💐😊गुट्ट 😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़
जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
की प्रस्तुति
© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ई बुक प्रकाशन दिनांक 30-12-2021
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
मोबाइल-9893520965
🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊
अनुक्रमणिका-
अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)
01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़)
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06-संजय श्रीवास्तव, मवई,टीकमगढ़(म.प्र)
07-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
09-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
10-एस आर सरल, टीकमगढ़
11-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
12-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
13-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
17- रामानंद पाठक 'नंद' नैगुवां, निबाड़ी
18-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश
😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄
संपादकीय-
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे।
हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।
हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक गुट्ट 83वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
यह पटल के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 83 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब तक पढ़ चुके हैं।
आज हम ई-बुक की श्रृंखला में हमारे पटल जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह गुट्ट 83वीं बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय- गुट्ट 83वीं पर सोमवारवार दिंनांक-27-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट की गयी हैं। कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।
अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
धन्यवाद, आभार।
***
दिनांक-30-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
मोबाइल-91+ 09893520965
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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)
*बिषय-गट्ट*
गट्ट गरे में गड़ गयी,
गुटकत बन नइ पात।
गुरू गुरीरे गुम गये,
चेला शक्कर खात।।
***
*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐
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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
बिषय..गट्ट
27.12.2021
*प्रदीप खरे, मंजुल*
*********************
मँहगाई की मार है,
बिद गइ सबखौ गट्ट।
कैऊ भूखन मरत हैं,
कैऊ लै रय झट्ट।।
2-
किस्मत रूठी होय तौ,
आफत आबै झट्ट।।
ठाड़ैं बैठें द्वार पै,
बीद जात है गट्ट।।
3-
भौरइ सैं लइ है ठटा,
द्वारें जुर गऔ ठट्ट।।
उछरत उल्टी खून की,
बिदै लयी है गट्ट।।
4-
ओलम तक सीकी नहीं,
तोइ होत रय पास।।
गट्ट बीद गइ आज तौ,
घरै खोद रय घास।।
5-
दान करत रहियौ सदां,
लइयौ नहीं दहेज।।
गट्ट बुरइ बीदै सुनौ,
मिलै जेल की सेज।।
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔
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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़
👌😊(((((गट्ट)))))😊👌
गौचर बेंड़ी जिनन नें,
उनने गट्ट बिदाइ।
गौ माता है कष्ट में,
जो हम सबकी माइ।।
धीरें धीरें निपट जै,
जा जीवन की जंग।
गट्टें तौ शमशान तक,
नई छोड़तीं संग।।
जीवन में गटटें बिकट,
आतीं हैं कइ बार।
उनें कभउं नइ ऑसती,
जी के मित्र हजार।।
गट्ट हमारे साथ है,
बिना गट्ट ना कोय।
जी के लठिया हांत में,
जां मर्जी मां सोय।।
धीरें धीरें निपट गइ,
गटटें हतीं बिलात।
अब ईसुर की कृपा सें,
अच्छे भय हालात।।
एक गट्ट रै गइ बड़े,
लहर तीसरी जाय।
ईसुर करबै काउ खों,
अब खरोंच ना आय।।
*!!*!!@!!*!!*ट
*!&!&!&!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)
🙏🙏बुन्देली दोहे 🙏 विषय-गट्ट🙏🙏
*********************************
बेइ बिदै बें गिट्ट फिर, बेइ निनुरवा देत।
गिट्ट बिदै गट्टा बना,अपने बस कर लेत।
चित्त उनइं की आजकल,और उनइं की पट्ट।
साँसी काबै जो अगर, बिदै देत हैं गट्ट।
चल बाँडी़ लइये अरौ, सुनत उठी बा झट्ट।
पूँच अबै आदी बची, चलौ बिदैबूँ गट्ट।
भीतर पिड़ गय झट्ट सें, बे कत रै गइं हट्ट।
दोरें जुर गव ठट्ट सो, बिद गइ कर्री गट्ट।
बिना करें बिद जात है, काउ काउ खाँ गिट्ट।
सहन होय ना जौन सें, उडा़ देत बौ पिट्ट।
**********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा
1=
अंट-संट कामी करै,बीदत ऊखां गटट ।
जैसे आशाराम जी,जेल में पौचे झटट ।।
2=
करौ धरम के नाम पै,भौतइं अत्याचार ।
गुटट बीदगइ पकर गय,खुले पाप भंडार ।।
3=
गुटट बीदतइ तनक पै, चलें जो उल्टी गैल ।
मानतनइं समझाय सैं,मनमें भरौरत मैल ।।
4=
करौ भजन तुम राम कौ,सूखी रोटी खाव ।
गुटट कभउं नै आयगी, चैन से रोटी पाव ।।
5=
चोर उचक्का होत जो, बीदत उनखों गटट ।
नैबारत निबरत नही,लटट घलट हैं पटट।।
6=
कउं न गलती कीजिए,हस कैं रव दिल खोल ।
कौनउ गटट न बीद पै,जौ जीवन अनमोल ।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़
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06-संजय श्रीवास्तव, मवई (जिला-टीकमगढ़)
*सोमवारी बुंदेली दोहे*
विषय - *गट्ट*
*१*
गट्टन की काँलों कबें,
छिन-छिन पे हैं गट्ट।
एक निनुरतन देर नईं,
चार टपकती झट्ट।।
*२*
कुटिया के बाहर लगो,
जनी मांस को ठट्ट।
सुखिया मर गव भूख सें,
पेट बड़ी है गट्ट।।
*३*
गुट्टा भर गट्टें दईं,
पिरिया भर दइ पीर।
गरे गरीबी बाँद दइ,
काँलों धरबें धीर।।
*४*
किस्मत में गट्टें परीं,
गदियन बीचाँ बट्ट।
किसान अरु मजदूर के,
गरे फँसी रत गट्ट।।
***
-संजय श्रीवास्तव, मवई,१३/११/२१😊दिल्ली
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7-*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)
विषय बुंदेली ,,गट्ट,,
,,
विद गइ गट्ट चुनाव की
दव अतफर में टांग
छपे वोट घर में धरें
गरें हना रय सांग
,,,
झट्ट पट्ट मैं गट्ट भइ
अट्ट सट्ट दइ ठूंस
चट्ट फट्ट पिरमोद गए
खटा खट्ट लइ घूंस
,,
मउवा को पउवा ठटो
जा रय लेन उजट्ट
मौ समार बोले नहि
आय विदे कें गट्ट
,,
खट्ट पट्ट घर में मची
गइ घरवारी झट्ट
कव प्रमोद केसी विदी
गरें गांगरें गट्ट
,,
पैल गुटक कें रोंथ रय
भड़या कुरता छाप
गट्ट हुमस गइ तरे की
सूंघत बैठे भाप
***
-प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
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08-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर
दोहा- 1-
हनुमान ने तको जब ,
आओ निशाचर गुट्ट ।
मार मार कें बिछा दये ,
कछु भागे कछु सुट्ट ।
2-
भूप अबैलो जगे ने ,
रोजउ उठतते झट्ट ।
नर नारी सब सोचबें ,
बनी कौन सी गट्ट ।
3-
भये जो एकजुट असुर सुर,
ऐंसी बनी सलाय ।
करें समुद मंथन अपन ,
गट्ट न कोऊ बिदाय ।
4-
अपने हाथन बिदा लई ,
अपने जी खों गट्ट ।
अगर होय सुख चाउने,
तौ सिया पठा दो झट्ट।
5
अपन एकजुट बने रयें ,
फेर फुट्ट ने होंय ।
बिदै खट्ट तो सुरज है ,
सुरजाबे नें रोंय ।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा
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9-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी", दमोह
नैनन की निदिया गई,भूख लगे ना प्यास।
गुट्ट बिदी है कर्ज की,करें कोन की आस।।
पर्चा छपबे खों डरे, कछु के बट गये झट्ट।
अब चुनाव होने नहीं ,बिद कें रै गई गट्ट।।
हिरनी जैसे नैन और, मुइयां चंदा जोत।
गुट्ट बिदी कै पांय ना,भीतर हलचल होत।।
राहर मरी तुषार में, घर में मरो बिलार।
बिदी गट्ट कैसो करें,चुखरन सें गये हार।।
माला जप कें का करें, भीतर मन में खोंट।
गुट्ट बिदत हसकें करत,नैनन सें जब चोट।।
🙏🙏🌹🌹
स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
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*10-एस आर सरल, टीकमगढ़
बुन्देली दोहे # गुट्ट #
गुट्ट न बीदे काउ खौ, गुट्ट बीदतइ ठाइ।
जीखों बीदत गुट्ट सो, निबरत नइँ निबराइ।।
गुट्ट बिदी रुजगार की, नौकरियाँ हैं ठप्प।
चला रये सरकार हैं ,ठोक ठोक कै गप्प।।
गुट्ट फसी ई साल में, भये भौत हैरान।
कोरोना सै हो गई,जान माल की हान।।
बीदी गुट्ट गरीब खौ, कैसे गुजर चलात ।
ताने झुग्गी झोपडी, ठिठुरत साड़ी रात।।
जानबूझ सरकार नें,फसाइ कर्री गुट्ट।
लग गइ रोक चुनाव पै,सबरे रै गय सुट्ट।।
'सरल' गुट्ट बीदें जितें, उतइ रुकत रफ़्तार।
सोच समझ आगे बढ़त, मानत नइयां हार।।
***
एस आर सरल, टीकमगढ़
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*11*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा
🥀 बुंदेली दोहा (विषय गुट्ट)🥀
मुखिया अपने गांव के,
चल रय यैंसे दाव।
गुट्ट बिदैबें बे खुदइं ,
लेंयं और कौ नाव।।
पैलाँ तौ सोसी नहींं,
दूला बन गय पट्ट।
अब गदियाँ मीडत फिरें,
गरें बिदी जब गट्ट।।
हंस हंस बोलें प्रेम सें,
पैटे गुड़ी दबायँ।
गुट्ट बिदैबें जांन कें,
उनसें राम बचायँ।।
परधन देखें जर मरै,
करै गट्ट कौ पट्ट।
यैंसे जरुआ खों बिदै,
बिना पते की गट्ट।।
***
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर
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*12-* प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
बुंदेली दोहे विषय गट्ट
कोउ न जनबा अपुन सौ,आ जइयौ जू झट्ट।
अबकी बेर निनोर दो,बिद गइ कर्री गट्ट।।
हंसी उड़ाबे बांन कौ ,जुरो दिखारव ठट्ट।
कोउ न ऐसौ जो बिदी, निनवारै जा गट्ट।।
हम तौ गय ते छोलबे , काल नीम की खट्ट।
हंसिया घल गव हांत में, बिद गइ ऐसी गट्ट।।
उन के मन की होन दो, चित्त होय कै पट्ट।
अट्ट सट्ट में का धरो , सुरजालो जा गट्ट।।
जब तक जीवन जोरिया, राम नाम लो रट्ट।
बेइ गट्ट निनवारहें , खुलें किबरियां झट्ट।।
***
- प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़
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13-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा
#गुट्ट बिषय पर दोहे#
#1#
सीता खों हरकें बिदी,दसकंधर खों गट्ट।
वार न झेलो राम कौ,रन में हो गव पट्ट।।
#2#
लछमन खों शक्ति लगी,गुट्ट फसी श्री राम।
ल्याये बैद सुखेंन खों,भये तुरत आराम।।
#3#
गुट्ट बिदी सो घास की ,रोटी खाइ प्रताप।
स्वाभिमान रय बनाकें,राणा अपने आप।।
#4#
टर ग इ घरी चुनाव की,मारी गै सब शान।
कैउ पौंच रय अदालत, लैबै खों नुकसान।।
#5#
गुटबाजी में गुट्ट है,दुसमन करै उलात।
तौ दिमाग सें काम ले,निपटालो हालात।।
***
-जयहिन्द सिंह जयहिन्द,पलेरा जिला टीकमगढ़
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14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
गट्ट/गुट्ट पर पाँच दोहे (बुंदेली)
*************************
अगर बात कर्री विदै, उयै गुटौ कइ जात।
गट्ट गुट्ट कइ जात जब,छोटी होवै बात।।
घरवारी नइं बोल रइ, विद गइ कर्री गट्ट।
हम खों जानें मायकें,ऊनें पकरी रट्ट।।
काना सें काना कतन, हमें वीद गइ गट्ट।
लट्ठ उठा कें छुटा दइ, ऊनें सबरी खट्ट।।
जियत- जियत की बात का, विदै मरे पै गट्ट।
जिनके लरका वायरें, तपना लगै ना झट्ट।।
आवे बारी साल में,कभउं विदै ना गट्ट।
सब पै किरपा राखियौ,खुशी रवै सब ठट्ट।।
-***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी
***
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15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
दोहा गट्टे
गट्ट झट्ट निनुरत न ईं
जो जी खों बिद जाय।
ठट्ट जुरत है दोर में
कत मन कीं जो चाय।।
गट्ट निनोरत राम जी
मन राखो विसबास।
आस न टोरत काउ की
होय आम या खास।।
***
स्वरचित एवम मौलिक
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
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16--परम लाल तिवारी,खजुराहो
"गट्ट"
1
गट्ट कहूँ विद जाय नइं,ईसे धारो मौन।
चापलूस भड़या बढ़े,जाव गली में जौन।।
2
गट्ट पड़ोसी से विदी,करत भौत अनरीत।
पुरखन की जो बनी ती,टोर दई वा भीत।।
3
विदने है विद जाय अब,चाय जौन से गट्ट।
चलन न दैवी काऊ की,दोऊ चित ओ पट्ट।।
4
बातन में विद जात है,बड़ी बड़ी लो गट्ट।
होत उतारूं मारवे,लेके डंडा झट्ट।।
5
मूरख अपनी चाल से,विदा लेत हैं गट्ट।
सुरझावे में लगत दिन,सुरझत नईंया झट्ट।।
***
परम लाल तिवारी,खजुराहो
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17-रामानन्द पाठक नन्द, नैगुवां
दोहा गुटट
देखत लगवै चैन सब,जीवन गुटट हजार।
एक समारे आंय कइ,न पावै कोउ पार।।
2
अबकें गुटट किसान खों,सासन सें भइ खींच।
खाद बीज के फेर में,परौ सडक के बीच।।
3
घर में बिटिया सियानी,करज साव सें लेत।
गरैं गरीवै गुटट भइ,तीन क तेरा देत।
4
निगवै ना बौ समर कें,अंटक टौंटी चाल।
जब गुटटैं आडै परी, विगर जात सब हाल।।
5
कौरोंना के काल सें,टूटी घर की डोर।
निनरै कैसें गुटट जा,हलके रोवै भोर।।
***
-रामानन्द पाठक नन्द नैगुवां
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18-गीता देवी,औरैया उत्तर प्रदेश
अच्छो करन कुँ हम चलें, बिगरें कारज झट्ट।
रार कोऊ सें नहि करत,फिररुँ हौ रइ गट्ट।।
बहुत चाँत हम सास कौं, उनसैं होवत खट्ट।
जतन करत हम रोजइं, झट्ट होत हैं गट्ट।।
दुई मूं खौं मनइं बुरो, हमखौं कतइ न भात।
गट्ट झट्ट सें होत है, देखत नहीं सुआत।।
कमइं बोलत बैन हम, तोंउँ होत है खट्ट।
जौं अति बोलत हम रये, बहुत होय फिर गट्ट।।
दुआ करत भगवान सों, कबूँ न होवे गट्ट।
सबइँ लोग होवें सुखी, मिटैं रोग सब झट्ट।।
***
-गीता देवी,औरैया (उत्तर प्रदेश)
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💐😊गट्ट😊💐
(बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
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