Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शुक्रवार, 23 अक्टूबर 2020

दसरय कौ महत्त्व (बुंदेली आलेख)- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

दसरय की राम राम
*आलेख- दसरय कौ महत्व*

                  *- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", टीकमगढ़*

दसरय हिन्दू धरम कौ प्रमुख त्योहार मानो जातहै। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस त्योहार कौ बुराई पे अच्छाई की जीत अरु असत्य पै सत की विजय के रूप में मनाऔ जात है। बुराई कौनऊ भी रूप में हो सकत हैं जैसे- क्रोध, असत्य, बैर,इर्षा, दुःख, आलस्य आदि।  कौनऊ भी आतंरिक बुराई को ख़त्म करवौ भी एक आत्म विजय हैं और हमें प्रति बरस अपने में से इ तरा की बुराई कौ मिटा कै  विजय दशमी के दिना इकौ जश्न मनाव चाइए, जीसें एक दिना हम अपनी सबई इन्द्रियन पै राज कर सके।
 हर साले जो परव आश्विन मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिना मनाऔ जात है। पूरे देशभरे में दसरय के दिना रावण के पुतले को भारबै की परंपरा रइ है। रावण भौतइ ज्ञानी हतौ,पै अभिमान की वजह सें ऊकौ सर्वनाश भऔ। 
ऊसें तो दसरय कौ त्यौहार देश भरे में मनाऔ जात है पै मैसूर अरू  कुल्लू कौ दसरय तो दुनिया भरे में मशहूर है। नवरात्रि के नौ दिनन बाद दसे  दिना देश के हरेक कोनन में रावण दहन और मेलन कौ आयोजन होत है रामलीला करी जात है।
आजई के दिना श्री राम जू ने 9 दिनन की लड़ाई के बाद दानव राजरावण को मार डारो अरु रावण की कैद से अपनी पत्नी देवी सीता जू खौं मुक्त कराऔ हतो। इ दिना देवी दुर्गा जू ने राक्षस महिषासुर को मार डारो तो, अरु एइसें ये आज भी विजयदाश्मी के रूप में मनाऔ जात है। लोग प्रार्थना करत हैं अरु आज भी देवी दुर्गा से आशीर्वाद मांगतक्षहैं। ऐसौ मानौ जात है कै भगवान श्री राम जू ने देवी दुर्गा जू की शक्ति के लाने प्रार्थना करीती । भगवान राम जिन 108 कमल से प्रार्थाना कर रयते उसमें सें एक कमल हटा दव जी के साथ वह प्रार्थना कर रयते। जब श्री राम जू उनकी प्रार्थनाओं के अंत तक पौचे अरु महसूस करो कै एक कमल गायब हतो, तो उनने अपनी आंखन को काटवो शुरू कर दव (काय सें उनकी आंखें कमल कौ प्रतिनिधित्व करत हैं और उनके लाने एक और नाव कमलनायन है) अपनी प्रार्थना पूरी करवे के लाने । जीसे देवी उनकी भक्ति से प्रसन्न थीं और रावण पै उने विजय दयी।
दसरय  कौ महत्व इके धार्मिक मूल्य में है। यह हमें बुराई पै अच्छाई की जीत सिखात है।  सीखवे वारे पंडित रामायण की कानियों को पढ़त हैं। लोग इने भौत आदर अरू सम्मान के साथ सुनत हैं। लगभग हर शहर में, राम लीला कैऊ  रातन के लाने करी जात है। हजारों लोग इकौं आनंद लेवे केसुनवे अरु देखवे के लाने जात है।
आज कै समै दसरय कौ  रूप भौत बदल गव है।अब जौ त्यौहार अपनी वास्तविक्ता से अलग जाकै। आधुनिक रूप ले रय हैं, जीसे इके महत्व को कउ न कउ कम कर दव हैं| 
जैसे- दसरय पै एक दुसरन के घरै मिलवे जजीकेवे कौ चलन हतो, पै अब जौ चलन रिवाज मोबाइल कॉल अरु इंटरनेट मेसेज कौ रूप ले चुकौ हैं।
पैला कें समै रीते  हाथ नइ जातते थे, एइसें शमी पत्र संगे ले जातते, लेकिन अब इके बदले मिठाई अरू उपहार ले जान लगे है। जीके कारण जो फिजूल खर्च के संगे प्रतिस्पर्धा कौ त्यौहार बन गव हैं।
रावण दहन के पछाई उ पौराणिक कथा को याद रखौ जाततो, जीसे एक सन्देश सबई को मिले कैं अहंकार सर्वनाश करत हैं, लेकिन अब तरां- तरां के पटाके फोड़े जात हैं, जीके कारण फिजूल खर्च बढ़ गव हैं। संगेई  प्रदुषण की समस्या बढ़त जा रई हैं अरु दुर्घटनायें सोउ बढत जा रइ हैं।
इ तरां सें आधुनिकरण के कारण त्यौहारों कौ रूप बदलत जा रव हैं अरु कउ न कउ आम नागरिक इने धार्मिक आडम्बर कौ रूप मानकै इनसें दूर होत जा रय हैं। इनकौ रूप मनुष्यों ने ही बिगाड़ौ हैं। पुराणन के अनुसार इन सबई त्योहारों कौ रूप भौत सादा हतो। उमे दिखावा नइ बल्कि ईश्वर के प्रति आस्था हती।. आज ये अपनी नींव से इतेक दूर होत जा रय हैं कै मनुष्य के मन में कटुता भरत जा रई हैं। मनुष्य इने वक्त अरु पैसन की बर्बादी के रूप में देखन लगौ हैं।
 हम सबइ कौ इ वास्तविकता को समझ कै सादगी के रूप में त्यौहारों को मनाव चाइए। देश की आर्थिक व्यवस्थता को सुचारू रखने में सोउ त्यौहारों कौ विशेष योगदान होत हैं एइसें हमें सबई त्यौहार मनाव चइए।
                 *जय राम जी*
*आलेख- राजीव नामदेव "राना लिधौरी", 
संपादक आकांक्षा पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
टीकमगढ़ (मप्र)* मोबाइल-9893520965

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