💐😊झमा (चक्कर आना)😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की प्रस्तुति 76वीं ई-बुक
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 24-11-2021
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06- जय हिन्द सिंह जयहिंंद,पलेरा,जिला टीकमगढ़
07-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़(म.प्र)
08-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
09-डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल (म.प्र)
10-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
11-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
12-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
13-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
14-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (म.प्र)
😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक *ग्यास (देव उठावनी ग्यारस) 76वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 76 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 76वीं ई-बुक "झमा (चक्कर आना)" लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय- "झमा (चक्कर आना)" पर सोमवार दिंनांक-22-11-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।
अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-24-112021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-9893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बुंदेली दोहा-बिषय-झमा
*1*
झलक दिखातइ झूम कें
पायल की झंकार।
झमा आ गये सुनतई
करदी ब्याव नकार।।
***
*2*
दाम सुन झमा आत है।।
मैगाई की मार।
गरीब मरोइ जात है।
रोटी की दरकार।।
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक -'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई-पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मौलिक एवं स्वरचित)
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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
*बिषय..झमा
22.11.2021
*प्रदीप खरे,मंजुल*
*******************
साग के भाव बढ़ गये,
सुनत झमा आ जात।
चटनी सै भोजन कहू,
बिना खांय रै जात।।
2-
दाम दिन दूनें बढ़हीं,
जिया चैन ना पाय।
झमा सुनत खा जात हैं,
जानें कांसें लाय।।
3-
बिना तेल कैसें रहें,
झमा खात सुन भाव।
डायन मंहगाइ डसै,
आव देखकें ताव।
4-
गोरी गठयानौ वदन,
चउअर नैन चलाय।
जो निरखें गोरी नयन,
बौइ झमा खा जाय।।
5-
लत लगा लई पिया नें,
पियन कलारी जात।
पउआ पीकें डर रबैं,
उठत झमा है आत।
***
****
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔
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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
😊झमा😊 💐👌(चक्कर)👌💐
*!*!*!*!*!*!*!*!*
खड़ी फसल पै जब गिरी,
ओरन कि बौछार।
झमा खा गये देख कें,
परी पेट पै मार।।
पानी सें बिछ गइ फसल,
सर गय उरदा खेत।
खाकें झमा गिरो किसन,
हो गव तुरत अचेत।।
माउठ में बिछ गइ फसल,
जौ कुदरत कौ काम।
देख झमा खा कें गिरे,
गये गांठ के दाम।।
ढांड़े होतन कपकपी,
चढ़त झुनझुनी तेज।
झमा बुढापे की खबर,
बड़ी सनसनी खेज।।
झमा आव भौजी हमें,
जब झन्नाटेदार।
झरबेरी से निगुर गय,
सब माथे के बार।।
खा कें झमा गिरे जितै,
जे कविवर नादान।
लँय ते झोला में उतै,
खाबे कौ सामान।।
*!!*!*!*!*!*!!*
-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
🙏बुन्देली दोहे,विषय-झमा(चक्कर)🙏
********************************
खबर मिली माँ बाप खाँ,बेटा रै गव खेत।
बाप झमा खा कें गिरो, मैया भयी अचेत।
पति आये ताबूत में, मच गव हाहाकार।
धीरज खो,खा गइ झमा,वर शहीद की नार।
झेले जीवन भर झमा, हो गय बार सुपेत।
कब आहै अंतिम झमा,कोउ खबर नइं देत।
सिर में आई चोट सें, झमा आत तत्काल।
बिना हैलमिट गिरे सें, कइयक मरे अकाल।
कत मिर्गी के रोग में, लखतन पानी आग।
झमा खात है रोगिया, निकरत मौं सें झाग।
*********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी(म.प्र.)
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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
बिषय ="झमा " ( चक्कर आना)
बुंदेली दोहा
1=
कभी -कभउं आये झमा ,कमजोरी जो होय ।
तन मन सैं बीमार हो ,ऊखों चक्कर होय ।।
2=
फसौं मुसीबत में कऊं, झमा उनें आ जात
बचवौं मुश्किल कौ परवै, दिल पर हो आघात ।।
3=
तन में होवै कमजोरी, दिल भी हो कमजोर ।
अनहोनी सुनतइं गिरैं, धरनी पै कर जोर ।।
4=
कैकई ने वर मांग लय, धरैं हती सौगात ।
सुनतइं दशरथ धरन गिरे, झमा आव भव घात ।।
9
5=
कैउ जनन खाँ आत हैं ,चक्कर कभी कभार ।
बीमारी जा होत है, परै न ईकौ पार।।
***
मौलिक एवं स्वचित रचना
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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06-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
#सलाह पर दोहे#
#1#
वह सलाह ना मानिये,जिनकी मिलै न थाँह।
राह धराबें जो भली,थामों उनकी बाँह।।
#2#
लो सलाह सबकी भली,बैठा सब परिवार।
काम कभी बिगड़े नहीं,मिले सभी से प्यार।।
#3#
लेबै विधिक सलाह जो,चुनियें कुशल बकील।
सारा प्रकरण समझ कर,काटे जैसे कील।।
#4#
तवियत हो नाजुक अगर,लीजे तुरत सलाह।
योग्य चिकित्सक राखिये,चलिये सीधी राह।।
#5#
सैना नायक राम के,जामबंत शुचि शान।
सलाह राम को दी भली,रहे गुणों की खान।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगढ़#
#मो0 6260886596#
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ
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07-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय झमा
करो चुकौता साव ने,गइया लइ डुरयाय।
देखी सूनी सार सो , हमें झमा सौ आय।।
बिटिया देरी टींक कें ,चली पिया के देस।
आरव झमा मताइ खों,मन में भारी ठेस।।
जे माउठ के बादरा ,रै रै कें खरयायं।
निठुर पिया परदेस में ,झमा जनीं खों आंयं।।
खूब झमाझम बरसबें,जे माउठ के मेह।
बिबस बिचारी बिरहनीं,झमा खात कृस देह।।
गोरी गोरा गांव की ,गजब गुलाबी गात।
अखियां चकचुंधियात हैं,देख झमा सौ आत।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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08-संजय श्रीवास्तव, मवई
*सोमबारी बुंदेली दोहे*
विषय - *झमा* (चक्कर)
*१*
तेज झमा कउं आय अरु,
बदन पसीना आय।
सीना में तड़कन उठे,
हृदयाघात कहाय।।
*२*
झूम झमाझम झूमले,
जब तक तन में प्रान।
झमा एक दिन आएगा,
बिखर जायगी तान।।
*३*
ब्याव खों बिटिया खड़ी,
सोच झमा आ जाय।
ढेला नइंया जेब में,
मौत मोय खा जाय।।
*४*
दुख बरसत है झमाझम,
तकलीफन को ढेर।
झमा आय सुनकेँ व्यथा,
ब्यादन को जग फेर।।
*५*
आओ झमा कक्का गिरे,
सुन तरकारी रेट।
कैउ दिना सें सोरओ,
घर भर भूखे पेट।।
***
संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली
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9-डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
दोहे विषय 'झमा'
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
1 लड़का बारे मांग रए,
आज दहेज बिलात।
मोड़ी के मां बाप खों,
सुने झमा आ जात।।
2 कोरोना के काल में,
ऐसी दहशत आत।
कोरोना हो गौ सुनै,
तुरत झमा आ जात ।।
3 झमा झपा झट आत हैं,
नइयां कछू उपाय।
सोस समझ के जब रहै,
कबउं झमा ना आय।।
4 केकइ ने वर मांग लै,
राम चंद बन जाएं।
दशरथ जू ने सुन लई,
झमा खाय गिर जाएं।।
5 लरका गिर रै खा झमा,
रोजगार है नाय।
पने चुनाव करा लये,
ठलुआ अब कां जांय।।
6 नन्ना बूढ़े हो गये,
कबउं झमा ना आत।
अब मरबे के डरन सें ,
झमा खांय गिर जात।।
✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️
✍️ - डॉ रेणु श्रीवास्तव, भोपाल
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10-अमर सिंह राय,नौगांव जिला-छतरपुर
बुन्देली दोहे - विषय- 'झमा'
सोमवार- (22/11/2021)
हमैं कछू नईं चाउने, लरका बारे कात।
सुनतइ माँग दहेज की, तुरत झमा आ जात।१
दूध, तेल, तरकारियाँ, पइसन बारो खात।
हमखाँ भाव बजार के, सुनत झमा सो आत।२
किये कराए पर अगर, जब पानी फिर जात।
कुंठा अरु अवसाद हो, कबहुँ झमा आ जात।३
बहुत देर बैठे रहो, तुरत खड़े हो जाव।
ऐसो नहिं करियो भलां, झमा नहीं खा जाव।४
कमजोरी कारण कभउँ,-कभउँ झमा आ जाय।
बेर - बेर जो होय तो, तुरत बैद ढिंग जाय।५
***
✍️अमर सिंह राय,नौगांव
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*11*-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
*बुन्देली दोहा - विषय झमा*
हर दिन दूनो चौगुनो, झमा झूठ को भार !!
मजबूत हमें उतनइ करै, बढ़ै सत्य हर बार!!
माथे पै घुस जात है, चापलूस की बात!!
एन झमा आ जात है, सुन झूठे जजबात!!
झूठ, चुगल या चोरियां, धरपकरी जब जाय!
ऐसो आउत झमा तबै, जी सबरो मचलाय!!
***
-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
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12-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
सोमवारी बुंदेली दोहे
विषय,, झमा
कोउ करत तो दान सो
देखो नजर पसार।
आव झमा भोंरी भरी
मिट रव साहूकार।।
,,
मेला में बिचकत फिरों
हंसके हेरत नार।
मोय झमा खोँ थमा कैं
कड़ गइ मार कटार।।
,,
बंद रुपइयन की सुनी
लगी बैंक लो लेन।
झमा आय भूकों हतो
जिया मैं रव न चैन।।
,,
फेर मेर मैं पारकें
चली धना ससुरार ।
भेंचुक यानो झमा सें
देखत निगत कहार ।।
,,
खाद की मची लूट है,
फिर रय रोय किसान।
आव झमा धरती गिरे
आफत मैं भय प्रान।।
***
-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
13--बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
1-मेघनाद में पवन सुत,
दव मुष्ठिका मार।
झमा खाय धरनी गिरो,
सै नई सको प्रहार।।
2-वर्षा की वेरुखि ने ,
दव सब काम बिगाड़।
आ रव झमा किसान खों,
है नुकसान अपार।।
3-खाये भोजन विष भरे,
खबवा दये जुझार।
झमा आव हरदौल खों,
वे गये स्वर्ग सिधार।।
4-कैक ई नै जब क्रोध कर ,
ले वरदान मगाय।
झमा खाय दशरथ गिरे,
वचन नई सह पाय।।
5-नौपरया "बृज" जब कबहुं,
लेय तमाकू खाय।
तन मन की सुध ने रवै,
उये झमा सौ आय।।
****
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
14-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
दोहा बिषय झमा
1 गोरी नारी नार के
गोरे गोरे गाल
झमा खात लरका गिरत
उम्मर सोरा साल ।
2 पनिहारी पानी भरत
झुमका चूमा लेत ।
गैलारे खाबें झमा
जो क उं मुसका देत ।
3 नैना कजरारे लगें
नैनन खों का दोष ।
देखतन इ आ गव झमा
भये कका बेहोश ।
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
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(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
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