💐😊भैराने😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की 95वीं प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 27-02-2022
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02-भजनलाल लोधी ,फुटेर (टीकमगढ़)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
04- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
05-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
08-एस आर सरल, टीकमगढ़
09-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
11- प्रदीप खरे 'मंजुल', टीकमगढ़ (मप्र)
12- -डां.एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
13-अमर सिंह राय,नौगांव(मप्र)
14-डां. देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा
15- रामानंद पाठक, नैगुवा
16- आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
17- ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा
18--गीता देवी, औरैया (उ.प्र.)
19--गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा
20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव,झांसी (उ.प्र.)
21-डा.आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
22--रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ (मप्र)
23-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक 'भैराने' 95वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 95 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 79 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 95वीं ई-बुक 'भैराने' लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी दोहे पटल के साथियों ने शनिवार दिनांक-26-2-2022 को बुंदेली दोहा लेखन प्रतियोगिता-58 में दिये गये बिषय 'भैराने ' दिनांक-26-2-2022को पटल पोस्ट किये है।
अंत में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
प्रकाशन दिनांक-27-02-2022 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
**बिषय-भैराने*
भरी भीर भटकत फिरे।
भैराने से भोज।
भजन कर रये भोज खौ,
भजनलाल उठ रोज।।
****
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक- "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉
02-भजनलाल लोधी ,फुटेर (टीकमगढ़)
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
-3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
भूँके भैराने कछू,सच्चे सेवादार।
नेता अपने देश में,चोरन के सरदार।।
***
भूँके भैराने कछू,सच्चे सेवादार।
नेता अपने देश में,चोरन के सरदार।।
चारौ खा कें गाय कौ,नइ लइ तनक डकार।
भूकें भैराने फिरत,जे कुर्सी के यार।।
गौचर खा गय गाय की,गद्दी के गद्दार।
गोला लाठी डार कें,लगौ मसक कें मार।।
खूब तिजोरी भरत रय,बनकें सेवादार।
इतने भैराने हते,कछू कछू गद्दार।।
भैराने हैं देह के,देखत आँखें फार।
की खों बिथा सुनाइये, को है अपनों यार।।
भैराने खों वोट नइ,इतनों करौ सुधार।
देख जमाने कौ चलन,हमने करौ विचार।।
**!!@!!**
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
04-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1-
खालों कितनौं खाव तुम,सैकारी है काम।
भैरानें सौ खाव जिन,तुमें देख रव राम ।।
***
2-
देस में कुता भौत हैं,भैंरानें सौ खांय।
जैसे परी हौ लाँगन,मौका देखत रांय ।।
3=
भैरानें सौ खात वे,जो भूकैं रत हौंय ।
कछु है ऐसे देस में,खारय तौऊ रौंय /।।
3-
झूठी पततल खात हैं,भैरानें जो होत ।
आपुस में लरभिर मरैं,पाछे कै फै रोत ।।
4-
खावे -खावे की परी,सबखों लत अब खूब ।
भैरानें सौ खात हैं,सैकारी धन रूब।।
5=
खालो कितनौं खाव तुम,सैकारी है काम।
भैरानें सौ खाव जिन,तुमें देखरव राम।।
***
शोभाराम दाँगी 'इंदु', नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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05-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
*१*
भैराने रत लालची,
मन की लार चुचाय।
पेट भरै ना आत्मा,
तिसना कभउँ न जाय।।
***
*२*
भैराने से भेड़िया,
भाँय-भाँय भर्रायँ।
भोरे भारे फूल पे,
भौंरा से मडरायँ।।
*३*
बे भैराने भूत से,
फिर रय गिरमा टोर।
इनके अत्याचार को,
ओर मिले ना छोर।।
***
*संजय श्रीवास्तव* मवई
२६-२-२२😊 दिल्ली
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6-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
रडुवा आय बरात में , ह्रींश निपोरत खीश।
गेंरउ भैराने फिरत , फुलें सांप सौ शीश ।। ***
पारवती को व्याव भव,भैराने गय भूत।
पंगत जैंरय अफरकें, परसइया रय कूत।।
पंगत में अमरत पियत,चंदा सूरज कइत।
बैठे भैराने बगल ,जान परत हैं दइत।।
,,,,
तन तन भैराने सबइ, कपट गीत कर गान।
सांसें खों फांसें विदत,लबरा लडुवा तान ।।
,,,,
नारद बाबा ब्याव खां,भैराने गय आय।
सजे बजे मटकन लगे,रूप लंगूर बनाय।।
,,,
अंगुवा होत बरात में,रडुवा क्वांरे पैल।
सजबज कें आंगू निगें, जे भैराने गैल ।।
,,,,
भैराने सें भेंट भइ,भर भारी भैराट।
भड़क परो पिरमोद भर,भड़या भगत निचाट।।
***
-प्रमोद मिश्रा बल्देवगढ़
स्वरचित मौलिक
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7- भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
अंधन लंगड़न की मदद,गौ माता कौ घांस।
नेता भैराने गजब ,खातन लगी न फांस।।
***
गय बराती बियाव में,भैराने से खांय।
बन गव बेगुन पेट में, छिन २ गड़इ उठांय।।
लांच भीक सी मांग रय, नेता बाबू लोग।
भैराने जे हैं सबइ,बनो तपेदिक रोग।।
जिनकें लरका ब्याव खों,बे भैराने रात।
फरमासें करबें बिकट, करें न हल्की बात।।
कोनउं भूके जीव खों,जब खाबे मिल जात।
भैरानो सौ खात है,करत बुतो सौ आत।।
अगर बफर में जाव कउं,तन २भोज्य उठाव।
एक बेर में सब धरो, भैराने कहलाव।।
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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08-एस आर सरल, टीकमगढ़
बाबुल बैठें सोस में ,ठिल्ला परी बरात।
लरका बारें मांग खौ, भैरानें गिगयात।।
***
राजनीत मंडी भई,शासक हो गय सेट।
भैराने नेता बिकें ,भरे न उनके पेट।।
दमचौरों सबरात भव,हनकें आइ बरात।
भैरानें भूके गिरें , मांग मांग कें खात।।
***
-एस आर 'सरल', टीकमगढ़
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9-जयहिंद सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा
भैरानै मदमस्त हैं ,
कामी नेता हूर।
सुदरें ना सुदराय सें,
इनसें रइयौ दूर।।
**
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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10-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
भूँकन मरगय जनम भर,
खावे जुरे न पान।
दाँत निपोरें निकर गय,
भैराने के प्रान।।
***
अंजनी कुमार चतुर्वेदी ,निवाड़ी
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11- प्रदीप खरे, टीकमगढ़(मप्र)
पद पातन मद में रहे,
धन के परे पछाइ।
भैरानें से जै गिरे,
डट कैं करी कमाइ।।
***
-प्रदीप खरे 'मंजुल' ,टीकमगढ़ (मप्र)
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12 -डां.एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
भैराने हैं लोग सब,
नौंनों कछू दिखाय ।
जौं गुर पै माछी गिरत,
लूट लूट कैं खाय।।
***
-डां. एम, एस, श्रीवास्तव, पृथ्वीपुर
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13-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
भूखे भैराने भखत,
भर - भर कौरा अन्न।
करत अनादर अन्न को,
जौंन तनक सम्पन्न।।
***
-अमर सिंह राय,नौगांव
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14-डां देव दत्त द्विवेदी, बड़ा मलहरा,(छतरपुर)
-डॉ देवदत्त द्विवेदी 'सरस'
बड़ा मलहरा (छतरपुर)
***
15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
सबसें नौंनी चीज खों,पावे जिऊ ललाय।
भैरानें घर घर फिरें,मगा मगा कें खाय।।
***
रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
***
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16- आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
भैराने हो जनम के,न कौनऊं ईमान।
हित देखत हो आपनो,नेता बने महान।।
***
-आशा रिछारिया जिला निवाड़ी
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17-ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा
दोहा
1-
घर समाज परिवार सब,
बृज भैंराने कात।
बड़ी शरम सुनतन लगत,
आपस में बतयात।
2-
नियत बिगारी करत तुम ,
अपनी जुगत लगांय।
जात जान लयी सबइ ने,
कत के भैराने आंय।
3-
नियत धरी हर चीज पे,
मंगा मंगा कें खांय।
पुटया पुटया मर मिटत।
भैराने जे आंय।
***
-ब्रज भूषण दुवे , बक्सवाहा जिला- छतरपुर
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18--गीता देवी, औरैया
राशन कौ पर्चा लखै,
भैराने भरतार।
ढोलक मंजीरौ बजै,
सुध नहिं दिन भय चार।।
***
-गीता देवी, औरैया
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19--गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
खाबे पीबै सेत को ,
लछन में बै ढंग ।
भैराने कैऊ फिरत ,
नशा जुवा को रंग ।।
***
-गुलाब सिंह यादव भाऊ लखौरा
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*20-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
जीवित जो लों जगत में,
तन के मन के रोग।
धन वैभव सम्मान खों,
भैराने हैं लोग।।
***
खौ गाडे़ घर में धरें,
दिखें भुकाने पेट।
भैराने फिरते रये,
अपय गाँव के सेट।।
***
भीखमंगा बन के रये,
ऊँचे बना मकान।
भैराने वे देख कें,
मेरी आज उडान।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी (उप्र.)
***
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21-डा.आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
भैराने भडया भगे,
मोदी योगी राज ।
दुबके दुबके फिर रहे,
जुगत चले ना आज ।
***
-डा.आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
दोहा
नागा हो गव पटल पै
रचना डार न पाव।
क्षमा चहत सब जनन सें
बिटिया कौ तो ब्याव।।
***
टेकन पुर जानें परो
दूरन देश तो गांव।
निपट आव मैं काज सें
नेवतो न ईं पठाव।।
***
-रामेश्वर राय 'परदेशी',टीकमगढ़ मप्र
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
23-गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🙏अप्रतियोगी दोहे🙏विषय-भैरानें🙏
********************************
गाडी़ बँगला अन्न धन,घर में सबइ लगेज।
तौ भैरानें ब्याव में, माँगत विकट दहेज।
********************************
भैरानें से बे फिरत, मानत नइयाँ बात।
हीरा सी दुलहिन घरै, तौ कर रय उत्पात।
********************************
भैरानें अपनें गुनन, नहीं काउ कौ दोस।
दारू पी-पी चाट लइ, सबइ गिरस्ती ठोस।
********************************
भैरानें ई देश में, जँगन-तँगन मिल जात।
लोभी भैरानें कछू, भैरानें कौ खात।
********************************
भैरानें ई देश में, पडे़ लिखे कइ लाख।
डिगरीं थैला में धरें, छानत फिर रय राख।
*********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव, नन्हींटेहरी (बुडे़रा)
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
💐😊भैराने😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
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टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
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3 टिप्पणियां:
आदरणीय राना आपके द्वारा हिंदी बुंदेली को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने का जो कार्य किया जा रहा है वह अनुकरणीय है आपको हमारी ओर से अनंत शुभकामनाओं सहित हार्दिक हार्दिक बधाई और निरंतर इसी प्रकार हिंदी बुंदेली का प्रचार प्रसार करते रहिएगा आपको अनंत शुभकामनाएं हार्दिक साधुवाद। हमें भी सेवा का अवसर प्रदान करते रहिएगा।
शानदार 🙏🙏
बहुत ही सुंदर संकलन
शुभकामनाओं सहित बधाई
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