नर्मदा देश में, पावन परम पुनीत।
तन मन सब निर्मल करे, होवे देवि प्रतीत।

 अमरकंटकी आगमन, धाम होशंगाबाद।
 चुनर चढ़ावे नर्मदा, रहे सदा आबाद।

 नमस्कार, देवि तुम्हें, शत-शत करुँ प्रणाम।
 मन से सुमरुँ नर्मदे, निशि- दिन आठों याम।

 पतित पावनी मातु तुम, करो जगत उद्धार।
 तरण- तारणी नर्मदे, कर दो भव से पार।

 जो नर करते परिक्रमा, सदा नर्मदा संग।
 जीतें, आशीर्वाद से, इस जीवन की जंग।
          ***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
-***

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11-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)


दोहा    नर्मदा

नमामि देवी नर्मदे
निर्मल पावन नीर।
नित्य मात बंदन करूं
तुम्हें चढ़ाऊं चीर।।

लगता ब्रह्मांड घाट पर
मेला बहुत  बिशाल।
सत धारा बरमान में
रुके न जल की  चाल।।

**
स्वरचित एवम मौलिक
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)

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12--परम लाल तिवारी,खजुराहो



दोहा-
"नर्मदे"
1
अमित पुण्यदायी सरित,श्री नर्मदे महान।
कर नारी नर परिक्रमा,फलित पुण्य निज जान।।
2
चिर कुँवारी सरि नर्मदा,करे जगत कल्यान।
कंकर कंकर में बसत,आशुतोष भगवान।।
3
उद्गम स्थल में लघु,आगे ब्रह्द महान।
अमरकंटक से निकलकर,सागर अरब समान।।
4
जिसके तट पर बसत हैं,देवी देव अनंत।
घाट घाट पर तप करें,तपसी संत महंत।।
5
गंगा में स्नान कर,जीव पाप कट जात।
दर्शन करके नर्मदा,जीव वही फल पात।।

***
परम लाल तिवारी,खजुराहो


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13-रामानन्द पाठक 'नन्द', नैगुवां


दोहा नर्मदा
मेकलसुता औ नर्मदा,मुरला रेवा नाम।
सींचें पग पग धरा को,बनें ईश के धाम।
                        2
जित जित बहती नर्मदा,उत कण कण शिव वास।
वंदनीय पूजित सदा,काटें सब के त्रास।
                      3
गंगा यमुना सरस्वती,वेद रुप सब धाम।
चौथा वेद है नर्मदा,सामवेद है नाम।
                       4
कल कल गति धारा बहै,उच्चारण शिव नाम।
भक्तों पर करते कृपा,स्थापित शिव धाम।।
                      5
जीवन रेखा मध्य की,भूख प्यास मिटांय।
जो ध्यावत है मात सम,भव सें‌ मोक्ष दिवांय।।

***
-रामानन्द पाठक 'नन्द', नैगुवां

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14--- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़


रेवा  हर-हर  नर्मदा , हरें  जीव  की  पीर ।
लिखतीं मध्यप्रदेश की,मनभावन तकदीर ।।

गंगा  यमुना  नर्मदा , हैं  भारत  की  शान ।
करते  हैं  संसार  के , नर-नारी  गुणगान ।।

निकल अमरकंटक शिखर,सीचें कंठ जमीन ।
पश्चिम  बहतीं  नर्मदा , होतीं  सिन्धु  विलीन ।।

मातु  नर्मदा  दे  रहीं , सुखदायी  सौगात ।
 भागी  मध्यप्रदेश  है , बड़भागी  गुजरात ।।

निर्मल पावन नर्मदा , घट-घट घाट ललाम ।
सुषमा बिखरी हर जगह,कायम तीरथ धाम ।।

धन्य-धन्य  माँ  नर्मदा , गंगा  सम सुख दैन ।
पशु पक्षी पादप पथिक , पाते पोषण चैन ।।
    
***

  --- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़

         ( मौलिक एवं स्वरचित )

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15-अमर सिंह राय,नौगांव-छतरपुर
                         

हिंदी-दोहे   दिनाँक-11/01/2022
           विषय- 'नर्मदा' 

चुनरी  चढ़ती  है  जिन्हें, माने देवी मात।
करें नर्मदा आचवन, सरिता है विख्यात।

अमरकंटक  कुण्ड  है, उद्गम  का  स्थान।
जहँ से निकलीं नर्मदा,करने को कल्यान।

नदी  नर्मदा  में  बना, सुंदर  भेड़ाघाट।
सैलानी  जाते  वहाँ, देखन  दोनो पाट।

जीवन  रेखा  मानते, 'रेवा'  दूजा  नाम।
पूज्यनीय माँ नर्मदा,पूर्ण करें सब काम।

लें   हर   गंगे  - नर्मदे , नित्य   नहाते   नाम।
नल जल भले नहाय घर,मिले पुन्य ज्यों धाम।               
***
मौलिक-
                        - अमर सिंह राय
                         नौगांव-छतरपुर

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*16*-प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष टीकमगढ़


हिन्दी दोहे  विषय  नर्मदा

माघ शुक्ल तिथि सप्तमी, सुखद सुहावन भोर।
हुई   अवतरित   नर्मदा , लेती हुई हिलोर।।

पश्चिम   वाहिनि   नर्मदे ,धारा ललित  ललाम।
मैकल  पर्वतराज   की , तनुजा तुम्हें प्रणाम।।

जिनकी पावन धार की, महिमा अमित अनंत।
रेवा   की   सेवा   करौ, मेवा  मिलै  तुरंत।।

जो जन करें परिक्रमा , चुनरी  चटक चढ़ांयं।
मातु  नर्मदे  की  कृपा , से  वैभव  यश पांयं।।

जीवन    रेखा    नर्मदे , मनमोहक  तट  घाट ।
ओंकारेश्वर    महेश्वर , में  दिखलातीं  ठाट।।        
***
-प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष टीकमगढ़
****


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*18-*- रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़

'नर्म' अर्थ आनंद है,
'दा' है देवनहार।
'रेवा' है 'अति चंचला,'
मेकलसुता विहार।।
***
-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़

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19-डॉक्टर रेणु श्रीवास्तव, भोपाल 

दोहे विषय नर्मदा

1 मैकल की बेटी कहें, 
   नदी नर्मदा नाम। 
   सब नदियां सीधी बहें, 
   रेवा उल्टा काम।। 
  
2 अर्थ नर्मदा जान लो, 
   सुख की दाता मात। 
   कंकड़ कंकड़ शिव बने, 
   पश्चिम में है जात।। 
  
3 सरिता तटिनी तरंगिनी, 
   जीवन का आधार। 
   गंगा जमुना नर्मदा, 
   करतीं बेड़ा पार।। 

4 माघ मास में प्रकट भइं, 
   नाम नर्मदा जान। 
   जीवन रेखा है यही, 
   कृषकों को वरदान।। 
***
           डॉक्टर रेणु श्रीवास्तव भोपाल 
           सादर समीक्षार्थ 
           स्वरचित मौलिक

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20-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़

🚩हिन्दी दोहा 🚩
    बिषय-नर्मदा 
          1-
महिमा अति महान है 
कह रये वेंद बखान 
गंगा से नर्मदा बड़ी 
जो करबै प्रस्थान 
           2-
एक बर्ष में एक दिन 
गंगा का बिख्यान 
मिलन नर्मदा जात है 
कह रये वेंद पुरान 
           3-
महा पाप की नाशनी 
बहिन नर्मदा आप
देखों इस संसार के 
तुम धौती हो पाप 
***
-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़

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21-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏


हिंदी दोहा-विषय-नर्मदा

1
परम पवित्रा नदी नर्मदा रेवा दूसर नाम।
उल्टी वेगवती बहतीं है करतीं सीधे काम।।

2
नर्मदा के पवित्र कंकण बनते शिव के रूप।
प्राणप्रतिष्ठा बिना प्रतिष्ठित शोभा बड़ी अनूप।।
3
मातु नर्मदे करो कृपा पूरन कर दो सब काम।
पापों की संहारक हो कर दो तन पावन धाम।।
4
चिरकुमारी मेकल सुता शिव स्वेद अवतार।
दर्शन मात्र से करतीं पावन भव से बेड़ा पार।।
5
पुण्य सलिला पावन सरिता सुखदायक अभिराम।
मां नर्मदे के नीर को मेरा बारम्बार प्रणाम।।

-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 🙏

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22-अवधेश तिवारी,छिंदवाड़ा

नमामि देवि नर्मदे!
 दोहा
 विषय-नर्मदा
*कंकर-कंकर में जिके,
 शंकर रहो समाय।*
 *मात-पिता भगनी सबई, 
मात नरबदा आय।।*
***
-अवधेश तिवारी,छिंदवाड़ा

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23-समीक्षक- प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़

जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
मंगलवार 11 जनवरी 2022
हिंदी दोहा दिवस 67 विषय "नर्मदा"
समीक्षक प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
†**************************
माता सरस्वती शारदा को प्रणाम कर
गणपति के चरणों में विनय बार-बार है
जयति नर्मदा तेरे हृदय शिव लिंग सुने
करूं मां विनय वंदना नमस्कार है
सारे कवियों के शब्द सुमन कर चढ़ाऊं मां
दया मां कृपा कि लेकर दरकार है
विषय नर्मदा हिंदी दोहा का थाल सजा
चावल चंदन नहीं श्रद्धा शब्द हार है ।।
,,,,
1,, श्री अंजनी कुमार चतुर्वेदी जी
अंजनी कुमार लिखत आई अमरकंटक से 
होशंगाबाद धाम चुनरी चढ़ाऊं मां
करूं परिक्रमा तरणी सुमर के तुम्हें
युग युग तक तेरे ही नीर में नहाऊं मां 
जग के जंजाल हरे भव से मां पार करें
वेदवती कैसे तेरी महिमा सुनाऊं मां
चरणों में रखूं शीश दे दे दया अशीष
बैठकर बुंदेलखंड बाबा के गीत गाऊं मां
,,
2, श्री अशोक पटसारिया नादान जी
कहते अशोक माता मैकलसुता हो तुम
शिव अंश प्रगटी पावन पुनीत धाम है
माघ शुक्ल जन्मी तम हरती हो दर्शन से
तेरे हृदय का कण-कण शिव शालिकराम है 
संतों का वरदान मां रेवा को मिला है आन
नदियों की शान महिमा ललित ललाम है 
मां तम की हारी हो शुभ मंगलकारी हो
तेरे श्री चरणों में कोटि कोटि प्रणाम है

,,
3,, श्री भगवान सिंह लोधी अनुरागी जी
कहते अनुरागी मगरमच्छ पर सवार माई
मध्य प्रदेश भारत पर तेरा उपकार है
बाल्मीकि मेघदूत नर्मदा पुराणों में
तेरी धवलता का अद्भुत कथा सार है 
महिमा ना जानू गरिमा ना जानू मां
वंदना का पुष्प माता तेरे चरण डार है
संगमरमरी भेड़ाघाट अनुपम छटा बिखेर
रागी अनुरागी मां आरती उतार है
,,,,

4,, श्री राजीव नामदेव ,राना,लिधौरी जी
नर्मदा के हृदय पर बने हैं अनेकों बांध
जबलपुर में देखिए आनंदित धुआंधार है
दुख रोग नासनी भारत की निवासनी मां
कहते राजीव नर्मदा को नमस्कार है 
,,,
5,, श्री रामेश्वर राय परदेसी जी
कहते रामेश्वर मां नमन तेरे नीर का
अर्पित करूं मैं चीर तेरा ही झमेला है
अविरल बहती हो गंग देती  ह्रदय उमंग
बरमान घाट पर मां महिमा का मेला है
,,,,
6, श्री जय हिंद सिंह जी दाऊ
कहते जय हिंद सतपुड़ा गिर विंध्य मां
गुप्त दुग्ध धारा मातु तेरा दरबार है
पश्चिम की गामिनी मैकल सुता हैं तू
ओंकारेश्वर महेश्वर की तट पर जय कार है
मध्य प्रदेश गुजरात तेरी ही संप्रदा है मां
रेवा हे नर्मदा तेरी गरिमा अपार है
कहते जय हिंद इस हिंद की धरा पर मां
शब्दों के पुष्पों से तेरा सत्कार है 
,,,,

7, आशा रिछारिया जी
आशा की आराधना में नर्मदा मां रेवा तू
वेदवती वेदों में तेरा अनूप नाम है
चिर कुमारी पुण्य सलिल कण-कण में शिवलिंग
जय हो मां नर्मदा तुम को प्रणाम है

,,,,
8 प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
जय हो मां नर्मदा निर्मल धवल तरंग
शिव की सुता मेरा नमस्कार लीजिए
ब्यास पर प्रसन्न व्यास दंड साथ धाई मां
शब्दों के सुमन मेरे स्वीकार कीजिए 
सोनभद्र छोड़ मां शिव की शरण में आई
प्यार की बहार संसार में भर रिझिए
अनुसुइया स्वयं तेरे पति व्रत की प्रशंसा करें
अनुशंसा माता प्रमोदमय कर दीजिए

,,,,,
9 श्री अमर सिंह राय जी
अमर सिंह कहते मां चुनरी चढ़ाई देवो 
आचमन कर लेहो मां तेरे पय नीर को
कंटक अमर से मां आई है भेड़ाघाट
आसरो है तोरो मोए हीर और पीर को
देवी जग जाहर तू जीवन की रेखा है
हर हर श्री नर्मदे नमन तेरे तीर को
मिले जो प्रमोद भाल चरणों में सौंप देंहो
नहि डर रहे माई मोहि काल तीर को 
,,,,,,,,,,

10, श्री गोकुल प्रसाद यादव जी
गोकुल प्रसाद कहें पश्चिमोन्मुख धार तेरी
उद्गम मैकल तुंग खंबात में निसार है
उछल कूद करती शिक्षाप्रद प्रवाह तेरा
अविरल बहती पवित्र तेरी धार है
नरबदिया लघु बालिका आदिवासियों की कथा
देश की प्रगति मां तेरा आधार है
ओमकारेश्वर महेश्वर शिव धाम तेरे तीर बसें
सविनय प्रमोद का प्रणाम बार-बार है 
,,,,,,,,,

11, श्री एस ,आर, सरल जी
कहते सरल जी मां नर्मदा पुनीत परम
करती सिंचित धरा मां तेरा उपकार है
जीवन की रेखा तू मध्य के प्रदेश की
युग युग तक वंदनीय तेरा परोपकार है

,,,,,,
12 श्री परम लाल तिवारी जी
लिखते हैं परमलाल नर्मदे झुकाऊं भाल
तेरी मां कथा विशाल कहते चिर क्वांरी है
कण-कण में आशुतोष मैकल सुता का घोष
मिटाती है पाप दोष बंदना तिहारी है 
,,,,,,

13, श्री शोभाराम दांगी जी
कहते हैं शोभाराम करते मां को प्रणाम
प्यार की बहार में बहार नहीं आई है
जीवन ने मोड़ लिया रिश्ता ही तोड़ लिया
नर्मदा ने धार अपनी उल्टी बहाई है
संतों का वरदान नर्मदा में करो स्नान
काया निरोग पाप देती नसाइ हैं
शिव रूप मान शिव शंकर की कन्याजान
विनय वंदना बिनयवत सुनाई है
,,,,,,,

14,, श्री ब्रज भूषण दुबे जी
कहते बृजभूषण मां नर्मदा का ध्यान करो
सुंदर सुखद महान इसमे नहाईए
उद्गम स्थान अमरकंटक महान बना
करके प्रणाम दर्श पुण्य तो कमाइए
,,,,

15, श्री अवधेश तिवारी जी
कण-कण में जिसके श्री शिव का निवास सुना
ऐसी पुण्य सलिला का दर्शन कर लीजिए
हर हर नर्मदे हर ओंकार ए महेश्वर
उक्त नाम जाप जीवन परिवर्तन कीजिए
,,,,,,

16 डॉ रेणु श्रीवास्तव जी
मैकल की बेटी माई नर्मदा कहलाई सुनो
पावन पुनीत अर्थ नर्मदा का जान लो
सरिता तरंगिणी गंगा जमुना की तरह
कण-कण में शिवजी बिराज रहे मान लो
माघ मास प्रगटी जीवन रेखा सी लगत
बहती है उल्टी कृषकों का वरदान लो
कहती है रेणु सुखमय बजाए वेणु चली
जल में प्रमोद मकर सूर्य का स्नान लो ।
,,,,,,,,

17 श्री राम गोपाल रैकवार जी
नर्मदा का अर्थ आनंद की दाता कहीं
महीं पर महिमा नर्मदा का प्रमान है
चंचला है रेवा सबको जल दान करें
इन्ही की कृपा से उपजता खाद्यान्न है

,,,,,,,,

18, श्री गुलाब सिंह यादव जी भाऊ
कहते गुलाब माई नर्मदा से  कर जोर
कलिकाल में तेरी महिमा महान है
गंगा से ऊंचो स्थान दियो कविराज
गंगा से मिलती पुराण यह बखान है
,,,,,,,,

19 श्री प्रभु दयाल श्रीवास्तव जी पीयूष 
माघ शुक्ल सप्तमी को अवतरित हुई हो मां
कहते हैं प्रभु विमल तेरी हिलोर है
चुनरी चटक चढ़ाएं परिक्रमा करे जो तेरी
पर्वत की नंदिनी देती कृपा कोर है ।
,,,,,,
20, श्री कल्याण दास साहू पोषक
*पशु पक्षी पादप पथिक पोषक को पाते मां
देश और प्रदेश का मां करती कल्याण है
धन्य धन्य नर्मदा माता गंगा समान लगी
धरा की धरोहर मां जीवों का प्राण हैं ,"

21, श्री रामानंद पाठक जी
""रामानंद कहते मां नर्मदा है रेवा तू
तेरे हिय कण कण में शिव जी का वास है
जहां जहां बहती मां वंदनीय पूजित है
तेरे तटों पर मुझे दिखता कैलाश है 
गंगा जमुना सरस्वती सामवेद तुझे कहे
साधन आराधन से बुझाती मां प्यास है
अविरल बहती कल कल करती है मां
तेरी श्री चरणों में मेरा विश्वास है ""
,,,,,,,,,,
जयति जय नर्मदा हर-हर रेवा माई 
क्षमा दंभ शब्दों के आकलन की भूल हो 
समस्त साहित्यकारों की महिमा महान रहें
उनका इतिहास मां उनके अनुकूल हो
अनुपम अनूठे अद्वितीय शब्दों के हार
तेरी श्री चरणों में माता कबूल हो
कौशल प्रमोद साष्टांग तेरे श्री चरणों में
क्षमा मेरी भूल माता स्वीकार फूल हो ।।
,,,,,,, समस्त समीक्षा शब्द माता श्री नर्मदा के श्री चरणों में अर्पित समर्पित करते हुए समस्त साहित्यकारों से क्षमा प्रार्थी हूं

,,,,, समीक्षक- प्रमोद मिश्रा, बल्देवगढ़

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🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



 💐😊मां नर्मदा😊💐

                   (हिन्दी दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की
                ८६वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक १४-01-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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3 टिप्‍पणियां:

साहित्य-मूल्यांकन || Sahitya-Mulyankan ने कहा…

हार्दिक बधाई 🌷🌷

Rajeev Namdeo Rana lidhori ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Rajeev Namdeo Rana lidhori ने कहा…

Thanks