💐😊फुरेरू😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 88वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 31-01-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
03-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
08-एस आर सरल, टीकमगढ़
09-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
11-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
12- रामानंद पाठक 'नंद' नैगुवां, निबाड़ी
13-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश
14--कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर(निवाडी़)
15-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा
16-प्रभु दयाल श्रीवास्तव 'पीयूष' टीकमगढ़
17-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
18-अमर सिंह राय,नौगांव
19-राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर
20-ब्रजभूषण दुबे ब्रज, बकस्वाहा
21-लखन लाल सोनी,छतरपुर
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक फुरेरू 88वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 88 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 78 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह फुरेरू 88वीं ई-बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-31-1-2022को पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-31-01-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
* बुंदेली दोहा बिषम-फुरेरू*
*१*
नीचट जड़कारौ परो,
कैसें सपरौ जात।
आंग फुरेरू उठ रई,
ढारन कैसे जात।।
***
*२*
हम तो मरियल से धरे,
वे तो है बजरंग।
देख फुरेरू उठ रई,
कैसे लरवै जंग।।
***३१.१.२०२२
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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2-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
*😊!!@*फुरेऊ*@!!😊*
*^-^-^-^-!!@!!-^-^-^-^*
राग रागनी गायकी,जब दिल खों छू जात।
दिल तक पौंचत बात जब,तुरत फुरेरु आत।।
राग रागनी जां सुनी,लगी सुरीली तान।
तुरत फुरेरु सी उठी, जा ई की पैचान।।
उठी फुरेऊ कंस खों,हुए विधाता बाम।
बोलो कै अब नइ बचत,देख कृष्ण बलराम।।
नाम सुनत हनुमान कौ,रावण दैशत खात।
काल जियै खुद डरत तौ,उयै फुरेरु आत।।
उठत फुरेरु जां सुनत,अब योगी की टोंन।
इतनी दैशत खा गए,चोर माफ़िया डोंन।।
जितने भड़या बेशरम,चोर उचक्का भाइ।
जां बुलडोजर दिखानों,तुरत फुरेरु आइ।।
-:!:*!!@!!*:!:-
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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03-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
🙏🌹बुन्देली दोहे, विषय-फुरेरू🌹🙏
********************************
उठै फुरेरू बदन में, आबै तन सें आँच।
समझौ चडो़ मलेरिया,तुरत करा लो जाँच।
लेत फुरेरू राधिका, कान्हा पकरें हाँत।
हाँत छुडा़बे राधिका, जतन करें कइ भाँत।
गंगोत्री में गंगजल, छुअत फुरेरू आत।
पै डुबकी के लेत अघ, छू मंतर हो जात।
लेत फुरेरू नावतौ, ता पाछें ऐंडा़इ।
दै ललकार घटोइया, दिखा देत गुनयाइ।
जीजाजू घुरकन लगे, सारी ती कुनयाइ।
नाक फुरेरू डार दइ, गजब फुरेरू आइ।
********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
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04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1=
उठत फुरेरू बदन जब,ठंडा मौसम होय।
उइपै चले बयार तो,सो पलली में सोय ।।
2--
हाड -मास कौ पीजरों,ठंड लगत मोय भौत।
कपकपी सी उठै बदन,आई कांसैं सौत।।
3--
चार सौ बीसी जो करे,मन मलीन हो जात।
ऊके तन फुरफुरी उठै,सबरौ बदन कपात ।।
4--
पैली बेला मिलन की,हो अदयाई रात।
उठै फुरेरू बिछुडतन,मन भौतउ घबरात।।
5--
सुर-संगम जां होत हो,झनक परै गर कान।
उठै फुरेरू मन बढे,कब दै पावैं तान।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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05-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
**सोमबारी बुंदेली दोहे-फुरेरू
*१*
उठत हिया में फुरफुरी,
भीतर धुकपुक होय।
डरो आदमी तनक में,
मन की आपा खोय।।
*२*
रिमझिम-रिमझिम फुरफुरी,
गिरत धरा पे आज।
टप टप बूंदे पात पे,
गिरत बजा रइं साज।।
*३*
उठत फुरेरू की लहर,
रोम खड़े हो जायँ।
जाड़े सें बचकें रहो,
खड़े रोम चेतायँ।।
*४*
तन तन पे तन-बदन में,
छूट फुरेरू जात।
मलेरिया में आदमी,
औंदो डरो दिखात।।
*५*
उठत मनइ मन फुरफुरी,
जियरा कँप कँप जायँ।
चौकस चौकीदार सें,
बड़े बड़े घबड़ायँ।।
***
संजय श्रीवास्तव, मवई
३-१-२२😊दिल्ली
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6-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
,फुरेरू, श्री, बुंदेली
,,
पांडू माद्री सेज पे, गई फुरेरू आय।
काल फांसकें जाल में, प्रान पखेरू खाय।।
,,,,,,
लेत फुरेरू चरेरू , गंगा रहे नहाय।
आंगे भगवन की कृपा ,मानुष तन मिलजाय ।।
,,,,,,
लेत फुरेरू छेंक रय, रावन पंछी राज।
कटे पंख धरनी परत, राम सिया के काज।।
,,,,
लेत फुरेरू उड़ चले,सिया हेत हनुमान।
मारग बैठी सिंघीका,गए अखारत प्रान।।
,,,,
मुरगा बन फुरेरू लइ,बोले आधी रात।
दाग चंद्रमा में पड़ा,किया सती से घात।।
,,,,,
लेत फुरेरू काग बन, मंदाकिनी तट बीच।
माता सीता के चरन , चोंच लगाता नीच ।।
***
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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7- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
🌹फुरेरू पर बुन्देली दोहे🌹
दूध महेरो खात में,जब मांछी कड़याइ।
उठी फुरेरू आंग में,लग रव होत उकाइ।।
मेंगी खातन देखकें भरत फुरेरू अंग।
लपक्वार करिया मिलों,सो हम रै गय दंग।।
गंगा जू में नाव पै, कुल्ल दूर गय पोंच।
भरे फुरेरू डर लगे,भये सिकुर कें गोंच।।
भरत फुरेरू ऊ जगा, जहां अखाड़ों होय।
करतब सबके देख कें सुदबुद डारी खोय।।
बाज चरेरू पर गिरत,नाहर देत दहाड़।
उठत फुरेरू बदन में,कपा देत है हाड़।।
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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*08-एस आर सरल, टीकमगढ़
बुंदेली दोहा- फुरेरु
*******************************
उठत फुरेरू ठंड की,थर थर कपत शरीर।
दौरत फिर रय तापवे,बँधै तनक नइँ धीर।।
उन्नन में पय रव दुके, गरमा जात शरीर।
उठत फुरेरू फिर नई, बँधी रहत है धीर।।
उठी फुरेरू कप रये, हाँत पाँव भय सुन्न।
जड़या रय हैं ठंड सें, करवें कुन्नइँ कुन्न।।
लेत फुरेरू पियक्कड़, पी पी दारू घूट।
जो टोका टाकी करें, देवें गाई छूट।।
उठत फुरेरू दीन खौ , तन मन सें कमजोर।
कोउ मदद करवें नई , लगी आश की डोर।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
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9-जयहिंद सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा
#सोमवार# दिनाँक 31.01.22#
#बुन्देली दोहा लेखन#
******************************
#1#
उठत फुरेरू ठंड में,जब सुर्रक चल जाय।
तापौ आगी बार कें,गुरसी लेव जलाय।।
#2#
चौवर फरकै बेड़नी,सुनत ढुलक की थाप।
उठत फुरेरू राइ में,छोड़त सबपै छाप।।
#3#
उठत फुरेरू माव में,बादर जब घर्रांय।
चलत किसानन धुकधुकी,ओरौ ना गर्राय।।
#4#
बुँदियाँ रिमझिम जब परें,उगरारे तन होंय।
कर्री उठबै फुरेरू,धीर सबइ तौ खोंय।।
#5#
मेघनाद खों फुरोरू ,उठी सनक के संग।
गुस्सा के मारें लगै, फरकत है हर अंग।।
###
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
उठै फुरेरू कलम खों,चाय कछू लिख देत।
इज्जत राखौ पटल की,सबखों शिक्षा देत।।
नाभि कुण्ड अमरत भरौ,कैसें निकरत प्रान।
उठी फुरेरू राम खों,तुरत छोड़ दव बान।।
आइ फुरेरू कृष्ण खों,खूब कडोरौ कंस।
जन मानस खों देत तौ,प्राण घातकी दंस।।
सूपनखा नें राम सें, प्रणय निवेदन कीन।
उठी फुरेरू लखन खों,कर दइ नाक बिहीन।।
दुके पेड़ की ओट में,राम चन्द्र भगवान।
आइ फुरेरू मार दव, फिर बाली खों बान।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
-***
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11-रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ (मप्र)
दोहा
पैली रात सुहाग की
लिपड़ जात वर रात।
उठत फुरेरू बिछड़तन
फिर रातन बर्रात।।
उठत फुरेरू सपरतन
भुंनसारें जड़यात।
सपरत न इयां उरैयां
जौ लौ ने कड़यात।।
**
स्वरचित एवम मौलिक
रामेश्वर राय 'परदेशी', टीकमगढ़ (मप्र)
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12-रामानन्द पाठक 'नन्द', (नैगुवां)
दोहा फुरेरु
1
ठन्डौ पानी देखकें,आंग फुरेरु लेय।
सपर खोरबै जिउ डरै,मनुंआ चुक्का देय।।
2
जाडन चलत वियार जब,अंग फुरेरु आय।
उन्ना लत्ता आग सब,सबकी कमी दिखाय।।
3
ठांन ठनी जब जनक की,देख सिय कौ रुप।
रचौ सुयंवर जानकी,लेत फुरेरु भूप।।
4
परसुराम के बचन सुन,लक्ष्मण हो गय लाल।
लेत फुरेरु परसु जी,आग रये घी डाल।।
5
बनौ अखाडौ जंग कौ,जुरी देखवै भीर।
पहिलवान आपस भिडै,लेत फुरेरु वीर।।
***
-रामानन्द पाठक 'नन्द' ,नैगुवां
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13-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
खुली रजैया रय गयी,
लगै फुरेरू जोर।
कपत करैजो भौत है,
समय रहौ जो भोर।।
***
-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
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14--- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
दैसत हो या वीरता , तुरत फुरेरू आय ।
धक्क-धक्क तन में मचे , रोम-रोम तर्राय ।।
लेत फुरेरू घोलना , तिरपौंना खों पाय ।
तुरत जात है बक्करत,मन ही मन मुस्काय ।।
लयी फुरेरू शेरनी , गोरा तिडी़-बिथार ।
कूँद परीं तीं गुर्ज सें , रानी मय असवार ।।
लयी फुरेरू भीम ने , दइ मरयादा लाँघ ।
दुर्योधन-से दुष्ट की , टोडा़री ती जाँघ ।।
लेत फुरेरू वीर जब , समुद जात है नाक ।
बैरी खों डरवात है , लंका करतइ खाक ।।
--
--- कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
( मौलिक एवं स्वरचित )
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15-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा
🌺बुन्देली दोहा 🌺
बिषय-फुरेरू
1-
हमने देखें केउ जने
मदरा घूट लगाउत।
मन इनको मानत नइ
तुरत फुरेरू आउत ।।
2-
लेत फुरेरू कपकपी
मदरा भीतर जात ।
जा काया मानत नइ
पीके जे बर रात ।।
3-
पीके मदरा जात है
बाहन से टकरात ।
चले जात जो देखबै
उये फुरेरू आत ।।
4-
दुकानदार के दोर में
बैल खडो के गाय ।
ठन्डो पानी डारबै
उये फुरेरू आय।।
***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ, लखौरा
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16-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय फुरेरू
जब गज गामिनि गैल में, मिलीं मरोरा खात।
दिव्य देह खों देख कें , हमें फुरेरू आत।।
माउठ के बदरा उठे ,थर थर कप रव गात।
उठत फुरेरू देह में ,बैरिन बन गइ रात।।
बंसी की धुन सुन सखी,हिय में उठत हिलोर।
उठी फुरेरू चल परीं ,जां छलिया चितचोर।।
पिया बसे परदेस में, जौ जाड़ौ खरयात।
उठत फुरेरू देह में , बिरहा जोर जनात।।
ठिठुरे जा रय ठंड सें, उठत फुरेरू ऐंन।
निरमोही निरदइ निठुर,बालम बिन बेचैंन।।
प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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17-अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
*फरूरी*
उठै फरूरी तीन सें, भय, घिरना औ शीत,
छाती, कन्धा, पींट में, उठै लहर सी भीत ।
होंय न उन्ना ऊन के, जाड़े में कउँ जायँ,
कँपकपाय सब आँग औ, खूब फरूरी आयँ ।
घिनापने कौ भाव हो, या हो भै की बात,
उठै फरूरी देह में, रौम खड़े हो जात ।
-*अरविन्द श्रीवास्तव,भोपाल
मौलिक-स्वरचित
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18-अमर सिंह राय,नौगांव
दोहा - फुरेरू दिनाँक-31.01.2022
उठै फुरेरू तन कपै,
जब-जब जाड़ो होय।
डर, लघुशंका और घिन,
में भी ऐसो होय।।
-अमर सिंह राय,नौगांव
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19-राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर
देख आचरन आज के, अंग फुरोरू आय।
सांच कहें मरवो धरो, कैसें हांजू कांय। 1।
मर्यादा कोनें धरी, पशुता सी अपनांय।
जूठन मिलकें खात हैं, देख फुरोरू छाय।। 2
-राम बिहारी सक्सेना,खरगापुर
20-ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा
विषय - फुरेरू
उपजी बात दिमाक की ,
काम बड़ो करजात ।
बिना अकल की बात सुन ,
फुरेरू उठत दिखात ।।
नांक कांन बिन भगनि लख ,
दख मुख अति झुंझलाय ।
बहिना खों समझाय रव ,
रई फुरेरू तन छाय ।।
उठी ताड़का क्रोध कर ,
सनमुख लख मुनिराय ।
विश्वामित्र मन फुरेरू सी ,
दुस्टा अति सताय ।।
दो टूका तक शिव धनुष ,
परशुराम खिसयाय ।
राजा जनक सें कन लगे ,
उठी फुरेरू जाय ।।
***
-ब्रजभूषण दुबे ब्रज बकस्वाहा
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
💐😊फुरेरू😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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88वीं प्रस्तुति
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