Rajeev Namdeo Rana lidhorI

शनिवार, 4 दिसंबर 2021

'भड़या' (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)-संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़


        💐😊भड़या😊💐
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  77वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 04-12-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


  

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
 06-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़(म.प्र)
07-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
08-अमर सिंह राय,नौगांव, जिला छतरपुर
09-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
10-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
11-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
13-कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर,(उप्र)
14-एस आर सरल,  टीकमगढ़
15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
16*सरस कुमार,दोह खरगापुर
17*-रमा शंकर चतुर्वेदी,मउरानीपुर,(उप्र)
18*-अरुणा साहू रायगढ़(छत्तीसगढ़)
19*डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
20*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर       
21-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
22-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक भड़या (चोर) 77वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 77 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह 77वीं ई-बुक भड़या (चोर)"  लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय-  "भड़या (चोर)  पर सोमवार दिंनांक-4-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-4-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



*बुंदेली दोहा-बिषय-भड़या


*बिषय-भड़या*
*1*
भडू भड़याइ खों फिरे,
लुका लेत जो चाय।
भड़यन राते कौ जगे,
भुंसारे भिलसाय।।
***
*2*
करतइ भितरघात है,
दलबदलू से लोग।
भड़याई से भैंट ले,
कर पइसा कौ भोग।।
***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक-'अनुश्रुति' त्रैमासिक ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
(मौलिक एवं स्वरचित)


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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)

1-
भड़या भड़याई करें, 
जुरो धरो लै जाय। 
ग्यान न चोरी हो सकै, 
कितनउँ लियौ कमाय।।
***

2-
भड़या भड़याई करें,
धन दौलत लै जाय। 
ग्यान सदां जोरें रहो,
कभउँ न चोरी होय।।
3-
भड़यन के पर रय मजा,
नेता बन गय आज। 
कैऊ बन मंत्री गये, 
चला रये हैं राज।। 
4-
भइया बरके रव सदां,
कितउँ छाँव, कउँ धूप।
भड़या घूमें नगर में,
अलग- अलग हैं रूप। 
5-
छल प्रपंच कौ दौर है, 
नहिं काऊ कौ ठौर। 
भड़या भीतर नौ घुसे,
पंडित ठाड़े पौर।।
****
6
खूबइ भड़यन की परी, 
घुस रय तारौ टोर। 
जेबर सबरौ लै गये, 
सालन सैं रव जोर।।
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 



👌😊(भड़या) चोर😢👌
    
पोलें खुल गइ सबन की,
              भव दुनियाँ में शोर।
कोल कोल कें देश खों,
           खा गय भड़या चोर।।

फरफरात फिर रय सबइ,
              खूब लगा रय जोर।
राजनीत के तिकड़मी,
              सबरे भड़या चोर।।

पैलें भड़या चोर ते,
            फिर डाकू भय तेज।
अब नेतन की छपत है,
           खबर सनसनी खेज।।

जिननें अपने देश खों
            कोल कोल कें खाव।
वे भड़या फिर एक भय,
             हैं नजदीक चुनाव।।

ख़ूबइ लूटो देश खों,
                 हतौ लट्ठ में जोर।
सत्ता में नइ लौट रय,
              एकउ भड़या चोर।।

लूट लूट कें घर भरे,
               करौ देश कमजोर।
अब रो रय हैं बाप खों,
                  टोंटी चारा चोर।।

तारे चटके रात कें,
                  परौ भुंसरा कूत।
कण्डी सी उतरा गई,
            भड़यन की करतूत।।

अब नइ आओगे कभी,
               खूब लगा लो जोर।
हे घोटालों के जनक,
               भड़या चिंदी चोर।।

चोर उचक्का माफिया,
                 भड़या टोंटी चोर।
सत्ता में आवे फिरें,
             बड़े कमीशन खोर।।

कता कायदा बिगर गय,
               गुंडा भय शहजोर।
राजनीति में आ गए,
                जबसे टोंटी चोर।।

कता कायदा नइ हतौ,
                भोगौ जंगल राज।
चारौ खा भड़या कतइ,
                  देंगे तुमें सुराज।।

हो रव धन पै धिंगानों,
             खा रय टाटिया टोर।
गुंडा भड़या माफ़िया,
             और कमीशन खोर।।
         *!@!@!@!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)



भड़यन खाँ  भड़याइ कौ, 
चिखौ लगो है यैंन।
भड़यइ भड़या छीन रय,
जनता कौ सुख चैंन।।
***

✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा(म.प्र.)

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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



दैन उरानौं किशन कौ,
गई परौसन भोर ।
मूसल सैं मैंने बाँदौं, 
माखन भडया चोर ।।

***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़


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06-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़


बुंदेली दोहे   विषय - भडया

झरी फुकी साजी चलौ,देखी भाली गैल।
जी जांगां भड़या मिलें ,उत‌इं बैठ रव बैल।।


***
        - प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

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07-संजय श्रीवास्तव, मवई

*अप्रतियोगी बुंदेली दोहे*
   विषय- *भड़या*

*१*
भड़यन सें भड़या कहें,
       मनमानी कर लूट।
जब तक सत्ता हाथ में,
       खुल्लमखुल्ला छूट।।
*२*
भंडारे खों देख कें,
      भइ भड़यन की  भीर।
 जुर-मिल सबरे सूंट रय,
      माल पुआ अरु खीर।।
*३*
पढ़े-लिखे भड़या बड़े,
       पद पर हैं आसीन।
हाव-भाव में सज्जनता,
      चीन सको तो चीन।।
*४*
भड़या भड़याई करें,
         डाकू लूट-खसूट।
नेता इनके बाप हैं,
        इने लूट में छूट।।
*५*
भड़या सत्ता में डटे,
        उन्ना पैरें सेत।
करो काम की बात सो,
     कुतका पकरा देत।।
*६*
भलो मांस घर भीतरे,
       भड़या गश्त लगायँ।
सुनवैया बैरो ससुर,
    कीसें का कन जायँ।।
*७*
हर जगा सें चोरी की,
          देतीं खबर सुनाई।
लेखन में भी हो रही,
       कितउँ-कितउँ भड़याइ।।
       
       ***
      -संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली

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08-अमर सिंह राय,नौगांव जिला-छतरपुर




बुन्देली दोहे - विषय- 'भडया' 

माथे में की के लिखो, 
भड़या को नहिं रूप।
खद्दर - चद्दर  में  कई, 
वर्दी  भी  इक  रूप।।
**

भैया भड़यन से बचौ, 
रहो हुदकते सोय।
करौ भरोसो न कभऊँ, 
चाहे कोऊ होय।। 

पतो चलै नइं काउ को, 
भड़या है की साव।
ई  सें  सबसे  कै  रये, 
सबइ सँभर कें राव।। 

करत हते भड़याइ तब, 
अंधयारे में जाय।
अब तो लूटत चाय जब, 
उजियारे में आय।

तारो लगै शरीफ़ खों, 
दिख समझो नइं कोय।
भड़यन के लानें नहीं, 
मुश्किल कछुअइ होय।
           
***
                  ✍️अमर सिंह राय,नौगांव
                           
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9-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़


भड़या रय भड़याइ सें,
भड़या अब भगवान।                 
  भड़ू पेंड़  प्रमोद गओ, 
रखो भड़ा को ध्यान ।।                   
   ***                                 

                   -प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
                   

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10--बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर



भड़या कैये कोन खो, 
उनकी का पहचान।
चला चलो भड़याई को
 भड़यन से हेरान।।
***

-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

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11-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
 
दया धरम हिरदे नहीं,
जो हैं नीचट चोर।
समय पाय जे घुस परैं,
जैसें उजरा ढोर।।
                     - भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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-12-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
भडया फिर रय हर शहर,
गैल- गैल औ गांव।
चुरा लेत जो कछु विदै,
 देख दाख के दांव।।

-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी उप्र.

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13-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़
भड़या पिडे़ शरीर में , 
काम-क्रोध मद लोभ ।
जब तक बाहर ना कडे़ं ,
 बड़तइ रैहै क्षोभ ।।
***
 -कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़(मप्र)
      
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*14-एस आर सरल,  टीकमगढ़

भड़या भड़याई करत,
घर घर दहिरा खात।
कवै कितै काँ कन्इया,कूँद काँद पिड़जात।।
***
-एस आर सरल,  टीकमगढ़

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15-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
भडया भडयाई करे,
जां कउ सूनों पांय।
पीर उनें ना काउ की,
वे हराम कौ खांय।।
-रामानन्द पाठक नन्द,नैगुंवा
***
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*16*सरस कुमार,दोह खरगापुर
न सोच तुमारी उजरी, 
नहिं उजरे है काम।
भड़या तो भौतइ भये,
 नेक हते घनश्याम।।
***
-सरस कुमार,दोह खरगापुर

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*17*-रमा शंकर चतुर्वेदी,मउरानीपुर
मन भडया भीतर घुसो, 
चित्त हरे सतकाम।। 
कब ऊको को का करे,
 जाके हिये हैं राम।।

-रमा शंकर चतुर्वेदी,मउरानीपुर
***
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*18*-अरुणा साहू रायगढ़(छत्तीसगढ़)
भण्डरिया की कुचि मिला,
तारो देवे टोर।
भुन्सारे भडया दिखो
बँधो खुटी की डोर।।
***
-अरुणा साहू रायगढ़
***
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*19*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
भडया,जुठया,लंगुटया, 
जे नइं कभउँ अघायँ।
की के चूलें का चडो, 
घर घर ढूंकत रायँ।।

-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
***
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*20-*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर      
    
रातें भड़या फिर रये, 
जी कौ डर है मोय। 
चीज बसत नइँ लें भगें, 
जगते रइयो सोय।। 
***
-प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर                              
         ग्राम  - कैरुआ तहसील भितरवार 
***
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21-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
बड़े बुजुर्गन नै कही,
एक अनौखी बात।
जग में कोउ ना जग सकै,
जा भड़या की रात।।
***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द#
#पलेरा जिला टीकमगंढ#
#मो0  6260886596#
*
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22-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र

भड़या लड़या गव बिकट
जसुदा जू कौ लाल।
सूने घर घुस जात है
संगे लै कें ग्वाल।।
**
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र

                     भड़या (चोर)
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 77वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 4-12-2021



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