💐😊पिसी😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 93वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 17-02-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
08-एस आर सरल, टीकमगढ़
09-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
11- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
12- एल.एल.दरसन, बूदौर, पलेरा(टीकमगढ़)
13-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
14-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
15- रामानंद पाठक, नैगुवा
16- कल्याण दास साहू "पोषक,पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
17-भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
18--डां.आर बी पटेल "अनजान"छतरपुर
19--रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक पिसी' 93वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 93 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 79 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 93वीं ई-बुक 'पिसी' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने सोमवार दिनांक-14-2-2022को बुंदेली दोहा लेखन में दिये गये बिषय 'पिसी' ' पर पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-15-02-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बुंदेली दोहा-बिषय-पिसी*
*1*
पिसी मिलत है भीख में,
दौरे वे ले आत।
काम कछू करवे नहीं,
परे परे गर्रात।।
***
*2*
पीपा में लाये पिसी,
वे महीन पिसवात।
पुआ, पराठे,या पुडी,
खूब पैल के पात।।
**14-2-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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02-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
🌹बुन्देली दोहे-पिसी(गेहूँ)🌹
***********************
पिसी जबा मसरी चना,
अरसी बटरी राइ।
पिरमुख मानों नाज जे,
जिनसें कहत उनाइ।
***********************
पिसी प्रमुख खाद्यान है,
दूजौ समजौ धान।
जबा बाजरा जुनइ की,
तनक बची पहचान।
***********************
अगर पिसी देशी बुबै,
डरबै देशी खाद।
चूलें सिकबें फुलकियाँ,
फिर देखौ तुम स्वाद।
***********************
मानी भर पजबू करी,
पिसी बड़न कें पैल।
अब छै छै मानी बुबत,
तौ किसान हैं फैल।
************************
पिसी सिचाई माँगबै,
चार पाँच छै सात।
दलहन तिलहन ठीक है,
जो दो में पज जात।
************************
पजी धुबी सूकी बिनी,
चकिया में दइ डार।
पिसी चली रोटी बनी,
कड़ गइ लेत डकार।
*************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
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-3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
😊!!*पिसी!!*(गेहूँ)*!!😊
**!!@!!**
होय कंसला में धरी,
पिसी पिसी जब होय।
रोटी सें जीवन चले,
लतरोंदा ना रोय।।
खड़ी फसल खों देख कें,
एसें लगतइ खेत।
हरी हरी देखत पिसी,
मन मलकइयाँ लेत।।
नई साल कौ आगमन,
वैशाखी पै होत।
पिसी देत उतनी खुशी,
जीनों जितनी जोत।।
घर में आ गइ जब पिसी,
मन खों भव आनंद।
खात लोकमन सरबती,
सबकी जेइ पसंद।।
पिसी रखाबौ सींचबौ,
चैन रात कौ खोत।
नौकरया खों का पतौ,
कितनी मैंनत होत।।
तुमें पिसी खाबे मिली,
ऊ कौ भव नुकसान।
बज्जुर सी छाती करें,
रो रव आज किसान।।
**!!@!!**
***
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1=
कौदौ कुटकी बाजरा,जुनइ मिलौनी रार ।
इन सब नाजन में पिसी,सब सैं नौनी यार ।।
2=
बैदइ पिसी जो खेतन,खाद देव भरपूर ।
भर-भर पैलीं नापलो,मानों बात हुजूर ।।
3=
पिसी हमाइ जान है,आउत सबके काम ।
बैंचत इयै बजार में,खूबइ लावै दाम।।
4=
पिसी रंग नौनौं लगे,गोरोनारो रंग ।
खाव फुलकियाँ गरम,पूडी पूलत चंग।।
5=
ररती जीलों पैल पिसी,कतते उयै धनवान।
ऊकी गिनती बडडन में,कतते बडौं किसान।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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05-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय- *पिसी*
*१*
सरसों के सँग खेत में,
पिसी खड़ी मुस्काय।
गलबइयाँ दोऊ करें,
लहर लहर लहराय।।
*२*
जा रय आटा पिसाबे,
कत उलटी कड़ जात।
पिसी पिसत आटा बनत,
जग जानत जा बात।।
*३*
चना पीस बेसन बनो,
पिसी पिसी सो चून।
खून जरो चकिया चला,
बढ़ो खाय सें खून।।
*४*
पिसी नुकाबे कोउ नइं,
मोड़ी को है ब्याव।
सास,जिठानी, ननद सें,
चल रइ बेजां न्याव।।
*५*
पिसी पेट खों मिलइ रइ,
खाव और गर्राव।
घर शौचालय बनइ गय,
जब जानें सो जाव।।
**
*संजय श्रीवास्तव* मवई
१२-२-२२😊दिल्ली
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6-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
बुंदेली दोहा, विषय पिसी,
,,,
घरवारी पीसत पिसी , टिनकन लगे पड़ेउ।
बुन्देली गारी गबत , सुनकेँ हंसे चरेउ।।
,,,,,,
पिसी बउत मेंड़ें डटें , सापरिवार किसान।
कांदी कूरा काड़ रय, बाल लगी मुस्क्यान।।
,,,,,
करत नुकानों पिसी को, पिसवे भई अबेर।
ब्यारी खों तलफत सुनो, भुकयानी लड़घेर।।
,,,,,
देशी पिसी उबाल कें, कौई धरी बनाय।
चाहे जैसीं धमक लो, पेट सदा सुख पाय।।
,,,,,
पिसी पिसावे पिसइया, पीसत पैल पिसान।
पिसिया पिरिया में परी, पिसवे भइ अगवान।।
,,,,
आटा रोटी केक रस, थुली सिमइआँ घास।
बियर कुकीज पास्ता,पिसी शराब के पास।।
,,,,
पिसी खाय पीसन लगी, पिसनारी के गीत।
पीस पिसी पिसनोट कर, भइ प्रमोद की मीत।।
***
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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7- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
पिसी गोऊं की होतति, बड़े भाई इक जात।
तीसक साल सें अब कहु,आंखन नहीं दिखात।।
भांज सिमैयां पिसी कीं, पैल धरत ते ऐंन।
पसा -पसा कें खात ते,संगे भैया बेन।।
बने फुलकियां पिसी कीं, तातीं तातीं जोय।।
होंसन खबतइ जात हैं,सारी परसत होय।।
जांते सें पिसि पीसकें, फिर रोटीं बनवाव।
दूद ओंट कें भैंस कौ,लगबै खातइ जाव।।
बिना संग के खात ते,रोटी पिसी की पांच।
नीम तरें खेलत हते,करौ बरेदी नांच।।
🙏🙏🙏🙏🌹🌹🌹🌹
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
सुप्रभात जय श्री राम जय बुंदेली
***
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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08-एस आर सरल, टीकमगढ़
बुन्देली दोहा #पिसी#
**********************************
कुठिया में भर दइ पिसी,धर दइ घुनन दवाइ।
साबत है पिसिया बची,बिल्कुल नइ घुन पाइ।।
ठाँड़ी पिसिया खेत में, लहर लहर लहराय।
नौनी आसुन की पिसी,कत किसान हरसाय।।
आसुन बंगा बन गऔ, पिसी उपजने अंट।
उकसा लगों न खेत में, माउठ पर गइ जंट।।
बनी ठनी उम्दा पिसी, तनें छत्त से खेत।
कत किसान हर खौ भजों,बे सब हनकें देत।।
मती दली होवें पिसी, सोद नुका पिसवाव।
ऊकी नौनी फुलकिया,घियु शक्कर सँग़ खाव।।
***
-एस आर सरल, टीकमगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
9-जयहिंद सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा
#सोमवार# दिनाँक 14.02.2022#
#बुन्देली दोहा लेख़न#बिषय..पिसी#
$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$
#1#
पिसी मुफत में लुटा रइ,है अपनी सरकार।
बनें आदमी आलसी,मुफतखोर लाचार।।
#2#
दुनियाँ की ऐसी फसल,फैली हाट बजार।
पिसी न होती जो जगत,होतो जग लाचार।।
#3#
पिसी जवा अरसी मटर,सरसों मसरी शान।
लहलहात इनकी फसल,तब खुश होत किसान।।
#4#
पिसी पिसाकें दरदरी,रवा धरौ घी डार।
मेवा गुर सें बनालो,लड़ुवा लच्छेदार।।
#5#
पिसी दरा कें बनालो,दरिया राखौ भून।
रोगी खाकें पचालै,और बड़ाबै खून।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
दोहा- भाषा बुंदेली
विषय- पिसी
14-02-22
चना पिसी में डार कें, माडौ चून मिलाय।
लाभ होय मधुमेह में,वादी भी छट जाय।।
पिसी बीच सरसों खड़ौ, मन खों भौत सुहाय।
पीताम्बर सौ ओड़ कें, धरनी मन खों भाय।।
पानी ओरन सें गिरै, पिसी भूमि पै जाय।
दानें पतरे परत हैं,सबरौ स्वाद नशाय।।
जबा जानवर खात हैं, पिसी खात सब लोग।
ताती बनवै फुलकिया,लागै प्रभु खों भोग।।
गदरानी ठाँड़ी पिसी,ईसुर राखै लाज।
ई सें चलै किसान कौ, साल भरे कौ काज।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
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11- प्रदीप खरे, टीकमगढ़(मप्र)
पिसी पिसी आटा बनी,
बनी सुखद आहार।
विधना ने तौ भर दियौ,
हर घर में भंडार।।
*
पिसी पिसा घर में धरौ,
रहो सदा खुशहाल।
बिना पिसी कैसें पलैं,
घर के बाल गुपाल।
*
पिसी दान नर जो करे,
होजै मालामाल।
अन्न अनादर जो करे,
हो जाबै कंगाल।
*
पिसी पीसकें पाइयौ,
करियौ खूबइ दान।
पिसी दान नर जो करै,
होता है धनवान।।
*
होत तरक्की देश की,
सब हौं मालामाल।
खेतन में ठाड़ी पिसी,
भय किसान खुशहाल।।
***
-प्रदीप खरे, टीकमगढ़ (मप्र)
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12--एल.एल.दरसन, बूदौर,पलेरा, (टीकमगढ़)
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13-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
बुन्देली दोहे - पिसी (गेहूँ)
सोमवार, दिनाँक- 14/2/2022
खेतन में ठाँड़ी धँसी, पिसी खूब अर्राय।
खेतन बारे को जिया, फसल देख हर्षाय।
पानी पाँचौ दै पिसी, दो दइयाँ दय खाद।
पकै कटै थ्रेसर हुवै, तब मिल पाहै स्वाद।
पिसी पुरानी है खतम, और नई में देर।
का ख्वाबी महमान जो, आहैँ देर-सबेर।
पिसी पिसी नहिं ठीक से,मोटो पीसो चून।
गुटकत में अड़वे गरैं, खातन दोई जून।
खाबे भर बोई पिसी, पूरो परै पिसान।
लगत लाइने खाद की, हो हैरान किसान।
***
-अमर सिंह राय,नौगांव
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14-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)
🥀बुंदेली दोहे- पिसी🥀
खेती भली किसान खों,
जीवन के सुख देत।
पिसी जबा की का कनें,
सौंनों उगले खेत।।
पकी पिसी की बाल सें,
ऐंसी मेंड़ सुहाय।
सौंनें के चूरा हरी,
सारी पै पैराय।।
दाँनों दाँनों पिसी कौ,
गादर सें भव लाल।
गोरी की गोराइ सी,
पीरी पर गइ बाल।।
गदरानीं पीरी परी,
जबा पिसी की बाल।
हडिया सोहै खेत में,
ज्यों तिल गोरे गाल।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
दोहा पिसी
पिसिया ठाणी खेत में,बाल रई गदराय।
ठाणे किसान मेंड़ पै,देख देख हरसाय।
2
फसल पिसी नौनी लगी,हरयाबै चहुं ओर।
मइना फागुन कौ लगै,कोयल करवै सोर।
3
जीवन आधार है पिसी,जगत मिटावै भूंख।
पसु पक्षी नर जगत जिऊ,सबकी भरवैं कूंख।
4
चलना सूपै डारकें,पिसी नुकानों होय।
बना ठना काबिल करी,चकिया डारै सोय।
5
पिसनारी पिसनोंट धरें,चकिया ओरें पौर।
एक हाथ पिसी डारवैं,पुनि पुनि डारें कौर।
***
रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
***
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16- कल्याण दास साहू "पोषक,पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़
पैलाँ मोटौ नाज खा , रय पचा तन्दुरुस्त ।
अब मिल रइ खावे पिसी,होरय फद्दा सुस्त ।।
रोटा मोटे नाज के , भाजी संगै खाय ।
अब खारय हैं फुलकियाँ,मैदा पिसी पुसाय ।।
जाँ देखौ ताँ है पिसी , होय गरीब अमीर ।
बारउ मइंना खा रये , राजा रंक फकीर ।।
---- कल्याण दास साहू "पोषक "
पृथ्वीपुर जिला-निवाडी़ (मप्र)
( मौलिक एवं स्वरचित )
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17-भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
बुंदेली दोहा-बिषय पिसी
******************
चना मूँग उरदा तिली,
बन्न बन्न के अन्न!
पिसी आई बहु लक्ष्मी,
जीबन हो गव धन्न!!
*****************
कोदों कुटकी बाजरा,
समाँ लठारा धान!
यजुर्वेद में पिसी कौ,
है नहिं कोइ प्रमान!!
******************
भरे धरे हैं पिसी के,
शासन लौ भन्डार!
फिर भी भूखन मरत हैं,
अबै कैऊ परिबार!!
******************
मेंनत करबै रात दिन,
बेऊ किशान कहाय!
सबखाँ रोटी देत पर,
खुद भूखौ सो जाय!!
******************
दूषित देशी खाद बिन,
रोटी सब्जी दार!
पिसी रसायनमय भ ई,
घर घर सब बीमार!!
******************
स्वरचित एवं मौलिक
-भजन लाल लोधी फुटेर टीकमगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
18--डां.आर बी पटेल "अनजान"छतरपुर
दोहा पिसी
चना पिसी में पीसकर,
खातें हैं जो लोग ।
तन ताकत संचार दे,
नाही होवे रोग ।
-डां.आर बी पटेल "अनजान"छतरपुर
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
19--रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ ,मप्र
दोहा बिषय पिसी
हसी खुशी जी में भ ई
ठांड़ी पिसी उनाइ
लै हसिया काटन चले
गौर गनेश मनाइ
म इं बिलबारी गा र ईं
धर कें लामी पांत
करें मसकरीं काड़ कें
खीसा कैसे दांत।।
-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
💐😊पिसी😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 93वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
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टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
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आदरणीय राना जी बहुत ही सुंदर प्रयास किया है आपने कवियों की रचनाओं को प्रकाशित करने का और उन्हें नई दिशा प्रदान करने का । आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
आदरणीय राना जी बुंदेली को समृद्ध करने और इसके निरंतर विकास में संबंध करने में आपका प्रयास अनुदित है हृदय तल से साधुवाद
93 वीं ई -बुक के संकलन हेतु सम्पादक महोदय जी को और सभी गुणी रचनाकारों को हार्दिक बधाई👍🙏🏻
भाई श्री राना जी के परिश्रम का सुपरिणाम सराहनीय है
सराहनीय ई-बुक
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