Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 22 फ़रवरी 2022

मसकरी (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (मप्र)



                      💐😊मसकरी😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                           की 94वीं प्रस्तुति  
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 22-02-2022

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965
        



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

        
              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
08-एस आर सरल,  टीकमगढ़
09-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
11- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
12- एल.एल.दरसन, बूदौर, पलेरा(टीकमगढ़)
13-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
14-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
15- रामानंद पाठक, नैगुवा
16-  आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
17- ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा 
18--गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
19--गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव,झांसी (उ.प्र.)

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                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक 'मसकरी'  94वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 94 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 79 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह  94वीं ई-बुक 'मसकरी' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों  ने शनिवार दिनांक-19-2-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-49 में दिये गये बिषय 'मसकरी' ' दिनांक-19-2-2022को पटल  पोस्ट किये है।
  अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
प्रकाशन दिनांक-22-02-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-91+ 09893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



**अप्रतियोगी दोहा-*
*बिषय- "मसकरी"*

मसकउ मसकउ मसकरी, 
करवे मांगीलाल।
मुसकी मारत फिर रये,
मौ मैं धरे सवाल।
*** 19-2-2022
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
      
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02-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)


🌹😄विषय😄मसकरी😄
देवर  भौजी  नंद  अरु,  जीजा  सारी   यार।
इनें मसकरी कौ मिलो,जनम सिद्द अधकार।।
*********************
बिना मसकरी जगत में,कितै  मिलत आनंद।
 करियौ लेकिन ओइ सें, जी खाँ होय पसंद।          
*********************
होरी  शादी  ब्याव  में,टूट  जात  है  आन।          
सबखाँ औरत मसकरी, बूडे़  बारे  ज्वान।              
*********************
मसकरयन कौ होत है, गैरौ  चित्त  अथाह।            
बे का कर हैं मसकरी,जिन मन ईर्षा डाह।।           
**********************
बीज मसकरी कौ छुपो,सबके  मन में  रात।           
समय समय पै सबइ जन,मसकरया बन जात।           
***********************
करत मसकरी ओउ जो,होत  खुदइं  मनदार।            
एइ   बहानें   बाँटतइ,बौ  समाज में  प्यार।              
************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)

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-3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 


भइ बरात में मसकरी, जब सो गय सब लोग।           
कइयन के नाडा कटे,बटौ भुंसरा भोग।।

सारी करबै मसकरीं,होरी में हुरयाय।                 
रंग धरें लोटा भरौ,जीजा सें बुलयाय।।
            
होत सगुन की मसकरीं,मानदान जब आत।            
रँग डारत मड़वा तरें,हरदी खूब लगात।।
             
खूखर देबौ ब्याव में,लरकदोंद कौ काम।            
घलो बताशा आंख में,हो गइ सीताराम।।
              
लरकन नें लवदव बड़े,घले बताशा ऐंन।                
आज उचकबौ भूल गइ,जीजा जू की बेंन।।
             
करें मसकरीं समधिनें,पै लेंगर ना आंय।              
समदी खों गारीं गवें,बातन में भरमांय।।
             
जनवांसे में कॉउ नें,धर दइ तनक करेज।          
बनी मसकरी की खबर, बड़ी सनसनी खेज।।
           
पंचा में धर दइ कड़ी,बजे हूँक कें साज।
 फूफा बमके हांत भर,जब हो गय नाराज।।         
       *:*:!!@!!:*:*
         
                           
 -अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 

04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा

प्रतियोगी दोहा-
झूठी-सांची धौंकरय,करत मसकरी आज ।
देस मिटावै में जुटे, हो तुम धोके बाज ।।
1
जीजा-सारी करत रत,मसकरीं दिन-रैन।
देवर भौजाई करैं,मसकउ-मसकउ एैन ।।
2
मसकां-मसकां जिन करौ ,मसकरीं दिन -रैन।
खुलकैं बौलौ सामनें हिममत हो तो बैन।।
3
ऐसी मसकरीं न करौ,जो दिल पौचै ठेस।
इक दिन ऐसा आयगा,बोझ उठाये देस ।।
4
करत मसकरीं सब कोइ,पै ऐसी नइं कोउ ।
चारजनों के बीच में,झुकनैं परहै सोउ ।।
5=
करौ न मौसें मसकरी,लाला तुमें बतांय ।
मोखां जैसों जानरय ,वैसे हम नइं आंय ।।
6
मसकरीं के दिन बीत गय,अब हमसैं का काव।
जासैं लाला मानलो,अंत घरै तुम जाव ।।
7=
छर-छरी जब देह हती ,मसकरी के दिन हौय।
गुडीं पर गई बदन में ,अबका आंखें मौय ।।
8=
देस हित में जाइये ,ई में धरौ का तोय।
मसकरन खों छोड इतै,धरनी हित चित होय ।।
9=
समै गुजारौ मसकरन,करौ न हरि सैं हेत।
उतै जैव पछतायगा,रीतौ लें जैव खेत।।
10
मडवातर करनें लगे,भरत मसकरीं खूब ।
को तुमरे  माइ-बाप हैं,कौन तुमारे भूप ।।
11
धरती सैं पैदां हुईं ,कोहैं माई-बाप ।
साँची -साँची बतादेव ,करौ न मसकरि आप ।।
12
खीर खांय पैदां हुए,चौथेपन जनमांय्।
जाव पिता सैं पूँछलो, मसकरियनअटकांय।।
13
बाबन के आसिरम फिरैं,जब तुम कउं हो पाय।
मसकरीं तुम जिन करौ,तन-तनकी बतलाय ।।
14
नारद मुनि के वयाव में,देव मजा सब लेत।
मसकरी करने लगे सो,बंदर कौ मुँहदेत।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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05-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
      
मन की करकें मसकरी,मुरलीधर मुस्कायँ ।       
राधा भीगी लाज में,गुड़ी-मुड़ी हो जायँ।।   

*अप्रतियोगी दोहे*
*१*
करी चाँद सें मसखरी, सूरज आँख दिखाय।
जुरी तरैयां डाँट रइं,जियरा डर-डर जाय।।
*२*
मीठी-मीठी मसखरी, नमकीनी  है प्यार।
लगत स्वाद में रामधइ,कैंथा घाइं अचार।।
*३*
दीन-दुखी की जनानी,सबकौ टाइम पास।
करत सबइ जन मसकरी,आम होय या खास।।
*४*
दो बन्नी बातें करत,दैं नैनन की मार।
मसकरी के नाम कड़त,मन में भरो कसार।।    
***
   *संजय श्रीवास्तव* मवई
       १९-२-२२😊दिल्ली
         
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6-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)

                
बाबा जू सें मसकरी,करी खुदइ जगदीश।
मिटी जुगाड़ विआव की,नारद बने कपीश।।       
     
सखियां करती मसकरी,लखन गौर तुम श्याम
लाला भेद छुपाव नइ, सांसी बोलो राम 
,,,,
शिव ने कर दइ मसकरी, नेंग नाग दव काड़
नाउन मड़वा छोड़ गइ,कर घूंघट की आड़ 
,,,,
मधुकरसा की मसकरी, करी न रानी सेन
रोउत चलि गइ अबधपुर,राम लला खों लेन
,,,,,
साराजन की मसकरी, चपपल दई सिंगार
जीजा जोरो हांत तुम,नमन करो दो दार 
,,,,
दुल्लू बन गई मसकरी, मुंस मसकरा पाव
मसकरया परिवार में , मसकऊं होगव व्याव 
,,,,
सारी कर रइ मसकरी,मेला जाने आज
जीजा जू दूरइ रहो, तुमे खुजेलू खाज।।
,,,,,
करत भुजाई मसकरी,लाला ल्याव भभूत।
कइयो खुदइ प्रमोद सें, दव उन नन में मूत।।
              ***                           
   -प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
        स्वरचित मौलिक
                                
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7- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 

गुरू मीत मुखिया तुबक,अगन अन्न जल चोर।
इनसें घातक मसकरी, लेंड़ी बानर   ढोर।।
*अप्रतियोगी दोहे*
बात -बात‌ मे मसकरी,करत आज कल जोन।
बनो काम बिगरत तुरत, बदल जात है टोन।।

घिची कटाने होय जो, करने ‌होबे बैर।
करौ  मसकरी भाई सें ,भरवा है नै मैर।।

मसकरी थोरी करौ,ना टिक जैहे खाट।
कुत्ता भी छोड़त नहीं, तुरत लेत ‌मों चाट।।

ब मसकरी अब कां धरी, जौन ‌होत ती‌ पैल।
ऊं सी अब हो‌ जैय तौ,लुग्गु हो जैय फैल।।

मनोदशा खों बांचके, करौ मसकरी ऐन।
रूठ जैय न‌इंतर सुनो, सगी तुमारी बेन।।

             ***                      
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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08-एस आर सरल,  टीकमगढ़


भन भनात भौरा भगें, देख देख फुलवाइ।
भँवर मसकरी सी करें,कलियन सें इठलाइ।।
***
    -एस आर सरल,  टीकमगढ़

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9-जयहिंद  सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा


जीजा जू सें लिपड़ कें,सारी जब बुलयाय।
जम कें होबै मसकरी,मन चंगौ हो जाय।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़

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   10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


करी राम सें मसकरी, सूपनखा नें आय।
तुलना कीनी राम सें, लीनी नाक कटाय।।

अप्रतियोगी दोहे
*********************
सखियाँ करबैं मस्करी, रामहिं खूब हंसायँ। 
सीताराम युगल छवि, अपने मनहिं बसायँ।

 करें मसकरी राम सें, जा है कैसी बात।
 तुम कारे गोरे लखन, एक जनें हैं तात।

 पुष्प वाटिका में मिले, सीता जी खों राम।
 करें मसकरी राम सें, सखियां लै लै नाम।

 सखियाँ कर रइँ मसकरी, साँसी हमें बताव। 
नाम बता दो बैन कौ, काँ भव उन कौ ब्याव।
***          
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी

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11- प्रदीप खरे, टीकमगढ़(मप्र)
  
मसकरी भौतई करत, जीजा सारी संग। 
धरे मसकरा तोइ सौं,बढ़े अजब हैं ढंग।।
         ***
-प्रदीप खरे, टीकमगढ़ (मप्र)

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12--एल.एल.दरसन, बूदौर,पलेरा, (टीकमगढ़)


सबके सांमूं मसकरी, मजा अनूठौ देत।                  
मसकउं मसकउं मसकरी,  बुरव रूप धर लेत।।         
         
  ***        
          -एल.एल.दरसन, बूदौर, पलेरा(टीकमगढ़)

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13-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर


करौ उतेकइ मसखरी, जितनी खुद सह लेव।
जा फ़साद की आय जड़, ताना कभौं न देव।            
          ***
                        -अमर सिंह राय,नौगांव
                             

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14-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)


जो निंदा कुबडाइ की,आदत में फस जायँ।
 हंसी मसकरी बे करें ,चाय जियै टुनयायँ।।
***
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
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15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा


बिष्णु ने करी मसकरी,
रुप बरात अनेक।
अलग अलग टोली करौ,
दूला लगवै नेक।।
            ***
रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
***
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16- आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 

सारीं करवें मस्करी,
राम लखन मुस्कात।
निरखत छबि सब राम की,
फूले नहीं  समात।।
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी 
 

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17-ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा 

रानी करतीं मसकरी,
या फिर सांची बात।
राज भरत तुम मांगती,
वन कय राम पठात।।
-ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा 

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18--गीता देवी, औरैया

ऐसन करियो मसकरी, 
लगै न हिय पै चोट। 
औरन खौ जो दै खुशी, 
कोनउँ बचै न खोट।।
         -गीता देवी, औरैया

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19--गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
             
बोली सखिया राम से,
किने ब्याही बैन ।
करी मसकरी राम से ,
जनकपुरी में ऐन ।।
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा

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*20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
करें मसखरा मसखरी,
कै जावे कछु ज्ञान।
बात बात में बात में, 
दे दे नओ निदान।‌
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
***
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      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

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3 टिप्‍पणियां:

Sanjay Shrivastava ने कहा…

बेहतरीन बुंदेली दोहा संकलन ई बुक। संपादक महोदय जी को हार्दिक बधाई

pramod mishra ने कहा…

आदरणीय संपादक महोदय साधुवाद के पात्र हैं आप जो आपने ई बुक के माध्यम से कवियों के दोहे एकत्र की है
शुभकामनाओं सहित ।
प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़

Anshu ने कहा…

Very nice collection