💐😊जनबा 😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की प्रस्तुति 82वीं ई-बुक
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 26-12-2021
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
07-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
09-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
11-कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर,(मप्र)
12-एस आर सरल, टीकमगढ़
13-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
14-*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर
15-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
16-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा
17-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
18-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
19-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
20-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर,
21-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक जनबा 82वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 82 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह जनबा 82वीं बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय- जनबा 82वीं पर शनिवार दिंनांक-25-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-41 हेतु पटल पर पोस्ट की गयी हैं। कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।
अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-26-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*अप्रतिगोगी दोहा-सप्लीमेंटी*
*बिषय-जनबा*
जानत वे तो कछु नई
उसई छाटत ज्ञान ।
जनवा बने दिखात है,
है फदाली महान।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
प्रतियोगी दोहा..जनबा
25.12.2021
*प्रदीप खरे, मंजुल
***********************
भुजी भांग जानत नहीं,
जनबा बनें महान।
लबरा ठोकत आपनी,
समझें अपनी शान।।
2-
जबरन जनबा बन गये,
जबर जबर सरदार।
ढोरन से नर्रात हैं,
चला रहे सरकार।।
3-
दो कोढ़ी की अकल है,
जनबा बन घुसयात।
आयैं बायैं ठोकत फिरें,
जानें का बतियात।।
4-
जनबा बनकें आ गयीं,
भोजन दऔ बिगार।
खीर बनाइ बाई नें,
हींग दयी है डार।
5-
जनबा जानत सब कछु,
जान लेत संसार।
ज्ञान ध्यान कौ रहत हैं,
जे अथाह भंडार।।
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔
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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
😊💐जनबा/जानकार💐😊
*!*!*!*!@!*!*!*!*
जीके घर की बेटियाँ,कतरें सबके कान।
ऊके घर जनबा हुए,आगे की संतान।।
होय गिरा बादा कछू,कै फिर छोत मशान।
पंडित जनबा होय तौ,तुरतइ करै निदान।।
जनबा तौ बैठे घरै,करें कोढ़ में खाज।
आरक्षण में खा रहे,गदा पंजीरी आज।।
राजनीत में वौ सफल,जो जितनों बदनाम।
ऐबी गुंडा माफ़िया,जनबा कौ का काम।।
नारी पै जी की पकड़,वौ जनबा है वैद।
रोग दोग ऊके मिटत,जो रैतइ मुस्तैद।।
गाड़ी बिगरी गैल में,हो गय सब हैरान।
जां जनबा मिस्त्री मिलो,हो गओ तुरत निदान।।
भूत प्रेत बाधा हती,गय जनबा के पास।
जां अछाइ ऊने पड़ी,सोइ मरीज झकास।।
होय गिरा बादा कितउं,कै फिर मङ्गल काज।
पंडित जनबा होय तौ,सब कैतइ महाराज।।
पढ़ लिखकें घर में करौ,रोज झमक कें काम।
जनबा हो गइ बेटियाँ,पा रइ नए मुकाम।।
जैसौ चाय बिगार हो,सालन की तकरार।
जनबा जनबा जां जुरें,उतै निकारें सार।।
*!&!&!&!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
रावन जनबा बहुत था,
कर लव तौ घट काम।
खोज मिटालव बंश कौ,
हो गइ सीताराम ।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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06-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
गलन गलन जनबा फिरत,
दैं उधार को ज्ञान।
नायँ-मायँ सें सुन सुना,
भरत और के कान।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली
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7-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एमपी
शनिवार 25 दिसंबर 21
बुंदेली दोहे विषय ,जनबा,
,,
गइया बिटिया जल बचे,
रेहे सुखी समाज।
कोरोना सें चेतियो,
जनबा कत तो आज ।।
जनबा रय प्रमोद जता
कोरोना गर्राने।
मास्क लगा हुश्यार रओ
हांत पांव धुलाने
,,
जनबा जनबइ निपुर गइ
न फसलि बीमा भओ
ओरे पर गय मावठे
मिट प्रमोद रो रओ
,,
जनबा खों फेरो लगत
लग लगार शक होत
भोंरयाव पिरमोद ने
बिन इलाज भय पोत
,,
जनबा वैध सुखैन खां
ल्याय उठा हनुमान
मूर सजीवन घोंट दइ
बचे पिरमोद प्रान
,,
मोखां जनबा जच परत
जय कीसान विज्ञान।
शान प्रमोद इ वतन की
प्यारे वीर जवान ।।
***
-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
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08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
अप्रतियोगी
1-
जानत नइयां कछू लो,
जनबा सो बन जात।
जानकार बिद जात जब,
सो फिर लुकत चिमात।
2-
तुम जनबा कवै कायके,
जान पाये न भाव।
जात नहीं जड़ मूल सें,
जी कौ जोन सुभाव।
3-
जनबा हो तो बतैयो,
को ज्ञानी कौ मूड़।
झोंझयात हो तनक पै,
तो तुम पक्के हूड़।
4-
जानत है हर चीज जो,
सो जनवा कहलाय।
बात सुनत ही और की,
जो उलटा बतलाय।
5-
अब तो सब जनबा,
सबरौ काम नसायें।
इतनों भर्रो जानकें,
जनबा जरों ने जायें।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
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9-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
अप्रतियोगी दोहे 🙏🙏🌹🌹🙏🙏
विषय:-जनबा (ज्ञानी) 🌹🌹🌹🌹
जनबा मूरख सें सुनो,सीख लेत है ज्ञान।
मूरख खों हो पाय ना, कभंउ लौ इकौ भान।।
मूरख पूछे, कय कनउ, सांसी हमें बताव।
बिगरी कैसे आंख जा, ज्ञानी कहत सुनाव।।
कई जनें बतयात में, टोर लठ्ठ सौ लेत।
जनबा सें अनजान लौ,हस कें सब कै देत।।
घुरवा के पाछें कभंउ ,भूलई बिसर नें जाव।
साहब कौ आंगों सदा ,ज्ञानी कत बरकाव।।
जनबा बंदर खों कभउ,तुबक नहीं पकराव।
दिया कनक कौ स्वान लो,धरकें नें भगजाव।।
***
गदा लिगां जैहो अगर,खाबे मिल है लात।
जनबा सें मिलबे सदा,लाख टका की बात।।
-***
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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-10-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.,बडागांव झांसी (उप्र)
पूजत रय जिनखों इतै,
अच्छो जनवा जान।
बेई कुछ नइं कर सके,
दे नइं सके निदान।।
**
अप्रतियोगी दोहा.
गाँव- गाँव जनवा फिरें,
खूब बघारें ज्ञान।
लबरोंनी दे- दे बनें,
खुद में बडे़ महान।।
***
-रामेश्वर प्रसाद गुप्ता इंदु.बडागांव झांसी उप्र.
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11-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़
*
औरन गैल बताय जो ,
हरै तिमिर अग्यान ।
निंगवै अच्छी गैल खुद ,
जनबा वौइ महान ।।
***
-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़(मप्र)
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*12-एस आर सरल, टीकमगढ़
जनबा गुनियाँ नावते,
परखत सौ सौ बार ।
गुन विद्या अपनी चला,
देत मंत फटकार।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
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*13*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
जनबा देबै सत्त की,
सिक्छा और सलाय।
सुनें गुनें जो ध्यान सें,
सो जनबा बन जाय।।
*****
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर
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*14-*प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर
कवि जनबा दोऊ गुनी,
अनुभव सें भरपूर।
लिख कें एक बतात दुख,
करत दूसरौ दूर।।
***
-प्रभुदयाल स्वर्णकार 'प्रभु',कैरुआ,ग्वालियर
ग्राम - कैरुआ तहसील भितरवार
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15-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा
पंडित गुनियाँ बैद उर,
तंत्र मंत्र कौ ज्ञान।
इनखों जनबा कात हैं,
जेइ बगारत शान।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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*16*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा
जनबा उखा जानिवो,
जो जाने सब ज्ञान।
साम दन्ड सब भेद में ,
सदा होय गुन बान।।
****
-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा,
*
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*17*वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
।जनबा अपनी बात खों,
बढ़ चढ़ कें बतलाय।
जानबुजक्कड़ हैं हमीं,
यह सबखों दिखलाय।।
***
-वीरेन्द चंसौरिया, टीकमगढ़
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18-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
अप्रतियोगी दोहा
जनबा अपनें ज्ञान सें,
हरै जगत की पीर।
सोई वैद्य सुषेन के,
ऋणी सदा रघुवीर।।
-***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
***
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19-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
अप्रतियोगी दोहा
जनवा बनवा देत जब
अरे धजी कौ सांप।
बड़वाई खुद की करत
सुन जी जाबै कांप।।
***
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
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20-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
जनबा भौतई बनत हैं,
तनक न जानै बात।
जितै मिले, ऊगड़ कहैं,
नातर वे चिल्लात!!
***
-गणतंत्र ओजस्वी, खरगापुर
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21-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
दोहा जनबा
01
जनबा जान जनाब को,
सौंप देते घर वार ।
घर समाज पालन करें,
ओई है रखवार ।
02
जनबा जान जहान सब,
करै धरम की बात ।
अधर्म पै नहिं पग धरै,
ऊंची नीची सात ।
03
भौतई जनबा बनत जो,
डायन बड़े प्रवीन ।
अपनों काज सवारवे,
निज मन बने महीन ।
***
-डां. आर बी पटेल "अनजान",छतरपुर
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💐😊जनबा 😊💐
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1 टिप्पणी:
Very nice collection janva
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