Rajeev Namdeo Rana lidhorI

सोमवार, 19 अक्तूबर 2020

नवरात्रि महत्व-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़


 नवरात्रि कौ महत्व (बुंदेली आलेख संकलन) 
 संपादक-राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़



संपादक राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
कापीराइट राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
प्रकाशन तारीख-16-10-2020
पता- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़ (मप्र) भारत मोबाइल- 91+9893520965





नवरात्रि कौ महत्व (बुंदेली आलेख संकलन) -  
संपादक-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
प्रस्तुति- जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
            एवं मप्र लेखक संघ टीकमगढ़

अनुक्रमणिका

1-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़
2-कल्याण दास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर
3-डी.पी. शुक्ला, टीकमगढ़
4-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
5- अभिनन्दन गोइल, इन्दौर
6-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ 
7-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,
8- मीनू गुप्ता टीकमगढ
9-शोभाराम दांगी इंदु, नदनवारा

1**राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*

आलेख-नवरात्रि कौ महत्व*

   - *राजीव नामदेव राना लिधौरी, टीकमगढ़*

साल के पैलों मास अर्थात चैत्र में पैली नवरात्रि होत है। चौथे मइना आषाढ़ में दूसरी नवरात्रि होत है। ईके बाद अश्विन मास में प्रमुख नवरात्रि होत है। इ तरां से साल के ग्यारहवें मइना अर्थात माघ में सोउ गुप्त नवरात्रि मनावे कौ उल्लेख अरु विधान देवी भागवत व अन्य धार्मिक ग्रंथन में पढ़वे मिलत है।
ई साल 2020 में 17 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरु हो रई हैं. ऐसे में जनी-मांसन  ने घरन में पूरी तैयारियां  कर लई हैं। नवरात्रि कौ हिंदू धरम में भौत महत्व होत है। नवरात्रि के 9 दिना में माता दुर्गा के 9 स्वरूपन की पूजा करी जात है. ई समै लोग 9 दिनों तक व्रत रखत हैं और अष्टमी,नमे,दसे, के दिना कन्याऔं को भोजन ख्वात हैं। उनै देवी कै जैसे पूजौ जात है। नवरात्रि के पैला दिना माटी के बासन में जौ बोए जात हैं.जिये खप्पर कैइ जात है। जौ कौ भौत अधिक धार्मिक महत्व होत है। धार्मिक महत्व होवे के संगेइ इसे सेहत पै भी काफी नोनो प्रभाव पड़त हैं।

*नवरात्र के पाछे कौ वैज्ञानिक-*

नवरात्र के पाछे कौ वैज्ञानिक आधार जो है कै पृथ्वी द्वारा सूरज की परिक्रमा काल में एक साल की चार संधियां हैं जीमें से मार्च व सितंबर मइना  में पड़वे वाली गोल संधियों में साल के दो मुख्य नवरात्र पड़त हैं। इ टैम पै बन्न बन्न के रोगाणु आक्रमण कौ सबसें जादा संभावना होत है। ऋतु संधियों में अक्सर पे शारीरिक बीमारियां बढ़त हैं। इसे इ टैम पै खान पान कौ भौत ध्यान राखने परत है।

*नवरात्र  कौ धार्मिक महत्व-*

नवरात्रि हिंदुओं कौ एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक संस्कृत शब्द है, जीकौ अर्थ होत है 'नौ रातें'। न नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन दशहरा के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है। पौष, चैत्र, आषाढ, अश्विन प्रतिपदा से नवमी तक मनाया जाता है।
इन नौ रातन अरु दस दिनन के समै शक्ति / देवी के नौ रूपन की पूजा करी जात है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जीये पूरे भारत में भौत उत्साह के संगे मनाऔ जात है। बंगाल में तो भौत नोनौ दरबार घरन -घरन सजत है।

*नवरात्रि की नौ रातों में तीन देवियों-* 
महालक्ष्मी जू, महासरस्वती जू या सरस्वती जू और दुर्गा जू के नौ स्वरुपों की पूजा होत है जिने नवदुर्गा कत हैं। इन नौ रातन अरु दस दिनन के समै, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा करी जात है। दुर्गा कौ मतलब जीवन के दुख कॊ हरवेवाली होत है। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जीये पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जात है।

*नौ देवियन के नाव :-*

*शैलपुत्री* – इकौ अर्थ- पहाड़ों की
 पुत्री होत है।
*ब्रह्मचारिणी* –इकौ अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
*चंद्रघंटा* – इकौ अर्थ- चाँद की तरां चमकने वाली।
*कूष्माण्डा* – इकौ अर्थ- पूरौ जगत उनके पैर में है।
*स्कंदमाता* –इकौ अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
*कात्यायनी* – इकौ अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
*कालरात्रि* – इकौ अर्थ- काल कौ नाश करने वली।
*महागौरी* – इकौ अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
*सिद्धिदात्री* – इकौ अर्थ- सर्व सिद्धि देवे वाली।
शक्ति की उपासना कौ परब शारदीय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाऔ जा रव है। सबसे पैला श्रीरामचंद्र जू ने इ शारदीय नवरात्रि पूजा कौ प्रारंभ समुद्र तट पै करो तो अरु बाद दसवें दिन लंका विजय के लाने प्रस्थान करो हतो और विजय प्राप्त करी ती तब से असत्य, अधर्म पै सत्य, धर्म की जीत कौ परब दशहरा मनाऔ जान लगौ। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में क्रमशः अलग-अलग पूजा करी जात है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति कौ नाव सिद्धिदात्री है। ये सभई तरां की सिद्धियाँ देवे वाली हैं। इनकौ वाहन सिंह है अरु कमल पुष्प पै ही आसीन होत हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना करी जात है।
*जय माता की*
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*आलेख- राजीव नामदेव "राना लिधौरी"*
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
*टीकमगढ़ (मप्र)*
मोबाइल 9893520965
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2-कल्याण दास साहू "पोषक", पृथ्वीपुर


--- ---- वैज्ञानिक दृष्टिकोण से नवरात्रि कौ महत्व ---

कौनउँ भी परब होवै ऊकौ हर दृष्टि सें महत्व होत है । जे महत्व सामाजिक भी होत , धार्मिक भी होत , वैज्ञानिक भी होत और अबतौ राजनैतिक भी होन लगे ।
परब हर नजरिये सें महत्वपूर्ण हैं । 
नवरात्रि परब भी पूरे देस में भौत उत्साय सें मनाव जात । बुन्देलखण्ड में भी बडे़ धूम-धाम सें नवरात्रि परब मनत है । येइ खों नौदुर्गा के नाव सें जानौं जात ।
नवरात्रि कौ वैज्ञानिक महत्व भौत जादाँ है । नौ दिनन तक सबके विचार पवित्र रत , भौत आस्था रत । 
प्रातकाल सें उठवौ , स्नान-ध्यान करवौ , दरसनन खों जावौ ! जे सब स्वास्थ के लाने अच्छे होत ।
शरीर में आलस नइं रत । 
खानपान भी सुद्ध रत जी सें बीमारियन सें बचे रत ।
भावना , विचार , मंसा सबइ में पवित्रता आ जात , सुद्धता आजात जी सें आत्मबल मजबूत होत । हमाई आदतन में निखार आजात । परिवार में सुख-शान्ति बढ़त । आचार-विचार अच्छें हुइयें तौ निश्चित है संतान भी अच्छे गुण अपनाय ।
ई तराँ सें नवरात्रि कौ वैज्ञानिक महत्व भौत जादाँ है ।

   --- कल्याण दास साहू "पोषक"
      पृथ्वीपुर जिला निवाड़ी मध्य प्रदेश
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3-D. P. Shukl,, Sara's,, .


हमाय भारत देश में सबई त्यौहान कों भौतई धूम धाम सें मनाव जातई है! 
नवरात्रि के दिनन में हिन्दू रीति रिवाज से महिला पुरुष उपवास आरंभ करकें आस्था के मंदिर में जगदंबा महारानी की पूजई अर्चना करके भजन कीर्तन करत रात !
नवरात्रि के दिनन में मूर्ति पूजा कौ भौतई महत्व है! 
जगत मे जगदंबा महारानी मे पार्वती के स्वरूप के दर्शन करत रत, औरई आस्था की भावना से अोत पिरोतई होकें मॉता जगदंबा महारानी की अराधना सोउ करत रात! 
नवरात्रि के दिनन में नौ दिनन तक  उपासे रैकें नवरात्रि में जागरण कराउत जात जीमें मॉ के स्वरूप के दर्शन करकें अपने कों धन्य मानत रत! 
औरई मॉ के आशीर्वाद की कामना के साथ साथई उपवास करेंसेंई तन औरई मनईं शुद्धि होेत रत, नवरात्रि के चमत्कारन सें मॉ जगदंबा की अराधना आस्था के मंदिर में सुशोभित होकर पवित्र मन से करतई रत, जीसें मनोकामना के लिए उनसे नवरात्रि में जबारे बोकर उनकी मांतरा करत है! 
औरई मनोकामना पूर्ति करके नवरात्रि में मॉ के गुणगान होकें नवरात्रि के महत्व कौ औरई बढ़ाउत रात! 
औरई देवी मूर्ति पूजा विधि विधान सें करकें अपनी आत्म शॉति कोंई पाकें अपने कों भौतई धन्य मानत रत! 
नवरात्रि में माता बहिनों की अराधना पूजा जल अर्पण कर करत रतीं, जीसें मन वाँछित फलई की प्राप्ति सोउ होत है! 
अत्याचार का अंत करवे वारी मॉ ने कष्टों से उवारा है, और जन मन के पावन पवित्र आत्मा को संजोया है, यही कारन नवरात्रि के महत्व की पराकाष्ठा कोई बल देत भव है!! 
तबई नवरात्रि कौ भौतई महत्व होत है!
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4-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़


नवरात्रि परब कौ महत्त
 और असीसें बरसाउतीं,जगतभर की जननी जगदम्बा सब कौ ध्यान राखतीं, और हम सब सोउ उपासे रै कें उनकी सेवा पूजा करत और फूल न‌इं तौ पखरी तौ अरपन करत‌इ हैं।बिटियां नौरता खेल कें देवी जी की पूजा करतीं।
 भैया जौ त्योहार अपन खों उत्साह और उमंग सें भरदेत।उपास सें हमाये पेट सम्बन्धी बिकार ठीक हो जात,चरबी सोउ पिलग कें कम हो जात सो मोटापौ और कौलिस्ट्रौल कम होन लगत।बसकारे में तरा तरा के सूक्ष्म जीव पैदा होत सो बे हवन करें और होंम के धुंआं सें खतम हो जात। 
   ई त्योहार कौ सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व सोउ भौत है,जबारे बये जात सो पूरौ गांव जुरत देवी जू के जस भगतें गाबे।जबारन की बड़ी नोंनीं शोभायात्रा निकरत, देवी जू के स्थानन पै मेला भरत,जबारे खोंटबे दल के पोंचत,बेइ जबारे आपस में एक दूसरे खों दै कें मिलत भेंटत।
परमा दोज खों बै दये जबारे,नमें दसें खों कड़ जाने। सब खों देखत रै जाने।
बोलो महिषासुर मरदिनी मैया की जय


-प्रभुदयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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5- अभिनन्दन गोइल, इन्दौर

योग साधना कौ महापर्व - नौ दुरगा
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आदि शक्ति की साधना कौ महापरब नौ दुरगा(नव रात्रा)भारत में प्राचीन काल सें चलो आ रऔ। पने देस की धरम-प्रान 'संस्कृति' कौ जौ परब आदि शक्ति माँ दुरगा के नौ रूपन की साधना कौ परब है।देवी सूक्त में माँ दुर्गा के नौ रूप औ उनकी साधना विधि कौ भौत अच्छौ वरनन आऔ है। माता के जे नौ रूप हैं- शैल पुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी औ सिद्धिदात्री।नौ रात्रि में प्रतिदिन एक-एक शक्ति की साधना कौ विधान है।
      कैलास परबत की सुता माँ शैलपुत्री की योग साधना सें अपनी चेतना खों दिव्यता कौ भान होत है। माँ ब्रह्मचारिणी कौ मतलब है, समूचे ब्रह्मांड में समाई भई आदि शक्ति। इनकी साधना में सब तरफै बरहमेस रैबे बारी ऊर्जा कौ आवाहन करो जात।इनकी भक्ति सें मन सकारात्मकता सें भर जात।
       माँ चंद्रघंटा की साधना सें दिव्य जीवनी शक्ति कौ उदय होत है।मन में सकारात्मकता आउत है।माँ कूष्माण्डा की साधना सें कूष्माण्डा(कुम्हड़ा/कद्दू) जैसी ' वर्तुलाकार विशाल ऊर्जा' साधक के भीतरै समा कें उयै  वाहरी औ भीतरी नकारात्मकता सें मुक्त कर देत।
      माँ स्कन्दमाता की साधना, साधक की बुद्धि, व्यौहार कुसलता औ इच्छा शक्ति खों बढ़ा देत।ई सें साधक के व्यौहारिक ज्ञान के संगै विवेक औ क्रियाशीलता में बढ़ोत्तरी होत है। माँ कात्यायनी की साधना सें सूक्ष्म जगत में व्याप्त नकारात्मक भावना थम कें सकारात्मकता कौ संचार होन लगत। माँ कात्यायनी के रूप की साधना , साधक खों ज्ञान और वैराग्य प्रदान करत है।
       अलौकिक सौंदर्य सें भरे माँ गौरी के रूप की साधना सें साधक के भीतर दिव्य प्रकास कौ अनुभव होंन लगत। अंतिम दिन माँ सिद्धियात्री की साधना सें साधक की कार्यक्षमता बढ़ जात औ ऊ के व्यक्तित्व कौ संपूरन विकास हो जात।
      नवरात्र की साधना में साधक के लानें यम, नियम, व्रत-उपवास सें अपनी सूक्ष्म औ स्थूल कर्मेन्द्रियन खों शुद्ध करबे कौ सुनहरौ औसर मिलत है।आतमा के अनुशासन औ सोधन कौ जौ अच्छौ मौका होत है।  चैत  नवरात्र  कौ समापन रामनवमी परब खों होत है जो हमें मान, मत्सर जीत कें मर्यादित जीवन जीवे की प्रेरना देत रत।
                     स्वरचि -अभिनन्दन गोइल,इंदौर
                                           
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6-सियाराम अहिरवार,टीकमगढ 

🔥नौ दुरगन में आस्था के🔥
🌾प्रतीक हैं जबारे 🌾

बुन्देलखण्ड में नव दुर्गा के त्योहार कौ भौतई महत्व है ।काये सें कै साल में दो बेर नौं दुरगन कौ त्योहार परत ।चैत की नवें औ क्वांर की नवें । दोई बेर जबारे बये जात ।परमा के दिना खात औ जबा कौ बीज फुला देत औ शाम खों जबारे बैबे कौ बुलउआ दै देत जीसें सब पुरा मुहल्ला बाये मिलकें मिट्टी के घड़न में जिनें घट औ खप्पर कई जात उनमें जबारे बउत ।औ गेरा मेड जैसी बनाकें ऊपै सोऊ जबारे बै देत जियै क्याई कत ।संगै संगै ढाल ,लागौडे़ की गेंद ,भैंसासुर के दोंना सोऊ बये जाज ।
पाँचवे दिन पाँचें की छोटी आरती औ आठवे दिन आठें की बडी़ आरती निकरत ।औ नवे दिन पूरे दिन होबे के कारन बडे़ धूमधाम सें जबारे निकारे जात ।नौई दिन देवी जी की भक्तें ,भजन भाव औ 
तरह तरह के मनोरंजन होत रत ।
जो इन जबारन की सेवा करत उऐ पंडा कई जात ।जो नोई दिना उपासौ रैकें जबारन की सेवा करत ।नोंवे दिना शोभायात्रा में आगें आंगे भजनी भक्ते गावे बारे चलत औ बीच में ढाल छिकत जात ।जगह जगह देवी होंमत जात जितै नावतन खों बाबा जू भरत जो सब खों रक्खया देत जात ।औ कैऊ उन में सें सांगें छेद कें चलत जात ।नदी , ताल पै लै जाकें जबारन कौ बिसर्जन कर दऔ जात ।वापिस आकें क्यारी खोट कें देवी देवतन की औ माँ दुर्गा की पूजा करकें समापन कर दऔ जात ।
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आलेख -सियाराम अहिरवार,टीकमगढ 
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7-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा,


 नव रात्रि का धार्मिक एवम् बैज्ञानिक महत्व...
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।।नवरात्रि कौ धार्मिक महत्व।।
जब राम और रावण की लड़ाई चल रयी ती तौ राम जी  ने देखो के अब रावण कौनौ तरा सें हम सें हार नयीं रव,और हम ई खों मार नयीं पा रय,तौ देवतन नें श्री राम जू खां सला दयी कै अब अपुन खों एक काम करने आय।आप शक्ति अवतार श्री दुर्गा जू की 9दिन उपासना करौ,दसय दिन 
रावण कौ बध शक्ति के बल सें कर सकत।तब श्री राम जू ने नौ दिन शक्ति के नौ रूपन की पूजा बिधि बिधान सें करी तब दसय दिन रामजू ने रावण खों मार पाव।तबसें नौ दिन की नव दुर्गन की पूजा होंन लगीऔर दसय दिन दशहरे खां रावण बध की परंपरा बनी,जीखों अपुन विजया दसमी के रूप में मनाउत चले जा रय।
सब हिन्दू परिवार तब सें नव दुर्गा मनाउन लगे।
चैत में श्री राम चंद्र जू कौ जनम भव सो शक्ति अवतार श्री सीता जू जब विवाह होकें अयोध्या आंई तब सें चैत की नव दुर्गा नौ दिन पूजी जान लगीं।
नव दुर्गा कौ बैज्ञानिक महत्त...
क्वांर के महीना में नव दुर्गा  होतींऔर जबयीं वर्षा रितु कौ अन्त होत ,वातावरण भौत दूषित होत नवदुरगन सें हवन होवे सें वातावरण शुद्ध हो जात जितने रोगन के जीवाणु वातावरण में पनपत बे सब खतम हो जात।जबयी सें साफ सफाई लिपाई पुताई छपाई सब करी जात ईसें
पर्यावरण प्रदूषण समाप्त हो जात।साल भर के लाने फिरसे साफ पर्यावरण बन जात।

।।मौलिक एवम् स्वलिखित।।
।।राम कथा से साभार।।
जयहिन्द सिंह जयहिन्द
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8- मीनू गुप्ता टीकमगढ


-नवरात्रि की सभी को शुभकामनाएं एवं बधाई

नवरात्रि में नवदुर्गा नव रुप धरे
हर रुप की अपनी महिमा निराली है
कुछ शब्द नहीं है माँ का गुण गान करू
शैल पुत्री तुम प्रथम कहलाती
हिम राज की शुता कहलाती
दितीय बह्मचारिणी हो तुम
दुखियों की दुख हारिणी हो तुम
चंद घंटा तीसरा रुप हे माँ का टुशट भय खाते सारे
कुशमांडा तेरा अनोखा रूप है माँ
पंचम सकनंद माँ कहलाती
कातिकेय के संग पूजी जाती
छठवां रुप कातयानी माँ का कालरात्रि तेरा वो सवरुप माँ
जिससे दुनिया है डर जाती
आठवें रूप में महागौरी माँ है
सबसे सुंदर रुप में माँ है
नवसिदी दाता हो माँ तुम तेरे नाम रूप निराले
तुम सब रूपो में सुख समृद्धि देने वाली
माँ तुम को शत् शत् नमन्
-मीनू गुप्ता टीकमगढ
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9-शोभाराम दांगी इंदु, नदनवारा




1 टिप्पणी:

ऊँ. ने कहा…

जय माता दी