Rajeev Namdeo Rana lidhorI

रविवार, 23 जनवरी 2022

गुरसी (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)


                      💐😊गुरसी😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 87वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-01-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
03-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-श्रीराम नामदेव 'काका ललितपुरी'
08-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
09-एस आर सरल,  टीकमगढ़
10-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
11-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
12-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
13-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
14-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
15- रामानंद पाठक 'नंद' नैगुवां, निबाड़ी
16-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश
17--कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाडी़)
18-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
19-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
20-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
21-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
22-प्रभु दयाल स्वर्णकार 'प्रभु' ग्वालियर
23- वीरेन्द चंसौरिया ,टीकमगढ़
24-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
25-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
26-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा
27-डां. आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक गुरसी 87वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 87 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 78 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह गुरसी 87वीं ई-बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने बुंदेली दोहा प्रतियोगिता- 45 दिये गये बुंदेली दोहा  बिषय- गुरसी  पर शनिवार दिंनांक-22-01-2022 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।
  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-23-01-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)




अप्रतियोगी दोहा-

** बुंदेली दोहा

बिषय-/ गुरसी

गुरसी गुर-सी, सी लगे,
 जाडे़ के दिन आत।
आंच गुलगुली सी लगे,
ज्यों मखमल सी बात।।
***
दिनभर गुरसी से लगे,
बब्बा जू बेहाल।
जाड़ो माओ पूष को,
कैसे कटतइ काल।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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2-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


🌹अप्रतियोगी बानगी 🌹
तेरा के भूँके अबै,नों बैठे हैं खाँय।                 
हम सो गुरसी ताप रय, नेता ग़दर मचाँय।।

गुरसी अब जू काँ जलत, जब सें हीटर आय।
काम चले जब पाद सें,हगन क़ाय खों जाय।।

बारें कौरौना फिरत,घर में होत कुटाइ।
बैठौ गुरसी बार कें,बेंड़ी आफत आइ।।

गुरसी नों बैठौ बड़े,खाव तनक सकरांत।
ठंड विकट दँय दोंदरा,तनक सेंक लो हांत।।

तुम पउआ पी कें डरे,इतै सूख रव खून।
गुरसी बारें का हुए,घर में नइयाँ चूंन।।

गैयाँ ठाढ़ी बायरें, गिर रइ खूब हिमार।
कुकरीं जा रइ ठंड में,दो गुरसी की झार।।
***

😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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03-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


🙏🌹बुन्देली दोहे🌹🌹विषय-गकइया🌹🙏
**********************************

मन में गुरसी सिलग रइ, 
देख पराई जीत।
मौं  पै  हँसी  बनावटी, 
बनें फिरत हैं मीत।

🙏अप्रतियोगी  दोहे🙏

गुरसी  उर्रूँ  साँतरी,
          पल्लीं कथरी नार।
माव पूस की ठंड में,
          देतीं  गजब दमार।
*********************
गुरसी की आगी दबी,
          मन कौ दबो दुराव।
आपउँ बुजबें देर में,
           पानी डार  बुजाव।
*********************
गुरसी सें हीटर कहै,
          धुआँ करत तें बाइ।
गुरसी बोली लाइट गयँ,
            तें भी लेत चिमाइ।
*********************
गुरसी  बारौ  पौर  में,
          जुरें न ठलुआ मीत।
कौरौना सें भी बचौ,
            हवा लगै ना शीत।
**********************
ठंडन  में  गुरयात  है,
            गुरसी गुर की नाइं।
किसा कानियाँ होत मइं,
              डरत घाइ में घाइं।
**********************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



गुरसी बरत होय जां,
सैंकन जावैं हात ।
जेइ देश की रीत है,
ओई खां पछयात ।।

***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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05-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
      
*सूरज सी गुरसी जरै,
 देत रोशनी, ताप।     
धुँआ छोड़ भगदर हरै,
 हरबै सब संताप।।    
     
*अप्रतियोगी दोहे*

*१*
खाट तरें गुरसी धरी,
      ऊपर डरी रजाई।
जाड़े को खूँटा गड़ो,
     ठंड हुमस न पाई।।

*२*
कौंड़े पे कौआ डटे,
       ठिठुरें दूर बटेर।
काँव-काँव कर-कर ससुर,
        रय बटेर खों टेर।।
*३*
गुरसी बुझ गइ पौर की,
     हो गय बंद किबार।
चलो,उठो अब का धरो,
         अँदयारो सब हार।।
*४*
गुस्सा की गुरसी जरी,
तन-मन सब जर जात।
प्रीत को पानी डारतन,
तन-मन सब हरसात।।
     
      ***
        संजय श्रीवास्तव, मवई
          ३-१-२२😊दिल्ली


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6-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)

कंडी गुरसी में बरीं, 
दगर जमा रइ धौंस।
छिंयां चुचा रइ ताप रय ,
भटा भूंज रय खौंस ।।                                          
          ***            
   -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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7-श्रीराम नामदेव 'काका ललितपुरी'
जड़कारैं प्यारी लगत, 
जा गुरसी की आग ।
ऐई लिगां बैठे रबैं , 
सब घर भवौ विराग ।।

-श्रीराम नामदेव 'काका ललितपुरी'

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8-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
 

कुरसी खिसकत देखकें ,नेता होत उदास।
जाड़ों सौ भीतर भरत,गुरसी लगबे खास।।
***
गुरसी में गुन ‌तीन हैं,तापो चाय ‌बनाव।
आगी राखो दाबके,चाय ‌जहां लै जाव।।

गुरसी सी गाड़ें रहत,करत सुनो बतकाव।
चार जनें आ जात हैं,गुरसी जां सिलगाव।।

जोंन जगा गुरसी बरत, तपन गाॅंव ‌के आंय।
बिना कनूकन के उते,निबी रहत है दांय।।

बिड़ी तमाखु धौंक रये, गुटका पिचकत जांय।
जौन ‌घरै गुरसी जलत,नैना उत‌इ लगांय।।

दूध ठोकरी भैंस कौ,गुरसी पै उटजाय।।
मका महेरो डारकें,लगबे खात‌इ राय।।
***
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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*09-एस आर सरल,  टीकमगढ़



गुरसी गुण्डन हो गई, 
कवि गुण्डा पछयाँय।
धिगइ परी है पटल पै,'
सरल' गम्म हैं खाँय।।

थर थर दद्दा कप रये, 
बिछी  पौर में खाट ।
आग न गुरसी की बुजें,
जाड़ों दँय खरयाट।।
   -

    एस आर सरल,  टीकमगढ़

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*10*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा


कइयक यैंसे चूस हैं,
पइसा जिनके प्रान।
गुरसी सी गाड़ें धरें,
धरम करें नें दान।।
***
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर

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11-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा

रीने रीने फिरत रय,
लगें सबइ सें हीन।
संगै गुरसी ताप कें,
कुरसी लैबें छीन।।
--
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़

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   12-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


परै चपेटा ठंड कौ,
 गुरसी आवै काम।
खुद तापौ औरै तपा, 
भज लो सीता राम।।
          ***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
-***

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13-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)

अप्रतियोगी दोहा

जाड़े में  सी सी  करत
      सुन्न परी है  खाल।
गुरसी  गुर सी  लगत है
  ऊंची हो   झंडाल।।

गुरसी बारौ दोर में
ठलुआ  बिना  बुलांय।
आबें न जाबें  घरै
घर सें बिना भगांय।।

**
स्वरचित एवम मौलिक
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र

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14--रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़

गड़िया घुल्लन-से लगें,
कौंड़े के अंगार।
गुरसी गुर-सी लग रई,
संजा अरु भुंसार।।

-रामगोपाल रैकवार, टीकमगढ़
(अप्रतियोगी दोहा।)
***


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15-रामानन्द पाठक नन्द, नैगुवां

गुरसी गुरयावै सबै,
विपत में आय काम।
जला लेत जलदी उयै,
घर हो तीरथ धाम।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां

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16-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश


भौतइ जाडो़ होत रय, 
सिगड़ी दे सुलगाय। 
हाँत कपत हिरदय सहित, 
मनवा धीर न आय।।
***

***
-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)

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17--- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़


कण्डी होवै बिनउअल , 
गुरसी लो सिलगाय ।
तापौ  खूब  तपाइओ , 
दगर  देर  तक  राय ।।
   --
  --- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़

         ( मौलिक एवं स्वरचित )

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18-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
गुरसी सी जा तप रही, 
है जिंदगानी तोर। 
नाम प्रभु नित नहीं लियौ, 
टूट रही अब डोर।।

जागत मरघट ज्ञान है,
लख गुरसी की राख। 
अंत काल जेयी लगौ,
कितनउ होबै साख।।

हीटर भैया का करै, 
जा घर बिजली नाय। 
गुरसी हीटर सैं भली, 
करंट नहिं लग पाय।।

गुरसी देखी बरत सो,
ताप रहे हौ आप। 
जेयी जग की रीत है,
जितै बरै उत ताप।।
***
-प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़
***

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   19-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर

अप्रतियोगी दोहा 

गुरसी धर तापैं सबई, 
करैं खूब पंचात!
भीतर की लो कै धरत, 
नईं कैबे की बात!!

गुरसी ना समझो इ यै, 
जा है सुख की गैल!
आगी में बर जात हैं, 
मन के सबरे मैल!!

****
-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर   

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20-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा


वौआ नब्बे की भईं,
               करें दूध की खोज।
गुरसी आग जलाय कें ,
            चाय बनाबें रोज ।।
    
                  -राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
        ***

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*21*-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.

गुरसी आरे में धरी,
 अब न जलत दिखांय।
बचवे कां जा ठंड सें, 
हीटर रये जलांय।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.
***

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*22*-प्रभु दयाल स्वर्णकार 'प्रभु' ग्वालियर

सिकी गकइया दार सँग,
घी बुरमा मिल जाय।
भौत मजा आ जाउनें,  
गरम गरम  जो खाय।।
***
-प्रभु दयाल स्वर्णकार 'प्रभु' ग्वालियर
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*23*- वीरेन्द चंसौरिया ,टीकमगढ़

ताप रये हैं बैठ कें ,
गुरसी चारों ओर
खूबइं नौंनी हो गई , 
आज हमाई भोर।।
-वीरेंद्र चंसौरिया, टीकमगढ़

-वीरेन्द चंसौरिया ,टीकमगढ़

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24-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 

 सन्यासी सो बैठ गओ, 
तप करवे परिवार।
अगन कुण्ड गुरसी बनी,
 पत राखो करतार।।
        - आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 

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*25*-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
  कछू चप्पा बदमाश हैं,
 मिलें न जिनके भेद।              
गुरसी सी गाड़े रहें,
देखत लगें सफेद।।                

-राम कुमार शुक्ल,चंदेरा
***
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*26*-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा
गुरसी बर रइ आग की,
आज सुबय जा शाम ।
ठंड कड़ाके की परी,
आसुन दव है काम ।।

अप्रतियोगी दोहा 
बुन्देली दोहा 
        1-
गुरसी कुरसी खो फिरत 
दुनिया भर के लोग 
चिन्ता लगीं चुनाव की 
कौरोना को रोग 
        2-
जी के घर कनड़ा नहीं 
मन में लागी आग 
बातें देरय बड़ी बड़ी 
फूटे उनके भाग 
       3-
गुर डारो जब दुद में 
उट रव गुरसी आग 
परसइया जिज्जी बनी
जो लरकन को भाग 
             4-
गुरसी में कनड़ा लगें 
दुद ओट रइ बाई 
लरका आये लाड़ले 
रोटी मिल के खाईं 
***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा

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27-डा आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
दोहा गुरसी
       01
गुरसी गुर सी लगत तब,
भीषण होवे ठंड ।
हडरा कांपन लगत जब,
गले आग को दंड ।
          02
गुरसी घेरे लोग सब,
लगे तापवे आग ।
भांति भांती किस्सा कहें,
रात वितावें जाग ।।
**
-डा. आर. बी. पटेल "अनजान",छतरपुर

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


                           💐😊गुरसी😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की
                87वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 23-01-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965

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