एक कमज़ोर पर सितम ढाकर,
अपनी ताकत उसे दिखानी थी।।-- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
बज़्में अदब की 158 वीं नशिस्त हुई-
टीकमगढ़//‘ इंदिरा कालोनी में केप्टन सत्तार आजाद के निवास पर तंजीम ‘बज़्में अदब’ की तरह मिस्रा ‘कुछ अजब तौर की कहानी थी’ पर 158वीं माहाना तरही नशिस्त हुई जिसमें मेहमाने खुसूसी जनाब रमजान खां वार्ड पार्षद रहे
अनवर खान ने ग़ज़ल पेष की- वो जो फाँसी पे अभी झूल गयी।
उसकी बारात आज आनी थीं।।
संचालन कर रहे सदर इकबाल फ़ज़ा ने कलाम पेश किया -
जल गए घर उजड़ गयी बस्ती,
ये फसादात की कहानी।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पेश की-
एक कमज़ोर पर सितम ढाकर,
अपनी ताकत उसे दिखानी थी।।
सरपरस्त कारी अख्लाक ने कलाम पेश किया-ये तो कहिए कि जुल्फ़ थीं रूख़ पर,वर्ना कितनों की जान जानी थी।।
बिजावर से तशरीफ़ लाए शायर फरीद बेग ने ग़ज़ल पेश की-
जीत लेती थीं जो सभी के दिल वे बुर्जुगों कि खुशबयानी थी।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल पेश की-भूख देखे नहीं हरामों हलाल,
जान अपनी उसे बचानी थी।।
केप्टन सत्तार आजाद’ ने कलाम पेश किया -लाज दीं कि हमें बचानी थी। जिन्दगी एक दिन तो जानी थी।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी- लगती परियों कि जैसे रानी थी।
जिस्म पे साड़ी आसमानी।।
हाजी अनवर’ ने कलाम पेश किया-प्यास शबनम कि बुझायी हमने,
रस्म उल्फ़त हमें निभानी थी।।
हाफि़ज आरिफ़ नेे कलाम पेष किया-हक अदा कर न पाये मिल्ल्त का,
ऐसी किस कात की जवानी थी।
पूरनचन्द्र गुप्ता़ नेे ग़ज़ल पढी-चढ़ गए हँसते-हँसते फाँसी पर,
खून में उनके वो रवानी थी।।
हा़जी हनीफ़ नेे कलाम पेश किया -खूने शब्बीर ने जो लिख डाली,
कुछ अजब तौर की कहानी थी।।
शिवचरण उटमालिया नेे पेश किया -रोने घोने से फायदा क्या है,
बुलबुला एक जि़न्दगानी थी।।
नशिस्त का संचालन इकबाल फ़ज़ा ने किया
एवं सभी का शुक्रिया अदा मेजवान केप्टन सत्तार आजाद ने किया।
आगामी तरह मिस्रा ‘लब तरसते हैै हमारे मुस्कुराने के लिए’
दी गयी है।
खबरनबीस- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965,
अपनी ताकत उसे दिखानी थी।।-- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
बज़्में अदब की 158 वीं नशिस्त हुई-
टीकमगढ़//‘ इंदिरा कालोनी में केप्टन सत्तार आजाद के निवास पर तंजीम ‘बज़्में अदब’ की तरह मिस्रा ‘कुछ अजब तौर की कहानी थी’ पर 158वीं माहाना तरही नशिस्त हुई जिसमें मेहमाने खुसूसी जनाब रमजान खां वार्ड पार्षद रहे
अनवर खान ने ग़ज़ल पेष की- वो जो फाँसी पे अभी झूल गयी।
उसकी बारात आज आनी थीं।।
संचालन कर रहे सदर इकबाल फ़ज़ा ने कलाम पेश किया -
जल गए घर उजड़ गयी बस्ती,
ये फसादात की कहानी।
म.प्र.लेखक संघ के जिलाध्यक्ष राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’ ने ग़ज़ल पेश की-
एक कमज़ोर पर सितम ढाकर,
अपनी ताकत उसे दिखानी थी।।
सरपरस्त कारी अख्लाक ने कलाम पेश किया-ये तो कहिए कि जुल्फ़ थीं रूख़ पर,वर्ना कितनों की जान जानी थी।।
बिजावर से तशरीफ़ लाए शायर फरीद बेग ने ग़ज़ल पेश की-
जीत लेती थीं जो सभी के दिल वे बुर्जुगों कि खुशबयानी थी।।
हाजी ज़फ़रउल्ला खां ‘ज़फ़र’ ने ग़ज़ल पेश की-भूख देखे नहीं हरामों हलाल,
जान अपनी उसे बचानी थी।।
केप्टन सत्तार आजाद’ ने कलाम पेश किया -लाज दीं कि हमें बचानी थी। जिन्दगी एक दिन तो जानी थी।।
शकील खान ने ग़ज़ल पढ़ी- लगती परियों कि जैसे रानी थी।
जिस्म पे साड़ी आसमानी।।
हाजी अनवर’ ने कलाम पेश किया-प्यास शबनम कि बुझायी हमने,
रस्म उल्फ़त हमें निभानी थी।।
हाफि़ज आरिफ़ नेे कलाम पेष किया-हक अदा कर न पाये मिल्ल्त का,
ऐसी किस कात की जवानी थी।
पूरनचन्द्र गुप्ता़ नेे ग़ज़ल पढी-चढ़ गए हँसते-हँसते फाँसी पर,
खून में उनके वो रवानी थी।।
हा़जी हनीफ़ नेे कलाम पेश किया -खूने शब्बीर ने जो लिख डाली,
कुछ अजब तौर की कहानी थी।।
शिवचरण उटमालिया नेे पेश किया -रोने घोने से फायदा क्या है,
बुलबुला एक जि़न्दगानी थी।।
नशिस्त का संचालन इकबाल फ़ज़ा ने किया
एवं सभी का शुक्रिया अदा मेजवान केप्टन सत्तार आजाद ने किया।
आगामी तरह मिस्रा ‘लब तरसते हैै हमारे मुस्कुराने के लिए’
दी गयी है।
खबरनबीस- राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
अध्यक्ष म.प्र.लेखक संघ,टीकमगढ़,
मोबाइल-9893520965,
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