Rajeev Namdeo Rana lidhorI

मंगलवार, 21 दिसंबर 2021

कमरा (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक) संपादक-राजीव नामदेव राना लिधौरी टीकमगढ़ मप्र


                      💐😊 कमरा 😊💐

                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की प्रस्तुति  81वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 21-12-2021

        टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड,भारत-472001
         मोबाइल-9893520965



🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


  

🎊🎇 🎉 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


              अनुक्रमणिका-

अ- संपादकीय-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'(टीकमगढ़)

01- राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' (टीकमगढ़)(म.प्र.)
02- प्रदीप खरे मंजुल, टीकमगढ़(म प्र)
03-अशोक पटसारिया,लिधौरा (टीकमगढ़) 
04-गोकुल प्रसाद यादव,बुढेरा (म.प्र)
05- शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा
06-प्रमोद मिश्र, बल्देवगढ़ जिला टीकमगढ़
07-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा, जिला छतरपुर
08-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा,दमोह
09-कल्याण दास साहू पोषक, पृथ्वीपुर,(म.प्र.)
10-एस आर सरल,  टीकमगढ़
11-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा   
12-जयहिन्द सिंह 'जयहिन्द', पलेरा
13-गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा
14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी      
15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)
16-प्रभुदयाल श्रीवास्तव ,पीयूष', टीकमगढ़ (मप्र)
17-परम लाल तिवारी,खजुराहो
18-अमर सिंह राय,नौगांव, छावनी, जिला छतरपुर

😄😄😄जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़😄😄😄



                              संपादकीय-

                           -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी' 

               साथियों हमने दिनांक 21-6-2020 को जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ को बनाया था तब उस समय कोरोना वायरस के कारण सभी साहित्यक गोष्ठियां एवं कवि सम्मेलन प्रतिबंधित कर दिये गये थे। तब फिर हम साहित्यकार नवसाहित्य सृजन करके किसे और कैसे सुनाये।
            इसी समस्या के समाधान के लिए हमने एक व्हाटस ऐप ग्रुप जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ के नाम से बनाया। मन में यह सोचा कि इस पटल को अन्य पटल से कुछ नया और हटकर विशेष बनाया जाा। कुछ कठोर नियम भी बनाये ताकि पटल की गरिमा बनी रहे। 
          हिन्दी और बुंदेली दोनों में नया साहित्य सृजन हो लगभग साहित्य की सभी प्रमुख विधा में लेखन हो प्रत्येक दिन निर्धारित कर दिये पटल को रोचक बनाने के लिए एक प्रतियोगिता हर शनिवार और माह के तीसरे रविवार को आडियो कवि सम्मेलन भी करने लगे। तीन सम्मान पत्र भी दोहा लेखन प्रतियोगिता के विजेताओं को प्रदान करने लगे इससे नवलेखन में सभी का उत्साह और मन लगा रहे।
  हमने यह सब योजना बनाकर हमारे परम मित्र श्री रामगोपाल जी रैकवार को बतायी और उनसे मार्गदर्शन चाहा उन्होंने पटल को अपना भरपूर मार्गदर्शन दिया। इस प्रकार हमारा पटल खूब चल गया और चर्चित हो गया। आज पटल के द्वय एडमिन के रुप शिक्षाविद् श्री रामगोपाल जी रैकवार और मैं राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़ (म.प्र.) है।
           हमने इस पटल पर नये सदस्यों को जोड़ने में पूरी सावधानी रखी है। संख्या नहीं बढ़ायी है बल्कि योग्यताएं को ध्यान में रखा है और प्रतिदिन नव सृजन करने वालों को की जोड़ा है।
     आज इस पटल पर देश में बुंदेली और हिंदी के श्रेष्ठ समकालीन साहित्य मनीषी जुड़े हुए है और प्रतिदिन नया साहित्य सृजन कर रहे हैं।
      एक काम और हमने किया दैनिक लेखन को संजोकर उन्हें ई-बुक बना ली ताकि यह साहित्य सुरक्षित रह सके और अधिक से अधिक पाठकों तक आसानी से पहुंच सके वो भी निशुल्क।     
                 हमारे इस छोटे से प्रयास से आज यह ई-बुक कमरा(कंबल) 81वीं ई-बुक है। ये सभी ई-बुक आप ब्लाग -Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com और सोशल मीडिया पर नि:शुल्क पढ़ सकते हैं।
     यह पटल  के साथियों के लिए निश्चित ही बहुत गौरव की बात है कि इस पटल द्वारा प्रकाशित इन 81 ई-बुक्स को भारत की नहीं वरन् विश्व के 76 देश के लगभग 60000 से अधिक पाठक अब  तक पढ़ चुके हैं।
  आज हम ई-बुक की श्रृंखला में  हमारे पटल  जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ की यह कमरा 81वीं बुक लेकर हम आपके समक्ष उपस्थित हुए है। ये सभी रचनाएं पटल के साथियों  ने दिये गये बुंदेली दोहा लेखन बिषय-  कमरा (कंबल)पर सोमवार दिंनांक-20-12-2021 को सुबह 8 बजे से रात्रि 8 बजे के बीच पटल पर पोस्ट किये गये नव रचित दोहे हैं।  कमेंट्स के रूप में आशीर्वाद दीजिए।

  अतं में पटल के समी साथियों का एवं पाठकों का मैं हृदय तल से बेहद आभारी हूं कि आपने इस पटल को अपना अमूल्य समय दिया। हमारा पटल और ई-बुक्स आपको कैसी लगी कृपया कमेंट्स बाक्स में प्रतिक्रिया देकर हमें प्रोत्साहित करने का कष्ट अवश्य कीजिए ताकि हम दुगने उत्साह से अपना नवसृजन कर सके।
           धन्यवाद, आभार
  ***
दिनांक-21-12-2021 टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)

                     -राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
                टीकमगढ़ (मप्र) बुंदेलखंड (भारत)
                   मोबाइल-9893520965

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01-राजीव नामदेव "राना लिधौरी" , टीकमगढ़ (मप्र)



अनुप्रास अलंकार का अद्भुत उदाहरण-

*बुंदेली दोहा बिषय- कमरा*

कमरा में कमरा लये,
              कुकरे डरे किशोर।
                         करया भई कमान सी,
                                        कय की से कमजोर।।
                                                 ****
 या
भइ करयाइ कमान सी,
               नग नग भय कमजोर।
                         कारौ कमरा ओढ़ के,
                                  ओंदे डरे किशोर।।
                                           ***

*© राजीव नामदेव "राना लिधौरी" टीकमगढ़*
           संपादक "आकांक्षा" पत्रिका
संपादक- 'अनुश्रुति' त्रैमासिक बुंदेली ई पत्रिका
जिलाध्यक्ष म.प्र. लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,
टीकमगढ़ (मप्र)-472001
मोबाइल- 9893520965
Email - ranalidhori@gmail.com
Blog-rajeevranalidhori.blogspot.com
🥗🥙🌿☘️🍁💐🥗🥙🌿☘️🍁💐


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02-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)

बिषय..कमरा(दोहा )
20.12.2021
*प्रदीप खरे, मंजुल*
================
1-
जाड़े में ठिठुरन बड़ी, 
लगै कबै मर जाय। 
कंगाली घर छाइ है, 
कमरा तक है नाय। 
2-
ओढ़त है कमरा फटौ,
 तापै धरकें काठ।
सर्दी में येसैं डरे, 
जैसें अट्ठैं आठ।
3-
नेता सबरे हैं चतुर, 
सदां करत हैं नाहिं।
कमरा से करिया धरे, 
कपट भरे मन माहिं।
4-
कमरा कारौ है भली,
करबै नीकौ काम।
साधू तन ऊपर डरो,
करबै चारों धाम।।
5-
सेवा भाव सबके जगे,
सेवा करें दिखाय।
कमरा बाँट गरीब खौं,
फोटू रहे खिचाय। 
***
-प्रदीप खरे,मंजुल, टीकमगढ़ (मप्र)
🤔😂😂🤔

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3-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा ,टीकमगढ़ 

😊((कंबल/कमरा))😊
      ####$####

शूम सियानों चीकनों,
         मिलै कितउँ जो नांठ।
कमरा कमरा की बड़े,
         कभउँ न लगबै गांठ।।

शूम सियानों चीकनों,
             करै काउ कौ संग।
करिया कमरा पै बड़े,
               चढ़े न दूसर रंग।।

पश्मीना की ऊँन के,
             देखौ कंबल शाल।
कीमत सुनकें आपकौ,
              हाल हुए बेहाल।।

बनों भेड़ की ऊँन कौ,
            कमरा बड़ौ तताय।
जो चढ़ पावै ख्वार तौ,
            लेंगर ठंड न आय।।

जो घर आबें संत जन,
            कंबल देव बिछाय।
आसन पै बैठार कें,
         फिर चरनन में जाय।।

जड़कारौ भौतइ कठन,
             ऊसें कठन हिमार।
डरी मड़इया खेत पै,
          कमरा में नइ ख्वार।।

जाड़े में फुटपाथ पै,
               परे तौलिया डार।
कंबल भले उड़ा गए,
               फोटू खेंची चार।।
          %%%%%%
          ***😊***
         *!@!@!@!*
😊-अशोक पटसारिया 'नादान' ,लिधौरा, टीकमगढ़ 
                   
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04-गोकुल यादव,नन्हीं टेहरी,बुढेरा (म.प्र.)



***🙏बुन्देली दोहे,विषय-कमरा(कंबल)🙏
*******************************
सिंघासन  पै  बैठबे, कट्टर  हों  या  नाँठ।
कमरन कमरन खूब बे,लगा लेत हैं गाँठ।

ढू़ड़ रसायन बढ़ गये, रँगरिजवन ने कर्म।
करिया कमरा खूब बे,रँगत बदल कें धर्म।

   कमरा लैकें गड़रया,  मूँदौ ऊके छेद।
   तरें डार लो साँतरी,जौ जाडे़ कौ भेद।

होत उजग्गल कामरी,फिचै न सालों साल।
आसन डारौ  प्रेम सें, कोउ  न करै मलाल।

अब तौ बिक रय गुलगुले,कमरा येंनइं येंन।
तौल-तौल कें  चाय जाँ, बेंचत भइया  बेंन।
********************************
✍️गोकुल प्रसाद यादव,नन्हींटेहरी(बुडे़रा)
********************************

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05-शोभाराम दांगी 'इंदु', नदनवारा



बिषय- कमरा (कंबल) बुंदेली दोहा 

1=
 कमरा खूब ततात है,संत मुनि लए रात ।
घर सें बाहर कडैं कितउ,कंबल धरैं दिखात।।
2= 
तीरथ करवे जात जो,ठंडन कौ हो टैम ।
ठंड-मंड नइ  लग उए, कंबल से हो सैम ।।
3= 
कंबल कम बल नइ करै, कमरा शान बताय ।
घूम घुककड संग जांय,वे मकरा लेत चुराय।।
4= 
जडकारौ कसकैं परौ,कमरा  पलली पाय।
गर इनमें एकऊ नहीं ,रातैं कठिन नसाय ।।
5=
धनीं लोग बाँटत फिरैं,संतन तीरथ धाम।
कंबल दैय गरीब खौं,साजौ करवैं काम ।।
6= 
पली-कमरा दोइ मिला,परौ खेत मैंदान।
ठंड -मंड नइ लगत सो,कंबल की है शान।।
***
शोभाराम दाँगी , इंदु, नदनवारा जिला-टीकमगढ़

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6*प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़,जिला-टीकमगढ़ (मप्र)


जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ एम पी
सोमवार 20 दिसंबर 2021
बुंदेली दोहा विषय कमरा ,, कंबल,,
,,
कमरा लेबू गड़रया 
 नोनो लगे ततेय
 काल साव पिरमोद लो
 जज्जो बेऊ बतेय 
,,
तरें सांतरी प्यांर की
ओढ़त कमरा तान
फुसुर फुसुर पिरमोद जू
सोरव मेड़ किसान
,,
कंदा कमरा टांग लओ
मूंढ़े धरी ब्याई 
टिरकत जात प्रमोद जू
करन हार रखवाई 
,,
कमरा डारो फींच कें
दो दिन कड़ो न घाम
कप कपात पिरमोद खों
मिलो खूब आराम 
,,
कर्रा जम रओ ठंड में
कमरा लइयो ओढ़
कान बांध पिरमोद लो
फैलत जरव कोड़ 
,,
कव प्रमोद केसों लगे
करके कुकरम काम।
कमरा ओढ़ तिहाड़ में
सो रय आशाराम।।
***
स्वरचित मौलिक रचना

        ***
                   -प्रमोद मिश्रा,बल्देवगढ़
                   

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07-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा,छतरपुर




1-
कमरा में बल होत है,
कमरा संगे होय।
हैरानी की बात का,
चाय जिते रव सोय।
2-
घर घर में कमरा रवे,
कमरा घर घर होय।
कछू बिछावें दरी पे,
कछू ओड़कें सोय।
3-
दरी पिछौरा कमरिया,
बाबा राखत संग।
कमरा की कर आसनी,
बैठ करत सत्संग।
4-
हार खेत में डाँग में,
आँन गाँव जब जायें।
कमरा कबहु ने छोड़वें,
ब्रज संगे ले जायें।
5-
कमरा सबके काम को,
कमरा बड़ो महान।
कमरा कैसऊ होय पे।
सांचों विपत निदान।
***
-बृजभूषण दुबे बृज बकस्वाहा

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़

8-भगवान सिंह लोधी "अनुरागी",हटा
 

जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़
भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"
विषय:-कमरा(कंबल) 
बिधा ‌:-बुन्देली‌ दोहे
🌹🌹🙏🙏🙏🙏🌹🌹

कमरा -कमरा की कभंउ,लगत सुनी‌ ना गांठ 
सूको कमरा दो किलो,तींतो होबे आठ।।

जीने ‌कमरा कौ अगर,जान लयो ‌है‌‌ भेद।
जाड़े सें बचने अगर,मूंदो ऊके छेद।।

जौ तन कारी कामरी, गये‌ नहाबे गंग ।
तन‌ मन‌ उजरो नें भयो,ज्यों कमरा कौ‌‌ रंग।।

करिया कमरा  श्याम जू, धरें कंदा पै‌ रांय।
ग्वाल बाल संग में लिए,वन में गाय‌ चरांय ।।

डरो दिखाबे डांग में,करिया  कमरा तोय।
सोच समझ ऐंगर गसो,रीछ परो ना होय।।

स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित 
🙏🙏🌹🌹

भगवान सिंह लोधी "अनुरागी"हटा, दमोह
 
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9-कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,(निवाडी़)

जाडे़ में भगवान जू , ध्यान राखियौ खास ।
कंबल कथरी चादरा , होवै  सबके  पास ।।

कथरी कंबल सें बचत , दीन-हीन की ठंड ।
जिनके घर एसी लगौ , उनखों भौत घमंड ।।

जाड़न में कंबल बिना , आँसें ब्याव-बरात ।
लग्ग-तग्ग के पाँउनें,कँप-कँप रात बितात ।।

कंबल झोरी पीत पट , डंड- कमंडल हाथ ।
इतनी गिरस्ती ही रहत,संत जनन के साथ ।।

सद्गुरु घरै पधारवें , लइओ चरन पखार ।
वंदन अभिनंदन करौ , कंबल  पै  बैठार ।।

   *** 
 -कल्याण दास साहू "पोषक",पृथ्वीपुर,निवाडी़(मप्र)
      
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*10-एस आर सरल,  टीकमगढ़


बुन्देली दोहा #कमरा #

दो कमरन के बीच में,सदा होत दो फाँट।
कभउँ लगाई नइँ लगें ,दो कमरन की गाँट।।

कक्का कत कै कायजू,कमरा बिकट ततात।
कमरा ओढ़े पर रऔ,  कटत  चैन सै रात।।

कत कमरा की का कने,कमरा काटत ठंड।
काकी कत कमरा बिना, होत  जिंदगी  झंड।।

ठंडौरा  भारी  परो, दीन दुखी  रय कंड।
उनखौ काँ कमरा धरें,जीसे कटतइ ठंड।।

बब्बा  बउ  दोई  जनें , कौड़े  पै बतरात।
कथरी कमरा काम के,ठंडोरा कट जात।।

बूढ़े बउ  बब्बा  बटे, बटों  बिछोना  पौर।
कथरी कमरा घर बटो,बनों बिगर गव ठौर।।

कमरा होवें ठंड में, कै फिर होय रजाइ।
ठंडन में गरमात जे,तन में रखत तताइ।।

   ****
    एस आर सरल,  टीकमगढ़
     ***

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*11*-डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलेहरा


🥀  बुंदेली दोहा 🥀
          विषय कमरा (कंबल)

हांमी भरतन नें बनें,
          नाहीं करी न जाय।
माते कमरा डारकें,
          भये सोंजिया आय।।

हाले- फूले बे फिरें,
         बनें पंच सरपंच।
कमरा पै बैठत हते,
         मिली बैठबे मंच।।

जब जब दो जनबा जुरें,
               ग्यांन बताबें ठाँट।
कमरा कमरा की कहूं,
             देखी लगी न गाँठ।।

जी के हिरदें सत भरो,
       का कर लैय कुसंग।
कारे कमरा पै सरस,
            चडै न दूजौ रंग।।

***
डां देव दत्त द्विवेदी,बडा मलहरा, छतरपुर

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12-जयहिन्द सिंह जी 'जयहिन्द', पलेरा


                    #कमरा पै बुन्देली दोहे#

                    #1#
कमरा कमरा ना लगै,आपस कभौं 
गठान।
पर आपस मिल जाँय तो,बचें ठंड सें प्रान।।
                    #2#
कमरा में कमरा बिछा,दूजौ कमरा ओड़।
गरमी आय शरीर में,ठंड जायगी छोड़।।
                    #3#
कमरा निरमल रहत है,सदा ओड़बें संत।
प्रिया जाय तीरथ अगर,कमरा बाँधे कंत।।
                    #4#
घर में कमरा धरे हों,बे आबें हर काम।
भजन और पूजा करौ,चाय करौ विश्राम।।
                    #5#
कमरा बन जाबै अगर ,शुद्ध भेड़ की ऊन।
पसमीना खों मात दे,दौरै तन में खून।।

***
#जयहिन्द सिंह जयहिन्द
#पलेरा जिला टीकमगंढ

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*13*गुलाब सिंह यादव 'भाऊ' लखौरा


❤️बुन्देली दोहा 
बिषय-कमरा (कंबल)
              1-
बड़े जतन राखिवो 
जा कमरा की थान 
दोर गिलरिया काटबे 
करिवो इको ध्यान 
              2-
देख गिलरिया चोखरो 
कमरा देबै काट 
उपर धरो न छोडो
बसबे बारी खाट 
              3-
कतर कतर ले जात है 
बना घोसुवा रात 
छिदना छिदना ज करे
मोका थोरो पात 
             4-
कमरा घमरा सो गड़े 
डरी न होबै खोर 
लाल देह पर जात है 
उटके देखों भोर 
***
गुलाब सिंह यादव 'भाऊ', लखौरा, टीकमगढ़

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   14-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       


आज का विषय कमरा
*********************
पिल्ला परे रजाइ में,ऊदम दै रइ ठंड।
कमरा ओड़ें दै कड़े,भई जिंदगी झंड।।

कमरा कमरा की सुनों, कभउं लगै ना गाँठ।
 कमरा छूटै हाथ सें, तौ हो जावै नाठ।।

कमरा देव गरीब खों,खूबइं देय अशीष।
बनों मसीहा दीन के,धरौ बात जा शीश।।

कारौ कमरा सूर कौ,चड़ै ना दूजौ रंग।
कारे -कारे श्याम जू, फिरें राधिका संग।।

कारौ कमरा ओड़ कें, परे बजारय बीन।
लगी ठन्ड़ यैसें ड़रे, जैसें तिरका तीन।।

***
-अंजनी कुमार चतुर्वेदी, निबाड़ी       
***

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15-रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ (मप्र)


दोहा बिषय  कमरा

1
लै किसान कमरा चले
गुरवाने खों जांयृ
गोड़ मूड़ सें ओढ़ कें
म ईं  लमटेरा गांव।।
***
2
 हत्यारौ जाड़ौ परो
नींद न आबै नैन।
ओढ़ें बिन कमरा अरे
परत न जी खों चैन।।
****
रामेश्वर राय परदेशी टीकमगढ़ मप्र
***
रामेश्वर राय 'परदेशी', टीकमगढ़ (मप्र)


🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊


16-प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

बुंदेली दोहे   विषय  कमरा

जाड़े कौ जू जान लो , इतनों सौ है भेद।
मिला पिछौरा मूंद लो,कमरा के सब छेद।।

खाय भटा उर गक‌इंयां ,गाए रसीले गीत।
कथरी  कमरा  बांद  कें ,चले चैतुआ मीत।।

फूस  माव  की  ठंड  में ,बिछी होय पालौर।
खोर  चड़ो   कमरा मिलै , फिर का चांने और।।

कथा  बांचबे  आ   ग‌ए ,पंडिज्जी महाराज।
कमरा   लै  कें   गड़रया ,बिछा गई साराज।।

जाड़ौ  जब खरयात सो ,ऊ  के दाबन दार।
जेठे   बड़े   बतात   हैं , रु‌इ  कमरा उर प्यांर।।

       -  प्रभु दयाल श्रीवास्तव पीयूष टीकमगढ़

🎊 🎊🎇 जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़🎇🎉🎊

17-परम लाल तिवारी,खजुराहो

"कमरा"
1
कारे कमरा पे कभू,चढ़े न दूजो रंग।
सूरदास जू कह गये,रहो भीड़ के संग।।
2
जाड़े की आई रितू,कमरा राखो संग।
असर करेगी ठंड ना,चढ़े न वाको रंग।।
3
दानवीर वे हैं बड़े,जो फुटपातन जाय।
ठिठुरे कुकरे जो परे,कमरा देंय उड़ाय।।
4
कारो कमरा डार के,दे टटिया की ओट।
तीरथ हा वे चल दिये,कर प्रनाम बड़ छोट।।
5कमरा गाडर ऊन को,ओढ़े छोर दवाय।
ओस पड़े पाला गिरे,ठंड न भीतर जाय।।
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परम लाल तिवारी,खजुराहो
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18-अमर सिंह राय,नौगांव, छावनी, जिला छतरपुर

बुन्देली दोहे - कमरा (कंबल)
दिनाँक-20/12/2021

कमरा काम न दे रहो, ठंड दिखा रइ ठाठ।
नयेगांव  पारा  गिरो, एक दशमलव आठ।।

रहबे खों कमरा नहीं, लोग  डरे फुटपात।
पतरो कमरा ओढ़कर, केउ गुजारत रात।।

बच्चा, बूढ़ बचाइयो, इनको राखौ ध्यान।
इनके  लाने  है  भला, नहिं करवें स्नान।।

कमरा कमरा की कभौं, गाँठी न लग पात।
तालमेल बैठत नहीं, लोग  कहावत  कात।।

कमरा ऊपर डार के, ठंड  से करौ  बचाव।
साँझ-भोर आगी जला, बूढ़न खों तपवाव।।

घास,फसल खर्रा  जमों, पाला  परत  दिखात।
कमरा भी अब का करै, अब नहिं ठंड मिटात।।
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       अमर सिंह राय,नयेगांव, छावनी

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                              कमरा (कंबल)
                   (बुंदेली दोहा संकलन ई-बुक)
      संपादन-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी', टीकमगढ़

              जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़ 
                   की 81वीं ई-बुक

© कापीराइट-राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'

     ई बुक प्रकाशन दिनांक 21-12-2021



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